ऊपरी दन्तावली का बीच से दाहिनी तर्फ दूसरा दाँत '''आंतरिक पुनःशोषण''' से ग्रस्त है। दन्त पुनःशोषण (Tooth resorption) दांतों की वह समस्या है जिसमे दांतों की संरचना जन्मजात क्षमता के कारण बिगड़ती रहती है। दांत अवशोषण २ प्रकार के होते हैं- आन्तरिक पुनःशोषण और बाह्य पुनःशोषण। आंतरिक पुनःशोषण वह समस्या है जिसमे दांतों का आकर कम होता जाता है और इसमें दांतों का पल्प और उसकी डनटाईन बीच वाले भाग से खोखली होती जाती है। दांतों की इस स्थिति का पहला साक्ष्य दांतों के क्राउन पर पाए गए गुलाबी रंग के जखम से लगाया जा सकता है। यह असामान्यता दांतों पर हुए कोई भी आघात से हो सकती है। और अगर यह असामान्यता दांतों की रूट और पल्प में छेद होने से पहले देखी जाती है तो उस समय इसका इलाज अंडोडॉनटिक चिकित्सा करके किया जा सकता है। बाह्य पुनःशोषण दांतों की वह समस्या है जिसमे दांतों का अवशोषण रूट की सतह से होते हुए दांतों तक पहुंचता है। यह दांतों पर दबाव पड़ने के कारण भी हो सकती है। और यह अस्थिशोषक में विभिन्नता होने के कारण भी पाया जाता है। .
1 संबंध: दाँत।
दाँत (tooth) मुख की श्लेष्मिक कला के रूपांतरित अंकुर या उभार हैं, जो चूने के लवण से संसिक्त होते हैं। दाँत का काम है पकड़ना, काटना, फाड़ना और चबाना। कुछ जानवरों में ये कुतरने (चूहे), खोदने (शूकर), सँवारने (लीमर) और लड़ने (कुत्ते) के काम में भी आते हैं। दांत, आहार को काट-पीसकर गले से उतरने योग्य बनाते हैं। दाँत की दो पंक्तियाँ होती हैं,.
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यहां पुनर्निर्देश करता है:
दांत अवशोषण।