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फलकनुमा एक्स्प्रेस २७०४

सूची फलकनुमा एक्स्प्रेस २७०४

फलकनुमा एक्सप्रेस रूट मैप फलकनुमा एक्स्प्रेस २७०४ भारतीय रेल द्वारा संचालित एक मेल एक्स्प्रेस ट्रेन है। यह ट्रेन सिकंदराबाद जंक्शन रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:SC) से 04:00PM बजे छूटती है और हावड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:HWH) पर ०५:४५PM बजे पहुंचती है। इसकी यात्रा अवधि है २५ घंटे ४५ मिनट। फलकनुमा एक्सप्रेस हावडा (स्टेशन कोड:HWH) से सिकंदराबाद (स्टेशन कोड:SC) के बीच चलने वाली एक मेल एक्स्प्रेस ट्रेन हैं। दक्षिण मध्य रेलवे के अंतर्गत चलने वाली ये रेलगाड़ी हैदराबाद से कोलकाता यात्रा करने वालो के लिए जीवन रेखा बनी हुई हैं। .

6 संबंधों: भारतीय रेल, मेल एक्स्प्रेस ट्रेन, हावड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन, हैदराबाद, विशाखपट्नम, विजयवाड़ा

भारतीय रेल

यार्ड में खड़ी एक जनशताब्दी रेल। भारतीय रेल (आईआर) एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क तथा एकल सरकारी स्वामित्व वाला विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। यह १६० वर्षों से भी अधिक समय तक भारत के परिवहन क्षेत्र का मुख्य घटक रहा है। यह विश्व का सबसे बड़ा नियोक्ता है, जिसके १३ लाख से भी अधिक कर्मचारी हैं। यह न केवल देश की मूल संरचनात्‍मक आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है अपितु बिखरे हुए क्षेत्रों को एक साथ जोड़ने में और देश राष्‍ट्रीय अखंडता का भी संवर्धन करता है। राष्‍ट्रीय आपात स्थिति के दौरान आपदाग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने में भारतीय रेलवे अग्रणी रहा है। अर्थव्यस्था में अंतर्देशीय परिवहन का रेल मुख्य माध्यम है। यह ऊर्जा सक्षम परिवहन मोड, जो बड़ी मात्रा में जनशक्ति के आवागमन के लिए बड़ा ही आदर्श एवं उपयुक्त है, बड़ी मात्रा में वस्तुओं को लाने ले जाने तथा लंबी दूरी की यात्रा के लिए अत्यन्त उपयुक्त है। यह देश की जीवनधारा है और इसके सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए इनका महत्वपूर्ण स्थान है। सुस्थापित रेल प्रणाली देश के दूरतम स्‍थानों से लोगों को एक साथ मिलाती है और व्यापार करना, दृश्य दर्शन, तीर्थ और शिक्षा संभव बनाती है। यह जीवन स्तर सुधारती है और इस प्रकार से उद्योग और कृषि का विकासशील त्वरित करने में सहायता करता है। .

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मेल एक्स्प्रेस ट्रेन

भारतीय रेल द्वारा अनेक प्रकार की रेलगाड़ियां संचालित की जाती हैं। इनमें से प्रमुख हैं राजधानी एक्स्प्रेस, शताब्दी एक्स्प्रेस, संपर्क क्रांति एक्स्प्रेस, जनशताब्दी एक्स्प्रेस एवं कई स्पेशल एक्स्प्रेस गाड़ियां। इनके अलावा भि लगभग २००० मेल एक्स्प्रेस गाड़ियां चलाई जाती हैं, जो कि पूरे भारत पर्यंत यात्र्यों की आवा जाही करती हैं। .

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हावड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन

हावड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन हावड़ा एवं कोलकाता शहर का रेलवे स्टेशन है। यह हुगली नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है। इसके २३ प्लेटफार्म इसे भारत के सबसे बड़े रेलवे स्टेशनों में एक बनाते हैं। १८५३ में भारत में पहली रेल गाड़ी मुम्बई से एवं १८५४ दूसरी हावड़ा से चली। सुप्रसिद्ध क्रान्तिकारी योगेश चन्द्र चटर्जी काकोरी काण्ड से पूर्व ही हावड़ा रेलवे स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिये गये थे। नजरबन्दी की हालत में ही इन्हें काकोरी काण्ड के मुकदमे में शामिल किया गया था और आजीवन कारावास की सजा दी गयी थी। .

