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बिसेन

सूची बिसेन

वंश- विशेन विसेन वंश के विषय में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी बताता हूँ विशेन वंश के हम सभी श्री राम जी के अनुज लक्ष्मण जी के पुत्र व कर्नाटक के राजा चन्द्रकेतु के वंशज है हम। उत्तर भारत में हम मझौलीराज(देवरिया)जो पूर्व में (मल्लमहाजनपद के नाम से विख्यात था जिसके संस्थापक राजा पृथ्वीमल्ल जी जो इस वंश के सबसे ताकतवर राजा लगभग 1500 वर्ष पूर्व) हमारा गोत्र - वत्स कुलदेवी- दुर्गा वेद- सामवेद /यजुर्वेद यज्ञोपवीत -12 वर्ष की उम्र में करते है। और तलवारो की पूजा करते है। चौथी पॉचवी शताब्दी मे लगभग १०० वर्ष तक शासन किया। सन् ३५६ ई.मे राजा कुकुस्थ वर्मन के पौत्र तथा मयूर भट्ट द्वितीए के पुत्र विश्वसेन के वंशज विसेन या विशेन कहलाये। (पराक्रमी राजा बीरसेन जी के द्वारा दिया गया नाम) उत्तर प्रदेश में -विशेन वंश के चौरास्सीवें शासक भीम मल्ल (१३११-१३६६ई०.) ने सुकेत(बीरसेन जी संस्थापक) गोंडा (मझौली राज्य के शासक नृपल के छोटे पुत्र राजकुमार प्रताप मल्ल ने गोंडा राज्य की स्थापना की आगे चलकर गोंडा राज्य के शासक मान सिंह जी द्वितीय पुत्र भावनी सिहं ने भिनगा राज्य की स्थापना की। राजा भावनी सिहं की पॉचवी पीढी मे राजा शिव सिहं हुए जो उच्य कोटी के साहित्कार थे। राजा शिव सिहं ने अमर कोष और अदभूत रामायण का हिन्दी अनुवाद किया था। १८५७ ई० के स्वतन्त्रता संग्राम मे नरहरपुर के विशेन राजा हरि प्रसाद मल्ल ने अंग्रेजो के विरूद्ध जमकर संघर्ष किया प्रतापगढ से आकर बदलापुर मे बसे विशेन क्षत्रिय बन्धु लोक मल्ल,रूपमल्ल व हरीमल्ल के वंशज बाबू बहादुर जी ने आस पास के लोगो को एकत्र कर १८५७ के स्वतंत्रा संग्राम मे अंग्रेजो के विरूद्ध संघर्ष किया। १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम में गोरखपुर जिले मे बरहज(वर्तमान में देवरियाजनपद) के पूर्व मे नदी किनारे बसे पैना गांव के विशेन क्षत्रियों की अलग ही पहचान बनीं। गांववासियों ने अंग्रेजो की रसद लूटी तथा अंग्रेजो को नदी मे डुबा डुबा कर मारडाला। ३१ जुलाई १८५७ को अंग्रेजों ने थल एंव जल दोनो प्रकार की सेना लेकर पैना गांव पर अाक्रमण किया लेकिन छ: सौ राजपुत वीरो ने अंग्रेज सेना को पीछे खदेड दिया। लेफटिनेन्ट पुल्लन बिगेडियर डगलस और कर्नल रूक्राफट के साथ गोरखा फौज के आ जाने पर गांव वाले मुकाबले मे टिक नही पाये। ठाकुर अजारायल सिहं,अयोध्या सिहं,परम दयाल सिहं के नेतृत्व मे हजारो गांववासी शहीद हो गये तथा क्षत्रिणियों