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बैंडिट क्वीन (1994 फ़िल्म)

सूची बैंडिट क्वीन (1994 फ़िल्म)

बैंडिट क्वीन, दस्यु सुंदरी फूलन देवी के जीवन पर आधारित एक सिने चलचित्र है, जिसका निर्देशन शेखर कपूर ने किया था। फिल्म मे फूलन की भूमिका प्रख्यात अभिनेत्री सीमा बिस्वास ने निभाई है। फिल्म अपने कथानक के चलते कई आलोचनाओं की शिकार भी हुई और फूलन ने स्वंय इस फिल्म के प्रदर्शन का विरोध किया पर अततः फिल्म को न्यायालय से स्वीकृति मिलने के उपरांत प्रदर्शित किया गया। .

14 संबंधों: नुसरत फतह अली खान, न्यायालय, फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार, फूलन देवी, मनोज बाजपेयी, राजेश विवेक, रघुवीर यादव, शेखर कपूर, सौरभ शुक्ला, सीमा बिस्वास, गोविन्द नामदेव, आदित्य श्रीवास्तव, १९९७

नुसरत फतह अली खान

नुसरत फतह अली खान सूफी शैली के प्रसिद्ध कव्वाल थे। इनके गायन ने कव्वाली को पाकिस्तान से आगे बढ़कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।कव्वालों के घराने में 13 अक्टूबर 1948 को पंजाब के फैसलाबाद में जन्मे नुसरत फतह अली को उनके पिता उस्ताद फतह अली खां साहब जो स्वयं बहुत मशहूर और मार्रुफ़ कव्वाल थे, ने अपने बेटे को इस क्षेत्र में आने से रोका था और खानदान की 600 सालों से चली आ रही परम्परा को तोड़ना चाहा था पर खुदा को कुछ और ही मंजूर था, लगता था जैसे खुदा ने इस खानदान पर 600 सालों की मेहरबानियों का सिला दिया हो, पिता को मानना पड़ा कि नुसरत की आवाज़ उस परवरदिगार का दिया तोहफा ही है और वो फिर नुसरत को रोक नहीं पाए और आज इतिहास हमारे सामने है। .

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न्यायालय

लंदन के पुरानी बेली स्थित एक कोर्ट का दृष्य न्यायालय (अदालत या कोर्ट) का तात्पर्य सामान्यतः उस स्थान से है जहाँ पर न्याय प्रशासन कार्य होता है, परंतु बहुधा इसका प्रयोग न्यायाधीश के अर्थ में भी होता है। बोलचाल की भाषा में अदालत को कचहरी भी कहते हैं। .

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फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार

फिल्मफेयर पुरस्कार समारोह भारतीय सिनेमा के इतिहास की सबसे पुरानी और प्रमुख घटनाओं में से एक रही है। इसकी शुरुआत सबसे पहले 1954 में हुई जब राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार की भी स्थापना हुई थी। पुरस्कार जनता के मत एवं ज्यूरी के सदस्यों के मत दोनों के आधार पर दी हर साल दी जाती है। .

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फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार

फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार फ़िल्मफ़ेयर पत्रिका द्वारा प्रति वर्ष दिया जाने वाला पुरस्कार है। .

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फूलन देवी

फूलन देवी (10 अगस्त 1963 - 25 जुलाई 2001) डकैत से सांसद बनी एक भारत की एक राजनेता थीं। एक निम्न वर्ग में उनका जन्म उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव गोरहा का पूर्वा में एक मल्लाह के घर हुअा था। फूलन की शादी ग्यारह साल की उम्र में हुई थी लेकिन उनके पति और पति के परिवार ने उन्हें छोड़ दिया था। बहुत तरह की प्रताड़ना और कष्ट झेलने के बाद फूलन देवी का झुकाव डकैतों की तरफ हुआ था। धीरे धीरे फूलनदेवी ने अपने खुद का एक गिरोह खड़ा कर लिया और उसकी नेता बनीं। गिरोह बनाने से पहले गांव के कुछ लोगों ने कथित तौर पर फूलन के साथ दुराचार किया। फूलन इसी का बदला लेने की मंशा से फूलन ने बीहड का रास्‍ता अपनाया। डकैत गिरोह में उसकी सर्वाधिक नजदीकी विक्रम मल्‍लाह से रही। माना जाता है कि पुलिस मुठभेड में विक्रम की मौत के बाद फूलन टूट गई। आमतौर पर फूलनदेवी को डकैत के रूप में (रॉबिनहुड) की तरह गरीबों का पैरोकार समझा जाता था। सबसे पहली बार (1981) में वे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियों में तब आई जब उन्होने ऊँची जातियों के बाइस लोगों का एक साथ तथाकथित (नरसंहार) किया जो (ठाकुर) जाति के (ज़मींदार) लोग थे। लेकिन बाद में उन्होने इस नरसंहार से इन्कार किया था। बाद में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार तथा प्रतिद्वंदी गिरोहों ने फूलन को पकड़ने की बहुत सी नाकाम कोशिशे की। इंदिरा गाँधी की सरकार ने (1983) में उनसे समझौता किया की उसे (मृत्यु दंड) नहीं दिया जायेगा और उनके परिवार के सदस्यों को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया जायेगा और फूलनदेवी ने इस शर्त के तहत अपने दस हजार समर्थकों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। बिना मुकदमा चलाये ग्यारह साल तक जेल में रहने के बाद फूलन को 1994 में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने रिहा कर दिया। ऐसा उस समय हुआ जब दलित लोग फूलन के समर्थन में गोलबंद हो रहे थे और फूलन इस समुदाय के प्रतीक के रूप में देखी जाती थी। फूलन ने अपनी रिहाई के बौद्ध धर्म में अपना धर्मातंरण किया। 1996 में फूलन ने उत्तर प्रदेश के भदोही सीट से (लोकसभा) चुनाव जीता और वह संसद तक पहुँची। 25 जुलाई सन 2001 को दिल्ली में उनके आवास पर फूलन की हत्या कर दी गयी। उसके परिवार में सिर्फ़ उसके पति उम्मेद सिंह हैं। 1994 में शेखर कपूर ने फूलन पर आधारित एक फिल्म बैंडिट क्वीन बनाई जो काफी चर्चित और विवादित रही। फूलन ने इस फिल्म पर बहुत सारी आपत्तियां दर्ज कराईं और भारत सरकार द्वारा भारत में इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी गयी। फूलन के साथ जमिदारों ने बलात्कार किया था। दिल्‍ली के तिहाड़ जेल में कैद अपराधी शेर सिंह राणा ने फूलन की हत्‍या की। हत्‍या से पहले वह देश की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली तिहाड़ जेल से फर्जी तरीके से जमानत पर रिहा होने में कामयाब हो गया। हत्‍या के बाद शेर सिंह फरार हो गया। कुछ समय बाद शेर सिंह ने एक वीडियो क्‍िलप जारी करके अंतिम हिन्‍दू सम्राट पृथ्‍वीराज चौहान की समाधी ढूढंकर उनकी अस्थियां भारत लेकर आने की कोशिश का दावा किया। हालांकि बाद में दिल्‍ली पुलिस ने उसे पकड़ लिया। फूलन की हत्‍या का राजनीतिक षडयंत्र भी माना जाता है। उनकी हत्‍या के छींटे उसके पति उम्‍मेद सिंह पर भी आए और फूलन के परिवार वाले उन्हें पीट भी चुके हैं। हालांकि उम्‍मेद आरोपित नहीं हुआ। श्रेणी:भारतीय राजनीति श्रेणी:डाकू श्रेणी:चित्र जोड़ें श्रेणी:भारत में राजनीतिक हत्याएं.

