सामग्री की तालिका
19 संबंधों: चंद्रलेखा (नर्तकी), तनुश्री शंकर, नृत्य, पाली चंद्रा, पोनी वर्मा, बृन्दा (कोरियोग्राफर), ममता शंकर, मल्लिका साराभाई, माइकल जैक्सन, राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार - सर्वश्रेष्ठ नृत्य संयोजन, राघव जुयाल, लच्छू महाराज, शंभु महाराज, श्रुति मर्चेंट, स्नेहा कपूर, गौरी जोग, गीता कपूर, क्षत्रियम ओन्गबी थोरैनीसबी देवी, अच्छन महाराज।
चंद्रलेखा (नर्तकी)
चंद्रलेखा भारत की एक नर्तक और कोरियोग्राफर थी जिनका पूरा नाम चंद्रलेखा प्रभुदास पटेल था, जिनका जन्म ६ दिसंबर १९२८ को हुआ था और मृत्यु ३० दिसंबर २००६ को। वह भरतनाट्यम को मार्शल आर्ट्स जैसे कलारिपैयट्टू की फ्यूज़िंग की एक बेहतरीन प्रतिपादक थी। वह एक अज्ञेयवादी डॉक्टर पिता और महाराष्ट्र के वाडा में एक धर्माभिमानी हिंदू माता के घर पैदा हुई थी। उन्होंने अपने बचपन को गुजरात और महाराष्ट्र में बिताया। २००४ में संगीत नाटक अकादमी, संगीत नाटक अकादमी के लिए भारत की नेशनल एकेडमी, नृत्य और ड्रामा का सर्वोच्च पुरस्कार उन्हें प्रदान किया गया था। हाई स्कूल पूरा करने के बाद, चंद्रलेखा ने कानून का अध्ययन किया, परन्तु इसके बजाय नृत्य सीखने के लिए अपनी पढ़ाई छोड़ दी। उन्होंने दसी अट्टम जो की दक्षिणी भारत के मंदिर नर्तकियों द्वारा किया जाता है, उसका अधयन्न किया। वह अपनी नृत्य शिक्षा में बालासरस्वती और रूक्मिणी देवी अरुंडेल से भी प्रभावित थीं। परन्तु उनकी कोरियोग्राफी से पता चलता है कि वह अपने पूर्व अभ्यास से ज्यादा प्रभावित थी। चंद्रलेखा शिरिरा नामक नृत्य प्रारुप में अपने कुख्यात योगदान के लिए जानी जाती है। उन्होंने कई अन्य पुरुस्कार भी प्राप्त किए हैं.
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तनुश्री शंकर
तनुश्री शंकर भारत में समकालीन नृत्य के प्रमुख नर्तक और कोरियोग्राफरों में से एक है, जिनका जन्म १६ मार्च १९५६ को कोलकत्ता में हुआ था। उन्होंने १९७० और १९८० के दशक में प्रदर्शन कला के लिए आनंद शंकर केंद्र के प्रमुख नर्तक के रूप में अपनी ख्याति अर्जित की थी। और उन्होंने विभिन्न फिल्मों में अभिनय किया है, जैसे: द नेमसेक। उनका विवाह नर्तकियों पंडित उदय शंकर और अमला शंकर के पुत्र दिवंगत आनंद शंकर जो की विश्व प्रसिद्ध संगीतकार थे उनसे हुई थी। तनुश्री शंकर अब एक डांस कंपनी की अगुवाई करती हैं, जो भारत में समकालीन नृत्य रूपों का एक प्रतिपादक है। उन्होंने अपने आधुनिक भावों के साथ पारंपरिक भारतीय नृत्यों का मेल करके एक आधुनिक नृत्य को विकसित किया हैं। वह भारत के लोक और क्षेत्रीय नृत्य रूपों के रूप में अपनी वंशावली से प्रेरित हो रही है। उन्हें "थांग-टा" (मणिपुरी तलवार नृत्य) जैसी समृद्ध स्थानीय भारतीय परंपराओं से बड़े पैमाने पर आकर्षित किया है। वह दुनिया भर में बड़े पैमाने पर अपने दल के साथ यात्रा करती है। उनकी आखिरी उल्लेखनीय प्रस्तुतियों में उत्तरन (आत्मा का उत्थान) और चिरंतन (अनन्त) शामिल हैं जो रबींद्रनाथ टैगोर के संगीत पर आधारित हैं। .
