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2 संबंधों: भारतीय पादप तथा वृक्ष, भारतीय पुष्प।
भारतीय पादप तथा वृक्ष
पीपल का तना और पत्तियाँ भारत में पादप अध्ययन प्रागैतिहासिक काल से चला आ रहा है। आयुर्वेद विज्ञान के अंतर्गत सहस्त्रों पौधों के आकार, प्राप्तिस्थान तथा उनके गुणों के बारे में कई हजार वर्ष पूर्व किए गए उल्लेख मिलते है। भारत का लगभग १९ प्रतिशत भूभाग वनों से ढका है। उत्तम कोटि के पादप, जैसे अनावृतबीजी तथा आवृतबीजी की लगभग ३०,००० जातियाँ इस देश में पाई जाती हैं। वनस्पति विज्ञान की आधुनिक रीति से क्लार्क (१८९८ ई०), हूकर (१८५५ तथा १९०७ ई०), इथी, हेंस, कांजीलाल, डी० चटर्जी जी० एस० पुरी इत्यादि ने भारतीय पौधों तथा वृक्षों का विशेष अध्ययन किया है, जैसे ‘वन’ के बारे में चैंपियन तथा ग्रिफिथ और जी० एस० पुरी, ‘घास’ तथा ‘चारागाह’ के बारे में रंगनाथन्, ह्वाइट तथा एन० एल० बोर, ने। औषधि में प्रयुक्त होने वाले पौधे तथा जहरीले पौधों के अध्ययन के लिये चोपड़ा, कीर्तिकर तथा बसु उल्लेखनीय हैं। .
देखें भारतीय शस्य और भारतीय पादप तथा वृक्ष
भारतीय पुष्प
भारत में लगभग ५०,००० जाति के पुष्पधारी पौधे पाए जाते हैं। इनकी विभिन्न जातियाँ जलीय, मरुस्थलीय, नम, पर्वतीय तथा शीत वातावरण में वितरित हैं। इनमें से कुछ पौधे मौसमी हैं, जो किसी विशेष मौसम में ही फूलते हैं, परंतु कुछ ऐसे भी हैं जो प्राय: साल भर फूलते हुए पाए जाते हैं। .