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तमिल नाडु की राजनीति

सूची तमिल नाडु की राजनीति

तमिलनाडु की राजनीति में वर्तमान समय में द्रविड़ दलों का प्रभुत्व है तथा द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (डीऍमके) और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआइऍमडीऍमके) यहाँ के प्रमुख राजनीतिक दल हैं। भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस तीसरा प्रमुख दल है और अन्य छोटे दल भी यहाँ की राजनीति का हिस्सा हैं। ब्रिटिश काल में यह इलाका मद्रास प्रेसिडेंसी के नाम से जाना जाता था और तत्समय से लेकर भारत की आजादी के बाद तक काँग्रेस यहाँ की प्रमुख पार्टी थी। साठ के दशक में हिंदी-विरोधी आन्दोलनों में द्रविड़ दलों को महत्व मिला और १९६७ में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार डीऍमके पार्टी द्वारा बनाई गयी। इसके बाद से यहाँ की राजनीति में इन्हीं द्रविड़ दलों का प्रभुत्व रहा है। विचारधारा के स्तर पर द्रविड़ राजनीतिक दलों में कम्युनिस्ट एवं समाजवादी विचारों को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। अन्य छोटी पार्टियों में भारतीय रिपब्लिकन पार्टी, मार्क्सवादी पार्टी, सर्वहारा पीपुल्स पार्टी, पुनर्जागरण द्रमुक, वी॰सी॰के॰, राष्ट्रीय प्रगतिशील द्रविड़ कषगम, भारतीय जनता पार्टी, मानवतावादी पीपुल्स पार्टी तमिल नवजागरण निगम, नए राज्य पार्टी, अखिल भारतीय समानता पीपुल्स पार्टी औरइत्यादि का नाम गिनाया जा सकता है। स्नीकर्स, डी॰ वेन॰ रामास्वामी, अन्नादुरई, एम॰जी॰आर॰ और जयललिता तमिलनाडु की राजनीति में महत्वपूर्ण लोग रहे हैं। करुणानिधि यहाँ की राजनीति में एक प्रमुख व्यक्तित्व हैं। .

8 संबंधों: द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय आम चुनाव, 2014, मारुदुर गोपालन रामचन्द्रन, जयललिता, ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, ओ॰ पन्नीरसेल्वम, करुणानिधि

द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम

द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (शाब्दिक अर्थ."द्रविड़ प्रगति संघ") जिसे द्रमुक नाम से भी जाना जाता है, तमिलनाडु की एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी है। इसका निर्माण जस्टिस पार्टी तथा द्रविड़ कड़गम से पेरियार से मतभेद के कारण हुआ था। इसके गठन की घोषणा १९४९ में हुई थी। इसका प्रमुख मुद्दा समाजिक समानता, खासकर हिन्दू जाति प्रथा के सन्दर्भ में, तथा द्रविड़ लोगो का प्रतिनिधित्व करना है। एम करुणानिधि अभी इसके प्रमुख है। श्रेणी:भारत के राजनीतिक दल श्रेणी:तमिल नाडु के राजनीतिक दल.

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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, अधिकतर कांग्रेस के नाम से प्रख्यात, भारत के दो प्रमुख राजनैतिक दलों में से एक हैं, जिन में अन्य भारतीय जनता पार्टी हैं। कांग्रेस की स्थापना ब्रिटिश राज में २८ दिसंबर १८८५ में हुई थी; इसके संस्थापकों में ए ओ ह्यूम (थियिसोफिकल सोसाइटी के प्रमुख सदस्य), दादा भाई नौरोजी और दिनशा वाचा शामिल थे। १९वी सदी के आखिर में और शुरूआती से लेकर मध्य २०वी सदी में, कांग्रेस भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में, अपने १.५ करोड़ से अधिक सदस्यों और ७ करोड़ से अधिक प्रतिभागियों के साथ, ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरोध में एक केन्द्रीय भागीदार बनी। १९४७ में आजादी के बाद, कांग्रेस भारत की प्रमुख राजनीतिक पार्टी बन गई। आज़ादी से लेकर २०१६ तक, १६ आम चुनावों में से, कांग्रेस ने ६ में पूर्ण बहुमत जीता हैं और ४ में सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व किया; अतः, कुल ४९ वर्षों तक वह केन्द्र सरकार का हिस्सा रही। भारत में, कांग्रेस के सात प्रधानमंत्री रह चुके हैं; पहले जवाहरलाल नेहरू (१९४७-१९६५) थे और हाल ही में मनमोहन सिंह (२००४-२०१४) थे। २०१४ के आम चुनाव में, कांग्रेस ने आज़ादी से अब तक का सबसे ख़राब आम चुनावी प्रदर्शन किया और ५४३ सदस्यीय लोक सभा में केवल ४४ सीट जीती। तब से लेकर अब तक कोंग्रेस कई विवादों में घिरी हुई है, कोंग्रेस द्वारा भारतीय आर्मी का मनोबल गिराने का देश में विरोध किया जा रहा है । http://www.allianceofdemocrats.org/index.php?option.