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नृत्य
भारतीय नृत्यनृत्य भी मानवीय अभिव्यक्तियों का एक रसमय प्रदर्शन है। यह एक सार्वभौम कला है, जिसका जन्म मानव जीवन के साथ हुआ है। बालक जन्म लेते ही रोकर अपने हाथ पैर मार कर अपनी भावाभिव्यक्ति करता है कि वह भूखा है- इन्हीं आंगिक -क्रियाओं से नृत्य की उत्पत्ति हुई है। यह कला देवी-देवताओं- दैत्य दानवों- मनुष्यों एवं पशु-पक्षियों को अति प्रिय है। भारतीय पुराणों में यह दुष्ट नाशक एवं ईश्वर प्राप्ति का साधन मानी गई है। अमृत मंथन के पश्चात जब दुष्ट राक्षसों को अमरत्व प्राप्त होने का संकट उत्पन्न हुआ तब भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर अपने लास्य नृत्य के द्वारा ही तीनों लोकों को राक्षसों से मुक्ति दिलाई थी। इसी प्रकार भगवान शंकर ने जब कुटिल बुद्धि दैत्य भस्मासुर की तपस्या से प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि वह जिसके ऊपर हाथ रखेगा वह भस्म हो जाए- तब उस दुष्ट राक्षस ने स्वयं भगवान को ही भस्म करने के लिये कटिबद्ध हो उनका पीछा किया- एक बार फिर तीनों लोक संकट में पड़ गये थे तब फिर भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर अपने मोहक सौंदर्यपूर्ण नृत्य से उसे अपनी ओर आकृष्ट कर उसका वध किया। भारतीय संस्कृति एवं धर्म की आरंभ से ही मुख्यत- नृत्यकला से जुड़े रहे हैं। देवेन्द्र इन्द्र का अच्छा नर्तक होना- तथा स्वर्ग में अप्सराओं के अनवरत नृत्य की धारणा से हम भारतीयों के प्राचीन काल से नृत्य से जुड़ाव की ओर ही संकेत करता है। विश्वामित्र-मेनका का भी उदाहरण ऐसा ही है। स्पष्ट ही है कि हम आरंभ से ही नृत्यकला को धर्म से जोड़ते आए हैं। पत्थर के समान कठोर व दृढ़ प्रतिज्ञ मानव हृदय को भी मोम सदृश पिघलाने की शक्ति इस कला में है। यही इसका मनोवैज्ञानिक पक्ष है। जिसके कारण यह मनोरंजक तो है ही- धर्म- अर्थ- काम- मोक्ष का साधन भी है। स्व परमानंद प्राप्ति का साधन भी है। अगर ऐसा नहीं होता तो यह कला-धारा पुराणों- श्रुतियों से होती हुई आज तक अपने शास्त्रीय स्वरूप में धरोहर के रूप में हम तक प्रवाहित न होती। इस कला को हिन्दु देवी-देवताओं का प्रिय माना गया है। भगवान शंकर तो नटराज कहलाए- उनका पंचकृत्य से संबंधित नृत्य सृष्टि की उत्पत्ति- स्थिति एवं संहार का प्रतीक भी है। भगवान विष्णु के अवतारों में सर्वश्रेष्ठ एवं परिपूर्ण कृष्ण नृत्यावतार ही हैं। इसी कारण वे 'नटवर' कृष्ण कहलाये। भारतीय संस्कृति एवं धर्म के इतिहास में कई ऐसे प्रमाण मिलते हैं कि जिससे सफल कलाओं में नृत्यकला की श्रेष्ठता सर्वमान्य प्रतीत होती है। .
