7 संबंधों: बौद्ध धर्म, मगध महाजनपद, मौर्य राजवंश, हर्यक वंश, विनयपिटक, गौतम बुद्ध, अजातशत्रु (मगध का राजा)।
बौद्ध धर्म
बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और महान दर्शन है। इसा पूर्व 6 वी शताब्धी में बौद्ध धर्म की स्थापना हुई है। बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध है। भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में लुंबिनी, नेपाल और महापरिनिर्वाण 483 ईसा पूर्व कुशीनगर, भारत में हुआ था। उनके महापरिनिर्वाण के अगले पाँच शताब्दियों में, बौद्ध धर्म पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैला और अगले दो हजार वर्षों में मध्य, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी जम्बू महाद्वीप में भी फैल गया। आज, हालाँकि बौद्ध धर्म में चार प्रमुख सम्प्रदाय हैं: हीनयान/ थेरवाद, महायान, वज्रयान और नवयान, परन्तु बौद्ध धर्म एक ही है किन्तु सभी बौद्ध सम्प्रदाय बुद्ध के सिद्धान्त ही मानते है। बौद्ध धर्म दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है।आज पूरे विश्व में लगभग ५४ करोड़ लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी है, जो दुनिया की आबादी का ७वाँ हिस्सा है। आज चीन, जापान, वियतनाम, थाईलैण्ड, म्यान्मार, भूटान, श्रीलंका, कम्बोडिया, मंगोलिया, तिब्बत, लाओस, हांगकांग, ताइवान, मकाउ, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया एवं उत्तर कोरिया समेत कुल 18 देशों में बौद्ध धर्म 'प्रमुख धर्म' धर्म है। भारत, नेपाल, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, रूस, ब्रुनेई, मलेशिया आदि देशों में भी लाखों और करोडों बौद्ध हैं। .
नई!!: बिम्बिसार और बौद्ध धर्म · और देखें »
मगध महाजनपद
मगध प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था। आधुनिक पटना तथा गया ज़िला इसमें शामिल थे। इसकी राजधानी गिरिव्रज (वर्तमान राजगीर) थी। भगवान बुद्ध के पूर्व बृहद्रथ तथा जरासंध यहाँ के प्रतिष्ठित राजा थे। अभी इस नाम से बिहार में एक प्रंमडल है - मगध प्रमंडल। (२) सुमसुमार पर्वत के भाग, (३) केसपुत्र के कालाम, (४) रामग्राम के कोलिय, (५) कुशीमारा के मल्ल, (६) पावा के मल्ल, (७) पिप्पलिवन के मौर्य, (८) आयकल्प के बुलि, (९) वैशाली के लिच्छवि, (१०) मिथिला के विदेह। -- .
नई!!: बिम्बिसार और मगध महाजनपद · और देखें »
मौर्य राजवंश
मौर्य राजवंश (३२२-१८५ ईसापूर्व) प्राचीन भारत का एक शक्तिशाली एवं महान राजवंश था। इसने १३७ वर्ष भारत में राज्य किया। इसकी स्थापना का श्रेय चन्द्रगुप्त मौर्य और उसके मन्त्री कौटिल्य को दिया जाता है, जिन्होंने नन्द वंश के सम्राट घनानन्द को पराजित किया। मौर्य साम्राज्य के विस्तार एवं उसे शक्तिशाली बनाने का श्रेय सम्राट अशोक को जाता है। यह साम्राज्य पूर्व में मगध राज्य में गंगा नदी के मैदानों (आज का बिहार एवं बंगाल) से शुरु हुआ। इसकी राजधानी पाटलिपुत्र (आज के पटना शहर के पास) थी। चन्द्रगुप्त मौर्य ने ३२२ ईसा पूर्व में इस साम्राज्य की स्थापना की और तेजी से पश्चिम की तरफ़ अपना साम्राज्य का विकास किया। उसने कई छोटे छोटे क्षेत्रीय राज्यों के आपसी मतभेदों का फायदा उठाया जो सिकन्दर के आक्रमण के बाद पैदा हो गये थे। ३१६ ईसा पूर्व तक मौर्य वंश ने पूरे उत्तरी पश्चिमी भारत पर अधिकार कर लिया था। चक्रवर्ती सम्राट अशोक के राज्य में मौर्य वंश का बेहद विस्तार हुआ। सम्राट अशोक के कारण ही मौर्य साम्राज्य सबसे महान एवं शक्तिशाली बनकर विश्वभर में प्रसिद्ध हुआ। .
नई!!: बिम्बिसार और मौर्य राजवंश · और देखें »
हर्यक वंश
हर्यकहर्यक वंश की स्थापना ५४४ ई. पू.
नई!!: बिम्बिसार और हर्यक वंश · और देखें »
विनयपिटक
विनय पिटक एक बौद्ध ग्रंथ है। यह उन तीन ग्रंथों में से एक है जो त्रिपिटक बनाते है। इस ग्रंथ का प्रमुख विषय विहार के भिक्षु, भिक्षुणी आदि है। विनय पिटक का शाब्दिक अर्थ "अनुशासन की टोकरी" है। बौद्ध धर्म में भिक्षु और भिक्षुणी के रूप मे प्रवेश करने वाले शिष्य (अनुयायी) के आचरण व्यवस्थित करने के निमित्त निर्मित अनुशासन के नियमों को विनय कहते है। अतः विनय पिटक विनय से संबन्धित नियमों का व्यवस्थित संग्रह है। .
नई!!: बिम्बिसार और विनयपिटक · और देखें »
गौतम बुद्ध
गौतम बुद्ध (जन्म 563 ईसा पूर्व – निर्वाण 483 ईसा पूर्व) एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ। उनका जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। उनकी माँ का नाम महामाया था जो कोलीय वंश से थी जिनका इनके जन्म के सात दिन बाद निधन हुआ, उनका पालन महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजापती गौतमी ने किया। सिद्धार्थ विवाहोपरांत एक मात्र प्रथम नवजात शिशु राहुल और पत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग की तलाश एवं सत्य दिव्य ज्ञान खोज में रात में राजपाठ छोड़कर जंगल चले गए। वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से बुद्ध बन गए। .
नई!!: बिम्बिसार और गौतम बुद्ध · और देखें »
अजातशत्रु (मगध का राजा)
अजातशत्रु (लगभग 493 ई. पू.) मगध का एक प्रतापी सम्राट और बिंबिसार का पुत्र जिसने पिता को मारकर राज्य प्राप्त किया। उसने अंग, लिच्छवि, वज्जी, कोसल तथा काशी जनपदों को अपने राज्य में मिलाकर एक विस्तृत साम्राज्य की स्थापना की। अजातशत्रु के समय की सबसे महान घटना बुद्ध का महापरिनिर्वाण थी (464 ई. पू.)। उस घटना के अवसर पर बुद्ध की अस्थि प्राप्त करने के लिए अजात शत्रु ने भी प्रयत्न किया था और अपना अंश प्राप्त कर उसने राजगृह की पहाड़ी पर स्तूप बनवाया। आगे चलकर राजगृह में ही वैभार पर्वत की सप्तपर्णी गुहा से बौद्ध संघ की प्रथम संगीति हुई जिसमें सुत्तपिटक और विनयपिटक का संपादन हुआ। यह कार्य भी इसी नरेश के समय में संपादित हुआ। .
नई!!: बिम्बिसार और अजातशत्रु (मगध का राजा) · और देखें »