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मनोज बाजपेयी

मनोज बाजपेयी भारतीय हिन्दी फ़िल्म उद्योग बॉलीवुड के एक जाने माने अभिनेता हैं। मनोज को प्रयोगकर्मी अभिनेता के रूप में जाना जाता है। उन्होने अपना फ़िल्मी कैरियर १९९४ मे शेखर कपूर निर्देशित अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त फ़िल्म बैंडिट क्वीन से शुरु किया। बॉलीवुड मे उनकी पहचान १९९८ मे राम गोपाल वर्मा निर्देशित फ़िल्म सत्या से बनी। इस फ़िल्म ने मनोज को उस दौर के अभिनेताओं के समकक्ष ला खङा किया। इस फ़िल्म के लिये उनन्हे सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। .

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राजेश विवेक

राजेश विवेक (३१ जनवरी, १९४९ से १४ जनवरी, २०१६)भारतीय नाटक अभिनेता थे जो लगान नामक फ़िल्म में अपने ज्योतिषी गुरन अथवा स्वदेश में डाकिये के अभिनय के लिए जाने जाते हैं। इसके अतिरिक्त लोकप्रिय भारतीय धारावाहिक महाभारत में उन्होंने महाभारत के रचयिता वेदव्यास का अभिनय किया था। उन्होंने वीराना और जोशीले जैसी फ़िल्मों में खलनायक की भूमिका में भी अभिनय किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने मुझसे शादी करोगी, वॉट्स यॉर राशी? और बंटी और बबली जैसी फ़िल्मों में अभिनय किया। राजेश ने टीवी धारावाहिक भारत एक खोज में भी उल्लेखनीय अभिनय किया। .

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रघुवीर यादव

रघुवीर यादव हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं। .

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शेखर कपूर

शेखर कपूर हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता एवं निर्देशक हैं। आपने मिस्टर इंडिया एवं मासूम जैसी बेहद सफल फ़िल्में निर्देशित की हैं| आप अपनी फ़िल्म एलिज़ाबेथ के लिए आस्कर पुरस्कार के लिए भी मनोनीत हो चुके हैं| 2013 में, शेखर कपूर ने एबीपी न्यूज़ पर टीवी शो प्रधानमंत्री की मेजबानी की। इस कार्यक्रम में भारतीय की रियासतों के विलय से लेकर देश के अलग-अलग प्रधानमंत्री चुनने की पूरी कहानी है। .

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सौरभ शुक्ला

सौरभ शुक्ला सौरभ शुक्ला हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं। .

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सीमा बिस्वास

सीमा बिस्वास एक भारतीय अभिनेत्री हैं। .

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गोविन्द नामदेव

गोविन्द नामदेव हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं। .

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आदित्य श्रीवास्तव

आदित्य श्रीवास्तव (जन्म २१ जुलाई १९६८, इलाहाबाद में) एक भारतीय फ़िल्म अभिनेता और टीवी प्रयोक्ता हैं। यह भारत के सबसे लंबे समय तक चलने वाले धारावाहिक सीआईडी में वरिष्ठ निरीक्षक अभिजीत के अभिनय के लिए जाने जाते हैं। इन्होंने हिन्दी फ़िल्मों सत्या (१९९८), गुलाल (२००९), पाँच, ब्लैक फ्राईडे और दिल से में भी निर्णायक भूमिका निभाई है। इसके अलावा कालो फ़िल्म में भी बखूबी भूमिका निभाई है। आदित्य श्रीवास्तव अभी अभिजीत के नाम से काफी प्रसिद्ध हैं। .

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१९९७

1997 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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