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पित्ताशय

सूची पित्ताशय

पित्ताशय एक लघु ग़ैर-महत्वपूर्ण अंग है जो पाचन क्रिया में सहायता करता है और यकृत में उत्पन्न पित्त का भंडारण करता है। .

15 संबंधों: पित्त, पित्ताशय का कर्कट रोग, पित्ताशय की पथरी, पित्ताशय-उच्छेदन, पेप्टाइड, भोजन, मानव का पोषण नाल, मूल पित्त वाहिनी, मूषक, यकृत, यकृत और पित्ताशय के रोग, संयोजी ऊतक, हिरण, घोड़ा, अंग

पित्त

लीवर की बायोप्सी करने पर '''पित्त''' पीले रंग में दिखायी दे रहा है। शरीररचना-विज्ञान तथा पाचन के सन्दर्भ में, पित्त (Bile या gall) गहरे हरे या पीले रंग का द्रव है जो पाचन में सहायक होता है। यह कशेरुक प्राणियों के यकृत (लीवर) में बनता है। मानव के शरीर में यकृत द्वारा पित्त का सतत उत्पादन होता रहता है जो पित्ताशय में एकत्र होता रहता है। .

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पित्ताशय का कर्कट रोग

पित्ताशय का कर्कट रोग एक प्रकार का कम घटित होने वाला कर्कट रोग है। भौगोलिक रूप से इसकी व्याप्ति विचित्र है - उत्तरी भारत, जापान, केंद्रीय व पूर्वी यूरोप, केंद्रीय व दक्षिण अमरीका में अधिक देखा गया है; कुछ खास जातीय समूहों में यह अधिक पाया जाता है - उ. उत्तर अमरीकी मूल निवासियों में और हिस्पैनिकों में। जल्दी निदान होने पर पित्ताशय, यकृत का कुछ अंश और लसीकापर्व निकाल के इसका इलाज किया जा सकता है। अधिकतर इसका पता उदरीय पीड़ा, पीलिया और उल्टी आने, जैसे लक्षणों से पता चलता है और तब तक यह यकृत जैसे अन्य अंगों तक फैल चुका होता है। यह काफ़ी विरला होने वाला कर्कट रोग है और इसका अध्ययन अभी भी हो रहा है। पित्ताशय में पथरी होने से इसका संबंध माना जा रहा है, इससे पित्ताशय का कैल्सीकरण भी हो सकता है ऐसी स्थिति को चीनीमिट्टी पित्ताशय कहते हैं। चीनीमिट्टी पित्ताशय भी काफ़ी विरला होने वाला रोग है। अध्ययनों से यह पता चल रहा है कि चिनीमिट्टी पित्ताशय से ग्रस्त लोगों में पित्ताशय का कर्कट रोग होने की अधिक संभावना है, लेकिन अन्य अध्ययन इसी निष्कर्ष पर सवालिया निशान भी लगाते हैं। अगर कर्कट रोग के बारे में लक्षण प्रकट होने के बाद पता चलता है तो स्वास्थ्य लाभ की संभावना कम है। .

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पित्ताशय की पथरी

पित्त पथरी, पित्ताशय के अन्दर पित्त अवयवों के संघनन से बना हुआ रवाकृत जमाव होता है। इन पथरियों का निर्माण पित्ताशय के अन्दर होता है लेकिन ये केंद्र से दूर रहते हुए पित्त मार्ग के अन्य भागों में भी पहुंच सकती है जैसे पुटीय नलिका, सामान्य पित्त नलिका, अग्न्याशयीय नलिका या एम्प्युला ऑफ वेटर.

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पित्ताशय-उच्छेदन

लैप्रोस्कोप के माध्यम से देखा गया लैप्रोस्कोपिक पित्ताशय-उच्छेदन लैप्रोस्कोपिक पित्ताशय-उच्छेदन के दौरान एक्स-रे पित्ताशय-उच्छेदन (Cholecystectomy) (बहुवचन: cholecystectomies) पित्ताशय हटाने की शल्य-चिकित्सा है। यह लाक्षणिक पित्त-पथरियों के इलाज की सबसे आम विधि है। शल्य-चिकित्सा विकल्पों में शामिल हैं अंतर-उदर दर्शन (लैप्रोस्कोपिक) पित्ताशय-उच्छेदन नामक मानक प्रक्रिया और खुला पित्ताशय-उच्छेदन (ओपन कोलेसिस्टेक्टोमी) नामक पुरानी अधिक आक्रामक प्रक्रिया.

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पेप्टाइड

एक पेप्टाइड हार्मोन, ग्लुकागोन अमीनो अम्लों की छोटी श्रृंखलाओं को पेप्टाइड कहते हैं। कई पेप्टाइड मिलकर प्रोटीन का गठन करते हैं। प्रोटीन एवं पेप्टाइड में आकार का ही अंतर है। इसमें अमीनो अम्ल जिस बंध द्वारा जुड़े होते हैं उसे पेप्टाइड बंध कहते हैं। श्रेणी:प्रोटीन.