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हैदराबाद

हैदराबाद (तेलुगु: హైదరాబాదు,उर्दू: حیدر آباد) भारत के राज्य तेलंगाना तथा आन्ध्र प्रदेश की संयुक्त राजधानी है, जो दक्कन के पठार पर मूसी नदी के किनारे स्थित है। प्राचीन काल के दस्तावेजों के अनुसार इसे भाग्यनगर के नाम से जाना जाता था। आज भी यह प्राचीन नाम अत्यन्त ही लोकप्रिय है। कहा जाता है कि किसी समय में इस ख़ूबसूरत शहर को क़ुतुबशाही परम्परा के पाँचवें शासक मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह ने अपनी प्रेमिका भागमती को उपहार स्वरूप भेंट किया था, उस समय यह शहर भागनगर के नाम से जाना जाता था। भागनगर समय के साथ हैदराबाद के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इसे 'निज़ामों का शहर' तथा 'मोतियों का शहर' भी कहा जाता है। यह भारत के सर्वाधिक विकसित नगरों में से एक है और भारत में सूचना प्रौधोगिकी एवं जैव प्रौद्यौगिकी का केन्द्र बनता जा रहा है। हुसैन सागर से विभाजित, हैदराबाद और सिकंदराबाद जुड़वां शहर हैं। हुसैन सागर का निर्माण सन १५६२ में इब्राहीम कुतुब शाह के शासन काल में हुआ था और यह एक मानव निर्मित झील है। चारमीनार, इस क्षेत्र में प्लेग महामारी के अंत की यादगार के तौर पर मुहम्मद कुली कुतुब शाह ने १५९१ में, शहर के बीचों बीच बनवाया था। गोलकुंडा के क़ुतुबशाही सुल्तानों द्वारा बसाया गया यह शहर ख़ूबसूरत इमारतों, निज़ामी शानो-शौक़त और लजीज खाने के कारण मशहूर है और भारत के मानचित्र पर एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में अपनी अलग अहमियत रखता है। निज़ामों के इस शहर में आज भी हिन्दू-मुस्लिम सांप्रदायिक सौहार्द्र से एक-दूसरे के साथ रहकर उनकी खुशियों में शरीक होते हैं। अपने उन्नत इतिहास, संस्कृति, उत्तर तथा दक्षिण भारत के स्थापत्य के मौलिक संगम, तथा अपनी बहुभाषी संस्कृति के लिये भौगोलिक तथा सांस्कृतिक दोनों रूपों में जाना जाता है। यह वह स्थान रहा है जहां हिन्दू और मुसलमान शांतिपूर्वक शताब्दियों से साथ साथ रह रहे हैं। निजामी ठाठ-बाट के इस शहर का मुख्य आकर्षण चारमीनार, हुसैन सागर झील, बिड़ला मंदिर, सालारजंग संग्रहालय आदि है, जो देश-विदेश इस शहर को एक अलग पहचान देते हैं। यह भारतीय महानगर बंगलौर से 574 किलोमीटर दक्षिण में, मुंबई से 750 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में तथा चेन्नई से 700 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित है। किसी समय नवाबी परम्परा के इस शहर में शाही हवेलियाँ और निज़ामों की संस्कृति के बीच हीरे जवाहरात का रंग उभर कर सामने आया तो कभी स्वादिष्ट नवाबी भोजन का स्वाद। इस शहर के ऐतिहासिक गोलकुंडा दुर्ग की प्रसिद्धि पार-द्वार तक पहुँची और इसे उत्तर भारत और दक्षिणांचल के बीच संवाद का अवसर सालाजार संग्रहालय तथा चारमीनार ने प्रदान किया है। वर्ष २०११ की जनगणना के अनुसार इस महानगर की जनसंख्या ६८ लाख से अधिक है। .

