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पाकदर्पण

सूची पाकदर्पण

पाकदर्पण भोजन बनाने की कला (पाककला) से सम्बन्धित एक प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ है। इसके रचयिता राजा नल माने जाते हैं। इसलिए इसे 'नलपाक' भी कहते हैं। इसमें ११ अध्याय एवं ७६० श्लोक हैं जिनमें राजाओं के रसोईघरों में प्रयुक्त पाकशास्त्र का वर्णन है। .

3 संबंधों: नल-दमयन्ती, पाकशास्त्र, संस्कृत भाषा

नल-दमयन्ती

'''नल-दमयन्ती''': राजा रवि वर्मा की कृति नल और दमयन्ती की कथा भारत के महाकाव्य, महाभारत में आती है। युधिष्ठिर को जुए में अपना सब-कुछ गँवा कर अपने भाइयों के साथ वनवास करना पड़ा। वहीं एक ऋषि ने उन्हें नल और दमयन्ती की कथा सुनायी। नल निषध देश के राजा थे। वे वीरसेन के पुत्र थे। नल बड़े वीर थे और सुन्दर भी। शस्त्र-विद्या तथा अश्व-संचालन में वे निपुण थे। दमयन्ती विदर्भ (पूर्वी महाराष्ट्र) नरेश की मात्र पुत्री थी। वह भी बहुत सुन्दर और गुणवान थी। नल उसके सौंदर्य की प्रशंसा सुनकर उससे प्रेम करने लगा। उनके प्रेम का सन्देश दमयन्ती के पास बड़ी कुशलता से पहुंचाया एक हंस ने। और दमयन्ती भी अपने उस अनजान प्रेमी की विरह में जलने लगी। इस कथा में प्रेम और पीड़ा का ऐसा प्रभावशाली पुट है कि भारत के ही नहीं देश-विदेश के लेखक व कवि भी इससे आकर्षित हुए बिना न रह सके। बोप लैटिन में तथा डीन मिलमैन ने अंग्रेजी कविता में अनुवाद करके पश्चिम को भी इस कथा से भली भांति परिचित कराया है। विदर्भ देश में भीष्मक नाम के एक राजा राज्य करते थे। उनकी पुत्री का नाम दमयन्ती थी। दमयन्ती लक्ष्मी के समान रूपवती थी। उन्हीं दिनों निषध देश में वीरसेन के पुत्र नल राज्य करते थे। वे बड़े ही गुणवान्, सत्यवादी तथा ब्राह्मण भक्त थे। निषध देश से जो लोग विदर्भ देश में आते थे, वे महाराज नल के गुणों की प्रशंसा करते थे। यह प्रशंसा दमयन्ती के कानों तक भी पहुँची थी। इसी तरह विदर्भ देश से आने वाले लोग राजकुमारी के रूप और गुणों की चर्चा महाराज नल के समक्षकरते। इसका परिणाम यह हुआ कि नल और दमयन्ती एक-दूसरे के प्रति आकृष्ण होते गये। .

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पाकशास्त्र

खाना बनाते दो रसोइये कच्चे भोज्य पदार्थों को खाने योग्य बनाने की कला को पाकक्रिया (cooking) कहते हैं। बहुत सी वस्तुएँ कच्ची खाई जा सकती हैं और वे इसी रूप में खाने पर विशेष लाभप्रद भी होती हैं, परंतु बहुत सी वस्तुएँ ऐसी हैं जो कच्ची नहीं खाई जा सकती। कुस्वाद एवं हानिकारक होना दोनों ही इसके कारण हैं। कच्चा आलू, जमीकंद, केला आदि, कुस्वाद होते हैं। समस्त अनाज कच्चा खाने पर हानि पहुँचाते हैं। श्वेतसार से युक्त वस्तुएँ पकाकर खाने पर ही लाभप्रद होती हैं। उनका श्वेतसार पककर ही सुपाच्य होता है। ऐसे कच्चे भोज्य पदार्थ दो प्रकार से खाने योग्य बनाए जा सकते हैं, एक तो पकाकर, दूसरे सुरक्षित करके। .

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

नलपाक

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