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पाली चंद्रा
पाली चंद्रा एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित कथक नृतकी, कोरियोग्राफर, शिक्षाविद्, सामाजिक कार्यकर्ता और दुबई के गुरुकुल की कलात्मक निदेशक हैं। जिनका जन्म १९ नवंबर, १९६७ को लखनऊ में हुआ था। उन्होंने अपनी माँ मां की इच्छा के बाद छह साल की उम्र में नृत्य करना शुरू कर दिया। उनकी माँ खुद एक नृतकी बनना चाहती थी परन्तु उस समय इजाजत न मिलने के कारण वह शास्त्रीय गायक बन गई। पाली ने शास्त्रीय कथक गुरु विक्रम सिंह, पंडित राम मोहन महाराज, और लखनऊ घराने की श्रीमती कपिला राज द्वारा सिखा था। और ८ वर्ष की आयु में ही उन्होंने गुरु विक्रम सिंग के प्रशिक्षण के बाद संगीत नाटक अकादमी, कथक केंद्र लखनऊ में अपनी क्षमता दिखाई। शास्त्रीय और समकालीन कथक की एक प्रदर्शनकारी कलाकार के रूप में, उन्हें उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए मान्यता प्राप्त थी और वह लाछु महाराज पुरस्कार से सम्मानित भी थी। यह पुरुस्कार उन कलाकारों को मिलता है जिन्हें अभिनय कला अभिव्यक्ति की कला और कौशल हासिल होती है। वह इंपीरियल सोसाइटी ऑफ डांसिंग की एक कमेटी सदस्य और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद की सदस्य हैं। पाली ने १९८७ में अवध गर्ल्स डीग्री कॉलेज, लखनऊ से अर्थशास्त्र और नृविज्ञान में प्रथम श्रेणी की सम्मानित डिग्री से स्नातक किया। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से नृविज्ञान में मास्टर्स की डिग्री भी प्राप्त की और उन्हें ट्राईबल म्यूजिक एंड डांस ऑफ़ द गद्दी जनजाति पर उनके शोध के लिए स्वर्ण पदक से सम्मानित भी किया गया। .
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पोनी वर्मा
पोनी वर्मा एक कुशल बॉलीवुड कोरियोग्राफर है, जिन्होंने वर्ष २००० में अपना कैरियर शुरू किया था। उन्होंने कलर्स चैनल के लिए एक डांस रियलिटी शो, चक धूम धूम किया है। और बहुत सी हिंदी फिल्मों में डांस भी कोरियोग्राफ किया है। उन्होंने २४ अगस्त २०१० को अभिनेता प्रकाश राज के साथ विवाह किया। और उनकी कुछ फिल्मे जिनमे उन्होंने डांस कोरियोग्राफ किया है: .
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बृन्दा (कोरियोग्राफर)
बृन्दा मास्टर दक्षिण भारत की एक प्रसिद्ध नृत्य कोरियोग्राफर हैं जिन्होंने मोहनलाल, कमल हासन, रजनीकांत, ऐश्वर्याराय बच्चन और सुरिया जैसे दिग्गजों के नृत्य को निर्देश किया है। उन्होंने बहुत सी हिंदी फिल्मों में सहायक कोरियोग्राफर के रूप में काम किया और कुछ फिल्मों के नृत्य को अकेले ही निर्देश किया। उनके द्वारा कोरियोग्राफ की गई कुछ फिल्में निम्न है-.
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ममता शंकर
ममता शंकर एक भारतीय अभिनेत्री है। वह बंगाली सिनेमा में उनके काम के लिए जाने जाते हैं। उनका जन्म ७ जनवरी १९५५ में नर्तकियों उदय शंकर और अमला शंकर के घर हुआ था। वह पंडित रवि शंकर जी की भतीजी थीं। और उनका भाई आनंद शंकर एक इंडो-वेस्टर्न फ्यूजन संगीतकार था। उन्होंने सत्यजीत रे, मृणाल सेन, ऋतुपर्णा घोष, बुद्धदेव दासगुप्ता और गौतम घोष जैसे निर्देशकों की फिल्मों में अभिनय किया है। एक अभिनेत्री होने के अलावा, वह एक नृत्यांगना और कोरियोग्राफर है। .