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भारतीय आम चुनाव, 2014

भारत में सोलहवीं लोक सभा के लिए आम चुनाव ७ अप्रैल से १२ मई २०१४ तक ९ चरणों में हुए। मतगणना १६ मई को हुई। इसके लिए भारत की सभी संसदीय क्षेत्रों में वोट डाले गये। वर्तमान में पंद्रहवी लोक सभा का कार्यकाल ३१ मई २०१४ को ख़त्म हो रहा है। ये चुनाव अब तक के इतिहास में सबसे लंबा कार्यक्रम वाला चुनाव था। यह पहली बार होगा, जब देश में ९ चरणों में लोकसभा चुनाव हुए। निर्वाचन आयोग के अनुसार ८१.४५ करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। सभी नौ चरणों में औसत मतदान ६६.३८% के आसपास रहा जो भारतीय आम चुनाव के इतिहास में सबसे उच्चतम है। चुनाव के परिणाम १६ मई को घोषित किये गये। ३३६ सीटों के साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सबसे बड़ा दल और २८२ सीटों के साथ भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने ५९ सीटों पर और कांग्रेस ने ४४ सीटों पर जीत हासिल की।, Election Commission of India बीजेपी ने केवल 31.0% वोट जीते, जो आजादी के बाद से भारत में बहुमत वाली सरकार बनाने के लिए पार्टी का सबसे कम हिस्सा है, जबकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का संयुक्त वोट हिस्सा 38.5% था। 1984 के आम चुनाव के बाद बीजेपी और उसके सहयोगियों ने सबसे बड़ी बहुमत वाली सरकार बनाने का अधिकार जीता, और यह चुनाव पहली बार हुआ जब पार्टी ने अन्य पार्टियों के समर्थन के बिना शासन करने के लिए पर्याप्त सीटें जीती हैं। आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी की सबसे खराब हार थी। भारत में आधिकारिक विपक्षी दल बनने के लिए, एक पार्टी को लोकसभा में 10% सीटें (54 सीटें) हासिल करनी होंगी; हालांकि, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इस नंबर को हासिल करने में असमर्थ थी। इस तथ्य के कारण, भारत एक आधिकारिक विपक्षी पार्टी के बिना बना हुआ है। .

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मारुदुर गोपालन रामचन्द्रन

मारुदुर गोपालन रामचन्द्रन(17 जनवरी, 1917 - 24 दिसेम्बर, 1987), जो एम जी आर के नाम से भी लोकप्रिय थे। वे तमिल फिल्मों के अभिनेता और राजनीतिज्ञ थे और वर्ष 1977 से लेकर 1987 में उनके निधन तक वे भारत के तमिलनाडु राज्य के मुख्यमंत्री थे। उनका जन्म कैन्डी,श्रीलंका में हुआ था। .

