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जेसन सिल्वा

सूची जेसन सिल्वा

जेसन लुइस सिल्वा (जन्म 6 फ़रवरी 1 9 82) एक वेनेजुएलाई अमेरिकी टेलीविजन व्यक्तित्व, फिल्म निर्माता और सार्वजनिक वक्ता हैं। उनका लक्ष्य दर्शन और विज्ञान के बारे में लोगों को उत्तेजित करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना है| अटलांटिक सिल्वा को "वायरल वीडियो आयु के ए टिमोथी लेरी" के रूप में वर्णित करता है। वर्तमान टीवी पर एक पूर्व प्रस्तुतकर्ता सिल्वा, रचनात्मकता, आध्यात्मिकता, प्रौद्योगिकी और मानवता जैसे विषयों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्याख्यान देते हैं, लघु फिल्मों को लिखते हैं और तैयार करते हैं, और नेशनल ज्योग्राफिक के ब्रेन गेम्स को सह-मेजबान करते हैं। .

सामग्री की तालिका

  1. 8 संबंधों: टेड (सम्मेलन), दि इकॉनॉमिस्ट, नासा, नैशनल ज्यॉग्रैफिक चैनल, फ़ोर्ब्स, यूट्यूब, गूगल, कृत्रिम बुद्धिमत्ता

टेड (सम्मेलन)

टेड (TED: Technology, Entertainment, Design) टेक्नोलॉजी, मनोरंजन, डिजाइन जागतिक सम्मेलन है जो की सॅप्लिंग फाउंडेशन द्वारा चलाया जाता है| जिसमे विश्व के बुद्धिजीवी, प्रसार योग्य विचारों का लेन-देन करते हैं। "Ideas Worth Spreading" इस सम्मेलन का ब्रीदवाक्य है|.

देखें जेसन सिल्वा और टेड (सम्मेलन)

दि इकॉनॉमिस्ट

दि इकॉनॉमिस्ट​ (The Economist) ब्रिटेन में लंदन से छपने वाली एक साप्ताहिक पत्रिका है। इसमें आर्थिक, राजनैतिक और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर लेख सम्मिलित होते हैं। सितम्बर १८४३ में इसका प्रकाशन शुरू हुआ और तब से यह लगातार छपती आ रही है।, Mark Skousen, pp.

देखें जेसन सिल्वा और दि इकॉनॉमिस्ट

नासा

नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (हिन्दी अनुवाद:राष्ट्रीय वैमानिकी और अन्तरिक्ष प्रबंधन; National Aeronautics and Space Administration) या जिसे संक्षेप में नासा (NASA) कहते हैं, संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार की शाखा है जो देश के सार्वजनिक अंतरिक्ष कार्यक्रमों व एरोनॉटिक्स व एरोस्पेस संशोधन के लिए जिम्मेदार है। फ़रवरी 2006 से नासा का लक्ष्य वाक्य "भविष्य में अंतरिक्ष अन्वेषण, वैज्ञानिक खोज और एरोनॉटिक्स संशोधन को बढ़ाना" है। 14 सितंबर 2011 में नासा ने घोषणा की कि उन्होंने एक नए स्पेस लॉन्च सिस्टम के डिज़ाइन का चुनाव किया है जिसके चलते संस्था के अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में और दूर तक सफर करने में सक्षम होंगे और अमेरिका द्वारा मानव अंतरिक्ष अन्वेषण में एक नया कदम साबित होंगे। नासा का गठन नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस अधिनियम के अंतर्गत 19 जुलाई 1948 में इसके पूर्वाधिकारी संस्था नैशनल एडवाइज़री कमिटी फॉर एरोनॉटिक्स (एनसीए) के स्थान पर किया गया था। इस संस्था ने 1 अक्टूबर 1948 से कार्य करना शुरू किया। तब से आज तक अमेरिकी अंतरिक्ष अन्वेषण के सारे कार्यक्रम नासा द्वारा संचालित किए गए हैं जिनमे अपोलो चन्द्रमा अभियान, स्कायलैब अंतरिक्ष स्टेशन और बाद में अंतरिक्ष शटल शामिल है। वर्तमान में नासा अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को समर्थन दे रही है और ओरायन बहु-उपयोगी कर्मीदल वाहन व व्यापारिक कर्मीदल वाहन के निर्माण व विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है। संस्था लॉन्च सेवा कार्यक्रम (एलएसपी) के लिए भी जिम्मेदार है जो लॉन्च कार्यों व नासा के मानवरहित लॉन्चों कि उलटी गिनती पर ध्यान रखता है। .

देखें जेसन सिल्वा और नासा

नैशनल ज्यॉग्रैफिक चैनल

नैशनल ज्यॉग्रैफिक एक भारत में प्रसारित होने वाला अंग्रेज़ी चैनल है। यह चैनल स्टार समूह का एक टीवी चैनल है। .

