हम Google Play स्टोर पर Unionpedia ऐप को पुनर्स्थापित करने के लिए काम कर रहे हैं
निवर्तमानआने वाली
🌟हमने बेहतर नेविगेशन के लिए अपने डिज़ाइन को सरल बनाया!
Instagram Facebook X LinkedIn

दादासाहेब फाल्के पुरस्कार

सूची दादासाहेब फाल्के पुरस्कार

दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, भारत सरकार की ओर से दिया जाने वाला एक वार्षिक पुरस्कार है, को कि किसी व्यक्ति विशेष को भारतीय सिनेमा में उसके आजीवन योगदान के लिए दिया जाता है। इस पुरस्कार का प्रारंम्भ दादा साहेब फाल्के के जन्म शताब्दी वर्ष 1969 से हुआ। यह पुरस्कार उस वर्ष के अंत में रास्ट्रीय पुरस्कार के साथ प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार में 10 लाख रुपया और सुवणॅ कमल दिया जाता है। .

सामग्री की तालिका

  1. 45 संबंधों: डी रामानायडू, तपन सिन्हा, दिलीप कुमार, दुर्गा खोटे, देव आनन्द, देविका रानी, नौशाद, पंकज मलिक, प्रदीप, प्राण, पृथ्वीराज कपूर, पी जयराज, फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार, बलदेव राज चोपड़ा, बी एन सरकार, भालजी पेंढारकर, भुपेन हजारिका, मन्ना डे, मनोज कुमार, मलयाली सिनेमा, मजरुह सुल्तानपुरी, मृणाल सेन, यश चोपड़ा, राज कपूर, लता मंगेशकर, शशि कपूर, श्याम बेनेगल, सत्यजित राय, सिंगनल्लूर पुट्टस्वामैया मुत्तुराज राजकुमार, सौमित्र चटर्जी, सोहराब मोदी, हिन्दी सिनेमा, विनोद खन्ना, विल्लुपुरम चिन्नैया गणेशन, वी शांताराम, वीके मूर्ति, गुलज़ार (गीतकार), आशा भोंसले, कन्नड़ फिल्मों की सूची, कसीनथुनी विश्वनाथ, के बालाचंदर, अदूर गोपालकृष्णन, अशोक कुमार (अभिनेता), अक्किनेनी नागेश्वर राव, ऋषिकेश मुखर्जी

  2. राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार

डी रामानायडू

डॉ डी रामानायुडू (6 जून 1936 - 18 फ़रवरी 2015) तेलुगू फिल्म अभिनेता, भारतीय संसद के एक अग्रणी निर्माता और पूर्व सदस्य। 6 जून, १९३६ में आंध्रप्रदेश के प्रकाशम जिले में पैदा हुआ था। एक विश्व रिकार्ड निर्माता बनाई गई हैं, जो एक ही व्यक्ति के एक सौ से अधिक चित्रों निर्मित नायडू ने विश्व रिकार्ड गिनीज बुक में एक स्थान अर्जित किया है। उनकी लोकप्रिय हिदी फिल्मों में प्रेमनगर, दिलदार, बंदिश, अनाड़ी, हम आपके दिल में रहते हैं और प्रेम कैदी है। नायडू के अभिनेता पुत्र विक्टरी वेंकटेश ने बताया कि वह पिछले कुछ महीनों से कैंसर से जूझ रहे थे और दोपहर करीब ढाई बजे उनका निधन हो गया। उन्होंने बताया कि गुरुवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। नायडू कुछ समय के लिए राजनीति में भी सक्रिय रहे। उन्होंने 1999 में तेलुगु देशम टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीता था।नायडू की फिल्म निर्माण कंपनी सुरेश प्रोडक्शन ने तेलुगु, तमिल और हिदी समेत 15 भाषाओं में करीब 150 फिल्मों का निर्माण किया। उनका जन्म 1936 में आंध्र के प्रकाशम जिले में हुआ था। 1963 में उनकी पहली फिल्म अनुरागम आई थी। उन्होंने 1964 में सुपरहिट रामुडू-भीमुडू बनाई। इसमें एनटी रामाराव ने अभिनय किया था। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और डी रामानायडू

