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फ़िरोज़कोह

सूची फ़िरोज़कोह

फ़िरोज़कोह या फ़िरूज़कूह (फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Fîrûzkûh या Turquoise Mountain) आधुनिक अफ़ग़ानिस्तान के ग़ोर प्रान्त में स्थित एक शहर था जो ग़ोरी राजवंश की प्रथम राजधानी थी। कहा जाता है कि अपने समय में यह विश्व के महान नगरों में से एक था लेकिन सन् १२२० के दशक में चंगेज़ ख़ान के पुत्र ओगताई ख़ान के नेतृत्व में मंगोल फ़ौजों ने इसपर धावा बोला और इसे तहस-नहस कर डाला। उसके बाद यह शहर इतिहास को खोया गया और इसका ठीक स्थान किसी को ज्ञात नहीं है।, Edgar Knobloch, Tempus, 2002, ISBN 978-0-7524-2519-1,...

9 संबंधों: चंगेज़ ख़ान, फ़ारसी भाषा, मंगोल, मीनार-ए-जाम, ग़ोर प्रान्त, ग़ोरी राजवंश, ओगताई ख़ान, अफ़ग़ानिस्तान, अंग्रेज़ी भाषा

चंगेज़ ख़ान

चंगेज़ खान १२२७ में चंगेज खान का साम्राज्य चंगेज खान का मंदिर चंगेज़ ख़ान (मंगोलियाई: Чингис Хаан, चिंगिस खान, सन् 1162 – 18 अगस्त, 1227) एक मंगोल ख़ान (शासक) था जिसने मंगोल साम्राज्य के विस्तार में एक अहम भूमिका निभाई। वह अपनी संगठन शक्ति, बर्बरता तथा साम्राज्य विस्तार के लिए प्रसिद्ध हुआ। इससे पहले किसी भी यायावर जाति (यायावर जाति के लोग भेड़ बकरियां पालते जिन्हें गड़रिया कहा जाता है।) के व्यक्ति ने इतनी विजय यात्रा नहीं की थी। वह पूर्वोत्तर एशिया के कई घुमंतू जनजातियों को एकजुट करके सत्ता में आया। साम्राज्य की स्थापना के बाद और "चंगेज खान" की घोषणा करने के बाद, मंगोल आक्रमणों को शुरू किया गया, जिसने अधिकांश यूरेशिया पर विजय प्राप्त की। अपने जीवनकाल में शुरू किए गए अभियान क़रा खितई, काकेशस और ख्वारज़्मियान, पश्चिमी ज़िया और जीन राजवंशों के खिलाफ, शामिल हैं। मंगोल साम्राज्य ने मध्य एशिया और चीन के एक महत्वपूर्ण हिस्से पर कब्जा कर लिया। चंगेज खान की मृत्यु से पहले, उसने ओगदेई खान को अपन उत्तराधिकारी बनाया और अपने बेटों और पोते के बीच अपने साम्राज्य को खानतों में बांट दिया। पश्चिमी जिया को हराने के बाद 1227 में उसका निधन हो गया। वह मंगोलिया में किसी न किसी कब्र में दफनाया गया था।उसके वंशजो ने आधुनिक युग में चीन, कोरिया, काकेशस, मध्य एशिया, और पूर्वी यूरोप और दक्षिण पश्चिम एशिया के महत्वपूर्ण हिस्से में विजय प्राप्त करने वाले राज्यों को जीतने या बनाने के लिए अधिकांश यूरेशिया में मंगोल साम्राज्य का विस्तार किया। इन आक्रमणों में से कई स्थानों पर स्थानीय आबादी के बड़े पैमाने पर लगातार हत्यायेँ की। नतीजतन, चंगेज खान और उसके साम्राज्य का स्थानीय इतिहास में एक भयावय प्रतिष्ठा है। अपनी सैन्य उपलब्धियों से परे, चंगेज खान ने मंगोल साम्राज्य को अन्य तरीकों से भी उन्नत किया। उसने मंगोल साम्राज्य की लेखन प्रणाली के रूप में उईघुर लिपि को अपनाने की घोषणा की। उसने मंगोल साम्राज्य में धार्मिक सहिष्णुता को प्रोत्साहित किया, और पूर्वोत्तर एशिया की अन्य जनजातियों को एकजुट किया। वर्तमान मंगोलियाई लोग उसे मंगोलिया के 'संस्थापक पिता' के रूप में जानते हैं। यद्यपि अपने अभियानों की क्रूरता के लिए चंगेज़ खान को जाना जाता है और कई लोगों द्वारा एक नरसंहार शासक होने के लिए माना जाता है परंतु चंगेज खान को सिल्क रोड को एक एकत्रीय राजनीतिक वातावरण के रूप में लाने का श्रेय दिया जाता रहा है। यह रेशम मार्ग पूर्वोत्तर एशिया से मुस्लिम दक्षिण पश्चिम एशिया और ईसाई यूरोप में संचार और व्यापार लायी, इस तरह सभी तीन सांस्कृतिक क्षेत्रों के क्षितिज का विस्तार हुआ। .