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जयललिता

जयललिता जयराम (तमिल: ஜெ. ஜெயலலிதா; 24 फ़रवरी 1948 – 5 दिसम्बर 2016) भारतीय राजनीतिज्ञ तथा तमिल नाडु की मुख्यमंत्री थीं। वो दक्षिण भारतीय राजनैतिक दल ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्ना द्रमुक) की महासचिव थीं। इससे पूर्व वो 1991 से 1996, 2001 में, 2002 से 2006 तक और 201 से 2014 तक तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं। राजनीति में आने से पहले वो अभिनेत्री थीं और उन्होंने तमिल के अलावा तेलुगू, कन्नड और एक हिंदी तथा एक अँग्रेजी फिल्म में भी काम किया है। जब वे स्कूल में पढ़ रही थीं तभी उन्होंने 'एपिसल' नाम की अंग्रेजी फिल्म में काम किया। वे 15 वर्ष की आयु में कन्नड फिल्मों में मुख्‍य अभिनेत्री की भूमिकाएं करने लगी थीं। इसके बाद वे तमिल फिल्मों में काम करने लगीं। 1965 से 1972 के दौर में उन्होंने अधिकतर फिल्में एमजी रामचंद्रन के साथ की। फिल्मी करियर के बाद उन्होने एम॰जी॰ रामचंद्रन के साथ 1982 में राजनीतिक करियर की शुरुआत की। उन्होंने 1984 से 1989 के दौरान तमिलनाडु से राज्यसभा के लिए राज्य का प्रतिनिधित्व भी किया। वर्ष 1987 में रामचंद्रन का निधन के बाद उन्होने खुद को रामचंद्रन की विरासत का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। वे 24 जून 1991 से 12 मई 1996 तक राज्य की पहली निर्वाचित मुख्‍यमंत्री और राज्य की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री रहीं। अप्रैल 2011 में जब 11 दलों के गठबंधन ने 14वीं राज्य विधानसभा में बहुमत हासिल किया तो वे तीसरी बार मुख्यमंत्री बनीं। उन्होंने 16 मई 2011 को मुख्‍यमंत्री पद की शपथ लीं और तब से वे राज्य की मुख्यमंत्री पद पर रहीं। राजनीति में उनके समर्थक उन्हें अम्मा (मां) और कभी कभी पुरातची तलाईवी ('क्रांतिकारी नेता') कहकर बुलाते हैं। 5 दिसम्बर 2016 को रात 11:30 बजे (आईएसटी) इनका निधन हो गया। .

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ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम

आॅल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (लोकप्रिय रूप: अन्नाद्रमुक) तमिल नाडु और पुदुचेरी, भारत का एक राजनीतिक दल है। इसकी स्थापना सन् 1972 में पूर्व अभिनेता व राजनीतिज्ञ एम जी रामचन्द्रन ने की थी जब वो द्रमुक से अलग हो गये थे। 1989 से इस दल की नेता जयललिता हैं। दल ने तमिलनाडु में छह बार सरकार बनाई है और 2011 से तमिल नाडु में सरकार इसी दल की है। .

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ओ॰ पन्नीरसेल्वम

ओ॰ पन्नीरसेल्वम (जन्म 14 जनवरी 1951) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वे वर्तमान में तमिल नाडु के मुख्यमंत्री हैं। पूर्व में तमिलनाडू सरकार में वित्त मंत्री थे। वे 6 दिसंबर 2016 को तीसरी बार तमिलनाडू के मुख्यमंत्री बने। इससे पहले वह 2001 से 2002 तक और फिर 2014 से 2015 तक मुख्यमंत्री पद पर रहे। .

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करुणानिधि

मुत्तुवेल करुणानिधि (மு. கருணாநிதி.) (जन्म 3 जून 1924) एक भारतीय राजनेता और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री हैं। वे तमिलनाडु राज्य के एक द्रविड़ राजनीतिक दल द्रविड़ मुन्नेत्र कज़गम (डीएमके) के प्रमुख हैं। वे 1969 में डीएमके के संस्थापक सी. एन. अन्नादुरई की मौत के बाद से इसके नेता हैं और पांच बार (1969–71, 1971–76, 1989–91, 1996–2001 और 2006–2011) मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उन्होंने अपने 60 साल के राजनीतिक करियर में अपनी भागीदारी वाले हर चुनाव में अपनी सीट जीतने का रिकॉर्ड बनाया है। 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने तमिलनाडु और पुदुचेरी में डीएमके के नेतृत्व वाली डीपीए (यूपीए और वामपंथी दल) का नेतृत्व किया और लोकसभा की सभी 40 सीटों को जीत लिया। इसके बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने डीएमके द्वारा जीती गयी सीटों की संख्या को 16 से बढ़ाकर 18 कर दिया और तमिलनाडु और पुदुचेरी में यूपीए का नेतृत्व कर बहुत छोटे गठबंधन के बावजूद 28 सीटों पर विजय प्राप्त की। वे तमिल सिनेमा जगत के एक नाटककार और पटकथा लेखक भी हैं। उनके समर्थक उन्हें कलाईनार (கலைஞர்., "कला का विद्वान") कहकर बुलाते हैं। .

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