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पुनः नियोजन

सूची पुनः नियोजन

कम्प्यूटर, डेटा ट्रांसमिशन, तथा अधिकांश डिजिटल प्रणालियों में पुनः नियोजन या रिसेट (reset) करने से लम्बित पड़ी सारी घटनाएँ या गलतियाँ हटा दी जाती हैं तथा सम्पूर्ण प्रणाली अपनी सामान्य आरम्भिक अवस्था में चला जाता है। यदि कोई निकाय चलते-चलते किसी त्रुटि या समस्या या असामान्य अवस्था को प्राप्त होता है तो प्रायः प्रणाली की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उस निकाय का चालन बन्द कर दिया जाता है तथा 'त्रुटि' का संकेत दे दिया जाता है। रिसेट करने से यह 'त्रुटि' सम्केत हट जाता है, निकाय अपनी सामान्य प्रारम्भिक अवस्था में आ जाता है जिसे चालू किया जा सकता है। कभी-कभी रिसेट करने से वह प्रारम्भिक अवस्था में आकर चालू भी हो जाता है। अधिकांश कम्प्यूटरों में एक रिसेट लाइन होती है जो कम्प्यूटर को शुरू में पॉवर देते ही सक्रिय होकर कम्प्यूटर को एक सुज्ञात आरम्भिक अवस्था में लाकर छोड़ देती है जिससे कम्प्यूटर के बूट होने की आगे की प्रक्रिया सही तरह से सम्पन्न होती है। रिसेट लाइन यदि मौजूद न होती तो पॉवर-आन के समय हमेशा अनिश्चितता बनी रहती कि कम्प्यूटर किस आरम्भिक स्थिति से शुरू होगा। यदि कम्प्यूतर एक सुनिश्चित आरम्भिक स्थिति से शुरू नहीं होगा तो आगे कुछ भी निश्चित नहीं है। यह अनिश्चितता किसी भी निकाय के लिए स्वीकार्य नहीं है। निकाय इस तरह चल ही नहीं सकता। .

सामग्री की तालिका

  1. 1 संबंध: कंप्यूटर

कंप्यूटर

निजी संगणक कंप्यूटर (अन्य नाम - संगणक, कंप्यूटर, परिकलक) वस्तुतः एक अभिकलक यंत्र (programmable machine) है जो दिये गये गणितीय तथा तार्किक संक्रियाओं को क्रम से स्वचालित रूप से करने में सक्षम है। इसे अंक गणितीय, तार्किक क्रियाओं व अन्य विभिन्न प्रकार की गणनाओं को सटीकता से पूर्ण करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से निर्देशित किया जा सकता है। चूंकि किसी भी कार्य योजना को पूर्ण करने के लिए निर्देशो का क्रम बदला जा सकता है इसलिए संगणक एक से ज्यादा तरह की कार्यवाही को अंजाम दे सकता है। इस निर्देशन को ही कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग कहते है और संगणक कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा की मदद से उपयोगकर्ता के निर्देशो को समझता है। यांत्रिक संगणक कई सदियों से मौजूद थे किंतु आजकल अभिकलित्र से आशय मुख्यतः बीसवीं सदी के मध्य में विकसित हुए विद्दुत चालित अभिकलित्र से है। तब से अबतक यह आकार में क्रमशः छोटा और संक्रिया की दृष्टि से अत्यधिक समर्थ होता गया हैं। अब अभिकलक घड़ी के अन्दर समा सकते हैं और विद्युत कोष (बैटरी) से चलाये जा सकते हैं। निजी अभिकलक के विभिन्न रूप जैसे कि सुवाह्य संगणक, टैबलेट आदि रोजमर्रा की जरूरत बन गए हैं। परंपरागत संगणकों में एक केंद्रीय संचालन इकाई (सीपीयू) और सूचना भन्डारण के लिए स्मृति होती है। संचालन इकाई अंकगणित व तार्किक गणनाओ को अंजाम देती है और एक अनुक्रमण व नियंत्रण इकाई स्मृति में रखे निर्देशो के आधार पर संचालन का क्रम बदल सकती है। परिधीय या सतह पे लगे उपकरण किसी बाहरी स्रोत से सूचना ले सकते है व कार्यवाही के फल को स्मृति में सुरक्षित रख सकते है व जरूरत पड़ने पर पुन: प्राप्त कर सकते हैं। एकीकृत परिपथ पर आधारित आधुनिक संगणक पुराने जमाने के संगणकों के मुकबले करोड़ो अरबो गुना ज्यादा समर्थ है और बहुत ही कम जगह लेते है। सामान्य संगणक इतने छोटे होते है कि मोबाइल फ़ोन में भी समा सकते है और मोबाइल संगणक एक छोटी सी विद्युत कोष (बैटरी) से मिली ऊर्जा से भी काम कर सकते है। ज्यादातर लोग “संगणकों” के बारे में यही राय रखते है कि अपने विभिन्न स्वरूपों में व्यक्तिगत संगणक सूचना प्रौद्योगिकी युग के नायक है। हालाँकि embedded system|सन्निहित संगणक जो कि ज्यादातर उपकरणों जैसे कि आंकिक श्रव्य वादक|एम.पी.३ वादक, वायुयान व खिलौनो से लेकर औद्योगिक मानव यन्त्र में पाये जाते है लोगो के बीच ज्यादा प्रचलित है। .

देखें पुनः नियोजन और कंप्यूटर

रिसेट के रूप में भी जाना जाता है।