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बहाउल्लाह

सूची बहाउल्लाह

बहाउल्लाह, बहाई धर्म के संस्थापक थे। वे इरान में जन्मे थे। उन्होने करीब 150 वर्ष पहले बहाई धर्म की स्थापना की और पूरी दुनिया को संदेश दिया कि हर एक युग में ईश्वर मानवजाति को शिक्षित करने हेतु मानव रूप में अवतरित होतें हैं और वे इस युग के अवतार हैं और इस विश्व को एकता और शान्ति के सूत्र में बांधने आये हैं। बहाउल्लाह ने घोषणा की कि वे ही वह बहुप्रतीक्षित अवतार हैं जिसकी प्रतीक्षा विश्व के हर धर्मं के अनुयायी कर रहे हैं। कृष्ण कि वापसी कल्कि रूप मे, बुद्ध की वापसी मैत्रयी अमिताभा के रूप मे, मुहम्मद साहब की वापस मेहदी अल्ल्हेस्लाम के रूप मे, ईसा का पुरागमन उनके पिता कि आभा के रूप में आदि आदि।...बहाउल्लाह अब सम्पूर्ण धरती को एक करने के लिए आये है और उन्होंने धर्मं, जाती, भाषा, देश, रंग आदि के समस्त पूर्वाग्रह को त्याग कर एक हो जाने के लिए अपना अवतरण लिया है। यही बहाई धर्म का प्रमुख उद्देश्य है। दिल्ली का कमल मन्दिर (लोटस टेम्पल) बहाई धर्म के विश्व में स्थित सात मंदिरों में से एक है। पूरी दुनिया में बहाई धर्मावलंबी हैं, जो बहाउल्लाह को ईश्वरीय अवतार मानते हैं। बहाउल्लाह ने 100 से ज्यादा पुस्तकें और हजारों प्रार्थनाएं लिखी थीं। .

सामग्री की तालिका

  1. 4 संबंधों: तेहरान, बहाई धर्म, ईरान, कमल मंदिर (बहाई उपासना मंदिर)

तेहरान

ईरान के जिले तेहरान (फारसी: تهران) ईरान ईरान के तेहरान प्रान्त का एक शहर और ईरान की राजधानी है। इस शहर की जनसंख्या वर्ष २००६ की जनगणना के अनुसार ७,७९७,५२० है। स्थिति: 35°44' उo अo तथा 51°30' पूo देo। यह नगर ईरान देश तथा तेहरान प्रदेश की राजधानी और एक महत्वपूर्ण औद्योगिक, सांस्कृतिक एवं रेल, सड़क तथा वायुमार्गों का केन्द्र है। समुद्रतल से 1,175 मीटर की ऊँचाई पर कैस्पियन सागर से 105 किलोमीटर दक्षिण तथा एलबुर्ज पर्वत श्रेणी से 16 किलोमीटर दक्षिण स्थित है। इस नगर से डेमावंड पर्वत नामक सुप्त ज्वालामुखी (5,665 मीटर) की हिमाच्छादित नुकीली चोटी दिखाई देती है। यहाँ के दर्शनीय भवनों में राजभवन, संग्रहालय, मस्जिदें इत्यादि हैं। राजभवन में वह मयूरसिंहासन है, जो 1939 ईo में नादिरशाह द्वारा दिल्ली से लाया गया था। कजार वंश के संस्थापक आग़ा मुहम्मद खान ने 1788 ईo में इस नगर को अपनी राजधानी बनाया। तत्पश्चात्‌ नगर का विकास तीव्र गति से होता गया। यह उपजाऊ खेतिहर प्रदेश में स्थित है, जहाँ गेहूँ, चुकंदर, फल तथा कपास उत्पादन महत्वपूर्ण है। कपड़ा, सीमेंट, धातु का सामान, रासायनिक पदार्थ, काच, चीनी, दियासलाई, सिगरेट, साबुन इत्यादि के उद्योग मुख्य हैं। यह फारस की खाड़ी तथा कैस्पियन सागर से रेलमार्गों द्वारा जुड़ा है। नगर से 5.6 मिलोमीटर पश्चिम में हराबाद हवाई अड्डा स्थित है, जहाँ से कई विदेशी वायुमार्ग गुज़रते हैं। 1935 ईo से स्थापित तेहरान विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा का केन्द्र है। .

देखें बहाउल्लाह और तेहरान

बहाई धर्म

अब्दुल बहा, युगावतार बहाउल्लाह के ज्येष्ठ पुत्र बहाई पंथ उन्नीसवीं सदी के ईरान में सन १८४४ में स्थापित एक नया धर्म है जो एकेश्वरवाद और विश्वभर के विभिन्न धर्मों और पंथों की एकमात्र आधारशिला पर ज़ोर देता है। इसकी स्थापना बहाउल्लाह ने की थी और इसके मतों के मुताबिक दुनिया के सभी मानव धर्मों का एक ही मूल है। इसके अनुसार कई लोगों ने ईश्वर का संदेश इंसानों तक पहुँचाने के लिए नए धर्मों का प्रतिपादन किया जो उस समय और परिवेश के लिए उपयुक्त था। इस धर्म के अनुयायी बहाउल्लाह को पूर्व के अवतारोंकृष्ण, ईसा मसीह, मुहम्मद, बुद्ध, जरथुस्त्र, मूसा आदि की वापसी मानते हैं। बहाउल्लाह को कल्कि अवतार के रूप में माना जाता है जो सम्पूर्ण विश्व को एक करने हेतु आएं है और जिनका उद्देश्य और सन्देश है " समस्त पृथ्वी एक देश है और मानवजाति इसकी नागरिक"। ईश्वर एक है और समय- समय पर मानवजाति को शिक्षित करने हेतु वह पृथ्वी पर अपने अवतारों को भेजते हैं। .

