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पश्चिम बंगाल में स्थित राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों की सूची

सूची पश्चिम बंगाल में स्थित राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों की सूची

राष्ट्रीय महत्व के स्मारक, भारत में स्थित वे ऐतिहासिक, प्राचीन अथवा पुरातात्विक संरचनाएँ, स्थल या स्थान हैं, जोकि, प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 किए अधीन, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के माध्यम से भारत की संघीय सरकार या राज्य सरकारों द्वारा संरक्षिक होती हैं। ऐसे स्मारकों को "राष्ट्रीय महत्व का स्मारक" होने के मापदंड, प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 द्वारा परिभाषित किये गए हैं। ऐसे स्मारकों को इस अधिनियम के मापदंडों पर खरा उतरने पर, एक वैधिक प्रक्रिया के तहत पहले "राष्ट्रीय महत्व" का घोषित किया जाता है, और फिर भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के संसाक्षणाधीन कर दिया जाता है, ताकि उनकी ऐतिहासिक महत्व क्व मद्देनज़र, उनकी उचित देखभाल की जा सके। राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों को भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण द्वारा घोषित की जाती है, निम्न सूचि, सर्वेक्षण की आधिकारिक वेबसाइट से प्राप्त है।.

14 संबंधों: एशियाटिक सोसायटी, दार्जिलिंग, नदिया जिला, पुरूलिया जिला, पूर्व मेदिनीपुर जिला, बर्धमान जिला, भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग, मालदा जिला, मुर्शिदाबाद जिला, सेंट जॉन्स चर्च, कोलकाता, हावड़ा जिला, हुगली जिला, वीरभूम, कोलकाता जिला

एशियाटिक सोसायटी

एशियाटिक सोसायटी का नया भवन एशियाटिक सोसायटी (The Asiatic Society) की स्थापना १५ जनवरी सन् १७८४ को विलियम जोंस ने कोलकाता स्थित फोर्ट विलियम में की थी। इसका उद्देश्य प्राच्य-अध्ययन का बढ़ावा देना था। .

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दार्जिलिंग

दार्जिलिंग भारत के राज्य पश्चिम बंगाल का एक नगर है। यह नगर दार्जिलिंग जिले का मुख्यालय है। यह नगर शिवालिक पर्वतमाला में लघु हिमालय में अवस्थित है। यहां की औसत ऊँचाई २,१३४ मीटर (६,९८२ फुट) है। दार्जिलिंग शब्द की उत्त्पत्ति दो तिब्बती शब्दों, दोर्जे (बज्र) और लिंग (स्थान) से हुई है। इस का अर्थ "बज्रका स्थान है।" भारत में ब्रिटिश राज के दौरान दार्जिलिंग की समशीतोष्ण जलवायु के कारण से इस जगह को पर्वतीय स्थल बनाया गया था। ब्रिटिश निवासी यहां गर्मी के मौसम में गर्मी से छुटकारा पाने के लिए आते थे। दार्जिलिंग अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर यहां की दार्जिलिंग चाय के लिए प्रसिद्ध है। दार्जिलिंग की दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे एक युनेस्को विश्व धरोहर स्थल तथा प्रसिद्ध स्थल है। यहां की चाय की खेती १८०० की मध्य से शुरु हुई थी। यहां की चाय उत्पादकों ने काली चाय और फ़र्मेन्टिंग प्रविधि का एक सम्मिश्रण तैयार किया है जो कि विश्व में सर्वोत्कृष्ट है। दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे जो कि दार्जिलिंग नगर को समथर स्थल से जोड़ता है, को १९९९ में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। यह वाष्प से संचालित यन्त्र भारत में बहुत ही कम देखने को मिलता है। दार्जिलिंग में ब्रिटिश शैली के निजी विद्यालय भी है, जो भारत और नेपाल से बहुत से विद्यार्थियों को आकर्षित करते हैं। सन १९८० की गोरखालैंड राज्य की मांग इस शहर और इस के नजदीक का कालिम्पोंग के शहर से शुरु हुई थी। अभी राज्य की यह मांग एक स्वायत्त पर्वतीय परिषद के गठन के परिणामस्वरूप कुछ कम हुई है। हाल की दिनों में यहां का वातावरण ज्यादा पर्यटकों और अव्यवस्थित शहरीकरण के कारण से कुछ बिगड़ रहा है। .

