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नामा लोग

सूची नामा लोग

नामा (Nama), जिन्हें पहले नामाका (Namaqua) के नाम से जाना जाता था, दक्षिण अफ़्रीका, नामीबिया व बोत्स्वाना का एक लोक-समुदाय है। वे खोई भाषा-परिवार की नामा भाषा बोलते हैं हालांकि आधुनिक युग में उनमें से बहुत से अब आफ़्रीकान्स भाषा भी बोलने लगे हैं। नामा समुदाय खोईखोई लोगों की सबसे बड़ी शाखा है और नामाओं को छोड़कर अधिकतर खोईखोई समुदाय विलुप्त हो चुके हैं। बहुत से नामा परिवार अब मध्य नामीबिया में वास करते हैं और कुछ नामाकालैंड में रहते हैं जो दक्षिण अफ़्रीका और नामीबिया की सरहद की दोनों तरफ़ स्थित एक क्षेत्र है।, pp.

7 संबंधों: दक्षिण अफ़्रीका, नामीबिया, बोत्सवाना, खोई भाषाएँ, खोईखोई भाषा, खोईखोई लोग, अफ़्रीकान्स भाषा

दक्षिण अफ़्रीका

दक्षिण अफ़्रीका (साउथ अफ़्रीका भी कहा जाता है, अंग्रेज़ी उच्चारण: साउथ् ऍफ़्रिक) अफ़्रीका महाद्वीप के दक्षिणी छोर पर स्थित एक गणराज्य है। इसकी सीमाएँ उत्तर में नामीबिया, बोत्सवाना और ज़िम्बाब्वे और उत्तर-पूर्व में मोज़ाम्बिक़ और स्वाज़ीलैंड के साथ लगती हैं, जबकि लेसूथो एक स्वतंत्र देश है, जो पूरी तरह से दक्षिण अफ़्रीका से घिरा हुआ है। आधुनिक मानव की बसाहट दक्षिण अफ़्रीका में एक लाख साल पुरानी है। यूरोपीय लोगों के आगमन के दौरान क्षेत्र में रहने वाले बहुसंख्यक स्थानीय लोग आदिवासी थे, जो अफ़्रीका के विभिन्न क्षेत्रों से हजार साल पहले आए थे। 4थी-5वीं सदी के दौरान बांतू भाषी आदिवासी दक्षिण को ओर बढ़े और दक्षिण अफ़्रीका के वास्तविक निवासियों, खोई सान लोगों, को विस्थापित करने के साथ-साथ उनके साथ शामिल भी हो गए। यूरोपीय लोगों के आगमन के दौरान कोसा और ज़ूलु दो बड़े समुदाय थे। केप समुद्री मार्ग की खोज के करीबन डेढ़ शताब्दी बाद 1962 में डच ईस्ट इंडिया कंपनी ने उस जगह पर खानपान केंद्र (रिफ्रेशमेंट सेंटर) की स्थापना की, जिसे आज केप टाउन के नाम से जाना जाता है। 1806 में केप टाउन ब्रिटिश कॉलोनी बन गया। 1820 के दौरान बुअर (डच, फ्लेमिश, जर्मन और फ्रेंच सेटलर्ज़) और ब्रिटिश लोगों के देश के पूर्वी और उत्तरी क्षेत्रों में बसने के साथ ही यूरोपीय बसाहट में वृद्धि हुई। इसके साथ ही क्षेत्र पर क़ब्ज़े के लिए कोसा, जुलू और अफ़्रिकानरों के बीच झड़पें भी बढ़ती गई। हीरे और बाद में सोने की खोज के साथ ही 19वीं सदी में द्वंद शुरू हो गया, जिसे अंग्रेज़-बुअर युद्ध के नाम से जाना जाता है। हालाँकि ब्रिटिश ने बुअरों पर युद्ध में जीत हासिल कर ली थी, लेकिन 1910 में दक्षिण अफ़्रीका को ब्रिटिश डोमिनियन के तौर पर सीमित स्वतंत्रता प्रदान की। 1961 में दक्षिण अफ़्रीका को गणराज्य का दर्जा मिला। देश के भीतर और बाहर विरोध के बावजूद सरकार ने रंगभेद की नीति को जारी रखा। 20वीं सदी में देश की दमनकारी नीतियों के विरोध में बहिष्कार करना शुरू किया। काले दक्षिण अफ़्रीकी और उनके सहयोगियों के सालों के अंदरुनी विरोध, कार्रवाई और प्रदर्शन के परिणामस्वरूप आख़िरकार 1990 में दक्षिण अफ़्रीकी सरकार ने वार्ता शुरू की, जिसकी परिणति भेदभाव वाली नीति के ख़त्म होने और 1994 में लोकतांत्रिक चुनाव से हुई। देश फिर से राष्ट्रकुल देशों में शामिल हुआ। दक्षिण अफ़्रीका, अफ़्रीका में जातीय रूप से सबसे ज़्यादा विविधताओं वाला देश है और यहाँ अफ़्रीका के किसी भी देश से ज़्यादा सफ़ेद लोग रहते हैं। अफ़्रीकी जनजातियों के अलावा यहाँ कई एशियाई देशों के लोग भी हैं जिनमे सबसे ज़्यादा भारत से आये लोगों की संख्या है। .