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मल्लिका साराभाई
मल्लिका साराभाई मल्लिका साराभाई (1954 -) एक मशहूर कूचिपूडि, भरतनाट्यम् नर्तकी, मन्च अभिनेत्री, निदेशक और एक सामाजिक कार्यकर्ता है। मल्लिका, नर्तकी मृणालिनी साराभाई और प्रमुख अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई की बेटी है। समानांतर सिनेमा से अपने फिल्मी जीवन की शुरुआत की। मल्लिका ने पीटर ब्रुक के नाटक महाभारत में द्रोपदी की भूमिका निभाई। इस नाटक पर बाद मै फिल्म भी बनी। मल्लिका, दर्पणा अकादमी ऑफ आर्टस् (अहमदाबाद) की निदेशक भी है। मल्लिका साराभाई ने भारत और विदेश के प्रमुख महोत्सवो मै भाग लिया है। मल्लिका साराभाई ने हर्ष मन्दर की किताब पर आधारित अनसुनी नाटक की पटकथा भी लिखी है। अनसुनी का हिन्दी अनुवाद रंगमंच निदेशक अरविन्द गौड़ ने किया। श्रेणी:नृत्य श्रेणी:अभिनेत्री श्रेणी:1954 में जन्मे लोग.
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माइकल जैक्सन
माइकल जोसेफ जैक्सन (२९ अगस्त, १९५८ - २५ जून, २००९), लोकप्रिय अमरीकी पॉप गायक थे, जिन्हें किंग ऑफ पॉप भी कहा जाता है। माइकल, जैक्सन दंपति की सातवीं संतान थे, जिन्होंने मात्र ग्यारह वर्ष की आयु में ही व्यवसायिक रूप से गायकी आरंभ कर दी थी। उस समय वे जैक्सन-५ समूह के सदस्य हुआ करते थे। १९७१ में उन्होंने अपना व्यक्तिगत कैरियर प्रारंभ किया, हालाँकि उस समय भी वे ग्रुप के सदस्य थे। जैक्सन ने गायकी की दुनिया में शीघ्र ही सिक्का जमा लिया और किंग ऑफ पॉप के नाम से प्रसिद्ध हो गए। उनके सबसे अधिक बिक्री वाले अल्बमों में, ऑफ द वाल (१९७९), बैड (१९८७), डैंजरस (१९९१) और हिस्ट्री (१९९५) प्रमुख हैं। हालाँकि १९८२ में जारी थ्रिलर उनका अब तक के सबसे अधिक बिकने वाला एल्बम माना जाता है। १९८० के प्रारंभिक वर्षों में ही जैक्सन अमेरिकी पॉप गायकी और मनोरंजन की दुनिया के सबसे लोकप्रिय सितारे बनकर उभरे थे। एमटीवी पर उनके वीडियो ने बहुत धूम मचाई। थ्रिलर ने तो वीडियो संगीत की अवधारणा ही बदल दी थी। नब्बे के दशक में ब्लैक ऑर ह्वाइट और स्क्रीम ने उन्हें अच्छी प्रसिद्धि दिलाई। मंच प्रदर्शनों के द्वारा उनकी नृत्य शैली प्रसिद्ध हो गई। वे एक चमकते सितारे बन गए। माइकल जैक्सन कई बार गिनीज बुक में स्थान प्राप्त कर चुके हैं। अब तक के सबसे सफल मनोरंजनकर्ता के १३ ग्रैमी अवार्ड जीतने वाले जैक्सन अकेले कलाकार है। २५ जून २००९ को दिल का दौरा पड़ने के कारण जैक्सन का निधन हो गया। .
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राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार - सर्वश्रेष्ठ नृत्य संयोजन
राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार - सर्वश्रेष्ठ नृत्य संयोजन ये राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार कि एक श्रेणी हैं। इस श्रेणी के विजेता को फ़िल्म में नृत्यरचना के कार्य के लिये रजत कमल प्रदान किया जाता हैं। यह पुरस्कार १९९१ में ३९वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों पर स्थापित किया गया था लेकिन ४०वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों पर पहली बार प्रदान किया गया था। .
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राघव जुयाल
राघव जुयाल (जन्म 10 जुलाई 1991) एक भारतीय फ़िल्म अभिनेता,नृतक तथा कोरियोग्राफर है। इन्होंने कई वास्तविक कार्यक्रमों में अभिनय किया है इनके अलावा ये एबीसीडी 2 नामक 2015 की हिंदी फ़िल्म में भी नज़र आये। डांस इण्डिया डांस लिटल मास्टर 2 में अपनी टीम "राघव के रॉकस्टार" के कप्तान भी थे इनके अलावा डांस के सुपरकिड्स में भी अपने नृत्य का जलवा दिखा चूके है। इनकी कप्तानी में डांस के सुपरकिड्स में विजेता भी बने थे। राघव जुयाल डांस इण्डिया डांस के तीसरे सीजन के फाइनलिस्ट बने थे। ये धीमी गति से काफी अच्छा नृत्य करते है। .