तपन सिन्हा

तपन सिन्हा (তপন সিন্‌হা)(२ अक्टूबर १९२४ – १५ जनवरी २००९) बांग्ला चलचित्र एवं हिन्दी चलचित्र के प्रसिद्ध निर्देशक थे। इन्हें २००६ का दादा साहेब फाल्के पुरस्कार भी मिला था। तपन सिन्हा की फिल्में भारत के अलावा बर्लिन, वेनिस, लंदन, मास्को जैसे अंतरराष्ट्रीय ‍फिल्म समारोहों में भी सराही गई थीं। इन्होंने भौतिकी विषय में स्नातकोत्तर किया था। ये सबसे अधिक गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के कार्यो से प्रभावित थे। तपन सिन्हा ने बांग्ला फ़िल्म अभिनेत्री अरुंधती देवी से विवाह किया था। इनके पुत्र अनिन्द्य सिन्हा भारतीय वैज्ञानिक हैं। तपन जी अपने जीवन की संध्या में हृदय रोग से पीड़ित हो गये थे और अन्ततः १५ जनवरी, २००९ को परलोक सिधार गये। इनकी पत्नी की मृत्यु १९९० में ही हो चुकी थी। सगीना महतो और सफेद हाथी जैसी उल्लेखनीय फिल्में बनाने वाले सिन्हा विभिन्न श्रेणियों में अभी तक १९ राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किए जा चुके हैं। स्वतंत्रता की ६०वीं जयंती पर भारत सरकार ने उन्हें फिल्म जगत में अद्वितीय योगदान के लिए अवार्ड फॉर लाइफ टाइम अचीवमेंट से सम्मानित किय़ा था। तपन जी की पहली फिल्म उपहार थी जो १९५५ में रिलीज़ हुई थी। १९५६ मे रिलीज़ हुई फिल्म काबुलीवाला दूसरी फिल्म थी। इसके अलावा एक डॉक्टर की मौत, सगीना और आदमी और औरत इनकी बेहतरीन फिल्मों में गिनी जाती हैँ। इन्होंने बावर्ची जैसी कई फिल्मों की कहानी भी लिखी है। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और तपन सिन्हा

दिलीप कुमार

दिलीप कुमार (जन्म 11 दिसंबर, 1922; जन्म का नाम: यूसुफ़ ख़ान), हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध और लोकप्रिय अभिनेता है जो भारतीय संसद के उच्च सदन राज्य सभा के सदस्य रह चुके है। दिलीप कुमार को उनके दौर का बेहतरीन अभिनेता माना जाता है, त्रासद या दु:खद भूमिकाओं के लिए मशहूर होने के कारण उन्हे 'ट्रेजिडी किंग' भी कहा जाता था। उन्हें भारतीय फ़िल्मों के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, इसके अलावा दिलीप कुमार को पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ से भी सम्मानित किया गया है। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और दिलीप कुमार

दुर्गा खोटे

दुर्गा खोटे (निधन: 22 सितंबर, 1991) हिन्दी अपने जमाने मे हिन्दी व मराठी फ़िल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री रही हैं। उन्होंने अनेक हिट फिल्मों में शानदार अभिनय किया। आरम्भिक फिल्मों में नायिका की भूमिकाएँ करने के बाद जब वे चरित्र अभिनेत्री की भूमिकाओं में दर्शकों के सामने आईं, तबके उनके बेमिसाल अभिनय को आज तक लोग याद करते हैं। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और दुर्गा खोटे

देव आनन्द

देव आनन्द उर्फ़ धरमदेव पिशोरीमल आनंद (जन्म २६ सितंबर १९२३- मृत्यु ३ दिसम्बर २०११) हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता थे। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और देव आनन्द

देविका रानी

देविका रानी (जन्म: 30 मार्च, 1908 निधन: 8 मार्च, 1994) हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं। निःसंदेह भारतीय सिनेमा के लिये देविका रानी का योगदान अपूर्व रहा है और यह हमेशा हमेशा याद रखा जायेगा। जिस जमाने में भारत की महिलायें घर की चारदीवारी के भीतर भी घूंघट में मुँह छुपाये रहती थीं, देविका रानी ने चलचित्रों में काम करके अदम्य साहस का प्रदर्शन किया था। उन्हें उनके अद्वितीय सुंदरता के लिये भी याद किया जाता रहेगा। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और देविका रानी

नौशाद

नौशाद अली (1919-2006) हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध संगीतकार थे। पहली फिल्म में संगीत देने के 64 साल बाद तक अपने साज का जादू बिखेरते रहने के बावजूद नौशाद ने केवल 67 फिल्मों में ही संगीत दिया, लेकिन उनका कौशल इस बात की जीती जागती मिसाल है कि गुणवत्ता संख्याबल से कहीं आगे होती है। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और नौशाद

पंकज मलिक

पंकज मलिक (পঙ্কজ কুমার মল্লিক) बंगाली संगीत निर्देशक थे जिन्होंने बंगाली तथा हिन्दी फ़िल्म संगीत में अपना अद्वितीय योगदान दिया। भारतीय सिनेमा में पार्श्व गायन लाने वालों में वे अग्रणी थे। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और पंकज मलिक

प्रदीप

प्रदीप शब्द के अनेक अर्थ हो सकते हैं -.

