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पुरुष एवं नागरिक अधिकार घोषणापत्र

सूची पुरुष एवं नागरिक अधिकार घोषणापत्र

'पुरुष एवं नागरिक अधिकार घोषणापत्र' का 1789 में ले बर्बिये द्वारा बनाया गया चित्र। दायीं ओर की आकृति फ़्रांस को और बायीं ओर कानून को निरुपित करती है। पुरुष एवं नागरिक अधिकार घोषणापत्र (फ्रेंच: La Déclaration des droits de l'Homme et du citoyen: La Déclaration des droits de l'Homme et du citoyen) फ्रांसीसी क्रांति के सबसे महत्वपूर्ण कागजात में से एक है। इस पत्र में धर्म की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, विधानसभा की स्वतंत्रता और शक्तियों के विभाजन के रूप में अधिकार, की सूचि की व्याख्या  करते हैं। सभी पुरुषों को ये अधिकार है। यह सभी लोगो के लिए भी कुछ अधिकारों के बारे में व्याख्या करता है। इस पत्र में कुछ प्राकृतिक अधिकारों के विचारों का उपयोग कर लिखा गया था, ये अधिकारों के सभी पुरुषों के लिए रहे हैं: वे हर समय और स्थानों में मान्य माना जाता है। वे मानव स्वभाव का अधिकार होने के लिए कहा जाता है। घोषणा के अंतिम विचार को नेशनल असेंबली (Assemblée nationale constituante) द्वारा 26 अगस्त 1789 को स्वीकार कर लिया गया। यह लोगो के संविधान लिखने से पहले करने वाली पहली महत्वपूर्ण बात थी। इन कागजात ने न केवल पुरुषों के लिए बल्कि पुरे फ्रांस के लोगो के लिए बिना किसी अपवाद के उनके बुनियादी अधिकारों की व्याख्या की, लेकिन इस अधिकार ने महिलाओं की भूमिका के बारे में कुछ नहीं कहा। इसने दासत्व के बारे में भी कुछ नहीं कहा। .

2 संबंधों: फ़्रान्सीसी क्रान्ति, २७ अगस्त

फ़्रान्सीसी क्रान्ति

बेसिल दिवस: १४ जुलाई १७८९ फ्रांसीसी क्रांति (फ्रेंच: Révolution française / रेवोलुस्योँ फ़्राँसेज़; 1789-1799) फ्रांस के इतिहास की राजनैतिक और सामाजिक उथल-पुथल एवं आमूल परिवर्तन की अवधि थी जो 1789 से 1799 तक चली। बाद में, नेपोलियन बोनापार्ट ने फ्रांसीसी साम्राज्य के विस्तार द्वारा कुछ अंश तक इस क्रांति को आगे बढ़ाया। क्रांति के फलस्वरूप राजा को गद्दी से हटा दिया गया, एक गणतंत्र की स्थापना हुई, खूनी संघर्षों का दौर चला, और अन्ततः नेपोलियन की तानाशाही स्थापित हुई जिससे इस क्रांति के अनेकों मूल्यों का पश्चिमी यूरोप में तथा उसके बाहर प्रसार हुआ। इस क्रान्ति ने आधुनिक इतिहास की दिशा बदल दी। इससे विश्व भर में निरपेक्ष राजतन्त्र का ह्रास होना शुरू हुआ, नये गणतन्त्र एव्ं उदार प्रजातन्त्र बने। आधुनिक युग में जिन महापरिवर्तनों ने पाश्चात्य सभ्यता को हिला दिया उसमें फ्रांस की राज्यक्रांति सर्वाधिक नाटकीय और जटिल साबित हुई। इस क्रांति ने केवल फ्रांस को ही नहीं अपितु समस्त यूरोप के जन-जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया। फ्रांसीसी क्रांति को पूरे विश्व के इतिहास में मील का पत्थर कहा जाता है। इस क्रान्ति ने अन्य यूरोपीय देशों में भी स्वतन्त्रता की ललक कायम की और अन्य देश भी राजशाही से मुक्ति के लिए संघर्ष करने लगे। इसने यूरोपीय राष्ट्रों सहित एशियाई देशों में राजशाही और निरंकुशता के खिलाफ वातावरण तैयार किया। .

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२७ अगस्त

27 अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 239वॉ (लीप वर्ष मे 240 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 126 दिन बाकी है। .

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