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लच्छू महाराज
लच्छू महाराज (१९०१-१९७८) लखनऊ से महान कथक नर्तक थे। श्रेणी:लखनऊ श्रेणी:कथक श्रेणी:नर्तक श्रेणी:1901 में जन्मे लोग.
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शंभु महाराज
शंभु महाराज (१९१०– ४ नवंबर, १९७०) लखनऊ घराने के महान कथक नर्तक थे। इनका जन्म लखनऊ में ही हुआ था। इनका मूल नाम शंभूनाथ मिश्र था। श्रेणी:लखनऊ श्रेणी:कथक श्रेणी:नर्तक श्रेणी:1910 में जन्मे लोग.
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श्रुति मर्चेंट
श्रुति मर्चेंट एक भारतीय कोरियोग्राफर है जो वैभववी मर्चेंट की छोटी बहन हैं। वह भारतीय शास्त्रीय नृत्य, कथक और भरतनाट्यम में प्रशिक्षित है। उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत अपनी बहन वैभिवी मर्चेंट की बहुत सी हिंदी फिल्मों के नृत्य को कोरियोग्राफ करके की थी। उन्होंने जब तक है जान, धूम ३, आइया, कुर्बान, दिल बोले हदीपिया, दिल्ली ६, लकी के अवसर, रब ने बाना दी जोड़ी, दोस्तीना, थोडा प्यार थोडा जादू, भूनानाथ, ताशान, आजा नच ले, झूम बारबार झूम, तारा रम पम, धूम 2, उमराव जाह्न, क्रिश, बंटी अबरबली, दिल मांगे मोरे, स्वदेस, वीर-ज़ारा, धूम, फिदा, लक्ष्मण, मुस्काण, बागबान, कुच ना कहो, कल हो ना हो, देवदास इत्यादि फिल्मों में डांस कोरियोग्राफ किया है। श्रुति ने फिल्म आजा नाच ले में चरमपंथ ट्रैक 'कोई पत्थर से ना मरे' के लिए कदम निर्देशित किए हैं, जिसे कई पुरस्कार भी मिले हैं। उन्होंने कोरियोग्राफर के रूप में अपनी शुरुआत "लेडीज़ व/स रिकी बहल" के "ठग ले" से की थी जिसे सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी के लिए बिग एंटरटेनमेंट अवार्ड भी प्राप्त हुआ था। २०१३ में उन्होंने जी टीवी के डांस रियलिटी शो "डांस इंडिया डांस-सीजन 4" पर एक न्यायाधीश के रूप में अपना टीवी कैरियर प्रारम्भ किया। पांच साल तक अमरीका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, स्विटजरलैंड, ब्रिटेन, जर्मनी, इटली, फ्रांस, स्पेन, नीदरलैंड, रोमानिया, दक्षिण अफ्रीका, चीन, सिंगापुर, थाईलैंड जैसे देशों का दौरा करते हुए उन्होंने अपनी बड़ी बहन वैभववी मर्चेंट और अपने दादा के जीवन पर आधारित एक शो किया नाटकीय संगीत दल "द मर्चेंट्स बोलीवुड की" सहायक कोरियोग्राफर के रूप में। जनवरी २०११ में उन्होंने खुद की मनोरंजन कंपनी "क्वीनसेन्सनेस एंटरटेनमेंट प्रोडक्शन" की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य भारतीय मनोरंजन बाज़ार में व्यावसायिक थिएटर लाने के लिए था। उन्होंने भारत के पहले अंतर्राष्ट्रीय नाट्य संगीत उत्पादन "ताज एक्स्प्रेस" का निर्माण और निर्देशन किया। उस शो का प्रीमियर १० जुलाई २०११ को जमशेद भाभा थियेटर (एनसीपीए) मुंबई में हुआ और जून २०१२ में एस्प्लेनेड थियेटर में सिंगापुर में उसका विश्व प्रीमियर हुआ। उसके बाद दिसंबर २०१२ में उन्होंने चीन का दौरा किया, जिसमें चीन के १० विभिन्न शहरों में २५ से अधिक शो पूरे किए गए। जून २०१३ में उन्होंने अपने दूसरे नाट्य संगीत "ताज एक्सप्रेस द बॉलीवुड बॉयज़ल" का निर्देशन किया, जिसका नाम "बॉलीवुड एक्सप्रेस" के तहत किया गया, जिसमें उन्होंने नवंबर-दिसंबर २०१३ में फ्रांस के ३६ शहरों में ४५ शो पूरे किए थे। .
