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5 संबंधों: थाई भाषा, थाईलैण्ड, थाईलैण्ड के प्रान्त, मध्य थाईलैण्ड, संस्कृत भाषा।
थाई भाषा
थाई भाषा (थाई: ภาษาไทย) थाईलैंड की मातृभाषा और राष्ट्रभाषा है और यहाँ के ९५% लोग यही भाषा बोलते हैं। .
देखें नोन्थाबुरी प्रान्त और थाई भाषा
थाईलैण्ड
श्यामदेश (थाईलैण्ड) जिसका प्राचीन भारतीय नाम श्यामदेश है दक्षिण पूर्वी एशिया में एक देश है। इसकी पूर्वी सीमा पर लाओस और कम्बोडिया, दक्षिणी सीमा पर मलेशिया और पश्चिमी सीमा पर म्यानमार है। थाईलैण्ड को सियाम के नाम से भी जाना जाता है जो ११ मई, १९४९ तक थाईलैण्ड का अधिकृत नाम था। थाई शब्द का अर्थ थाई भाषा में आज़ाद होता है। यह शब्द थाई नागरिको के सन्दर्भ में भी इस्तेमाल किया जाता है। इस वजह से कुछ लोग विशेष रूप से यहाँ बसने वाले चीनी लोग, थाईलैंड को आज भी सियाम नाम से पुकारना पसन्द करते हैं। थाईलैण्ड की राजधानी बैंकाक है। .
देखें नोन्थाबुरी प्रान्त और थाईलैण्ड
थाईलैण्ड के प्रान्त
थाईलैण्ड एक एकात्मक राज्य है जो प्रशासनिक रूप से ७६ प्रान्तों में बांटा गया है। थाई भाषा में यह "चंगवत" (थाई: จังหวัด, changwat) कहलाते हैं। इनके अलावा राष्ट्रीय राजधानी बैंकॉक को एक विशेष प्रशासनिक क्षेत्र में सम्मिलित किया गया है। .
देखें नोन्थाबुरी प्रान्त और थाईलैण्ड के प्रान्त
मध्य थाईलैण्ड
मध्य थाईलैण्ड थाईलैण्ड का एक क्षेत्र है जो चाओ फ्रया नदी के मैदानी क्षेत्र पर विस्तृत है। यह ईसान क्षेत्र (पूर्वोत्तरी क्षेत्र) से फेत्चबुन पर्वतमाला द्वारा विभाजित है। पश्चिम में यह बर्मा से तेनासेरिम पहाड़ियों द्वारा अलग किया जाता है। यह पुराने समय में अयुथया राज्य का केन्द्र था और आज भी थाईलैण्ड का सर्वाधिक आबादी वाला इलाक़ा है। राष्ट्रीय राजधानी बैंकॉक इसी क्षेत्र में है। .
देखें नोन्थाबुरी प्रान्त और मध्य थाईलैण्ड
संस्कृत भाषा
संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .