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लैक्टोबैसिलस

सूची लैक्टोबैसिलस

लैक्टोबैसिलस बैक्टीरिया लैक्टोबैसिलस (Lactobacillus) एक जीवाणु है जो स्त्रियों की योनि में तथा मानवों के आहार नाल में पाया जाता है। इनका आकार दण्ड (रॉड) जैसा होता है। श्रेणी:जीवाणु.

3 संबंधों: मानव का पोषण नाल, योनि, जीवाणु

मानव का पोषण नाल

मानव का पाचक तंत्र मानव का पाचक नाल या आहार नाल (Digestive or Alimentary Canal) 25 से 30 फुट लंबी नाल है जो मुँह से लेकर मलाशय या गुदा के अंत तक विस्तृत है। यह एक संतत लंबी नली है, जिसमें आहार मुँह में प्रविष्ट होने के पश्चात्‌ ग्रासनाल, आमाशय, ग्रहणी, क्षुद्रांत्र, बृहदांत्र, मलाशय और गुदा नामक अवयवों में होता हुआ गुदाद्वार से मल के रूप में बाहर निकल जाता है। .

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योनि

मादा के जननांग को योनि (वेजाइना) कहा जाता है। इसके पर्यायवाची शब्द भग, आदि हैं। सामान्य तौर पर "योनि" शब्द का प्रयोग अक्सर भग के लिये किया जाता है, लेकिन जहाँ भग बाहर से दिखाई देने वाली संरचना है वहीं योनि एक विशिष्ट आंतरिक संरचना है। .

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जीवाणु

जीवाणु जीवाणु एक एककोशिकीय जीव है। इसका आकार कुछ मिलिमीटर तक ही होता है। इनकी आकृति गोल या मुक्त-चक्राकार से लेकर छड़, आदि आकार की हो सकती है। ये अकेन्द्रिक, कोशिका भित्तियुक्त, एककोशकीय सरल जीव हैं जो प्रायः सर्वत्र पाये जाते हैं। ये पृथ्वी पर मिट्टी में, अम्लीय गर्म जल-धाराओं में, नाभिकीय पदार्थों में, जल में, भू-पपड़ी में, यहां तक की कार्बनिक पदार्थों में तथा पौधौं एवं जन्तुओं के शरीर के भीतर भी पाये जाते हैं। साधारणतः एक ग्राम मिट्टी में ४ करोड़ जीवाणु कोष तथा १ मिलीलीटर जल में १० लाख जीवाणु पाए जाते हैं। संपूर्ण पृथ्वी पर अनुमानतः लगभग ५X१०३० जीवाणु पाए जाते हैं। जो संसार के बायोमास का एक बहुत बड़ा भाग है। ये कई तत्वों के चक्र में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं, जैसे कि वायुमंडलीय नाइट्रोजन के स्थरीकरण में। हलाकि बहुत सारे वंश के जीवाणुओं का श्रेणी विभाजन भी नहीं हुआ है तथापि लगभग आधी प्रजातियों को किसी न किसी प्रयोगशाला में उगाया जा चुका है। जीवाणुओं का अध्ययन बैक्टिरियोलोजी के अन्तर्गत किया जाता है जो कि सूक्ष्म जैविकी की ही एक शाखा है। मानव शरीर में जितनी भी मानव कोशिकाएं है, उसकी लगभग १० गुणा संख्या तो जीवाणु कोष की ही है। इनमें से अधिकांश जीवाणु त्वचा तथा अहार-नाल में पाए जाते हैं। हानिकारक जीवाणु इम्यून तंत्र के रक्षक प्रभाव के कारण शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा पाते। कुछ जीवाणु लाभदायक भी होते हैं। अनेक प्रकार के परजीवी जीवाणु कई रोग उत्पन्न करते हैं, जैसे - हैजा, मियादी बुखार, निमोनिया, तपेदिक या क्षयरोग, प्लेग इत्यादि.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

डोडर्लिन बेसिलाइ, लैक्टोबैसिलस जीवाणु, लैक्टोबेसिलस

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