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पुराजीवी महाकल्प

सूची पुराजीवी महाकल्प

पुराजीवी अथवा पुराजीवी महाकल्प दृश्यजीवी महाकाल के तीन भूविज्ञान कल्पों (युगों) में से प्रथम को कहा जाता है। इसका लगभग समय ५४१ से २५२.२ मिलियन वर्ष पूर्व माना जाता है। यह दृश्यजीवी महाकालों में से सबसे लम्बा माना जाता है जिसे छः भूविज्ञान कल्पों: कैम्बियन, अवर प्रवालादि, सिल्यूरियन, डिवोनी, कार्बनी और पर्मियन में विभाजित किया जाता है। .

5 संबंधों: डिवोनी कल्प, भूविज्ञान, सिल्यूरियन, ऑर्डोविशी कल्प, कार्बनी कल्प

डिवोनी कल्प

मत्स्य काल या 'डिवोनी कल्प' (Devonian) भूवैज्ञानिक काल है जो पुराजीवी महाकल्प (Paleozoic Era) के सिल्युरी युग के अन्त से आरम्भ होकर (लगभग 416.0 ± 2.8 Mya (million years ago)) कार्बनी कल्प के आरम्भ तक (लगभग 359.2 ± 2.5 Mya) फैला हुआ है। इस कल्प का नाम इंग्लैण्ड के डेवन प्रदेश के नाम पर पड़ा है जहाँ सबसे पहले इस काल के शैलों का अध्ययन किया गया था। मत्स्य वर्ग का विकास इस युग में विशेष रूप से हुआ और इसी के आधार पर इस युग को 'मत्स्य युग' भी कहते हैं। .

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भूविज्ञान

पृथ्वी के भूवैज्ञनिक क्षेत्र पृथ्वी से सम्बंधित ज्ञान ही भूविज्ञान कहलाता है।भूविज्ञान या भौमिकी (Geology) वह विज्ञान है जिसमें ठोस पृथ्वी का निर्माण करने वाली शैलों तथा उन प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है जिनसे शैलों, भूपर्पटी और स्थलरूपों का विकास होता है। इसके अंतर्गत पृथ्वी संबंधी अनेकानेक विषय आ जाते हैं जैसे, खनिज शास्त्र, तलछट विज्ञान, भूमापन और खनन इंजीनियरी इत्यादि। इसके अध्ययन बिषयों में से एक मुख्य प्रकरण उन क्रियाओं की विवेचना है जो चिरंतन काल से भूगर्भ में होती चली आ रही हैं एवं जिनके फलस्वरूप भूपृष्ठ का रूप निरंतर परिवर्तित होता रहता है, यद्यपि उसकी गति साधारणतया बहुत ही मंद होती है। अन्य प्रकरणों में पृथ्वी की आयु, भूगर्भ, ज्वालामुखी क्रिया, भूसंचलन, भूकंप और पर्वतनिर्माण, महादेशीय विस्थापन, भौमिकीय काल में जलवायु परिवर्तन तथा हिम युग विशेष उल्लेखनीय हैं। भूविज्ञान में पृथ्वी की उत्पत्ति, उसकी संरचना तथा उसके संघटन एवं शैलों द्वारा व्यक्त उसके इतिहास की विवेचना की जाती है। यह विज्ञान उन प्रक्रमों पर भी प्रकाश डालता है जिनसे शैलों में परिवर्तन आते रहते हैं। इसमें अभिनव जीवों के साथ प्रागैतिहासिक जीवों का संबंध तथा उनकी उत्पत्ति और उनके विकास का अध्ययन भी सम्मिलित है। इसके अंतर्गत पृथ्वी के संघटक पदार्थों, उन पर क्रियाशील शक्तियों तथा उनसे उत्पन्न संरचनाओं, भूपटल की शैलों के वितरण, पृथ्वी के इतिहास (भूवैज्ञानिक कालों) आदि के अध्ययन को सम्मिलित किया जाता है। .

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सिल्यूरियन

सिल्यूरियन (Silurian) एक भूगर्भीय युग एवं प्रणाली का नाम है जो ऑडोविशन कल्प के अन्त (लगभग 443.4 ± 1.5 मिलियन वर्ष पूर्व) से आरम्भ होकर डिवोनी कल्प के आरम्भ तक (लगभग 419.2 ± 3.2 मिलियन वर्ष पूर्व) तक विस्तृत है। सिल्यूरियन प्रणाली का नामकरण मरचीसन (Murchison) ने सन्‌ १८३५ में इंग्लैंड के वेल्स प्रांत के आदिवासियों के नाम के आधार पर किया। उसने इसका स्थान पुराजीव कल्प आर्डोविसियन (Ordovician) और डेवोनियम (Devoniam) काल के बीच में रखा। शनै: शनै: संसार के अन्य भागों में भी ऐसे स्तर मिले और इस प्रकार सिल्यूरियन प्रणाली पुराजीवकल्प के एक युग के रूप में स्तर-शैल-विद्या में आ गई। .

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ऑर्डोविशी कल्प

पुराजीवी महाकल्प जिन छह युगों में विभक्त किया गया है उनमें से दूर से प्राचीनतम युग को ऑर्डोविशी युग या अवर प्रवालादि युग कहते हैं। इसी को अंगेजी में 'ऑर्डोवीशियन पीरियड' कहते हैं। सन्‌ 1879 ई. में लैपवर्थ महोदय ने इस अवर प्रवालादि युग का प्रतिपादन करके मरचीसन तथा सेज़विक महोदयों के बीच प्रवालादि (साइल्यूरियन) और त्रिखंड (कैंब्रियन) युगों की सीमा के विषय में चल रहे प्रतिद्वंद्व को समाप्त कर दिया। इस युग के प्रस्तरों का सर्वप्रथम अध्ययन वेल्स प्रांत में किया गया था और ऑर्डोवीशियन नाम वहाँ बसनेवाली प्राचीन जाति ऑर्डोविशाई पर पड़ा है। भारतवर्ष में इस युग के स्तर बिरले स्थानों में ही मिलते हैं। दक्षिण भारत में इस युग का कोई स्तर नहीं है। हिमालय में जो निम्न स्तर मिलते हैं, वे भी केवल कुछ ही स्थानों में सीमित हैं, यथा स्पिटी, कुमाऊँ, गढ़वाल और नेपाल। विश्व के अन्य भागों में इस युग के प्रस्तर अधिक मिलते हैं। ऑर्डोवीशयन युग के प्राणियों के अवशेष कैंब्रियन कल्प के सदृश हैं। इस युग के प्रस्तरों में ग्रैप्टोलाइट नामक जीवों के अवशेषों की प्रचुरता है। ट्राइलोबाइट और ब्रैकियोपॉड जीवों के अवशेष भी अधिक मात्रा में मिलते हैं। कशेरुदंडी जीवों में मछली का प्रादुर्भाव इसी युग में हुआ। अमरीका के बिग हॉर्न पर्वत और ब्लैक पर्वत के ऑर्छोवीशियन बालुकाश्मों में प्राथमिक मछलियों के अवशेष पाए गए हैं। .

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कार्बनी कल्प

कार्बनप्रद तंत्र (Carboniferous System) उन शैलों के समुदाय को कहते हैं जिनसे पत्थर का कोयला और उसी प्रकार के कार्बनमय पदार्थ मिलते हैं। जिस युग में यह तंत्र बना उसे कार्बनी कल्प (Carboniferous period) कहते हैं। .

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