ने नदी में कूद कर तथा अग्नि में भस्म होकर चित्तौड के जौहर को पैना गांव मे पनु: दोहरा दिया। उन्नाव (उनवंत सिंह विशेन जी 1830 के आसपास संस्थापक जिनके द्वारा उन्नाव बसाया गया था) सुल्तानपुर। मनकापुर बलरामपुर। गोंडा राज्य के शासक राम सिहं के द्वितीय पुत्र भवानी सिहं ने भिनगा (बहराइच) राज्य की स्थापना की आगे चल कर भिनगा मे महान राजा उदय प्रताप सिहं राजपरिवार का समाजिक विकास के अतरिक्त शैक्षणिक बिकास मे भी महत्वपूर्ण व सराहनीय योगदान रहा था उन्होने वाराणसी मे सन् १९०९ में हेवेत्त क्षत्रिय हाई स्कूल की स्थापना की १९२१ मे इंटरमीडिएट कॉलेज मे अपग्रेड हुआ जो बाद मे उदय प्रताप इंटरमीडिएट कॉलेज के नाम से जाना गया बाद मे १९४९ में डिग्री कॉलेज मे अपग्रेड हुआ जिसका नाम उदय प्रताप अॉटोनोमस कॉलेज हुआ राजा साहब ने अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा संगठन का निर्माण किया था लखीमपुर। कुंडा (प्रातपगढ़) और हिमांचल में सुकेत (मंडी) तथा बिहार के पुनक में विशेन वंश का राज रहा है। तथा मझौलीराज(देवरिया) उत्तर भारत का सबसे ताकतवर राजघराना जिसका अयोध्या से पाटलिपुत्र तक शासन रहा है। (आप इसे विशेन वंश वाटिका में देख सकते है) हम सभी विशेन जहाँ भी है मझौलीराज राजघराने से ही माइग्रेट हुए है। जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल के देवरिया जिले में स्थित है। हम विशेन उत्तर प्रदेश में - देवरिया,कुशीनगर,गोरखपुर,महराजगंज,मऊ,उन्नाव,कानपुर,लखीमपुर,लखनऊ,प्रतापगढ़, फतेहपुर,बलिया जनपद में पाँच गाँव चौरा,कथरिया,पिपरा,दौलतपुर,इटही हैं तथा इसी जिले में बावन 52 गाँव एक जगह हैं  ,गाजीपुर,वाराणसी,मिर्जापुर,गोंडा,सुल्तानपुर,कालाकांकर,भदोही(संत रविदास नगर),बस्ती,आजमगढ़,आंबेडकर नगर,जौनपुर,इलाहाबाद,बहराइच,,बलरामपुर,श्रावस्ती आदि जगहों में है। बिहार में -सीवान,गोपालगंज,छपरा (महरौडा),भोजपुर,बक्सर,मोतिहारी,पूर्णिया,कटिहार,बेगुसाराय,मधेपुरा,डुमरिया,पुनक आदि जगहों में मौजूद है। हिमांचल- सुकेत (मंडी)राजघराना,कांगड़ा- बरोह (बरोहड़) उत्तराखंड और हरियाणा तथा मध्य प्रदेश के - रीवा,सतना में भी मौजूद है। सतना जिला के खोहर गांव में विसेन राजपूत रहते हैं ए सब ठाकुर जगतधारी सिंह विसेन के परदादा के वंस है आज से लगभग 217 वर्ष पहले ठाकुर शारदा सिंह विसेन उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से खोहर आ गये थे सन्1801 में और इनकी संख्या सतना बहुत कम है लेकिन उत्तर प्रदेश में जादा है नेपाल की तराई में भी अच्छी तादाद में मौजूद है। .

