यह हिन्दी पुस्तकों के एक प्रमुख प्रकाशक हैं। इसकी स्थापना 1985 में इतिहासकार तेजपाल सिंह धामा ने की। इस संस्थान से इतिहास की कुछ प्राचीन एवं दुर्लभ पुस्तकों का प्रकाशन हुआ। महराजा कृष्णदेवराय की वंशचरितावली पुस्तक इस संस्थान से प्रकाशित सबसे दुर्लभ रचना है। इसके अलावा इस संस्थान से फरहाना ताज, गुरुदत्त, चंद्रकांता, सुनीता जैन आदि लेखकों की पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। यह संस्थान पुरानी एवं अप्रकाशित ऐतिहासिक महत्व की पांडुलिपियों को प्रकाशित करने के लिए चर्चित है। .
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