समाधि के मार्ग से होकर ही पायी जा सकती है, तथा समाधि में ध्यान के द्वारा ही प्रविष्ट हुआ जा सकता है। वैसे तो आज संसार में ध्यान की तरीकों की बाढ़ सी आ गई है परन्तु यह सारे तरीके क्षण भर के लिए हमारे मन को एकाग्र तो कर सकते हैं परन्तु इनसे हम अतल साधना की गहराइयों में नहीं जा सकते। हमारे शास्त्रों में वर्णित है कि कोई पूर्ण गुरु ही असल ध्यान का तरीका बता सकता है। ध्यान एक सहज अवस्था है बस जरूरत है तो एक ऐसे पूर्ण गुरु की जो इस अवस्था को उपलब्ध करा दे। ऐसे गुरु की यही पहचान है कि वह दीक्षा के माध्यम से हमारे अन्दर ही प्रभु का प्रकाश रूप में साक्षात्कार करा देता है। आज भी ऐसे गुरु हैं जो यह चमत्कार कर सकते हैं। इतिहास में यदि एक सरसरी दौड़ाएं तो ऐसे ही महापुरुषों में से राम, कृष्ण, जीसस, बुद्ध, महावीर स्वामी, गुरु साहिबान, मोहम्मद साहब, रामकृष्ण परमंहस आदि थे।.