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दाहिया

सूची दाहिया

दाहिया एक क्षत्रिय राजपूत जाति है। दाहिया शब्द, दहिया मूल शब्द का तद्भव है, जो मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के क्षेत्रों में उपयोग होने लगा है। दाहिया राजपूतो का मूल उद्भव मारवाड़ माना जाता है । दहिया राजपूत राजस्थान के मूल राजपूत है जिनके प्रवर्जन से इनका विस्तार मध्यप्रदेश में हुआ। इनके मुख्य ठिकाने मध्यकालीन भारत के ग्वालियर और श्योपुर के आसपास था। जेजाकभुक्ति(वर्तमान बुंदेलखंड) के महाराजाखेत सिंह खंगार द्वारा स्थापित खंग्हार संघ में मध्यप्रदेश के दाहिया राजपूतो ने अपना सहयोग दिया था जिसका उल्लेख खंगार क्षत्रिय समाज की इतिहास सम्बंधित लेखों में स्पष्ट है। ब्रिटिश शासन के लेखक आर वी रसेल द्वारा लिखित पुस्तक ट्राइब्स एंड कास्ट्स ऑफ सेंट्रल प्रोविन्स में दाहिया को 36 राजकुलों में सम्मिलित किया गया है। चचा राणा के स्तंभ लेख में उत्कीर्ण लेखों से इनका उल्लेख ग्वालियर और श्योपुर ठिकाना मिलता है। वर्तमान में जबलपुर, कटनी शहडोल सतना पन्ना और छतरपुर जिले में इनका उल्लेख बहुतायत मिलता है। मूल राजपूतो के अतिरिक्त दाहिया उपनाम, कई जातियों जैसे दहायत,अर्कवंशी, सिकरवार आदि,द्वारा किया जा रहा है पर इनका सम्बन्ध मूल राजपूत दाहिया से नही है। दाहिया जाति के शासकों की मुहम्मद बिन तुगलक के हाथों खंग्हार संघ में पराजय के साथ इनका पतन हुआ और फिर मूल स्थान से इनका निवास बुंदेलखंड और बघेलखण्ड में विस्तृत हो गया है।.

2 संबंधों: दहिया, जेजाकभुक्ति

दहिया

दहिया एक भारतीय जाति और उपनाम है जो मुख्यतः राजपूत, जाट एवं गुर्जर जातियों के लिए प्रयुक्त होता है। श्रेणी:भारतीय उपनाम.

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जेजाकभुक्ति

जेजाकभुक्ति के राजा। जेजाकभुक्ति के राजा या जिझौती गुप्तकाल का एक प्रसिद्ध राज्य था जो यमुना और नर्मदा नदी नदियों के बीच में स्थित है। इसे अब बुंदेलखंड कहते हैं। इस पर चंदेल राजाओं का शासन था। यह अब आंशिक रूप से उत्तर प्रदेश में तथा आंशिक रूप से मध्यप्रदेश में पड़ता है। जिझौती वीर-प्रसविनी भूमि रही है। इसने चंदेलों और बनाफर सरदार आल्हा ऊदल को ही नहीं, स्वातंत्रय-प्रेमी छत्रसाल आदि को भी जन्म देकर भारत का मस्तक उन्नत किया है। खजुराहो की अनुपम ललितकला और स्थापत्य भी इसी की उपज हैं। .

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