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भोजन

thumb ऐसा कोइ भी पदार्थ जो शर्करा (कार्बोहाइड्रेट), वसा, जल तथा/अथवा प्रोटीन से बना हो और जीव जगत द्वारा ग्रहण किया जा सके, उसे भोजन कहते हैं। जीव न केवल जीवित रहने के लिए बल्कि स्वस्थ और सक्रिय जीवन बिताने के लिए भोजन करते हैं। भोजन में अनेक पोषक तत्व होते हैं जो शरीर का विकास करते हैं, उसे स्वस्थ रखते हैं और शक्ति प्रदान करते हैं। .

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मानव का पोषण नाल

मानव का पाचक तंत्र मानव का पाचक नाल या आहार नाल (Digestive or Alimentary Canal) 25 से 30 फुट लंबी नाल है जो मुँह से लेकर मलाशय या गुदा के अंत तक विस्तृत है। यह एक संतत लंबी नली है, जिसमें आहार मुँह में प्रविष्ट होने के पश्चात्‌ ग्रासनाल, आमाशय, ग्रहणी, क्षुद्रांत्र, बृहदांत्र, मलाशय और गुदा नामक अवयवों में होता हुआ गुदाद्वार से मल के रूप में बाहर निकल जाता है। .

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मूल पित्त वाहिनी

मूल पित्त वाहिनी (common bile duct; संक्षेप में CBD) जठरांत्र क्षेत्र की एक वाहिनी (duct) है। यह उन प्राणियों में पायी जाती है जिनमें पित्ताशय होता है। यह वाहिका मुख्य यकृतीय वाहिनी (common hepatic duct) तथा पित्ताशयी वाहिनी (cystic duct) के मिलन से बनती है। आगे चलकर इसमें अग्न्याशयी वाहिनी (pancreatic duct) मिल जाती है जिससे वैटर तुंबिका (ampulla of Vater) बनती है। .

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मूषक

मूषक या मूष (mouse) एक छोटे आकार का कृंतक होता है जिसके नोकीला थूथन (मुँह), छोटे गोल कान और लगभग शरीर के जितनी लम्बी * श्रेणी:घुसपैठी स्तनधारी जातियाँ.

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यकृत

यकृत की स्थिति (4) यकृत या जिगर या कलेजा (Liver) शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि है, जो पित्त (Bile) का निर्माण करती है। पित्त, यकृती वाहिनी उपतंत्र (Hepatic duct system) तथा पित्तवाहिनी (Bile duct) द्वारा ग्रहणी (Duodenum), तथा पित्ताशय (Gall bladder) में चला जाता है। पाचन क्षेत्र में अवशोषित आंत्ररस के उपापचय (metabolism) का यह मुख्य स्थान है। .

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यकृत और पित्ताशय के रोग

यकृत शरीर में स्थित, सबसे बड़ी ग्रंथि है। इसका अधिकांश उदरीय कोटर के ऊपरी दाएँ भाग में स्थित है। इसका भार 1.2 से 1.4 किलोग्राम के लगभग होता है। यकृत दो प्रमुख पालियों (lobes), दाहिने और बाएँ, में विभक्त है। ये पालियाँ अनेक पालियों में बँटी हुई हैं। योजी ऊतक (connective tissue) से समूचा यकृत घिरा हुआ है। पित्ताशय नाशापाती के आकार की, 3-4 इंच लंबी और एक इंच, या इससे कुछ चोडी, थैली होती है। यह यकृत की सतह के नीचे होती है और उससे ऐरियोला (areola) ऊतकों द्वारा जुड़ी होती है। .

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संयोजी ऊतक

विभिन्न प्रकार के संयोजी उत्तक संयोजी उत्तक रेशेदार उत्तक होते हैं। प्राणियों के संयोजी उत्तकों का मुख्य घटक कोलेजन (Collagen) नामक प्रोटीन होता है। संयोजी ऊतक (अंग्रेजी:Connective Tissue) मानव शरीर में एक अंग को दूसरे अंग से जोड़ने का कार्य करता है। यह प्रत्येक अंग में पाया जाता है। यहऊतकों का एक विस्तृत समूह है। संयोजी ऊतकों का विशिष्ट कार्य संयोजन करना, अंगों को आच्छदित करना तथा उन्हें सही स्थान पर रखना है।.

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हिरण

right एक हिरण एक सर्विडे परिवार का रूमिनंट स्तनपायी जन्तु है। हिरण Cervidae परिवार के सदस्य हैं। एक मादा हिरण एक हरिणी कहा जाता है। एक पुरुष एक हिरन कहा जाता है। हिरण की प्रजातियों में से कई किस्में हैं। हिरण दुनिया भर के कई महाद्वीपों पर पाए जाते हैं। यह स्तनधारी प्रजातियों आमतौर पर वन निवास में रह पाया है। बक्स करने के लिए सींग है करते हैं। डो सींग का अधिकारी नहीं करते हैं। हिरण भी खुरों के अधिकारी। Animals of Hindustan small deer and cows called gīnī, from Illuminated manuscript Baburnama (Memoirs of Babur) श्रेणी:हिरण श्रेणी:स्तनधारी.