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और प्रदीप

प्राण

प्राण हिन्दू दर्शनों, जैसे योगदर्शन और आयुर्वेद इत्यादि में जीवनी शक्ति को कहा गया है। कुछ प्रसंगों में इसे सूर्य से उत्पन्न और पूरे ब्रह्माण्ड में व्याप्त शक्ति के रूप में भी वर्णित किया गया है। आयुर्वेद, तन्त्र इत्यादि में पाँच प्रकार के प्राण बताये गये हैं: .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और प्राण

पृथ्वीराज कपूर

पृथ्वीराज कपूर (3 नवंबर 1901 - 29 मई 1972) हिंदी सिनेमा जगत एवं भारतीय रंगमंच के प्रमुख स्तंभों में गिने जाते हैं। पृथ्वीराज ने बतौर अभिनेता मूक फ़िल्मो से अपना करियर शुरू किया। उन्हें भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) के संस्थापक सदस्यों में से एक होने का भी गौरव हासिल है। पृथ्वीराज ने सन् 1944 में मुंबई में पृथ्वी थिएटर की स्थापना की, जो देश भर में घूम-घूमकर नाटकों का प्रदर्शन करता था। इन्हीं से कपूर ख़ानदान की भी शुरुआत भारतीय सिनेमा जगत में होती है। 1972 में उनकी मृत्यु के पश्चात उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी नवाज़ा गया। पृथ्वीराज कपूर को कला क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९६९ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। पृथ्वीराज ने पेशावर पाकिस्तान के एडवर्ड कालेज से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने एक साल तक कानून की शिक्षा भी प्राप्त की जिसके बाद उनका थियेटर की दुनिया में प्रवेश हुआ। 1928 में उनका मुंबई आगमन हुआ। कुछ एक मूक फ़िल्मों में काम करने के बाद उन्होंने भारत की पहली बोलनेवाली फ़िल्म आलम आरा में मुख्य भूमिका निभाई। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और पृथ्वीराज कपूर

पी जयराज

पैदी जयराज, पी जयराज या जयराज (तेलुगू: పైడి జైరాజ్) विख्यात अभिनेता, निर्देशक व निर्माता थे। सन् 1980 में उन्हे उनकी जीवनकाल उपलब्धियों के लिए दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया था। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और पी जयराज

फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार

फिल्मफेयर पुरस्कार समारोह भारतीय सिनेमा के इतिहास की सबसे पुरानी और प्रमुख घटनाओं में से एक रही है। इसकी शुरुआत सबसे पहले 1954 में हुई जब राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार की भी स्थापना हुई थी। पुरस्कार जनता के मत एवं ज्यूरी के सदस्यों के मत दोनों के आधार पर दी हर साल दी जाती है। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार

बलदेव राज चोपड़ा

बी आर चोपड़ा (22 अप्रैल 1914 – 5 नवम्बर 2008) हिन्दी फ़िल्मों के एक निर्देशक थे। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और बलदेव राज चोपड़ा

बी एन सरकार

बी एन सरकार को कला के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९७२ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये बिहार से थे। श्रेणी:१९७२ पद्म भूषण श्रेणी:1901 में जन्मे लोग श्रेणी:१९८० में निधन.

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और बी एन सरकार

भालजी पेंढारकर

भालचंद्र गोपाल पेंढारकर (२ मई, १८९८ - २६ नवम्बर, १९९४) मराठी चित्रपट दिग्दर्शक, निर्माता, पटकथालेखक, संवादलेखक थे। श्रेणी:मराठी सिनेमा.

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और भालजी पेंढारकर

भुपेन हजारिका

भुपेन हजारिका (ভূপেন হাজৰিকা भूपेन हाजोरिका) (8 सितंबर, 1926- ५ नवम्बर २०११) भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम से एक बहुमुखी प्रतिभा के गीतकार, संगीतकार और गायक थे। इसके अलावा वे असमिया भाषा के कवि, फिल्म निर्माता, लेखक और असम की संस्कृति और संगीत के अच्छे जानकार भी रहे थे। वे भारत के ऐसे विलक्षण कलाकार थे जो अपने गीत खुद लिखते थे, संगीतबद्ध करते थे और गाते थे। उन्हें दक्षिण एशिया के श्रेष्ठतम जीवित सांस्कृतिक दूतों में से एक माना जाता है। उन्होंने कविता लेखन, पत्रकारिता, गायन, फिल्म निर्माण आदि अनेक क्षेत्रों में काम किया। भूपेन हजारिका के गीतों ने लाखों दिलों को छुआ। हजारिका की असरदार आवाज में जिस किसी ने उनके गीत "दिल हूम हूम करे" और "ओ गंगा तू बहती है क्यों" सुना वह इससे इंकार नहीं कर सकता कि उसके दिल पर भूपेन दा का जादू नहीं चला। अपनी मूल भाषा असमिया के अलावा भूपेन हजारिका हिंदी, बंगला समेत कई अन्य भारतीय भाषाओं में गाना गाते रहे थे। उनहोने फिल्म "गांधी टू हिटलर" में महात्मा गांधी का पसंदीदा भजन "वैष्णव जन" गाया था। उन्हें पद्मभूषण सम्मान से भी सम्मानित किया गया था। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और भुपेन हजारिका