देखें बहाउल्लाह और बहाई धर्म

ईरान

ईरान (جمهوری اسلامی ايران, जम्हूरीए इस्लामीए ईरान) जंबुद्वीप (एशिया) के दक्षिण-पश्चिम खंड में स्थित देश है। इसे सन १९३५ तक फारस नाम से भी जाना जाता है। इसकी राजधानी तेहरान है और यह देश उत्तर-पूर्व में तुर्कमेनिस्तान, उत्तर में कैस्पियन सागर और अज़रबैजान, दक्षिण में फारस की खाड़ी, पश्चिम में इराक और तुर्की, पूर्व में अफ़ग़ानिस्तान तथा पाकिस्तान से घिरा है। यहां का प्रमुख धर्म इस्लाम है तथा यह क्षेत्र शिया बहुल है। प्राचीन काल में यह बड़े साम्राज्यों की भूमि रह चुका है। ईरान को १९७९ में इस्लामिक गणराज्य घोषित किया गया था। यहाँ के प्रमुख शहर तेहरान, इस्फ़हान, तबरेज़, मशहद इत्यादि हैं। राजधानी तेहरान में देश की १५ प्रतिशत जनता वास करती है। ईरान की अर्थव्यवस्था मुख्यतः तेल और प्राकृतिक गैस निर्यात पर निर्भर है। फ़ारसी यहाँ की मुख्य भाषा है। ईरान में फारसी, अजरबैजान, कुर्द और लूर सबसे महत्वपूर्ण जातीय समूह हैं .

देखें बहाउल्लाह और ईरान

कमल मंदिर (बहाई उपासना मंदिर)

कमल मंदिर, भारत की राजधानी दिल्ली के नेहरू प्लेस के पास स्थित एक बहाई उपासना स्थल है। यह अपने आप में एक अनूठा मंदिर है। यहाँ पर न कोई मूर्ति है और न ही किसी प्रकार का कोई धार्मिक कर्म-कांड किया जाता है, इसके विपरीत यहाँ पर विभिन्न धर्मों से संबंधित विभिन्न पवित्र लेख पढ़े जाते हैं। भारत के लोगों के लिए कमल का फूल पवित्रता तथा शांति का प्रतीक होने के साथ ईश्वर के अवतार का संकेत चिह्न भी है। यह फूल कीचड़ में खिलने के बावजूद पवित्र तथा स्वच्छ रहना सिखाता है, साथ ही यह इस बात का भी द्योतक है कि कैसे धार्मिक प्रतिस्पर्धा तथा भौतिक पूर्वाग्रहों के अंदर रह कर भी, कोई व्यक्ति इन सबसे अनासक्त हो सकता है। कमल मंदिर में प्रतिदिन देश और विदेश के लगभग आठ से दस हजार पर्यटक आते हैं। यहाँ का शांत वातावरण प्रार्थना और ध्यान के लिए सहायक है। कमल मंदिर, दिन में मंदिर का दूर से लिया चित्र मंदिर का उद्घाटन २४ दिसंबर १९८६ को हुआ लेकिन आम जनता के लिए यह मंदिर १ जनवरी १९८७ को खोला गया। इसकी कमल सदृश आकृति के कारण इसे कमल मंदिर या लोटस टेंपल के नाम से ही पुकारा जाता है। बहाई उपासना मंदिर उन मंदिरों में से एक है जो गौरव, शांति एवं उत्कृष्ठ वातावरण को ज्योतिर्मय करता है, जो किसी भी श्रद्धालु को आध्यात्मिक रूप से प्रोत्साहित करने के लिए अति आवश्यक है। उपासना मंदिर मीडिया प्रचार प्रसार और श्रव्य माध्यमों में आगंतुकों को सूचनाएं प्रदान करता है। मंदिर में पर्यटकों को आर्किषत करने के लिए विस्तृत घास के मैदान, सफेद विशाल भवन, ऊंचे गुंबद वाला प्रार्थनागार और प्रतिमाओं के बिना मंदिर से आकर्षित होकर हजारों लोग यहां मात्र दर्शक की भांति नहीं बल्कि प्रार्थना एवं ध्यान करने तथा निर्धारित समय पर होने वाली प्रार्थना सभा में भाग लेने भी आते हैं। यह विशेष प्रार्थना हर घंटे पर पांच मिनट के लिए आयोजित की जाती है। गर्मियों में सूचना केंद्र सुबह ९:३० बजे खुलता है, जो शाम को ६:३० पर बंद होता है। जबकि सर्दियों में इसका समय सुबह दस से पांच होता है। इतना ही नहीं लोग उपासना मंदिर के पुस्तकालय में बैठ कर धर्म की किताबें भी पढ़ते हैं और उनपर शोध भी करने आते हैं। .

देखें बहाउल्लाह और कमल मंदिर (बहाई उपासना मंदिर)