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स्नेहा कपूर
स्नेहा कपूर एक भारतीय साल्सा नर्तक, कोरियोग्राफर और प्रशिक्षक हैं। जिनका जन्म १८ अप्रैल १९८६ में बैंगलोर, कर्नाटक में हुआ था। वह "भारतीय साल्सा राजकुमारी" के रूप में लोकप्रिय है। अब वह मुंबई में रहती है, उन्होंने बैंगलोर में एक नृत्य कंपनी के साथ अपने करियर को शुरू किया था। कैरियर की शुरुआत में उन्होंने साल्सा, बाचाता, मेरेंग्यू, जिव, हिप-हॉप, एडियजीओ और बॉलीवुड जैसे विभिन्न नृत्य के रूपों को गले लगाया गया था। .
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गौरी जोग
गौरी जोग एक कथक नर्तक, कोरियोग्राफर और शिकागो के अनुसंधान विद्वान हैं। गौरी जोग का जन्म १९७० में नागपुर में हुआ था। उन्होंने गुरु मदन पांडे से गहन, अनुशासित और सूक्ष्म प्रशिक्षण प्राप्त किया। उन्होंने जयपुर घर के ललिता हरदास से भी कथक नृत्य का अध्ययन किया, जिन्हें अभिनय की कला के लिए जाना जाता है। गौरी जोग ने नागपुर विश्वविद्यालय से बैचलर ऑफ साइंस और पोषण और शिक्षा में परास्नातक प्राप्त किया। उन्होंने भारत के प्रसिद्ध कथक गुरुओं द्वारा पंडित बिरजू महाराज सहित कई कार्यशालाओं में भाग लिया है। उन्होंने कथक के लखनऊ और जयपुर घर के संयोजन का अभ्यास भी किया हुआ हैं। उनकी कृतियों में कृष्ण लीला, शकुंतला, झांसी की रानी, कथक यात्रा, पूर्व में पश्चिम, अग्नि - द फैयर टेल शामिल हैं। वह कथक में तकनीकी तत्वों के माध्यम से जीवन की परंपरागत "कहानी कहने की कला" लाती है वह विशेष रूप से युवा पीढ़ी के बीच बहुत लोकप्रिय है क्योंकि वह परंपरागत सीमाओं को पार न करके भी बॉलीवुड और योग को कथक से जोड़कर एक अद्वितीय दृष्टिकोण प्रदान करती है। फ्लैमेन्को, भरतनाट्यम, ओडिसी, मैक्सिकन और अमेरिकन बैले के साथ कथक के संयोजन के साथ उनके प्रयोग ने कई पुरस्कार भी जीते हैं। १९९९ के बाद से गौरी जोग और उसके समूह ने उत्तरी अमेरिका और भारत में ३२५ से अधिक नृत्य कार्यक्रमों का प्रदर्शन किया है। .
