सामग्री की तालिका
14 संबंधों: टाँग, धुरी, नोदक, पहिया, पंख, प्रौद्योगिकी, पेशी, फ़िन, बल, रॉकेट, गति (भौतिकी), गैस, इंजन, अंतरिक्ष यान प्रणोदन।
टाँग
मानव शरीर का निचला लिंब टाँग होता है। इसके प्रमुख अंग हैं: पैर, जांघ, घुटना, नितंब एवं उंगलियां। .
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धुरी
धुरी घूर्णी चक्र अथवा गियर अथवा पहिये का मध्य भाग (शैफ्ट) होता है। पहिये वाले वाहनों में धुरी वाहनों के साथ स्थिर की हुई होती है। श्रेणी:संरचना श्रेणी:यान्त्रिकी श्रेणी:वाहन अंश.
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नोदक
वायुयान का नोदक नोदक या प्रोपेलर (propeller) ऐसे यंत्र या मशीन को कहते हैं जो किसी वाहन पर लगा हो और उसे आगे धकेलने का काम करे। नोदकों के घूर्णन (रोटेशन) के द्वारा वायु या जल को पीछे फेंकने में मदद मिलती है जिससे यान पर आगे की ओर बल लगता है। समुद्री जहाज़ों और वायुयानों पर लगे पंखेनुमा नोदक जल या हवा को पीछे फेंककर यान को आगे की तरफ धकेलते हैं। नोदक शब्द से निम्नलिखित का तात्पर्य निकल सकता है.
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पहिया
पहिया (wheel) किसी भौतिक वस्तु में लगा हुआ एक गोल आकार का ऐसा अंश होता है जो अपने बीच में स्थित के खुले स्थान में किसी धुरी (ऐक्सल) पर टिका हुआ हो और घूम सके। मानव-कृत पहिये अक्सर वाहनों में नीचे लगे होते हैं जहाँ वह भार ढोने के साथ-साथ धरती पर लुड़क कर वाहन को चलाने का काम भी करते हैं। आधुनिक वाहनों में हवा से भरे रबर के पहिये होते हैं जो टायर कहलाते हैं। क्योंकि पहिये गति और समय की चाल का प्रतीक हैं इसलिये हिन्दू, बौद्ध, सिख व जैन धर्मों में इन्हें चिन्हों के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। .
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पंख
तरह-तरह के पंख पर या पंख (Feather) कुछ प्राणियों, विशेषकर पक्षियों के शरीर को ढकने वाले अंग होते हैं। पक्षियों के शरीरों पर मिलने वाले पंख आज से करोड़ों वर्ष पूर्व पृथ्वी के प्राकृतिक इतिहास में कुछ डायनासोरों के शरीरों पर भी हुआ करते थे।, Kathleen Weidner Zoehfeld, HarperCollins, 2003, ISBN 978-0-06-445218-2,...
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प्रौद्योगिकी
२०वीं सदी के मध्य तक मनुष्य ने तकनीक के प्रयोग से पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर निकलना सीख लिया था। एकीकृत परिपथ (IC) के आविष्कार ने कम्प्यूटर क्रान्ति को जन्म दिया । प्रौद्योगिकी, व्यावहारिक और औद्योगिक कलाओं और प्रयुक्त विज्ञानों से संबंधित अध्ययन या विज्ञान का समूह है। कई लोग तकनीकी और अभियान्त्रिकी शब्द एक दूसरे के लिये प्रयुक्त करते हैं। जो लोग प्रौद्योगिकी को व्यवसाय रूप में अपनाते है उन्हे अभियन्ता कहा जाता है। आदिकाल से मानव तकनीक का प्रयोग करता आ रहा है। आधुनिक सभ्यता के विकास में तकनीकी का बहुत बड़ा योगदान है। जो समाज या राष्ट्र तकनीकी रूप से सक्षम हैं वे सामरिक रूप से भी सबल होते हैं और देर-सबेर आर्थिक रूप से भी सबल बन जाते हैं। ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिये कि अभियांत्रिकी का आरम्भ सैनिक अभियांत्रिकी से ही हुआ। इसके बाद सडकें, घर, दुर्ग, पुल आदि के निर्माण सम्बन्धी आवश्यकताओं और समस्याओं को हल करने के लिये सिविल अभियांत्रिकी का प्रादुर्भाव हुआ। औद्योगिक क्रान्ति के साथ-साथ यांत्रिक तकनीकी आयी। इसके बाद वैद्युत अभियांत्रिकी, रासायनिक प्रौद्योगिकी तथा अन्य प्रौद्योगिकियाँ आयीं। वर्तमान समय कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी का है। .