मन्ना डे

मन्ना डे (1 मई 1919 - 24 अक्टूबर 2013), जिन्हें प्यार से मन्ना दा के नाम से भी जाना जाता है, फिल्म जगत के एक सुप्रसिद्ध भारतीय पार्श्व गायक थे। उनका वास्तविक नाम प्रबोध चन्द्र डे था। मन्ना दा ने सन् 1942 में फ़िल्म तमन्ना से अपने फ़िल्मी कैरियर की शुरुआत की और 1942 से 2013 तक लगभग 3000 से अधिक गानों को अपनी आवाज दी। मुख्यतः हिन्दी एवं बंगाली फिल्मी गानों के अलावा उन्होंने अन्य भारतीय भाषाओं में भी अपने कुछ गीत रिकॉर्ड करवाये। भारत सरकार ने उन्हें 1971 में पद्म श्री, 2005 में पद्म भूषण एवं 2007 में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और मन्ना डे

मनोज कुमार

मनोज कुमार एक हिन्दी फिल्म अभिनेता हैं।उनका पूर्व नाम हरिकिशन गिरि गोस्वामी था फ़िल्म जगत् के प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता, निर्माता व निर्देशक हैं। अपनी फ़िल्मों के जरिए मनोज कुमार ने लोगों को देशभक्ति की भावना का गहराई से एहसास कराया। मनोज कुमार शहीद-ए-आजम भगत सिंह से बेहद प्रभावित हैं और इसी भावना ने उन्हें 'शहीद' जैसी कालजई फ़िल्म में देश के इस अमर सपूत के किरदार को जीवंत करने की प्रेरणा दी थी। 1992 में मनोज कुमार को भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और मनोज कुमार

मलयाली सिनेमा

मलयाली सिनेमा (इसे मौलीवूड, मलयालम सिनेमा, केरल सिनेमा, मलयालम फ़िल्म उद्योग के रूप में भी जाना जाता है।) केरल, भारत आधारित फ़िल्म उद्योग है जहाँ मुख्यतः मलयालम भाषा की फ़िल्में बनती हैं। मलयाली फ़िल्मों की शुरूआत (१९२० से शुरूआत) तिरुवनन्तपुरम आधारित थी। यद्यपि फ़िल्म उद्योग का विकास और अलंकरण 1940 के दशक के अन्त से आरम्भ हुआ। उसके पश्चात फ़िल्म उद्योग चेन्नई (तत्कालीन मद्रस) में स्थानांतरित हो गया, जो बाद में दक्षिण भारतीय सिनेमा का केन्द्र बन गया। १९८० के दशक के अन्त में मलयाली सिनेमा पुनः विस्थापित होकर केरल में स्थापित हो गया। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और मलयाली सिनेमा

मजरुह सुल्तानपुरी

मजरुह सुल्तानपुरी (مجرُوح سُلطانپُوری) (1 अक्टूबर 1919 − 24 मई 2000) एक भारती उर्दू शायर थे। हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध गीतकार और प्रगतिशील आंदोलन के उर्दू के सबसे बड़े शायरों में से एक थे। Retrieved 11 May 2018 वह 20वीं सदी के उर्दु साहिती जगत के बेहतरीन शायरों में गिना जाता है। बॉलीवुड में गीतकार के रूप में प्रसिद्ध हुवे। उन्होंने अपनी रचनाओं के जरिए देश, समाज और साहित्य को नयी दिशा देने का काम किया। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा सुल्तानपुर जिले के गनपत सहाय कालेज में मजरुह सुल्तानपुरी ग़ज़ल के आइने में शीर्षक से मजरूह सुल्तानपुरी पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों के शिक्षाविदों ने इस सेमिनार में हिस्सा लिया और कहा कि वे ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने उर्दू को एक नयी ऊंचाई दी है। लखनऊ विश्वविद्यालय की उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ॰सीमा रिज़वी की अध्यक्षता व गनपत सहाय कालेज की उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ॰जेबा महमूद के संयोजन में राष्ट्रीय सेमिनार को सम्बोधित करते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के उर्दू विभागाध्यक्ष प्रो॰अली अहमद फातिमी ने कहा मजरूह, सुल्तानपुर में पैदा हुए और उनके शायरी में यहां की झलक साफ मिलती है। वे इस देश के ऐसे तरक्की पसंद शायर थे जिनकी वजह से उर्दू को नया मुकाम हासिल हुआ। उनकी मशहूर पंक्तियों में 'मै अकेला ही चला था, जानिबे मंजिल मगर लोग पास आते गये और कारवां बनता गया' का जिक्र भी वक्ताओं ने किया। लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो॰मलिक जादा मंजूर अहमद ने कहा कि यूजीसी ने मजरूह पर राष्ट्रीय सेमिनार उनकी जन्मस्थली सुल्तानपुर में आयोजित करके एक नयी दिशा दी है। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और मजरुह सुल्तानपुरी