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फ़ारसी भाषा

फ़ारसी, एक भाषा है जो ईरान, ताजिकिस्तान, अफ़गानिस्तान और उज़बेकिस्तान में बोली जाती है। यह ईरान, अफ़ग़ानिस्तान, ताजिकिस्तान की राजभाषा है और इसे ७.५ करोड़ लोग बोलते हैं। भाषाई परिवार के लिहाज़ से यह हिन्द यूरोपीय परिवार की हिन्द ईरानी (इंडो ईरानियन) शाखा की ईरानी उपशाखा का सदस्य है और हिन्दी की तरह इसमें क्रिया वाक्य के अंत में आती है। फ़ारसी संस्कृत से क़ाफ़ी मिलती-जुलती है और उर्दू (और हिन्दी) में इसके कई शब्द प्रयुक्त होते हैं। ये अरबी-फ़ारसी लिपि में लिखी जाती है। अंग्रेज़ों के आगमन से पहले भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ारसी भाषा का प्रयोग दरबारी कामों तथा लेखन की भाषा के रूप में होता है। दरबार में प्रयुक्त होने के कारण ही अफ़गानिस्तान में इस दारी कहा जाता है। .

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मंगोल

चंगेज़ ख़ान एक पारम्परिक मंगोल घर, जिसे यर्त कहते हैं मंगोल मध्य एशिया और पूर्वी एशिया में रहने वाली एक जाति है, जिसका विश्व इतिहास पर गहरा प्रभाव रहा है। भारतीय उपमहाद्वीप में इस जाति को मुग़ल के नाम से जाना जाता था, जिस से मुग़ल राजवंश का नाम भी पड़ा। आधुनिक युग में मंगोल लोग मंगोलिया, चीन और रूस में वास करते हैं। विश्व भर में लगभग १ करोड़ मंगोल लोग हैं। शुरु-शुरु में यह जाति अर्गुन नदी के पूर्व के इलाकों में रहा करती थी, बाद में वह वाह्य ख़िन्गन पर्वत शृंखला और अल्ताई पर्वत शृंखला के बीच स्थित मंगोलिया पठार के आर-पार फैल गई। मंगोल जाति के लोग ख़ानाबदोशों का जीवन व्यतीत करते थे और शिकार, तीरंदाजी व घुड़सवारी में बहुत कुशल थे। १२वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में इसके मुखिया तेमूचीन ने तमाम मंगोल कबीलों को एक किया। .

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मीनार-ए-जाम

मीनार-ए-जाम मीनार-ए-जाम (फ़ारसी) या जाम की मीनार (अंग्रेज़ी: Minaret of Jam) पश्चिमी अफ़ग़ानिस्तान के ग़ोर प्रांत के शहरक ज़िले में हरी नदी (हरीरूद) के किनारे खड़ी एक प्रसिद्ध ईंटों की बनी मीनार है। यह ६५ मीटर ऊँची मीनार दिल्ली के क़ुतुब मीनार के बाद दुनिया की दूसरी सबसे ऊँची मीनार है, हालांकि क़ुतुब मीनार वास्तव में इसी मीनार से प्रेरित होकर बनवाया गया था। मीनार-ए-जाम जाम नदी और हरी नदी के संगम के पास है और चारों तरफ़ से २,४०० मीटर ऊँचे पहुँचने वाले पहाड़ों से घिरी हुई है। सन् ११९० के दशक में बनी इस मीनार पर ईंट, गच पलस्तर (स्टक्को) और टाइलें लगी हुई हैं जिनपर क़ुरान की आयतें और आकर्षक लकीरें व आकृतियाँ बनी हुई हैं। .

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ग़ोर प्रान्त

अफ़्ग़ानिस्तान का ग़ोर प्रान्त (लाल रंग में) ग़ोर प्रान्त में स्थित जाम मीनार (मीनार-ए-जाम) ग़ोर (पश्तो:, अंग्रेजी: Ghor) अफ़्ग़ानिस्तान का एक प्रांत है जो उस देश के मध्य भाग में स्थित है। इस प्रान्त का क्षेत्रफल ३६,४७९ वर्ग किमी है और इसकी आबादी सन् २००६ में लगभग ६.३ लाख अनुमानित की गई थी।, Central Intelligence Agency (सी आइ ए), Accessed 27 दिसम्बर 2011 इस प्रान्त की राजधानी चग़चरान शहर है। ग़ोर क्षेत्र में बौद्ध धर्म और हिन्दु धर्म प्रचलित था। हरी रूद (हरी नदी) के किनारे पहाड़ी चट्टान में तराशकर बनाया गया एक बौद्ध मठ मिला है। सन् १०१० में महमूद ग़ज़नी ने ग़ोर पर आक्रमण किया और उसपर क़ब्ज़ा कर लिया। उसके बाद उसने यहाँ के निवासियों में इस्लामीकरण की नीति अपनाई। १३वीं शताब्दी तक ग़ज़नी की अधिकाँश जनता मुस्लिम बन चुकी थी, हालांकि एक अल्पसंख्यक हिन्दु समुदाय यहाँ जारी रहा। १२वीं और १३वीं शताब्दी में ग़ोर पर केन्द्रित ग़ोरी राजवंश ने एक बड़ा साम्राज्य चलाया जो दिल्ली से लेकर पूर्वी ईरान तक विस्तृत था। विश्व-प्रसिद्ध जाम मीनार इसी राजवंश ने ग़ोर प्रान्त में बनवाई। बाद में दिल्ली का क़ुतब मीनार उसी मीनार से प्रेरित होकर बनाया गया था।, Karl J. Khandalavala, Saryu Doshi, Marg Publications, 1983,...