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पेशी
पेशी की संरचना पेशी (Muscle) प्राणियों का आकुंचित होने वाला (contractile) ऊतक है। इनमें आंकुंचित होने वाले सूत्र होते हैं जो कोशिका का आकार बदल देते हैं। पेशी कोशिकाओं द्वारा निर्मित उस ऊतक को पेशी ऊतक कहा जाता है जो समस्त अंगों में गति उत्पन्न करता है। इस ऊतक का निर्माण करने वाली कोशिकाएं विशेष प्रकार की आकृति और रचना वाली होती हैं। इनमें कुंचन करने की क्षमता होती है। पेशिया रेखित, अरेखित एवं हृदय तीन प्रकार की होती हैं। मनुष्य के शरीर में 40 प्रतिशत भाग पेशियों का होता है। मानव शरीर में 693 मांसपेशियां पाई जाती हैं। इनमें से 400 पेशियाँ रेखित होती है। शरीर में सर्वाधिक पेशियां पीठ में पाई जाती है। पीठ में 180 पेशियां पाई जाती हैं। पेशियां तीन प्रकार की होती हैं। ऐच्छिक मांसपेशियाँ, अनैच्छिक मांसपेशियाँ और हृदय मांसपेशियाँ। .
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फ़िन
तीरों के पीछे लगे हुए तीरपंख एक तरह के फ़िन होते हैं फ़िन एक ऐसे पंख को बोलते हैं जिसके ज़रिये हवा, पानी या किसी और द्रव या गैस में कोई जीव या मशीन अपने आप को धकेल सके या अधिक आसानी से बह सके। यह शब्द पहले मछलियों के पंखों के लिए ही इस्तेमाल होता था लेकिन अब दुसरे जानवरों और मशीनों में ऐसे पंखों के लिए भी प्रयोग होता है। फ़िन कई जगहों पर देखे जाते हैं -.
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बल
भौतिकि संबंधी बल के लिए देखें बल (भौतिकी) बल, जिसे ताकत भी कहा जाता है, कार्य करने की शक्ति है। परंपरागत रूप से इसे शरीर से जोड़कर देखा जाता रहा है। इसलिए प्रायः यह शारिरिक बल का प्रतिनिधित्व करता है। लेकिन इसके अतिरिक्त मानसिक एवं आध्यात्मिक बल की संकल्पना भी की गई है। .
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रॉकेट
अपोलो १५ अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण रॉकेट एक प्रकार का वाहन है जिसके उड़ने का सिद्धान्त न्यूटन के गति के तीसरे नियम क्रिया तथा बराबर एवं विपरीत प्रतिक्रिया पर आधारित है। तेज गति से गर्म वायु को पीछे की ओर फेंकने पर रॉकेट को आगे की दिशा में समान अनुपात का बल मिलता है। इसी सिद्धांत पर कार्य करने वाले जेट विमान, अंतरिक्ष यान एवं प्रक्षेपास्त्र विभिन्न प्रकार के राकेटों के उदाहरण हैं। रॉकेट के भीतर एक कक्ष में ठोस या तरल ईंधन को आक्सीजन की उपस्थिति में जलाया जाता है जिससे उच्च दाब पर गैस उत्पन्न होती है। यह गैस पीछे की ओर एक संकरे मुँह से अत्यन्त वेग के साथ बाहर निकलती है। इसके फलस्वरूप जो प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है वह रॉकेट को तीव्र वेग से आगे की ओर ले जाती है। अंतरिक्ष यानों को वायुमंडल से ऊपर उड़ना होता है इसलिए वे अपना ईंधन एवं आक्सीजन लेकर उड़ते हैं। जेट विमान में केवल ईँधन रहता है। जब विमान चलना प्रारम्भ करता है तो विमान के सिरे पर बने छिद्र से बाहर की वायु इंजन में प्रवेश करती है। वायु के आक्सीजन के साथ मिलकर ईँधन अत्यधिक दबाव पर जलता है। जलने से उत्पन्न गैस का दाब बहुत अधिक होता है। यह गैस वायु के साथ मिलकर पीछे की ओर के जेट से तीव्र वेग से बाहर निकलती है। यद्यपि गैस का द्रव्यमान बहुत कम होता है किन्तु तीव्र वेग के कारण संवेग और प्रतिक्रिया बल बहुत अधिक होता है। इसलिए जेट विमान आगे की ओर तीव्र वेग से गतिमान होता है। रॉकेट का इतिहास १३वी सदी से प्रारंभ होता है। चीन में राकेट विद्या का विकास बहुत तेज़ी से हुआ और जल्दी ही इसका प्रयोग अस्त्र के रूप में किया जाने लगा। मंगोल लड़ाकों के द्वारा रॉकेट तकनीक यूरोप पहुँची और फिर विभिन्न शासकों द्वारा यूरोप और एशिया के अन्य भागों में प्रचलित हुई। सन १७९२ में मैसूर के शासक टीपू सुल्तान ने अंग्रेज सेना के विरुद्ध लोहे के बने रॉकेटों का प्रयोग किया। इस युद्ध के बाद अंग्रेज सेना ने रॉकेट के महत्त्व को समझा और इसकी तकनीक को विकसित कर विश्व भर में इसका प्रचार किया। स्पेस टुडे पर--> .