9 संबंधों: प्रतापगढ़ जिला, मझौली राज, मधुबन-मऊ, महाराजगंज, राजा देव मल्ल, राजा माधव मल्ल, सतना, विजईमऊ कोट, गोण्डा

प्रतापगढ़ जिला

उत्तर प्रदेश के अन्तर्गत प्रतापगढ़ जिला प्रतापगढ़ भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है। इसे को बेला, बेल्हा, परतापगढ़, या प्रताबगढ़ भी कहा जाता है। यह प्रतापगढ़ जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। यह उत्तर प्रदेश का 72वां जिला है। इसे लोग बेल्हा भी कहते हैं, क्योंकि यहां बेल्हा देवी मंदिर है जो कि सई नदी के किनारे बना है। इस जिले को ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां के विधानसभा क्षेत्र पट्टी से ही देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं॰ जवाहर लाल नेहरू ने अपना राजनैतिक करियर शुरू किया था। इस धरती को राष्ट्रीय कवि हरिवंश राय बच्चन की जन्म स्थली के नाम से भी जाना जाता है। .

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मझौली राज

मझौली राज, उत्तर प्रदेश के देवरिया जिला में स्थित एक कस्बा एवं जिला पंचायत है। यह बिहार सीमा से सटा हुआ है। इसका इतिहास बहुत प्राचीन है। यह बिसेन राजपूतों के लिए प्रसिद्ध है। बिसेन राजपूतों का इतिहास सोलह महाजनपदों तक जाता है। बिसेन राजपूतों का उद्भव सूर्यवंशी राजकुमारी सूर्यप्रभा तथा राजा विरसेन से हुआ। मझौली के भग्नावशेष इसके गौरवपूर्ण इतिहास के साक्षी हैं। इसके आसपास अनेक पवित्र स्थान हैं जैसे भागदा मन्दिर आदि। यहाँ छठ पूजा बड़े धूमधाम से मनायी जाती है। बाबा दीर्घेश्वर नाथ का प्रसिद्ध मन्दिर पास में ही है। कहा जाता है कि इसकी स्थापना अश्वत्थामा ने की थी। यहाँ के राजपरिवार मल्ल-विशेन को मुगल शासक अकबर ने 'शाही' की उपाधि प्रदान की थी। वर्तमान में मझौली राज के अतिरिक्त सुकेत (हिमाचल प्रदेश), उन्नाव, गोंडा, कालाकांकर, प्रतापगढ़, मऊ में लाखों की संख्या में विशेन है। श्रेणी:उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थल.

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मधुबन-मऊ

विशेन वंश के मझौलीराज के पिच्चानवे शासक *राजा देव मल्ल के द्वितीय पुत्र *राजा माधव मल्ल ने मऊ जिले मे *मधुबन की स्थापना की.

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महाराजगंज

महाराजगंज अनेक साधु-संतों व ऋषि-मुनियों की कर्मस्थली है। यह उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिला मुख्यालय भी है। खूबसूरत वन, वनस्पतियां और धान के लहराते हुए खेत इस जगह की सुंदरता को और अधिक बढ़ाते हैं। अदरौना देवी का मंदिर, तपस्थली, प्राचीन शिवलिंग, शिव मंदिर, विष्णु मंदिर, बनर सिंहागढ़ और सोनाड़ी देवी महाराजगंज के प्रमुख स्थलों में से है। Kharharwa Shiv Mandir,Kolhui Bazar Ram Prakash Sahani https://www.facebook.com/hateyoutimepass भारत-नेपाल सीमा के समीप स्थित महाराजगंज उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है। इसका जिला मुख्यालय महाराजगंज शहर स्थित है। पहले इस जगह को कारापथ के नाम से जाना जाता था। यह जिला नेपाल के उत्तर, गोरखपुर जिले के दक्षिण, पदरूना जिले के पूर्व और सिद्धार्थ नगर व संत कबीर नगर जिले के पश्चिम से घिरा हुआ है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह काफी महत्वपूर्ण स्थल है। .

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राजा देव मल्ल

विशेन वंश के मझौली राज के पिच्चानवे शासक राजा देव मल्ल थे इनके तीन पुत्र १- राजा प्रसाद मल्ल मझौली राज देवरिया २- राजा माधव मल्ल मधुबन-मऊ ३- राजा राय मल्ल गोरखपुर थे।.

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राजा माधव मल्ल

विशेन वंश के *मझौली राज के पिच्चानवे शासक *राजा देव मल्ल के द्वितीय पुत्र *राजा माधव मल्ल ने मऊ जिले मे *मधुबन-मऊ की स्थापना की राजा माधव मल्ल के पुत्र *राजा नत्थ मल्ल थे। राजा माधव मल्ल जी के *वंशज *मधुबन-मऊ व *गोरखपुर सहित अन्य जगहों पर रहते हैं।.

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सतना

सतना भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त का एक शहर है। .