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नामीबिया

नाम्बिया (या नामीबिया) दक्षिणी अफ्रीका का एक देश है जिसकी राजधानी विंडहॉक हैं। इसके पड़ोसी देश हैं - अंगोला, बोत्सवाना और दक्षिण अफ्रीका। देश का पश्चिमी भाग कालाहारी मरुस्थल के क्षेत्रों में से एक है। यहाँ के मूल वासियों में बुशमैन, दामाका जातियों का नाम आता है - जर्मनी ने १८८४ में इसको अपना उपनिवेश बनाया और प्रथम विश्युद्ध के बाद यह दक्षिण अफ्रीका का क्षेत्र बन गया। नामिब मरुस्थल भी यहीं है। .

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बोत्सवाना

बोत्सवाना का मानचित्र बोत्सवाना गणराज्य (अंग्रेजी: Republic of Botswana, श्वाना: Lefatshe la Botswana), अफ्रीकी महाद्वीप के दक्षिण में स्थित एक स्थल-रुद्ध देश है। 30 सितम्बर 1966 को ब्रिटेन की संयुक्त राजशाही से स्वतंत्रता मिलने से पूर्व इसे ब्रिटिश संरक्षित राज्य, बेचुआनालैंड के नाम से जाना जाता था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद ब्रिटिश राष्ट्रमंडल के अंतर्गत इस देश ने एक नया नाम बोत्सवाना अपना लिया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यहाँ लगातार स्वतंत्र और निष्पक्ष लोकतांत्रिक चुनाव आयोजित किये जा रहे हैं। जिम्बाब्वे,अंगोला, जांबिया और दक्षिण अफ्रीका इसके पड़ोसी देश हैं। भौगोलिक दृष्टि से बोत्सवाना एक सपाट देश है और इसके लगभग 70% भाग में कालाहारी मरुस्थल फैला है। इसके दक्षिण और दक्षिणपश्चिम में दक्षिण अफ्रीका, पश्चिम और उत्तर में नामीबिया तथा उत्तरपूर्व में जिम्बाब्वे स्थित है। यह सिर्फ एक बिंदु पर जाम्बिया से मिलता है। यह एक छोटा सा देश है, जिसकी जनसंख्या सिर्फ 20 लाख है। स्वतंत्रता के समय यह अफ्रीका के कुछ सबसे गरीब देशों मे से एक था जिसका सकल घरेलू उत्पाद प्रति व्यक्ति मात्र 70 अमेरिकी डॉलर था, लेकिन तब से लेकर अब तक बोत्सवाना ने आर्थिक रूप से तरक्की की है और अब इसकी गिनती अफ्रीका के मध्यम आय वाले देशों में होने लगी है। इसकी अर्थव्यवस्था विश्व की कुछ सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से है, जिसकी औसत वृद्धि दर 9% की है और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के 2010 के अनुमान के अनुसार इसका सकल घरेलू उत्पाद (क्रय शक्ति समता) प्रति व्यक्ति लगभग 14,800 अमेरिकी डॉलर के बराबर है। बड़े स्तर पर व्याप्त गरीबी, असमानता और निम्न मानव विकास सूचकांक के बावजूद बोत्सवाना ने, सुशासन और व्यापक आर्थिक वित्तीय प्रबंधन द्वारा समर्थित विकास के स्तरों पर प्रभावशाली रूप से तरक्की की है। सकल घरेलू उत्पाद का 10 प्रतिशत शिक्षा पर व्यय किए जाने से इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण शैक्षिक उपलब्धियों हासिल हुई हैं और देश में लगभग लगभग सभी के लिए मुफ्त शिक्षा का प्रावधान किया गया है, हालाँकि इस सबके बावजूद देश में पर्याप्त कौशल और कार्यबल का अभाव है। बेरोजगारी की दर भी लगातार 20 प्रतिशत के साथ उच्च स्तर पर बनी हुई है। शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू आय काफी कम है, हालाँकि ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी की दर में गिरावट आई है, लेकिन अभी भी वो शहरी क्षेत्रों की तुलना में काफी अधिक है। सरकार की ओर से एचआईवी /एड्स की दवाओं की नि:शुल्क उपलब्धता के चलते एचआईवी/एड्स संक्रमण की दर में अभूतपूर्व कमी दर्ज की गयी है। हीरे और मांस बाजार पर बुरी तरह निर्भर देश की अर्थव्यवस्था में, विविधता लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। .

