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फर्डिनैंड कोह्न

सूची फर्डिनैंड कोह्न

फर्डिनैंड जूलियस कोह्न फर्डिनैंड जूलियस कोह्न (24 जनवरी 1828 – 25 जून 1898) एक जर्मन वैवविज्ञानिक थे। कोह्न का जन्म ब्रेस्लैउ, रॉकैओ, प्रशिया राज्य में हुआ था। दस वर्ष की आयु में ही उन्हें सुनने की शक्ति कम हो गयी। इन्होंने जीव विज्ञान में स्नातक 1847 में की, जो उन्नीस वर्ष मात्र में लिया था। कोह्न ने प्रथम बार जीवाणुओं को पादप श्रेणी में वर्गीकृत किया था। इन्होंने जीवाणिओं को चार वर्गों में विभाजित किया: स्फायरोबैक्टीरिया, माइक्रोबैक्टीरिया, डैस्मोबैक्टीरिया, एवं स्पायरोबैक्टीरिया.

सामग्री की तालिका

  1. 7 संबंधों: जीव विज्ञान, जीवाणु, १८२८, १८८५, १८९८, २४ जनवरी, २५ जून

जीव विज्ञान

जीवविज्ञान भांति-भांति के जीवों का अध्ययन करता है। जीवविज्ञान प्राकृतिक विज्ञान की तीन विशाल शाखाओं में से एक है। यह विज्ञान जीव, जीवन और जीवन के प्रक्रियाओं के अध्ययन से सम्बन्धित है। इस विज्ञान में हम जीवों की संरचना, कार्यों, विकास, उद्भव, पहचान, वितरण एवं उनके वर्गीकरण के बारे में पढ़ते हैं। आधुनिक जीव विज्ञान एक बहुत विस्तृत विज्ञान है, जिसकी कई शाखाएँ हैं। 'बायलोजी' (जीवविज्ञान) शब्द का प्रयोग सबसे पहले लैमार्क और ट्रविरेनस नाम के वैज्ञानिको ने १८०२ ई० में किया। जिन वस्तुओं की उत्पत्ति किसी विशेष अकृत्रिम जातीय प्रक्रिया के फलस्वरूप होती है, जीव कहलाती हैं। इनका एक परिमित जीवनचक्र होता है। हम सभी जीव हैं। जीवों में कुछ मौलिक प्रक्रियाऐं होती हैं.

देखें फर्डिनैंड कोह्न और जीव विज्ञान

जीवाणु

जीवाणु जीवाणु एक एककोशिकीय जीव है। इसका आकार कुछ मिलिमीटर तक ही होता है। इनकी आकृति गोल या मुक्त-चक्राकार से लेकर छड़, आदि आकार की हो सकती है। ये अकेन्द्रिक, कोशिका भित्तियुक्त, एककोशकीय सरल जीव हैं जो प्रायः सर्वत्र पाये जाते हैं। ये पृथ्वी पर मिट्टी में, अम्लीय गर्म जल-धाराओं में, नाभिकीय पदार्थों में, जल में, भू-पपड़ी में, यहां तक की कार्बनिक पदार्थों में तथा पौधौं एवं जन्तुओं के शरीर के भीतर भी पाये जाते हैं। साधारणतः एक ग्राम मिट्टी में ४ करोड़ जीवाणु कोष तथा १ मिलीलीटर जल में १० लाख जीवाणु पाए जाते हैं। संपूर्ण पृथ्वी पर अनुमानतः लगभग ५X१०३० जीवाणु पाए जाते हैं। जो संसार के बायोमास का एक बहुत बड़ा भाग है। ये कई तत्वों के चक्र में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं, जैसे कि वायुमंडलीय नाइट्रोजन के स्थरीकरण में। हलाकि बहुत सारे वंश के जीवाणुओं का श्रेणी विभाजन भी नहीं हुआ है तथापि लगभग आधी प्रजातियों को किसी न किसी प्रयोगशाला में उगाया जा चुका है। जीवाणुओं का अध्ययन बैक्टिरियोलोजी के अन्तर्गत किया जाता है जो कि सूक्ष्म जैविकी की ही एक शाखा है। मानव शरीर में जितनी भी मानव कोशिकाएं है, उसकी लगभग १० गुणा संख्या तो जीवाणु कोष की ही है। इनमें से अधिकांश जीवाणु त्वचा तथा अहार-नाल में पाए जाते हैं। हानिकारक जीवाणु इम्यून तंत्र के रक्षक प्रभाव के कारण शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा पाते। कुछ जीवाणु लाभदायक भी होते हैं। अनेक प्रकार के परजीवी जीवाणु कई रोग उत्पन्न करते हैं, जैसे - हैजा, मियादी बुखार, निमोनिया, तपेदिक या क्षयरोग, प्लेग इत्यादि.

देखें फर्डिनैंड कोह्न और जीवाणु

१८२८

1828 ग्रेगोरी कैलंडर का एक अधिवर्ष है। .

देखें फर्डिनैंड कोह्न और १८२८

१८८५

1885 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

देखें फर्डिनैंड कोह्न और १८८५

१८९८

1898 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

देखें फर्डिनैंड कोह्न और १८९८

२४ जनवरी

२४ जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २४वाँ दिन है। साल में अभी और ३४१ दिन बाकी हैं (लीप वर्ष में ३४२)। .

देखें फर्डिनैंड कोह्न और २४ जनवरी

२५ जून

25 जून ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 176वाँ (लीप वर्ष में 177 वाँ) दिन है। साल में अभी और 189 दिन बाकी हैं। .

देखें फर्डिनैंड कोह्न और २५ जून