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डिस्क्रीट फुरिअर रूपान्तर

सूची डिस्क्रीट फुरिअर रूपान्तर

डिस्क्रीट फुरिअर रूपान्तर (discrete Fourier transform (DFT)) एक रूपान्तर है जो डिस्क्रीट-समय संकेतों को एक दूसरे रूप में बदल देता है। तकनीकी रूप से इसे समय-डोमेन संकेत को आवृत्ति-डोमेन संकेत में परिवर्तन के रूप में समझा जाता है। डिस्क्रीट फुरिअर रूपान्तर, डिस्क्रीट-टाइम फुरिअर रूपान्तर (DTFT) से भिन्न है। व्यावहारिक दृष्टि से डिस्क्रीट फुरिअर रूपान्तर की गणना किसी उपयुक्त त्वरित फुरिअर रूपान्तर (FFT) की सहायता से की जाती है। .

2 संबंधों: त्वरित फुरिअर रूपान्तर, समिश्र संख्या

त्वरित फुरिअर रूपान्तर

त्वरित फुरिअर रूपान्तर सम्पादन का सबसे जरूरी ऑपरेशन तितली है। त्वरित फुरिअर रूपान्तर या फास्ट फुरिअर ट्रान्सफार्म (FFT), डिस्क्रीट फुरिअर ट्रान्सफार्म (DFT) एवं उसके व्युत्क्रम रूपान्तर (inverse transform) की गणना की एक दक्ष (efficient) कलन विधि (अल्गोरिद्म) है। त्वरित ढंग से डिस्क्रीट फुरिअर रूपान्तर निकालने की विधि सबसे पहले कूली और टर्की ने सन १९६५ में प्रस्तुत की जिनके नाम पर इस विधि को कूली-टर्की कलन-विधि के नाम से जाना जाता है। इस समय त्वरित फुरिअर रुपान्तर निकालने के अनेकों अन्य तरीके भी ज्ञात है। प्रचलित तरीके से एफ् एफ् टी (FFT) की गणना के अल्गोरिद्म का ऑर्डर N*N है जबकि एफएफटी से वही काम करने का ऑर्डर N*log(N) होता है; जहाँ N सैम्पुल्स की संख्या है। ज्ञातव्य है कि अधिकांश व्यावहारिक समस्याओं में सामान्यतः N का मान दस लाख से अधिक होता है। इस प्रकार देखा जा सकता है कि डीएफटी की तुलना में एफ् एफ् टी वही काम हजारों गुना तेज गति से कर देता है। कम समय में डीएफटी की गणना से इसकी उपयोगिता और बढ जाती है। इसके अतिरिक्त डीएफटी की तुलना में एफएफटी की विधि से गणना में बहुत कम स्मृति (मेमोरी) की जरूरत पड़ती है। आजकल एफएफटी निकालने की बहुत सी विधियाँ ज्ञात हैं। किन्तु कुली और तुकी की विधि सर्वाधिक प्रचलित है। एफएफटी की ज्ञात विधियों में कुछ में N का मान २ का कोई घातांक के बराबर (जैसे १०२४, ४०९६ आदि) होना चाहिये किन्तु कुछ विधियाँ N के किसी भी मान के लिये भी दक्षतापूर्वक काम करती हैं। .

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समिश्र संख्या

किसी समिश्र संख्या का अर्गेन्ड आरेख पर प्रदर्शन गणित में समिश्र संख्याएँ (complex number) वास्तविक संख्याओं का विस्तार है। किसी वास्तविक संख्या में एक काल्पनिक भाग जोड़ देने से समिश्र संख्या बनती है। समिश्र संख्या के काल्पनिक भाग के साथ i जुड़ा होता है जो निम्नलिखित सम्बन्ध को संतुष्ट करती है: किसी भी समिश्र संख्या को a + bi, के रूप में व्यक्त किया जा सकता है जिसमें a और b दोनो ही वास्तविक संख्याएं हैं। a + bi में a को वास्तविक भाग तथा b को काल्पनिक भाग कहते हैं। उदाहरण: 3 + 4i एक समिश्र संख्या है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

डीएफटी

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