एक जरूरी बात यह भी है कि प्रशासन को अन्य भाषाओं की भान्ति भोटी भाषा में भी रोजगार उन्मुखी कार्यक्रम चलाने चाहिए ताकि लोगों को आसानी से रोजगार उपलब्ध हो सके और साथ में विभिन्न गूढ़ विषयों को समझने और उन पर विकासात्मक शोध कार्यों को बढ़ावा मिल सके। इससे वर्तमान युवा पीढ़ी को इस ओर आकर्षित करने में काफी मदद मिल सकती है। दोस्तो! ध्यान देने वाली बात यह है कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बौद्ध धर्म के अध्ययन के लिए भारत वर्ष से ही नहीं अपितु विदेशों से भी जानेलृमाने विद्वान इन क्षेत्रों में आकर गहन शोध व अध्ययन कार्य कर रहे हैं। परन्तु बावजूद इसके स्थानीय स्तर पर लोगों तथा अध्ययनकर्त्ताओं का इन विषयों के प्रति उदासीन रवैया आश्चर्यजनक ही नहीं वरन निराशाजनक भी है। अतः मेरा युवा वर्ग से आहवान् है कि वह अपने क्षेत्र को समझे, संस्कृति को समझे और बुद्धिज़म को समझे, क्योंकि हमारे ही ज़रिए हमारी संस्कृति का संर्वधन और संरक्षण हो सकता है। हमारे कन्धों पर ही हमारी संस्कृति के प्रचार एवं प्रसार की अहम ज़िम्मेवारी रहेगी।.