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नदिया जिला

नदिया(बांग्ला-নদিয়া, उच्चारण-नॊदिया) भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल का एक प्रशासकीय जिला है। इसका मुख्यालय कृष्णानगर में है। नदिया में पर्यटक अनेक पर्यटक स्थलों की सैर कर सकते हैं। नवद्वीप, मायापुर, कृष्णनगर, इस्कान मन्दिर और शांतिपुर नदिया के प्रमुख पर्यटक स्थल हैं, जिनके लिए यह पूरे विश्व में लोकप्रिय है। पर्यटक स्थलों से अलग नदिया श्री चैतन्य महाप्रभु के जन्म स्थान के रूप में भी जाना जाता है। महाप्रभु का जन्म स्थान होने के कारण यहां पर पर्यटकों के साथ-साथ श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में आते हैं। नदिया के प्लासी में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला और अंग्रेजों के सेनापति लार्ड क्लाइव के बीच भयंकर युद्ध लड़ा गया था। इस कारण यह स्‍थान ऐतिहासिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है। भारत के इतिहास में इस युद्ध का बहुत महत्व हैं क्योंकि इस युद्ध के बाद भारत की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थितियां पूरी तरह से बदल गई थी। .

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पुरूलिया जिला

पुरूलिया जिला भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल का एक प्रशासकीय जिला है। इसके उत्तर एवं उत्तर-पश्चिम में झारखंड राज्य के धनबाद एवं हजारीबाग जिले, पश्चिम में बोकारो एवं राँची, दक्षिण में सिंहभूम तथा पूर्व में पश्चिमी बंगाल राज्य का बाँकुड़ा जिला स्थित है। इस जिले का प्रमुख नगर पुरुलिया है। आद्रा, बलरामपुर, रघुनाथपुर, एवं झाल्दा आदि इस जिले के प्रमुख नगर हैं। इसके पूर्वी भाग में जलोढ़ मिट्टी मिलती है तथा यह एक उपजाऊ भाग है। धान की खेती जिले में अधिक की जाती है। यापार में यहाँ चावल का स्थान प्रमुख हैं। श्रेणी:पश्चिम बंगाल के जिले.

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पूर्व मेदिनीपुर जिला

पूर्व मेदिनीपुर भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल का एक प्रशासकीय जिला है। श्रेणी:पश्चिम बंगाल के जिले.