मृणाल सेन

मृणाल सेन (बांग्ला: মৃণাল সেন मृणाल् शेन्) भारतीय फ़िल्मों के प्रसिद्ध निर्माता व निर्देशक हैं। इनकी अधिकतर फ़िल्में बांग्ला भाषा में हैं। उनका जन्म फरीदपुर नामक शहर में (जो अब बंगला देश में है) में १४ मई १९२३ में हुआ था। हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने बाद उन्होंने शहर छोड़ दिया और कोलकाता में पढ़ने के लिये आ गये। वह भौतिक शास्त्र के विद्यार्थी थे और उन्होंने अपनी शिक्षा स्कोटिश चर्च कॉलेज़ एवं कलकत्ता यूनिवर्सिटी से पूरी की। अपने विद्यार्थी जीवन में ही वे वह कम्युनिस्ट पार्टी के सांस्कृतिक विभाग से जुड़ गये। यद्यपि वे कभी इस पार्टी के सदस्य नहीं रहे पर इप्टा से जुड़े होने के कारण वे अनेक समान विचारों वाले सांस्कृतिक रुचि के लोगों के परिचय में आ गए | .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और मृणाल सेन

यश चोपड़ा

यश चोपड़ा (अंग्रेजी: Yash Chopra जन्म: 27 सितम्बर 1932 – मृत्यु: 21 अक्टूबर 2012) हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध निर्देशक थे। बाद में उन्होंने कुछ अच्छी फिल्मों का निर्माण भी किया। उन्होंने अपने भाई बी० आर० चोपड़ा और आई० एस० जौहर के साथ बतौर सहायक निर्देशक फिल्म जगत में प्रवेश किया। 1959 में उन्होंने अपनी पहली फिल्म धूल का फूल बनायी थी। उसके बाद 1961 में धर्मपुत्र आयी। 1965 में बनी फिल्म वक़्त से उन्हें अपार शोहरत हासिल हुई। उन्हें फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कई पुरस्कार व सम्मान प्राप्त हुए। बालीवुड जगत से फिल्म फेयर पुरस्कार, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के अतिरिक्त भारत सरकार ने उन्हें 2005 में भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और यश चोपड़ा

राज कपूर

राज कपूर (१९२४-१९८८) प्रसिद्ध अभिनेता, निर्माता एवं निर्देशक थे। नेहरूवादी समाजवाद से प्रेरित अपनी शुरूआती फ़िल्मों से लेकर प्रेम कहानियों को मादक अंदाज से परदे पर पेश करके उन्होंने हिंदी फ़िल्मों के लिए जो रास्ता तय किया, इस पर उनके बाद कई फ़िल्मकार चले। भारत में अपने समय के सबसे बड़े 'शोमैन' थे। सोवियत संघ और मध्य-पूर्व में राज कपूर की लोकप्रियता दंतकथा बन चुकी है। उनकी फ़िल्मों खासकर श्री ४२० में बंबई की जो मूल तस्वीर पेश की गई है, वह फ़िल्म निर्माताओं को अभी भी आकर्षित करती है। राज कपूर की फ़िल्मों की कहानियां आमतौर पर उनके जीवन से जुड़ी होती थीं और अपनी ज्यादातर फ़िल्मों के मुख्य नायक वे खुद होते थे। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और राज कपूर

लता मंगेशकर

लता मंगेशकर (जन्म 28 सितंबर, 1929 इंदौर) भारत की सबसे लोकप्रिय और आदरणीय गायिका हैं, जिनका छ: दशकों का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा है। हालाँकि लता जी ने लगभग तीस से ज्यादा भाषाओं में फ़िल्मी और गैर-फ़िल्मी गाने गाये हैं लेकिन उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायक के रूप में रही है। अपनी बहन आशा भोंसले के साथ लता जी का फ़िल्मी गायन में सबसे बड़ा योगदान रहा है। लता की जादुई आवाज़ के भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ पूरी दुनिया में दीवाने हैं। टाईम पत्रिका ने उन्हें भारतीय पार्श्वगायन की अपरिहार्य और एकछत्र साम्राज्ञी स्वीकार किया है। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और लता मंगेशकर

