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अष्टसाहस्रिका प्रज्ञापारमिता

सूची अष्टसाहस्रिका प्रज्ञापारमिता

मानवीकृत 'अष्टसाहस्रिका प्रज्ञापारमिता' प्रज्ञापारमिता-बोधिसत्व (जावा, इण्डोनेशिया) अष्टसाहस्रिका प्रज्ञापारमिता आठ हजार श्लोकोंवाला यह महायान बौद्ध ग्रंथ प्रज्ञा की पारमिता (पराकाष्ठा) के माहात्म्य का वर्णन करता है। प्रज्ञापारमिता को मूर्त रूप में अवतरित कर उसके चमत्कार दिखाए गए हैं। इसमें ३२ परिच्छेद हैं जिनमें प्राय: गृद्धकूट पर्वत पर भगवान्‌ बुद्ध अपने सुभूति, सारिपुत्र, पूर्ण मैत्रायणीपुत्र जैसे शिष्यों को उपदेश देते हुए उपस्थित हैं। आगे चलकर इस ग्रंथ के कई छोटै और बड़े संस्करण बने। अष्टसाहस्रिका प्रज्ञापारमिता की रचना सम्भवतः ईसापूर्व पहली शताब्दी में हुई। .

3 संबंधों: महायान, वज्रच्छेदिकाप्रज्ञापारमितासूत्र, गृद्धकूट पर्वत

महायान

गन्धार से पहली सदी ईसवी में बनी महात्मा बुद्ध की मूर्ति महायान, वर्तमान काल में बौद्ध धर्म की दो प्रमुख शाखाओं में से एक है। दूसरी शाखा का नाम थेरवाद है। महायान बुद्ध धर्म भारत से आरम्भ होकर उत्तर की ओर बहुत से अन्य एशियाई देशों में फैल गया, जैसे कि चीन, जापान, कोरिया, ताइवान, तिब्बत, भूटान, मंगोलिया और सिंगापुर। महायान सम्प्रदाय कि आगे और उपशाखाएँ हैं, जैसे ज़ेन/चान, पवित्र भूमि, तियानताई, निचिरेन, शिन्गोन, तेन्दाई और तिब्बती बौद्ध धर्म।, Stuart Chandler, University of Hawaii Press, 2004, ISBN 978-0-8248-2746-5,...

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वज्रच्छेदिकाप्रज्ञापारमितासूत्र

वज्रच्छेदिकाप्रज्ञापारमितासूत्र वज्रच्छेदिकाप्रज्ञापारमितासूत्र महायान बौद्ध धर्म का सूत्रग्रन्थ है। इस ग्रन्थ की एक चीनी भाषा की प्रति बीसवीं शती में प्राप्त हुई जो ११ मई ८६८ में छपी है। यह प्रति अभी ब्रिटिश संग्रहालय में रखी हुई है और 'विश्व की सबसे प्राचीन किन्तु पूर्णतः बची हुआ ग्रन्थ' है। .

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गृद्धकूट पर्वत

गृद्धकूट पर्वत भारत स्थित एक पहाड़ी है जो धार्मिक, पुरातात्विक और पर्यावरणीय दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है। इस पहाड़ी को 'गिद्धराज पर्वत' भी कहते हैं। स्थानीय लोग इसे 'गिद्धहा पहाड़' कहते हैं। यह पहाड़ी मध्य प्रदेश के सतना जिले के रामनगर तहसील के देवराजनगर में स्थित है। यह सतना से ६५ किमी की दूरी पर स्थित है। इसके उत्तर में कैमूर शृंखला की पहाड़ियाँ हैं तथा दक्षिण में मैकाल पहाड़ियाँ। यह स्थान पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस पहाड़ी में चार गुफाएँ हैं जिनमें शिला चित्रण (रॉक पेंटिंग) तथा मुराल पेंटिंग देखे जा सकते हैं। हर वर्ष माघ महीने की वसन्त पंचमी के दिन यहाँ मेला लगता है। हजारों लोग मेले में आते हैं और गंगा में स्नान करते हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

प्रज्ञापारमिता, प्रज्ञापारमिता शास्त्र

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