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बर्धमान जिला

वर्धमान भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल का एक जिला है। इसका मुख्यालय दामोदर नदी के किनारे २३ डिग्री २५' उत्तरी अक्षांश तथा ८७ डिग्री ८५' पूर्वी देशान्तर पर स्थित वर्धमान शहर में हैं। प्रदेश की राजधानी कोलकाता से १०० किलोमीटर दूर स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। इसका नामकरण २४वें जैन तीर्थंकर महावीर के नाम पर हुआ है। मुगल काल में इसका नाम शरिफाबाद हुआ करता था। मुगल बादशाह जहांगीर के फरमान पर १७वीं शताब्दी में एक व्यापारी कृष्णराम राय ने वर्धमान में अपनी जमींदारी शूरू की। कृष्णराम राय के वंशजों ने १९५५ तक वर्धमान पर शासन किया। वर्धमान जिले में मिले पाषाण काल के अवशेष तथा सिंहभूमि, पुरूलिया, धनबाद और बांकुड़ा जिले के अवशेषों में समानताएँ हैं। इससे पता चलता है कि यह सम्पूर्ण क्षेत्र एक ही प्रकार की सभ्यता और संस्कृति का पोषक था। वर्धमान नाम अपने आप में ही जैन धर्म के २४वें तीर्थंकर महावीर वर्धमान से जुड़ा हुआ है। पार्श्वनाथ की पहाड़िया जैनों का एक महत्वपूर्ण धार्मिक केन्द्र था। यह भी वर्धमान जिले के सीमा से लगा हुआ है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि महावीर अपने धर्म के प्रचार एवं प्रसार के सिलसिले में वर्धमान आए थे। जिले में विभिन्न तीर्थंकरो की पत्थर की बनी प्रतिमाएँ प्राप्त हुई हैं। गुप्त काल एवं सेन युग में वर्धमान का एक महत्वपूर्ण स्थान था। सल्तनत काल एवं मुगलकालों में वर्धमान एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक केन्द्र था। जहांगीर की पत्नी नूरजहां वर्धमान की ही थी। नूरजहाँ का पहला पति शेर अफगान वर्धमान का जागीरदार था। जहांगीर ने नूरजहाँ को हासिल करने के लिए कुतुबुद्दीन को वर्धमान का सूबेदार नियुक्त किया। कुतुबुद्दीन और शेर अफगान के बीच वर्तमान वर्धमान रेलने स्टेशन के निकट भयंकर संग्राम हुआ। अंततः दोनो ही मारे गए। आज भी इनकी समाधियो को एक दूसरे के पास वर्धमान में देखा जा सकता है। अकबर के समय में अबुल फजल और फैजी के षडयंत्रों का शिकार होने से बचने के लिए पीर बहराम ने दिल्ली छोड़ दिया। पीर बहराम को इसी वर्धमान शहर ने आश्रय दिया। आज भी यहाँ के हिन्दू और मुस्लिम उन्हें श्रद्धा-पूर्वक स्मरण करते हैं। वर्धमान में एक बहुत बड़ा आम का बगीचा है। यह बगीचा सैकड़ों हिन्दू औरतों के अपने पति के साथ उनकी चिता पर सती होने का गवाह है। मुगलों ने इस्ट इंडिया कम्पनी को तीन ग्राम- सुतानती, गोविन्दपुर तथा कलिकाता एक संधि के जरिए हस्तांतरित कर दिए थे। इस संधि पर हस्ताक्षर वर्धमान में ही हुआ था। कालांतर में यही तीनो ग्राम विकसीत होकर कोलकाता के रूप में जाने गए। .

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भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, भारत सरकार के संस्कृति विभाग के अन्तर्गत एक सरकारी एजेंसी है, जो कि पुरातत्व अध्ययन और सांस्कृतिक स्मारकों के अनुरक्षण के लिये उत्तरदायी होती है। इसकी वेबसाइट के अनुसार, ए.एस.

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मालदा जिला

मालदा মালদা भारत के पश्चिम बंगाल राज्य का एक जिला है। इसका मुख्यालय मालदा टाउन है। .

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मुर्शिदाबाद जिला

मुर्शिदाबाद भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल का एक प्रशासकीय जिला है। इसका मुख्यालय बेहरामपुर में स्थित है। अनेक धर्मो, जातियों और संस्कृतियों का संगम मुर्शिदाबाद पश्चिम बंगाल में स्थित है। यहां पर पर्यटक बौद्ध, ब्राह्मण, वैष्णव, जैन और ईसाई धर्म का अनूठा संगम देख सकते हैं। इनके अलावा यह अपने ऐतिहासिक और प्राकृतिक पर्यटक स्थलों के लिए भी पूरे विश्व में जाना जाता है। यहां पर भगीरथी नदी बहती है जो मुर्शिदाबाद को दो भागों बांटती है। भागीरथी के मनमोहक दृश्य देखने पर्यटक दूर-दूर से यहां आते हैं। नदी के आस-पास का क्षेत्र भी काफी सुन्दर और आकर्षक है। यहां पर पर्यटक बेहतरीन पिकनिक का आनंद ले सकते हैं। पिकनिक मनाने के बाद मुर्शिदाबाद में मनोहारी पर्यटक स्थलों की सैर भी की जा सकती है। .

