प्रौढ़ शिक्षा एक बहुत ही महत्वपूर्ण शिक्षा है, विश्वविद्यालयों का दायित्व नवीन ज्ञान को सार्वभौम बनाना है इसलिए उसे अंशकालिक तथा पत्राचार पाठ्यक्रम का विस्तृत ताना-बाना बनना चाहिए सभी संकायों में ऐसे पाठ्यक्रम तैयार करने चाहिए जिनका लाभ व्यक्ति नौकरी अथवा अपना व्यवसाय ग्रहण करते हुए ग्रहण करें और उनका लाभ उठाएं उससे जनसाधारण और बुद्धिजीवियों के मध्य आस्था तथा एकात्मक का भाव स्थापित होगा|.
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