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घोड़ा

घोड़ा, घोड़ी और उसका बच्चा घोड़े भी खेल में इस्तेमाल किया जाता है। घोड़ा या अश्व (Equus ferus caballus; ऐक़्वस फ़ेरस कैबेलस) ऐक़्वस फ़ेरस (Equus ferus) की दो अविलुप्त उपप्रजातियों में से एक हैं। वह एक विषम-उंगली खुरदार स्तनधारी हैं, जो अश्ववंश (ऐक़्वडी) कुल से ताल्लुक रखता हैं। घोड़े का पिछले ४५ से ५५ मिलियन वर्षों में एक छोटे बहु-उंगली जीव, ऐओहिप्पस (Eohippus) से आज के विशाल, एकल-उंगली जानवर में क्रम-विकास हुआ हैं। मनुष्यों ने ४००० ईसा पूर्व के आसपास घोड़ों को पालतू बनाना शुरू कर दिया, और उनका पालतूकरण ३००० ईसा पूर्व से व्यापक रूप से फैला हुआ माना जाता हैं। कैबेलस (caballus) उपप्रजाति में घोड़े पालतू बनाएँ जाते हैं, यद्यपि कुछ पालतू आबादियाँ वन में रहती हैं निरंकुश घोड़ो के रूप में। ये निरंकुश आबादियाँ असली जंगली घोड़े नहीं हैं, क्योंकि यह शब्द उन घोड़ो को वर्णित करने के लिए प्रयुक्त होता हैं जो कभी पालतू बनाएँ ही नहीं गएँ हो, जैसे कि विलुप्तप्राय शेवालस्की का घोड़ा, जो एक अलग उपप्रजाति हैं और बचा हुआ केवल एकमात्र असली जंगली घोड़ा हैं। वह मनुष्य से जुड़ा हुआ संसार का सबसे प्राचीन पालतू स्तनपोषी प्राणी है, जिसने अज्ञात काल से मनुष्य की किसी ने किसी रूप में सेवा की है। घोड़ा ईक्यूडी (Equidae) कुटुंब का सदस्य है। इस कुटुंब में घोड़े के अतिरिक्त वर्तमान युग का गधा, जेबरा, भोट-खर, टट्टू, घोड़-खर एवं खच्चर भी है। आदिनूतन युग (Eosin period) के ईयोहिप्पस (Eohippus) नामक घोड़े के प्रथम पूर्वज से लेकर आज तक के सारे पूर्वज और सदस्य इसी कुटुंब में सम्मिलित हैं। इसका वैज्ञानिक नाम ईक्वस (Equus) लैटिन से लिया गया है, जिसका अर्थ घोड़ा है, परंतु इस कुटुंब के दूसरे सदस्य ईक्वस जाति की ही दूसरों छ: उपजातियों में विभाजित है। अत: केवल ईक्वस शब्द से घोड़े को अभिहित करना उचित नहीं है। आज के घोड़े का सही नाम ईक्वस कैबेलस (Equus caballus) है। इसके पालतू और जंगली संबंधी इसी नाम से जाने जातें है। जंगली संबंधियों से भी यौन संबंध स्थापति करने पर बाँझ संतान नहीं उत्पन्न होती। कहा जाता है, आज के युग के सारे जंगली घोड़े उन्ही पालतू घोड़ो के पूर्वज हैं जो अपने सभ्य जीवन के बाद जंगल को चले गए और आज जंगली माने जाते है। यद्यपि कुछ लोग मध्य एशिया के पश्चिमी मंगोलिया और पूर्वी तुर्किस्तान में मिलनेवाले ईक्वस प्रज़्वेलस्की (Equus przwalski) नामक घोड़े को वास्तविक जंगली घोड़ा मानते है, तथापि वस्तुत: यह इसी पालतू घोड़े के पूर्वजो में से है। दक्षिण अफ्रिका के जंगलों में आज भी घोड़े बृहत झुंडो में पाए जाते है। एक झुंड में एक नर ओर कई मादाएँ रहती है। सबसे अधिक 1000 तक घोड़े एक साथ जंगल में पाए गए है। परंतु ये सब घोड़े ईक्वस कैबेलस के ही जंगली पूर्वज है और एक घोड़े को नेता मानकर उसकी आज्ञा में अपना सामाजिक जीवन व्यतीत करतेे है। एक गुट के घोड़े दूसरे गुट के जीवन और शांति को भंग नहीं करते है। संकटकाल में नर चारों तरफ से मादाओ को घेर खड़े हो जाते है और आक्रमणकारी का सामना करते हैं। एशिया में काफी संख्या में इनके ठिगने कद के जंगली संबंधी 50 से लेकर कई सौ तक के झुंडों में मिलते है। मनुष्य अपनी आवश्यकता के अनुसार उन्हे पालतू बनाता रहता है। .

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अंग

* अंग महाजनपद.

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