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गीता कपूर
गीता कपूर हिंदी फिल्मों (बॉलीवुड) की एक भारतीय कोरियोग्राफर हैं, और भारतीय वास्तविकता नृत्य प्रतिभा शो डांस इंडिया डांस की एक न्यायाधीश भी हैं। गीता कपूर ने अपने कैरियर की शुरूआत १५ साल की उम्र में प्रसिद्ध बॉलीवुड कोरियोग्राफर फराह खान के साथ काम करके की थी। उन्होंने कई फिल्मों में फराह खान की सहायता की, जिसमें कुछ कुछ होता है, दिल तो पागल है, कभी खुशी कभी गम, मोहब्बतें, कल हो ना हो, मैं हूँ ना, और ओम शांति ओम जैसी बड़ी फिल्में शामिल थी। उसके बाद उन्होंने कई फ़िल्मों में जैसे फिजा (२०००), अशोका (२००१), साथिया (२००२), हे बेबी (२००७), थोडा प्यार थोडा मैजिक (२--८), अलादीन (२००९), तीस मार खान की शीला की जवानी में नृत्य संयोजक किया। २००८ में गीता कपूर ने ज़ी टीवी के रियलिटी शो डांस इंडिया डांस पर अन्य सह-न्यायाधीशों-नृत्यलेखकों टेरेंस लुईस और रेमो डिसूजा के साथ अपना टेलीविज़न पदार्पण किया। जिसमे मिथुन चक्रवर्ती भव्य गुरु थे। उस डांस शो में उन्होंने एक समूह को प्रशिक्षित किया जिसे गीता की गैंग कहा गया था। उसके बाद २००९ में वह डांस इण्डिया डांस के सीजन-२ में भी न्यायाधीश और मेंटोर के रूप में टेरेंस लुईस और रेमो डिसूजा के साथ दिखाई दी। उन्होंने उस शो में १८ प्रतियोगी को बैले, कलाबाजी, मध्य वायु नृत्य, समकालीन, बॉलीवुड और हिप-हॉप जैसे नृत्य के रूपों में प्रशिक्षित किया। उस शो के बाद उन्होंने डीआईडी लिल मास्टर्स, जिसमें उनके संरक्षक फराह खान और संदीप सोपकर न्यायाधीश थे उसे भी पदार्पण किया। उन्होंने कोरियोग्राफर मर्ज़ी पेस्टनजी और राजीव सुरती के साथ डीआईडी डबल्स के न्यायाधीश के रूप में भी कार्य किया। और उन्होंने टेरेंस लुईस, रेमो डिसूजा के साथ अत्यधिक प्रशंसित शो डांस इंडिया डांस के तीसरे सत्र का फैसला भी किया। २०१२ में, उन्होंने मर्ज़ी पेस्टनजी के साथ डीआईडी लिल मास्टर्स के दूसरे सीज़न को न्यायाधीश किया। उसके बाद गीता कपूर, फराह खान और मार्जी के साथ डांस के सुपरकिड्स के न्यायाधीश के रूप में देखि गई थी। .
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क्षत्रियम ओन्गबी थोरैनीसबी देवी
क्षत्रियम ओन्गबी थोरैनीसबी देवी एक भारतीय शास्त्रीय नर्तक और लेखक है, जो मणिपुरी के भारतीय शास्त्रीय नृत्य रूप में विशेषज्ञता है। उन्हें २००३ में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री, चौथे उच्चतम भारतीय नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनका ३ नवंबर १९४६ को भारत के मणिपुर में एक छोटे से गांव सिंगजैमी सपम लेईकाई में पैदा हुई। उन्होंने ६ वर्ष की आयु में मंच प्रदर्शन शुरू कर दिया था। उन्होंने भारत और कनाडा, पश्चिम जर्मनी, लंदन, दुबई और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे अन्य देशों में कई कला त्योहारों में प्रदर्शन किया है। देवी महाराजा ओकद्रजीत सिंह से रॉयल बागे के प्राप्तकर्ता हैं और मणिपुर सरकार से स्वर्ण पदक प्राप्त किया है। मणिपुर राज्य कला अकादमी ने १९७७ में उन्हें वार्षिक पुरस्कार से सम्मानित किया। १९८० में संगीत नाटक अकादमी ने एक पुरस्कार से सम्मानित किया। १९९१ में मणिपुर सरकार से उन्हें प्रमाण पत्र का सम्मान मिला। उन्हें २००३ में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री, चौथे उच्चतम भारतीय नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। .
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अच्छन महाराज
अच्छन महाराज लखनऊ से महान कथक नर्तक थे। श्रेणी:लखनऊ श्रेणी:कथक श्रेणी:नर्तक श्रेणी:चित्र जोड़ें.
देखें नर्तक और अच्छन महाराज
नर्तकी के रूप में भी जाना जाता है।