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सेंट जॉन्स चर्च, कोलकाता

सेंट जॉन्स चर्च (अंग्रेजी:St. John’s Church), जो मूल रूप से एक गिरजाघर था, ब्रिटिश भारत में कोलकाता के प्रभावी रूप से राजधानी बनने के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा बनवाई गयी कुछ पहली सार्वजनिक इमारतों में से एक था। राजभवन के उत्तर-पश्चिमी कोने में स्थित इस चर्च, का निर्माण 1784 में एक सार्वजनिक लॉटरी के माध्यम से जुटाये गये 30,000 रुपयों से शुरू किया थाऔर यह निर्माण कार्य 1787 में पूरा हो गया। अर्मेनियाई और पुराने मिशन चर्च के बाद निर्मित यह गिरजा कलकत्ता (कोलकाता) का तीसरा सबसे पुराना चर्च है।Roy, Nishitranjan,Swasato Kolkata Ingrej Amaler Sthapathya,, pp.

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हावड़ा जिला

हावङा भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल का एक प्रशासकीय जिला है।इसका क्षेत्रफल १४७२ वर्ग किमी है। उत्तर एवं दक्षिण में हुगलीतथा मिदनापुर जिले हैं। इसकी पूर्वी तथा पश्चिमी सीमाएँ क्रमश: हुगली एवं रूपनारायन नदियाँ हैं। दामोदर नदी इस जिले के बीचोबीच बहती है। काना दामोदर तथा सरस्वती अन्य नदियाँ हैं। नदियों के बीच नीची दलदली भूमि मिलती है। राजापुरदलदल सबसे विस्तृत है। वर्षा सामान्यत: १४५ सेमी है। धान मुख्य फसल है पर गेहूँ, जौ, मकई तथा जूट भी उपजाए जाते हैं। श्रेणी:पश्चिम बंगाल के जिले.

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हुगली जिला

हुगली भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल का एक प्रशासकीय जिला है। श्रेणी:पश्चिम बंगाल के जिले.

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वीरभूम

बीरभूम भारत के पश्चिम बंगाल का एक प्रमुख शहर है। स्थिति: 23°33' से 24°35' उ.अ. तथा 87°10' से 88°2' पू.दे.। यह भारत के पश्चिमी बंगाल राज्य का एक जिला है। इसका क्षेत्रफल 1,757 वर्ग मील तथा जनसंख्या 14,46,158 (1961) है। इसके पश्चिम में संताल परंगना (बिहार), उत्तर में मालदह, पूर्व में मुर्शिदाबाद तथा दक्षिण में वर्धमान जिले स्थित हैं। छोटा नागपुर पठार का पूर्वी किनारा यहाँ तक फैला है। दक्षिण-पूर्व की तरफ जलोढ़ मिट्टी के मैदान तथा पश्चिम की ओर ऊँची ऊँची कटक (रिज़) पहाड़ियाँ मिलती हैं। जलप्रवाह दक्षिण-पूर्व की ओर है। मोर, अजय, हिंगला, ब्राह्मणी एवं द्वारिका आदि नदियाँ बहती हैं। कोई भी नदी नाव चलाने योग्य नहीं है। पूर्व की ओर धान की कृषि अधिक होती है। पश्चिमी भाग बीहड़ तथा अनुपजाऊ है। धान के अलावा मक्का, चना, गन्ना आदि भी पैदा किया जाता है। जलवायु शुष्क रहती है। वार्षिक वर्षा का औसत 57 इंच है। अत: नदियों में बाढ़ अधिक आती है। अजय नदी के किनारे कुछ मात्रा में कोयला तथा पश्चिम की ओर लोहा मिलता है। इसके अलावा चूना पत्थर, अभ्रक, चीनी मिट्टी, बालू पत्थर आदि भी मिलता है। रायपुर, इलाम बाजार, अलुंदा, सूरी आदि में सूती कपड़ा तथा विष्णुपुर, करिधा, तांतिपार आदि में रेशमी कपड़ा बुना जाता है। पूर्व में रेशम उद्योग काफी महत्वपूर्ण है। श्रेणी:पश्चिम बंगाल श्रेणी:पश्चिम बंगाल के शहर.

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कोलकाता जिला

कोलकाता भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल का एक प्रशासकीय जिला है। श्रेणी:पश्चिम बंगाल के जिले.

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