शशि कपूर

शशि कपूर (जन्म: 18 मार्च, 1938, निधन: 04 दिसम्बर 2017) हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता थे। शशि कपूर हिन्दी फ़िल्मों में लोकप्रिय कपूर परिवार के सदस्य थे। वर्ष २०११ में उनको भारत सरकार ने पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया। वर्ष २०१५ में उनको २०१४ के दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया। इस तरह से वे अपने पिता पृथ्वीराज कपूर और बड़े भाई राजकपूर के बाद यह सम्मान पाने वाले कपूर परिवार के तीसरे सदस्य बन गये। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और शशि कपूर

श्याम बेनेगल

श्याम बेनेगल (जन्म 14 दिसंबर, 1934) हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध निर्देशक हैं। अंकुर, निशांत, मंथन और भूमिका जैसी फिल्मों के लिये चर्चित बेनेगल समानांतर सिनेमा के अग्रणी निर्देशकों में शुमार किये जाते हैं। श्याम को 1976 में पद्मश्री और 1961 में पद्मभूषण सम्मान दिये गये। 2007 में वे अपने योगदान के लिये भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाज़े गये। सर्वश्रेष्ठ हिन्दी फीचर फिल्म के लिये राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार पाँच बार जीतने वाले वे एकमात्र फिल्म निर्देशक हैं। श्याम बेनेगल को भारत सरकार द्वारा सन १९९१ में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। ये महाराष्ट्र से हैं। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और श्याम बेनेगल

सत्यजित राय

सत्यजित राय (बंगाली: शॉत्तोजित् राय्) (२ मई १९२१–२३ अप्रैल १९९२) एक भारतीय फ़िल्म निर्देशक थे, जिन्हें २०वीं शताब्दी के सर्वोत्तम फ़िल्म निर्देशकों में गिना जाता है। इनका जन्म कला और साहित्य के जगत में जाने-माने कोलकाता (तब कलकत्ता) के एक बंगाली परिवार में हुआ था। इनकी शिक्षा प्रेसिडेंसी कॉलेज और विश्व-भारती विश्वविद्यालय में हुई। इन्होने अपने कैरियर की शुरुआत पेशेवर चित्रकार की तरह की। फ़्रांसिसी फ़िल्म निर्देशक ज़ाँ रन्वार से मिलने पर और लंदन में इतालवी फ़िल्म लाद्री दी बिसिक्लेत (Ladri di biciclette, बाइसिकल चोर) देखने के बाद फ़िल्म निर्देशन की ओर इनका रुझान हुआ। राय ने अपने जीवन में ३७ फ़िल्मों का निर्देशन किया, जिनमें फ़ीचर फ़िल्में, वृत्त चित्र और लघु फ़िल्में शामिल हैं। इनकी पहली फ़िल्म पथेर पांचाली (পথের পাঁচালী, पथ का गीत) को कान फ़िल्मोत्सव में मिले “सर्वोत्तम मानवीय प्रलेख” पुरस्कार को मिलाकर कुल ग्यारह अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले। यह फ़िल्म अपराजितो (অপরাজিত) और अपुर संसार (অপুর সংসার, अपु का संसार) के साथ इनकी प्रसिद्ध अपु त्रयी में शामिल है। राय फ़िल्म निर्माण से सम्बन्धित कई काम ख़ुद ही करते थे — पटकथा लिखना, अभिनेता ढूंढना, पार्श्व संगीत लिखना, चलचित्रण, कला निर्देशन, संपादन और प्रचार सामग्री की रचना करना। फ़िल्में बनाने के अतिरिक्त वे कहानीकार, प्रकाशक, चित्रकार और फ़िल्म आलोचक भी थे। राय को जीवन में कई पुरस्कार मिले जिनमें अकादमी मानद पुरस्कार और भारत रत्न शामिल हैं। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और सत्यजित राय

सिंगनल्लूर पुट्टस्वामैया मुत्तुराज राजकुमार

सिंगनल्लूर पुट्टस्वामैया मुत्तुराज राजकुमार को सन १९८३ में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये कर्नाटक से हैं। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और सिंगनल्लूर पुट्टस्वामैया मुत्तुराज राजकुमार

सौमित्र चटर्जी

सौमित्र चटर्जी बांग्ला फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और सौमित्र चटर्जी

सोहराब मोदी

सोहराब मोदी हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता, निर्माता व निर्देशक और भारतीय पारसी रंगमंच के एक कलाकार थे जो स्वयं एक पारसी थे। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और सोहराब मोदी

