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टपकन सिद्धान्त

सूची टपकन सिद्धान्त

टपकन सिद्धान्त (trickle-down theory) एक अर्थशास्त्रीय सिद्धान्त है जो व्यापार एवं धनी लोगो के ऊपर लगाये गये कर घटाने का पक्षधर है। इसका मानना है कि इससे अल्पावधि में व्यापार में निवेश को बढ़ावा मिलता है जिससे समाज को दीर्घावधि में लाभ मिलता है। श्रेणी:आर्थिक सिद्धान्त.

सामग्री की तालिका

  1. 1 संबंध: कर

  2. आर्थिक विचारधाराएँ

कर

किसी राज्य द्वारा व्यक्तियों या विविध संस्था से जो अधिभार या धन लिया जाता है उसे कर या टैक्स कहते हैं। राष्ट्र के अधीन आने वाली विविध संस्थाएँ भी तरह-तरह के कर लगातीं हैं। कर प्राय: धन (मनी) के रूप में लगाया जाता है किन्तु यह धन के तुल्य श्रम के रूप में भी लगाया जा सकता है। कर दो तरह के हो सकते हैं - प्रत्यक्ष कर (direct tax) या अप्रत्यक्ष कर (indirect tax)। एक तरफ इसे जनता पर बोझ के रूप में देखा जा सकता है वहीं इसे सरकार को चलाने के लिये आधारभूत आवश्यकता के रूप में भी समझा जा सकता है। भारत के प्राचीन ऋषि (समाजशास्त्री) कर के बारे में यह मानते थे कि वही कर-संग्रहण-प्रणाली आदर्श कही जाती है, जिससे करदाता व कर संग्रहणकर्ता दोनों को कठिनाई न हो। उन्होंने कहा कि कर-संग्रहण इस प्रकार से होना चाहिये जिस प्रकार मधुमक्खी द्वारा पराग संग्रहण किया जाता है। इस पराग संग्रहण में पुष्प भी पल्लवित रहते हैं और मधुमक्खी अपने लिये शहद भी जुटा लेती है। .

देखें टपकन सिद्धान्त और कर

यह भी देखें

आर्थिक विचारधाराएँ