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विजईमऊ कोट

विजईमऊ कोट(रियासत) विजईमऊ कोट का इतिहास (१८००) विजईमऊ कोट के तालुकेदार लाल कन्हैैया बक्स सिंह थे। उनके दो पुत्र थे ज्येष्ठ पुत्र हनुमत सिंह अौर क्निष्ट पुत्र माधव सिंह थे। माधव सिंह जी के दो पुत्र थे ज्येष्ठ पुत्र मोहबल सिंह अौर क्निष्ट पुत्र शिवदऱशन सिंह थे। शिवदऱशन सिंह जी के चार पुत्र थे रमलला सिंह अौर दुसरे समशेर बहादुर सिंह अौर तीसरे काली प्रताप सिंह चौथे नरसिह बहादुर सिंह अौर दो पुत्री थी सुखपाल कुवर वा छतपाल कुवर थी। सुखपाल कुवर का जी का विवाह राजा प्रताप सिंह जी के बडे़ भाई के साथ हुआ था, जिनके कोई पुत्र नही थे। अौर दुसरे पुत्री का विवाह ग्वालियर राजघाराने मे हुआ था इनके भी कोई संन्तान नही थे। बाबू अमर बहादुर सिंह- अमर बहादुर सिंह जी के दो पुत्र अौर दो पुत्री ज्येष्ठ पुत्र बीरपाल सिंह अौर क्निष्ट पुत्र इंजीनिअर त्रिलोचन सिंह। ज्येष्ठ पुत्री चंदावती सिंह अौर क्निष्ट पुत्री मनोरमा देवी सिंह। बाबू बीरपाल सिंह जी के दो पुत्र। ज्येष्ठ पुत्र नरेन्र सिंह अौर क्निष्ट पुत्र भूपेन्र सिंह। बाबू त्रिलोचन सिंह जी के दो पुत्र अौर दो पुत्री ज्येष्ठ पुत्र सयलेनदर सिंह अौर इंजीनिअर देवेन्र सिंह अौर ज्येष्ठ पुत्री अनिता सिंह अौर क्निष्ट पुत्री सुनिता सिंह। । ज्येष्ठ पुत्र के दो पुत्र अौर एक पुत्री। ज्येष्ठ पुत्र सुसांत सिंह अौर क्निष्ट पुत्र प्रसांत सिंह अौर पुत्री कामनी सिंह। देवेन्र सिंह जी के दो पुत्र ज्येष्ठ पुत्र सिवांस सिंह अौर क्निष्ट पुत्र अभिवांस सिंह है। बाबू अलखनारयण सिंह - अलखनारयण सिंह जी के चार पुत्र अौर एक पुत्री। ज्येष्ठ पुत्र बेनी बहादुर सिंह अौर दुसरे पुत्र बीरेन्र बहादुर सिंह अौर तीसरे पुत्र बन्टेस बहादुर सिंह अौर चौथे पुत्र भदे्शवर सिंह। अौर एक पुत्री सवित्रि देवी। ज्येष्ठ पुत्र बेनी बहादुर सिंह जी के चार पुत्र अौर तीन पुत्रीयॉ ज्येष्ठ पुत्र चनंदभान सिंह जी के एक पुत्री सरला सिंह। जिनका विवाह भारतीय सेना के अधिकारी से हुआ। दुसरे पुत्र उमेश बहादुर सिंह का अल्प अायू मे ही स्वरगवास हो गया था। तीसरे पुत्र गीरेन्र बहादुर सिंह जी के एक पुत्र अौर दो पुत्री पुत्र बाबू प्रदीप सिंह अौर ज्येष्ठ पुत्री रेनु सिंह अौर क्निष्ट पुत्री नीलू सिंह। प्रदीप सिंह जी के दो पुत्र ज्येष्ठ पुत्र विग्यात सिंह अौर क्निष्ट पुत्र प्रग्यात सिंह। (जो लखनऊ मे उच्य अध्यन कर रहे है।) दुसरे पुत्र बीरेन्र बहादुर सिंह जी का अल्प अायू मे स्वरगवास हो गया था। तीसरे पुत्र बन्टेस बहादुर सिंह जी के एक पुत्री विमला देवी सिंह जी का विवाह रायबरेली हुआ। चौथे पुत्र भदे्शवर सिंह जी के दो पुत्र अौर एक पुत्री है। ज्येष्ठ पुत्र अतुल सिंह अौर क्निष्ट पुत्र विवेक सिंह अौर पुत्री विभा सिंह। ज्येष्ठ पुत्र के पुत्र के एक पुत्र अौर एक पुत्री। पुत्र अभिनव सिंह अौर पुत्री कुहू सिंह।.

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गोण्डा

नोट: यह लेख गोण्डा जिला मुख्यालय (उत्तर प्रदेश) के संबंध में है। गोंडा जिले के लिए गोंडा जिला देखें। यह भारत के प्रान्त उत्तर प्रदेश के एक प्रमुख जिला गोंडा जिले का मुख्यालय है जो पूर्व में बस्ती, पश्चिम में बहराइच, उत्तर में बलरामपुर तथा दक्षिण में बाराबंकी और फैजाबाद से घिरा हुआ है। यहाँ की जिला जेल में काकोरी काण्ड के एक प्रमुख क्रान्तिकारी राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी को निर्धारित तिथि से दो दिन पूर्व १७ दिसम्बर १९२७ को बेरहम ब्रिटिश सरकार द्वारा फाँसी दी गयी थी। .

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