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खोई भाषाएँ

खोई भाषाएँ (Khoe languages) अफ़्रीका के दक्षिणी हिस्से में बोली जाने वाली भाषाओं का वह सबसे बड़ा परिवार है जो बांटू भाषा-परिवार का सदस्य नहीं है। यह पहले खोईसान भाषाओं की एक शाखा मानी जाती थी और 'मध्य खोईसान' के नाम से जानी जाती थी, लेकिन आधुनिक काल में यह एक अलग परिवार समझा जाता है। खोई भाषाओं में से सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा नामा भाषा है जो नामीबिया में बोली जाती है। अन्य खोई भाषाएँ बोत्स्वाना में कालाहारी रेगिस्तान में बोली जाती हैं। खोई भाषाएँ अपने क्लिक व्यंजनो के लिये जानी जाती हैं।, Alan Barnard, pp.

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खोईखोई भाषा

खोईखोई भाषा (Khoekhoe), जिसे नामा भाषा (Nama) और खोईखोईगोवाब (Khoekhoegowab) भी कहते हैं, अफ़्रीका के दक्षिणी हिस्से में बोली जाने वाली एक भाषा है। यह क्लिक व्यंजन वाली भाषाओं में से सब से वस्तृत है और इसे नामा, दमारा और हाइǁओम समुदाय के लोग बोलते हैं (ध्यान दें कि 'हाइǁओम' में ǁ का चिह्न एक क्लिक ध्वनि दर्शाता है)। यह भाषा कुछ दबाव में है क्योंकि नई पीढ़ी के बहुत से नामा लोग इसकी बजाय आफ़्रीकान्स भाषा बोलने लगे हैं।, pp.

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खोईखोई लोग

खोईखोई (Khoekhoe), जिन्हें सिर्फ़ खोई (Khoi) भी कहा जाता है, अफ़्रीका के दक्षिणी भाग में बसने वाले खोईसान लोगों की एक शाखा है। यह समुदाय बुशमैन समुदाय से क़रीबी सम्बन्ध रखता है और ५वी सदी से दक्षिणी अफ़्रीका में बसा हुआ है। यहा वे मवेशी पालन और अस्थाई कृषि में लगे हुए हैं। वे खोईखोई भाषाएँ बोलते हैं। इन भाषाओं में मौजूद क्लिक व्यंजनों की नकल में यूरोपी लोग खोईखोई लोगों को हॉटेनटॉट (Hottentot) कहते थे लेकिन अब यह एक अपमानजनक नाम माना जाता है इसलिये इसका प्रयोग कम हो गया है। .

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अफ़्रीकान्स भाषा

अफ़्रीकांस भाषा स्मारक अफ़्रीकांस भाषा एक दक्षिणी फ़्रांकोनीयाई भाषा है जो दक्षिण अफ़्रीका में बोली जाती है। .

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