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विशाखपट्नम

विशाखापट्नम आन्ध्र प्रदेश के उत्तरी सरकार तट पर गोदावरी नदी के मुहाने के उत्तर में अवस्थित एक भारत का चौथा सबसे बड़ा पोताश्रय है। यह विशाखापत्तनम जिले का मुख्यालय तथा भारतीय नौसेना के पूर्वी कमांड का केन्द्र है। यहाँ जलयान बनाने का कारखाना है। यह एक प्राकृतिक तथा सुरक्षित समुद्री बन्दरगाह है। कृषि एवं खनिज सम्पत्ति में समृद्ध आन्ध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं उड़ीसा राज्य इस बन्दरगाह के पृष्ठ-प्रदेश कहलाते हैं। यह एक उल्लेखनीय मत्स्य-शिकार का केन्द्र भी है। विशाखापत्तनम एक छोटी खाड़ी पर है और इसका प्राकृतिक बंदरगाह दो उठे हुए अतंरीपों द्वारा निर्मित है, जो शहर से एक छोटी नदी द्वारा विभक्त है। विशाखापत्तनम आन्ध्र प्रदेश के उत्तरी सरकारी तट पर गोदावरी नदी के मुहाने के उत्तर में अवस्थित है। विशाखापत्तनम को वाइज़ाम के नाम से भी जाना जाता है। विशाखापत्तनम भारत का चौथा सबसे बड़ा बंदरगाह है। यह विशाखापत्तनम ज़िले का मुख्यालय तथा भारतीय नौसेना के पूर्वी कमांड का केन्द्र है। .

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विजयवाड़ा

विजयवाड़ा आंध्र प्रदेश प्रान्त का एक शहर है। विजयवाड़ा आंध्र प्रदेश के पूर्व-मध्य में कृष्णा नदी के तट पर स्थित है। दो हज़ार वर्ष पुराना यह शहर बैजवाड़ा के नाम से भी जाना जाता है। यह नाम देवी कनकदुर्गा के नाम पर है, जिन्हें स्थानीय लोग विजया कहते हैं। यह क्षेत्र मंदिरों और गुफ़ाओं से भरा हुआ है। यहाँ भगवान मालेश्वर का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य इस मंदिर में आए थे और उन्होंने यहाँ श्रीचक्र स्थापित किया था। चीनी यात्री ह्वेन त्सांग भी विजयवाड़ा आया था। विजयवाड़ा के पास में एक पहाड़ी पर स्थित विक्टोरिया म्यूजियम में एक काले ग्रेनाइट पत्थर से बनी बुद्ध की विशालकाय मूर्ति है।पैगम्बर मुहम्मद के पवित्र अवशेष के रूप में इस स्थल की मुसलमानों में लोगप्रियता है। यहाँ पाँचवी सदी की भोगलराजपुरम की गुफ़ाओं में तीन गुफ़ा मंदिर हैं, जिसमें भगवान नटराज, विनायक और अन्य मूर्तियाँ हैं। अर्द्धनारीश्वर की यहाँ मिली मूर्ति दक्षिण भारत अपने तरह की इकलौती मूर्ति मानी जाती है। यहाँ की गुफ़ाओं में उंद्रावल्ली की प्रमुख गुफ़ा है, जो सातवीं सदी में बनाई गई थी। शयन करते विष्णु की एक शिला से निर्मित मूर्ति यहाँ की कला का श्रेष्ठ नमूना है। विजयवाड़ा के दक्षिण में 12 किलोमीटर दूर मंगलगिरि की पहाड़ी पर विष्णु के अवतार भगवान नरसिंह का विख्यात मंदिर है। विजयवाड़ा से 45 किलोमीटर दूर गंडीवाड़ा में जैन और बौद्धों के अनेक पवित्र अवशेष मिले हैं। बौद्ध स्तूपों के अवशेषों वाली 99 छोटी समाधियाँ यहाँ का एक अन्य विशिष्ट स्थल है। इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया है। विजयवाड़ा का प्रकशम बैराज .

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फलकनुमा एक्स्प्रेस 2704

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