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प्राणियों और वनस्पतियों का देशीकरण

सूची प्राणियों और वनस्पतियों का देशीकरण

प्राणियों और वनस्पतियों को उनके मूल निवास के समकक्ष, या बिल्कुल भिन्न जलवायुवाले दूसरे प्रदेश में, कृत्रिम या प्राकृतिक तरीके से ले जाकर, सफलतापूर्वक उनका विस्तार किए जाने की पद्धति के लिए प्राणियों और वनस्पतियों का देशीकरण (Naturalization of Plants and Animals) - इस पद का व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है। व्यापक अर्थ में देशीकरण पारिस्थितिक अनुकूलन ही है, किंतु सीमित अर्थ में देशीकरण का तात्पर्य उस क्रिया से है जिसके द्वारा जीवधारी का, अपने ही अथवा अन्य प्रदेश में, इस प्रकार परिवर्तन किया जाता है जिससे वह वहाँ की जलवायु की नई दशाओं को सहन करने की क्षमता प्राप्त कर ले और वहाँ के अनुकूल बन जाए। इस अनुकूलता का प्रतिपादन कुछ लोग लामार्क (Lamarck) और कुछ डार्विन (Darwin) के सिद्धांत के अनुसार करते हैं। .

सामग्री की तालिका

  1. 2 संबंधों: चार्ल्स डार्विन, लैमार्क

चार्ल्स डार्विन

चार्ल्स डार्विन चार्ल्स डार्विन (१२ फरवरी, १८०९ – १९ अप्रैल १८८२) ने क्रमविकास (evolution) के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। उनका शोध आंशिक रूप से १८३१ से १८३६ में एचएमएस बीगल पर उनकी समुद्र यात्रा के संग्रहों पर आधारित था। इनमें से कई संग्रह इस संग्रहालय में अभी भी उपस्थित हैं। डार्विन महान वैज्ञानिक थे - आज जो हम सजीव चीजें देखते हैं, उनकी उत्पत्ति तथा विविधता को समझने के लिए उनका विकास का सिद्धान्त सर्वश्रेष्ठ माध्यम बन चुका है। संचार डार्विन के शोध का केन्द्र-बिन्दु था। उनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध पुस्तक जीवजाति का उद्भव (Origin of Species (हिंदी में - 'ऑरिजिन ऑफ स्पीसीज़')) प्रजातियों की उत्पत्ति सामान्य पाठकों पर केंद्रित थी। डार्विन चाहते थे कि उनका सिद्धान्त यथासम्भव व्यापक रूप से प्रसारित हो। डार्विन के विकास के सिद्धान्त से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि किस प्रकार विभिन्न प्रजातियां एक दूसरे के साथ जुङी हुई हैं। उदाहरणतः वैज्ञानिक यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि रूस की बैकाल झील में प्रजातियों की विविधता कैसे विकसित हुई। .

देखें प्राणियों और वनस्पतियों का देशीकरण और चार्ल्स डार्विन

लैमार्क

जीन बैप्टिस्ट डी लामार्क लैमार्क या जीन बैप्टिस्ट पियेर आंत्वान द मॉनेट शीवेलियर द (Lamark, Jean Baptiste Pierre Antoine De Monet Chevalier De; 1744 से 1829 ई.) फ्रांसीसी जैवविज्ञानी थे। लामार्क प्रथम वैज्ञानिक थे, जिन्होंने कशेरुकी और अकशेरुकी जीवों में भेद किया और सर्वप्रथम इनवर्टीब्रेट (invertebrate) शब्द का उपयोग किया। 1802 ई.

देखें प्राणियों और वनस्पतियों का देशीकरण और लैमार्क