सामग्री की तालिका
टखना
टखना, या टखना क्षेत्र, पैर का वह भाग है जहाँ पगतली उपरी भाग से जुड़ती है। पिंडली और येड़ी के बीच की दोनों ओर उभरी हुई हड्डी के पास के भाग को भी टखना कहा जाता है। इस भाग की गतिशीलता पैर को पिछे मोड़ने और चलने में सहायक होती हैं। सामान्य रूप से टखना शब्द टखने के पास के क्षेत्र के लिए प्रयुक्त होता है। .
देखें पायल और टखना
सोना
सोना या स्वर्ण (Gold) अत्यंत चमकदार मूल्यवान धातु है। यह आवर्त सारणी के प्रथम अंतर्ववर्ती समूह (transition group) में ताम्र तथा रजत के साथ स्थित है। इसका केवल एक स्थिर समस्थानिक (isotope, द्रव्यमान 197) प्राप्त है। कृत्रिम साधनों द्वारा प्राप्त रेडियोधर्मी समस्थानिकों का द्रव्यमान क्रमश: 192, 193, 194, 195, 196, 198 तथा 199 है। .
देखें पायल और सोना
घंटी
घंटी या घंटा कम्पनस्वरी तालवाद्य यंत्र है। अधिकांश घंटियों में खोखले कप का आकार होता है। जब उसे ठोका जाता है तो उसमें मजबूत कंपन होती है जबकि इसके कोने कुशल अनुनादक बनाते हैं। घंटी एक विशेष प्रकार के धातु से बनती है, जिसे घंटा धातु (एक तरह का कांसा) कहते है। लेकिन इसे कई और धातु से भी बनाया जाता है। हिन्दू धर्म में घंटी का उपयोग पूजा में किया जाता है। ईसाई धर्म में भी घंटे का उपयोग होता और कई गिरजाघर में इसका उपयोग देखा जा सकता है। .
देखें पायल और घंटी
आभूषण
Jewellery art using computer aided design. आभूषण के निर्माण में अक्सर रत्न, सिक्के या अन्य कीमती वस्तुओं का इस्तेमाल किया जाता है और आमतौर पर इनको कीमती धातुओं में स्थापित किया जाता है। आभूषण लोकसंस्कृति के लोकमान्य अंग हैं। सौंदर्य की बाहरी चमक-दमक से लेकर शील की भीतरी गुणवत्ता तक और व्यक्ति की वैयक्तिक रुचि से लेकर समाज की सांस्कृतिक चेतना तक आभूषणों का प्रभाव व्याप्त रहा है। दुनिया के कई हिस्सों में 15 फ़रवरी को ज्वैलरी डे मनाया जाता है हालाँकि इसके पीछे कौन सी विशेष मान्यताएं हैं इसका स्पष्ट प्रमाण उपलब्ध नहीं है। .
देखें पायल और आभूषण
यह भी देखें
प्रकारानुसार आभूषण
पाजेब के रूप में भी जाना जाता है।