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पर्वत एवं घाटी समीर

सूची पर्वत एवं घाटी समीर

अधिकांश पर्वतीय क्षेत्रों में दो प्रकार की दैनिक पवनें चलती हैं। दिन के समय पर्वतीय ढाल वाला क्षेत्र उसकी घाटियों की अपेक्षा अधिक गएम हो जाता हैं, जिसके कारण पवन का संचरण घाटी से ऊपर की ओर होने लगता हैं। इसी को घाटी समीर कहतें हैं। इसके विपरीत सूर्यास्त के बाद रात्री के समय यह व्यवस्था पलट जाती हैं। पर्वतीय ढालों पर पार्थिव विकीरण द्वारा तेजी से उष्मा का विसर्जन हो जाने से वहां उच्च वायुदाब का क्षेत्र बन जाता हैं तथा ऊचाई वाले भागों से ठंडी एवं घनी हवा नीचे बैठने लगती हैं, इस पवन को पर्वत समीर कहतें हैं। श्रेणी:सामयिक पवन.

1 संबंध: वायुमंडलीय दाब

वायुमंडलीय दाब

ऊँचाई बढ़ने पर वायुमण्डलीय दाब का घटना (१५ डिग्री सेल्सियस); भू-तल पर वायुमण्डलीय दाब १०० लिया गया है। वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी के वायुमंडल में किसी सतह की एक इकाई पर उससे ऊपर की हवा के वजन द्वारा लगाया गया बल है। अधिकांश परिस्थितियों में वायुमंडलीय दबाव का लगभग सही अनुमान मापन बिंदु पर उसके ऊपर वाली हवा के वजन द्वारा लगाए गए द्रवस्थैतिक दबाव द्वारा लगाया जाता है। कम दबाव वाले क्षेत्रों में उन स्थानों के ऊपर वायुमंडलीय द्रव्यमान कम होता है, जबकि अधिक दबाव वाले क्षेत्रों में उन स्थानों के ऊपर अधिक वायुमंडलीय द्रव्यमान होता है। इसी प्रकार, जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती जाती है उस स्तर के ऊपर वायुमंडलीय द्रव्यमान कम होता जाता है, इसलिए बढ़ती ऊंचाई के साथ दबाव घट जाता है। समुद्र तल से वायुमंडल के शीर्ष तक एक वर्ग इंच अनुप्रस्थ काट वाले हवा के स्तंभ का वजन 6.3 किलोग्राम होता है (और एक वर्ग सेंटीमीटर अनुप्रस्थ काट वाले वायु स्तंभ का वजन एक किलोग्राम से कुछ अधिक होता है)। .

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