हिन्दी सिनेमा

हिन्दी सिनेमा, जिसे बॉलीवुड के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दी भाषा में फ़िल्म बनाने का उद्योग है। बॉलीवुड नाम अंग्रेज़ी सिनेमा उद्योग हॉलिवुड के तर्ज़ पर रखा गया है। हिन्दी फ़िल्म उद्योग मुख्यतः मुम्बई शहर में बसा है। ये फ़िल्में हिन्दुस्तान, पाकिस्तान और दुनिया के कई देशों के लोगों के दिलों की धड़कन हैं। हर फ़िल्म में कई संगीतमय गाने होते हैं। इन फ़िल्मों में हिन्दी की "हिन्दुस्तानी" शैली का चलन है। हिन्दी और उर्दू (खड़ीबोली) के साथ साथ अवधी, बम्बईया हिन्दी, भोजपुरी, राजस्थानी जैसी बोलियाँ भी संवाद और गानों में उपयुक्त होते हैं। प्यार, देशभक्ति, परिवार, अपराध, भय, इत्यादि मुख्य विषय होते हैं। ज़्यादातर गाने उर्दू शायरी पर आधारित होते हैं।भारत में सबसे बड़ी फिल्म निर्माताओं में से एक, शुद्ध बॉक्स ऑफिस राजस्व का 43% का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि तमिल और तेलुगू सिनेमा 36% का प्रतिनिधित्व करते हैं,क्षेत्रीय सिनेमा के बाकी 2014 के रूप में 21% का गठन है। बॉलीवुड भी दुनिया में फिल्म निर्माण के सबसे बड़े केंद्रों में से एक है। बॉलीवुड कार्यरत लोगों की संख्या और निर्मित फिल्मों की संख्या के मामले में दुनिया में सबसे बड़ी फिल्म उद्योगों में से एक है।Matusitz, जे, और पायानो, पी के अनुसार, वर्ष 2011 में 3.5 अरब से अधिक टिकट ग्लोब जो तुलना में हॉलीवुड 900,000 से अधिक टिकट है भर में बेच दिया गया था। बॉलीवुड 1969 में भारतीय सिनेमा में निर्मित फिल्मों की कुल के बाहर 2014 में 252 फिल्मों का निर्माण। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और हिन्दी सिनेमा

विनोद खन्ना

विनोद खन्ना (जन्म: रविवार, ६ अक्टूबर, १९४६ - निधन: गुरुवार, २७ अप्रैल २०१७) हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता थे जिनका जन्म पेशावर (ब्रितानी भारत) में हुआ था जबकि इनका लम्बे समय से कैंसर से पीड़ित रहने की वजह से २७ अप्रैल २०१७ को मुम्बई के एच एन रिलायंस अस्पताल में निधन हो गया । .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और विनोद खन्ना

विल्लुपुरम चिन्नैया गणेशन

शिवाजी गणेशन (சிவாஜி கணேசன்) (जन्म:विल्लुपुरम चिन्नैया पिल्लई गणेशन, १ अक्टूबर, १९२८ - २१ जुलाई, २००१)) एक भारतीय फिल्म अभिनेता थे। ये बीसवीं शताब्दी के परार्ध में सक्रिय रहे। इनको भारत सरकार द्वारा सन १९८४ में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये तमिलनाडु राज्य से हैं। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और विल्लुपुरम चिन्नैया गणेशन

वी शांताराम

शांताराम राजाराम वणकुद्रे (18 नवंबर 1 9 01 - 30 अक्टूबर 1990), जिसे वी.

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और वी शांताराम

वीके मूर्ति

वेंकटरामा पंडित कृष्णमूर्ति (ವಿ.)(ವೆಂಕಟರಾಮಾ ಪಂಡಿತ್ ಕೃಷ್ಣಮೂರ್ತಿ) (२६ नवम्बर १९२३ - ०७ अप्रैल २०१४) दादा साहब फाल्के सम्मान प्राप्त करने वाले प्रथम सिनेमाटोग्राफर (चलचित्रकार) थे। ७ अप्रैल २०१४ को उनका निधन हो गया। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और वीके मूर्ति

गुलज़ार (गीतकार)