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ग़ोरी राजवंश

ग़ोरी राजवंश या ग़ोरी सिलसिला (फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Ghurids), जो अपने-आप को शनसबानी राजवंश (Shansabānī) बुलाया करते थे, एक मध्यकालीन राजवंश था जिसने ईरान, अफ़ग़ानिस्तान, पश्चिमोत्तर भारत (दिल्ली तक), ख़ुरासान और आधुनिक पश्चिमी चीन के शिनजियांग क्षेत्र के कई भागों पर ११४८-१२१५ ईसवी काल में राज किया। यह राजवंश ग़ज़नवी राजवंश के पतन के बाद उठा था। यह राजवंश अफ़ग़ानिस्तान के ग़ोर प्रान्त में केन्द्रित था और इतिहासकारों का मानना है कि इसका राजपरिवार ताजिक मूल का था। ग़ोरी राजवंश की सर्वप्रथम राजधानी ग़ोर प्रान्त का फ़िरोज़कोह शहर था लेकिन बाद में हेरात बन गया। इसके अलावा ग़ज़नी और लाहौर को भी राजधानियों की तरह इस्तेमाल किया जाता था, विशेषकर सर्दियों में। दिल्ली का प्रसिद्द क़ुतुब मीनार इसी वंश के क़ुतुब-उद-दीन ऐबक का बनवाया हुआ है, जिसने दिल्ली सल्तनत की स्थापना भी की।, Nicholas Ostler, pp.

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ओगताई ख़ान

ओगताई ख़ान, जो मंगोल साम्राज्य का दूसरा ख़ागान (सर्वोच्च ख़ान) और चंगेज़ ख़ान और बोरते का तीसरा पुत्र था ओगताई ख़ान (मंगोल: Өгэдэй, ओगदेई; फ़ारसी:, ओगताई, अंग्रेजी: Ögedei;; जन्म: ११८६ ई अनुमानित; देहांत: ११ दिसम्बर १२४१ ई) मंगोल साम्राज्य के संस्थापक चंगेज़ ख़ान और उसकी मुख्य पत्नी बोरते का तीसरा पुत्र था और पूरे साम्राज्य का दूसरा ख़ागान (सर्वोच्च ख़ान) था। उसने अपने पिता के ईरान, चीन और मध्य एशिया को मंगोल साम्राज्य के अधीन करने के अभियान में बहुत हिस्सा लिया। उसे एक क़ाबिल और सहासी सिपहसालार माना जाता है। कहा जाता है कि ओगताई अपने पिता का सब से प्रिय बेटा था। उसमें किसी भी बहस में लोगों का मत जीत लेने की क्षमता थी। बड़े कद-बुत और शक्तिशाली व्यक्तित्व वाला ओगताई हँसमुख और बुद्धिमान भी माना जाता था।, Leo de Hartog, Tauris Parke Paperbacks, 2004, ISBN 978-1-86064-972-1,...

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अफ़ग़ानिस्तान

अफ़ग़ानिस्तान इस्लामी गणराज्य दक्षिणी मध्य एशिया में अवस्थित देश है, जो चारो ओर से जमीन से घिरा हुआ है। प्रायः इसकी गिनती मध्य एशिया के देशों में होती है पर देश में लगातार चल रहे संघर्षों ने इसे कभी मध्य पूर्व तो कभी दक्षिण एशिया से जोड़ दिया है। इसके पूर्व में पाकिस्तान, उत्तर पूर्व में भारत तथा चीन, उत्तर में ताजिकिस्तान, कज़ाकस्तान तथा तुर्कमेनिस्तान तथा पश्चिम में ईरान है। अफ़ग़ानिस्तान रेशम मार्ग और मानव प्रवास का8 एक प्राचीन केन्द्र बिन्दु रहा है। पुरातत्वविदों को मध्य पाषाण काल ​​के मानव बस्ती के साक्ष्य मिले हैं। इस क्षेत्र में नगरीय सभ्यता की शुरुआत 3000 से 2,000 ई.पू.

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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