१५ अगस्त २०११ से बिहार में लागू यह विधेयक आम लोगों को निर्धारित समय सीमा के भीतर कुछ चुनी हुई लोक सेवाएं उपलब्ध कराने को सुनिश्चित करने वाला कानून है। इसके अंतर्गत राज्य सरकार ने फ़िलहाल दस विभागों से जुड़ी 50 सेवाएँ सूचीबद्ध की है। इनमें राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और ज़मीन-जायदाद के दस्तावेज़ दिए जाने के अलावा आवास, जाति, चरित्र और आमदनी से संबंधित प्रमाण पत्र दिए जाने जैसी सेवाएँ प्रमुख हैं। इस अधिनियम का सबसे ख़ास प्रावधान यह है कि तय की गई अवधि में आवेदकों को लोक सेवाएँ उपलब्ध नहीं करा सकने वाले सरकारी कर्मचारी या अधिकारी दंडित होंगे। इसके अंतर्गत ढाई सौ रूपए से लेकर अधिकतम पांच हज़ार रूपए तक के आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया है और ज़रूरत पड़ी तो विभागीय कार्रवाई का डर दिखाया गया है। लेकिन इस क़ानून के तहत दोषी कर्मचारी या अधिकारी को दंडित करने के किए गए ये प्रावधान बहुत ढीले, मामूली और बेअसर जैसे हैं। .
बिहार लोकसेवा अधिकार अधिनियम, लोकसेवा अधिकार के रूप में भी जाना जाता है।