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नवाचार

सूची नवाचार

नवाचार अर्थशास्त्र, व्यापार, तकनीकी एवं समाज शास्त्र में बहुत महत्व का विषय है। नवाचार (नव+आचार) का अर्थ किसी उत्पाद, प्रक्रिया या सेवा में थोडा या बहुत बडा परिवर्तन लाने से है। नवाचार के अन्तर्गत कुछ नया और उपयोगी तरीका अपनाया जाता है, जैसे- नयी विधि, नयी तकनीक, नयी कार्य-पद्धति, नयी सेवा, नया उत्पाद आदि। नवाचार को अर्थतंत्र का सारथी माना जाता है। किसी संस्था के संदर्भ में नवाचार के द्वारा दक्षता, उत्पादकता, गुणवता, बाजार में पकड आदि के सुधार सम्मिलित हैं। अस्पताल, विश्वविद्यालय, ग्राम-पंचायतें आदि सभी संस्थायें नवाचारी हो सकती हैं। जो संस्थायें नवाचार नहीं कर पातीं वे नाश को प्राप्त होती हैं। उनका स्थान नवाचार में सफल हुई संस्थायें ले लेतीं हैं। नवाचार में सबसे महत्वपूर्ण चुनौती प्रक्रिया-नवाचार तथा उत्पाद-नवाचार में सामंजस्य बैठाना होता है। .

3 संबंधों: राष्ट्रीय नवप्रवर्तन संस्थान, जुगाड़, अर्थशास्त्र

राष्ट्रीय नवप्रवर्तन संस्थान

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार का स्वायत्तशासी संस्थान राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान- भारत, भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का स्वायत्तशासी संस्थान है। इसका मुख्यालय भारत के गुजरात राज्य के गांधीनगर शहर में स्थित है। हनी बी नेटवर्क के दर्शन पर आधारित व संस्थापित राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान-भारत (रानप्र) ने मार्च, 2000 में तृणमूल प्रौद्योगिकीय नवप्रवर्तनों एवं विशिष्ठ पारंपरिक ज्ञान को सशक्त करने की राष्ट्रीय पहल के रूप में कार्य करना आरंभ किया। इसका ध्येय तृणमूल प्रौद्योगिकीय नवप्रवर्तकों के लिए नीतियों के विस्तार और सांस्थानिक फैलाव के जरिए एक सृजनात्मक एवं ज्ञान आधारित समाज बनाने का है। रानप्र तृणमूल नवप्रवर्तकों एवं विशिष्ठ पारम्परिक ज्ञानधारकों को पहचान दिलाने के साथ उन्हें सम्मानित और पुरस्कृत करता है। दस्तावेजीकरण, मूल्य परिवर्धन, बौद्धिक संपदा प्रबंधन के साथ नवप्रवर्तनों के व्यवसायिक व गैरव्यवसायिक प्रसार के जरिए रानप्र भारत को नवप्रवर्तनशील राष्ट्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।   परिकल्पना या दृष्टि  भारत को नवप्रवर्तनशील राष्ट्र बनाने के साथ इसके विशिष्ठ पारम्परिक ज्ञान के आधार को आगे बढ़ाना।   ध्येय रानप्र का ध्येय नवप्रवर्तनशील एवं सृजनशील समाज के जरिए भारत को वहनीय प्रौद्योगिकियों में विश्व में अग्रणी देश के रूप में स्थापित करने का है, जिससे बिना किसी सामाजिक और आर्थिक बाधाओं के नए तृणमूल नवप्रवर्तनों का क्रम विकास और प्रसार होता रहे। विषय सूची 1   नवप्रवर्तकों को मिल रही पहचान 1.1.    राष्ट्रीय द्विवार्षिक प्रतियोगिता 1.2.    डॉ.

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जुगाड़

'जुगाड़': एक सवारी गाड़ी जिसे सिंचाई के लिये प्रयुक्त पम्प-सेट के इंजन का उपयोग करके बनाया गया है। जुगाड़ भारत में उन वस्तुओं या औजारों को कहते हैं जो आसानी से आसपास उपलब्ध सामानों का उपयोग करके बनायी जाती हैं। आम लोगों को ज्ञात सरल विधियों के उपयोग से काम बना लेना भी 'जुगाड़' कहलाता है। अर्थात मानक विधि से हटकर अलग विधि (किन्तु सरल और सस्ती विधि) से कोई काम किया जाय या कोई सामान बनाया जाय तो उस विधि या सामान को 'जुगाड़' कहते हैं। जब 'मानक संसाधनों' का अभाव हो या वे बहुत महगें हों तो 'कामचलाऊ ढंग' से कुछ करके काम निकाल लेने को भी जुगाड़ कहते हैं। भारत के कई भागों में मोटरसायकिल या पम्पिंग सेट इंजन के प्रयोग से बनी सस्ती गाड़ी 'जुगाड़' के नाम से जानी जाती है। इसमें डीजल इंजन का प्रयोग कर एक कामचलाऊ गाड़ी बनाई जाती है, जो गाँव-कस्बों में माल ढोने, सवारियों के आवागमन इत्यादि में प्रयोग की जाती है। 'जुगाड़' शब्द का प्रयोग हिन्दी के अलावा अन्य भारतीय भाषाओं में भी होता है। भारतीय मूल के विदेशों में बसे लोग भी इस शब्द का खूब प्रयोग करते हैं। चित्र:Jugad 02.jpg चित्र:Jugad 03.jpg .

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अर्थशास्त्र

---- विश्व के विभिन्न देशों की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर (सन २०१४) अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण, विनिमय और उपभोग का अध्ययन किया जाता है। 'अर्थशास्त्र' शब्द संस्कृत शब्दों अर्थ (धन) और शास्त्र की संधि से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ है - 'धन का अध्ययन'। किसी विषय के संबंध में मनुष्यों के कार्यो के क्रमबद्ध ज्ञान को उस विषय का शास्त्र कहते हैं, इसलिए अर्थशास्त्र में मनुष्यों के अर्थसंबंधी कायों का क्रमबद्ध ज्ञान होना आवश्यक है। अर्थशास्त्र का प्रयोग यह समझने के लिये भी किया जाता है कि अर्थव्यवस्था किस तरह से कार्य करती है और समाज में विभिन्न वर्गों का आर्थिक सम्बन्ध कैसा है। अर्थशास्त्रीय विवेचना का प्रयोग समाज से सम्बन्धित विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे:- अपराध, शिक्षा, परिवार, स्वास्थ्य, कानून, राजनीति, धर्म, सामाजिक संस्थान और युद्ध इत्यदि। प्रो.

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