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गति (भौतिकी)
किसी ग्रह के चारो ओर उसके किसी उपग्रह की गति; इसमें ग्रह के ताक्षणिक वेग और त्वरण की दिशा पर ध्यान दीजिये। स्प्रिंग द्वारा लटका द्रव्यमान सरल आवर्त गति कर रहा है अंगूठाकार यदि कोई वस्तु अन्य वस्तुओं की तुलना में समय के सापेक्ष में स्थान परिवर्तन करती है, तो वस्तु की इस अवस्था को गति (motion/मोशन) कहा जाता है। सामान्य शब्दों में गति का अर्थ - वस्तु की स्थिति में परिवर्तन गति कहलाती है। गति (Motion).
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गैस
गैसों का कण मॉडल: गैसों के कणों के बीच की औसत दूरी अपेक्षाकृत अधिक होती है। गैस (Gas) पदार्थ की तीन अवस्थाओं में से एक अवस्था का नाम है (अन्य दो अवस्थाएँ हैं - ठोस तथा द्रव)। गैस अवस्था में पदार्थ का न तो निश्चित आकार होता है न नियत आयतन। ये जिस बर्तन में रखे जाते हैं उसी का आकार और पूरा आयतन ग्रहण कर लेते हैं। जीवधारियों के लिये दो गैसे मुख्य हैं, आक्सीजन गैस जिसके द्वारा जीवधारी जीवित रहता है, दूसरी जिसे जीवधारी अपने शरीर से छोड़ते हैं, उसका नाम कार्बन डाई आक्साइड है। इनके अलावा अन्य गैसों का भी बहु-प्रयोग होता है, जैसे खाना पकाने वाली रसोई गैस। पानी दो गैसों से मिलकर बनता है, आक्सीजन और हाइड्रोजन। .
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इंजन
चार-स्ट्रोक वाला आन्तरिक दहन इंजन आजकल अधिकांश कामों में इस्तेमाल होता है इंजन या मोटर उस यंत्र या मशीन (या उसके भाग) को कहते हैं जिसकी सहायता से किसी भी प्रकार की ऊर्जा का यांत्रिक ऊर्जा में रूपांतरण होता है। इंजन की इस यांत्रिक ऊर्जा का उपयोग, कार्य करने के लिए किया जाता है। अर्थात् इंजन रासायनिक ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा, गतिज ऊर्जा या ऊष्मीय ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलने का कार्य करता है। वर्तमान युग में अंतर्दहन इंजन तथा विद्युत मोटरों का अत्यन्त महत्व है। .
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अंतरिक्ष यान प्रणोदन
अंतरिक्ष यान प्रणोदन अंतरिक्ष यान और कृत्रिम उपग्रहों की गति तेज करने की प्रक्रिया है। इसकी अनेक विधियाँ हैं। यह अंतरिक्ष अनुसंधान का महत्त्वपूर्ण भाग है। ज्यादातर अंतरिक्ष यान आज सुपरसोनिक यानों के माध्यम से प्रक्षेपित किए जाते हैं। इनमें प्रयुक्त रॉकेटों में रासायनिक इंधन प्रयुक्त होते हैं। ये जलने पर भारी मात्रा में गैस उत्पन्न करते हैं जिसके नोजल द्वारा उत्सर्जन के सहारे यान को गति दी जाती है। सोवियत समूह ने उपग्रहों के प्रणोदन के लिए दशकों से बिजली प्रणोदन का इस्तेमाल किया है। अंतरिक्ष यान प्रणोदन श्रेणी:अंतरिक्ष यान श्रेणी:अंतरिक्ष विज्ञान * श्रेणी:चित्र जोड़ें.