ग़ुलज़ार नाम से प्रसिद्ध सम्पूर्ण सिंह कालरा (जन्म-१८ अगस्त १९३६) हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध गीतकार हैं। इसके अतिरिक्त वे एक कवि, पटकथा लेखक, फ़िल्म निर्देशक तथा नाटककार हैं। उनकी रचनाए मुख्यतः हिन्दी, उर्दू तथा पंजाबी में हैं, परन्तु ब्रज भाषा, खङी बोली, मारवाड़ी और हरियाणवी में भी इन्होने रचनाये की। गुलजार को वर्ष २००२ में सहित्य अकादमी पुरस्कार और वर्ष २००४ में भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष २००९ में डैनी बॉयल निर्देशित फिल्म स्लम्डाग मिलियनेयर में उनके द्वारा लिखे गीत जय हो के लिये उन्हे सर्वश्रेष्ठ गीत का ऑस्कर पुरस्कार पुरस्कार मिल चुका है। इसी गीत के लिये उन्हे ग्रैमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और गुलज़ार (गीतकार)

आशा भोंसले

आशा भोंसले (जन्म: 8 सितम्बर 1933) हिन्दी फ़िल्मों की मशहूर पार्श्वगायिका हैं। लता मंगेशकर की छोटी बहन और दीनानाथ मंगेशकर की पुत्री आशा ने फिल्मी और गैर फिल्मी लगभग 16 हजार गाने गाये हैं और इनकी आवाज़ के प्रशंसक पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। हिंदी के अलावा उन्होंने मराठी, बंगाली, गुजराती, पंजाबी, भोजपुरी, तमिल, मलयालम, अंग्रेजी और रूसी भाषा के भी अनेक गीत गाए हैं। आशा भोंसले ने अपना पहला गीत वर्ष 1948 में सावन आया फिल्म चुनरिया में गाया। आशा की विशेषता है कि इन्होंने शास्त्रीय संगीत, गजल और पॉप संगीत हर क्षेत्र में अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा है और एक समान सफलता पाई है। उन्होने आर॰ डी॰ बर्मन से शादी की थी। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और आशा भोंसले

कन्नड़ फिल्मों की सूची

The list of Kannada feature films released by the Kannada film Industry located in Bangalore, Karnataka.

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और कन्नड़ फिल्मों की सूची

कसीनथुनी विश्वनाथ

कसीनथुनी विश्वनाथ (जन्म १९ फरवरी १९३०; या के॰ विश्वनाथ) भारतीय फ़िल्म निर्देशक है जिन्होंने तेलुगू, तमिल और हिंदी में कई प्रशंसनीय फिल्में बनाई हैं। विश्वनाथ भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान, दादासाहेब फाल्के पुरस्कार, पाने वाले ४८वें फनकार हैं। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और कसीनथुनी विश्वनाथ

के बालाचंदर

कैलाशम बालाचंदर (९ जुलाई, १९३०) एक भारतीय फिल्म, निर्माता, निर्देशक और पटकथा लेखक हैं। इन्होंने तमिल, कन्नड़, तेलुगु, मलयालम और हिन्दी सिनेमा में फिल्म निर्माता, निर्देशक और पटकथा लेखक के रूप में कार्य किया है। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और के बालाचंदर

अदूर गोपालकृष्णन

मौताथु "अदूर" गोपालाकृष्णन उन्नीथन (जन्म जुलाई 3, 1941) सात बार भारतीय राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीतने वाले भारत के फिल्म निर्माता, पटकथा लेखक और फिल्म निर्माता.

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और अदूर गोपालकृष्णन

अशोक कुमार (अभिनेता)

अशोक कुमार (অশোক কুমার; १३ अक्टूबर १९११, भागलपुर, कुमुद कुमार गांगुली - १० दिसम्बर २००१, मुंबई) हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता थे। सन् १९९९ में भारत सरकार ने उन्हें कला के क्षेत्र में उनके योगदानों के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया। ये महाराष्ट्र राज्य से थे। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और अशोक कुमार (अभिनेता)

अक्किनेनी नागेश्वर राव

अक्किनेनी नागेश्वर राव (प्रचलित नाम एएनआर 20 सितम्बर 1923 – 22 जनवरी 2014) मुख्य रूप से तेलुगू सिनेमा में काम करने वाले भारतीय फ़िल्म अभिनेता एवं निर्माता थे। उन्हें मुख्यतः उनके नायिका के अभिनय के लिए जाना जाता था क्योंकि उस समय महिलाओं का फ़िल्मों में अभिनय करना निषिद्ध था। उन्हें भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए सन् १९८८ में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और अक्किनेनी नागेश्वर राव

ऋषिकेश मुखर्जी

ऋषिकेश मुखर्जी एक भारतीय फिल्मकार थे। हृषिकेश दा का भारतीय सिनेमा जगत में अपने विशिष्ट योगदान के लिए जाने जाते हैं। .

देखें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और ऋषिकेश मुखर्जी

यह भी देखें

राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार

दादा साहब फाल्के पुरस्कार, दादा साहेब फालके पुरस्कार, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, दादासाहब फाल्के पुरस्कार के रूप में भी जाना जाता है।