देखें जेसन सिल्वा और नैशनल ज्यॉग्रैफिक चैनल

फ़ोर्ब्स

फोर्ब्स इन्कॉर्पोरेट, एक निजी स्वामित्व वाली प्रकाशन एवं मीडिया कंपनी है। जिसका प्रमुख प्रकाशन एक द्वि-साप्ताहिक पत्रिका फोर्ब्स है, जिसकी खपत (संचलन) 900,000 से अधिक है। अगस्त 2006 में, निजी इक्विटी फर्म, एलीवेशन पार्टनर्स, नवगठित कंपनी, फोर्ब्स मीडिया में एक अल्पसंख्यक शेयरधारक बन गयी, जिसमें फोर्ब्स पत्रिका और वेबसाइट पर अग्रणी व्यावसायिक साइटों में से एक Forbes.com शामिल हैं। Forbes.com प्रति महीने 18 लाख लोगों को तक पहुँचता है। फोर्ब्स मीडिया के अन्य वेबसाइट हैं: Investopedia; RealClearPolitics, RealClearMarkets एवं RealClearSports और True/Slant'.

देखें जेसन सिल्वा और फ़ोर्ब्स

यूट्यूब

यूट्यूब का मुख्यालय सैन ब्रूनो, कैलीफोर्निया में (२०१०) यूट्यूबएक साझा वेबसाइट (video sharing) है जहाँ उपयोगकर्ता वेबसाइट पर वीडियो देख सकता है, रेटिंग दे सकता है, टिप्पणियाँ छोड़ सकता है और वीडियॊ क्लिप साझा कर सकता है। पेपल के तीन पूर्व कर्मचारियॊं ने मध्य फरवरी (PayPal)२००५ यू ट़यूब बनायी थी।, USATODAY, October 11 (October 11), 2006.

देखें जेसन सिल्वा और यूट्यूब

गूगल

यह लेख गूगल नामक संस्था के संबंद्ध में है। सर्च इंजन के लिए, गूगल सर्च देखें। अन्य के लिए, देखें। गूगल एक अमेरीकी बहुराष्ट्रीय सार्वजनिक कम्पनी है, जिसने इंटरनेट सर्च, क्लाउड कम्प्यूटिंग और विज्ञापन तंत्र में पूँजी लगायी है। यह इंटरनेट पर आधारित कई सेवाएँ और उत्पाद बनाता तथा विकसित करता है और यह मुनाफा मुख्यतया अपने विज्ञापन कार्यक्रम ऐडवर्ड्स (AdWords) से कमाती है। यह कम्पनी स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से पी॰एच॰डी॰ के दो छात्र लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन द्वारा स्थापित की गयी थी। इन्हें प्रायः "गूगल गाइस" के नाम से सम्बोधित किया जाता है। सितम्बर 4, 1998 को इसे एक निजि-आयोजित कम्पनी में निगमित किया गया। इसका पहला सार्वजनिक कार्य/सेवा 19 अगस्त 2004 को प्रारम्भ हुआ। इसी दिन लैरी पेज, सर्गेई ब्रिन और एरिक स्ख्मिड्ट ने गूगल में अगले बीस वर्षों (2024) तक एक साथ कार्य करने की रजामंदी की। कम्पनी का शुरूआत से ही "विश्व में ज्ञान को व्यवस्थित तथा सर्वत्र उपलब्ध और लाभप्रद करना" कथित मिशन रहा है। कम्पनी का गैर-कार्यालयीन नारा, जोकि गूगल इन्जीनियर पौल बुखीट ने निकाला था— "डोन्ट बी इवल (बुरा न बनें)"। सन् 2006 से कम्पनी का मुख्यालय माउंटेन व्यू, कैलिफोर्निया में है। गूगल विश्वभर में फैले अपने डाटा-केन्द्रों से दस लाख से ज़्यादा सर्वर चलाता है और दस अरब से ज़्यादा खोज-अनुरोध तथा चौबीस उपभोक्ता-सम्बन्धी जानकारी (डाटा) संसाधित करता है। गूगल की सन्युक्ति के पश्चात् इसका विकास काफ़ी तेज़ी से हुआ है, जिसके कारण कम्पनी की मूलभूत सेवा वेब-सर्च-इंजन के अलावा, गूगल ने कई नये उत्पादों का उत्पादन, अधिग्रहण और भागीदारी की है। कम्पनी ऑनलाइन उत्पादक सौफ़्ट्वेयर, जैसे कि जीमेल ईमेल सेवा और सामाजिक नेटवर्क साधन, ऑर्कुट और हाल ही का, गूगल बज़ प्रदान करती है। गूगल डेस्कटॉप कम्प्युटर के उत्पादक सोफ़्ट्वेयर का भी उत्पादन करती है, जैसे— वेब ब्राउज़र गूगल क्रोम, फोटो व्यवस्थापन और सम्पादन सोफ़्ट्वेयर पिकासा और शीघ्र संदेशन ऍप्लिकेशन गूगल टॉक। विशेषतः गूगल, नेक्सस वन तथा मोटोरोला ऍन्ड्रोइड जैसे फोनों में डाले जाने वाले ऑपरेटिंग सिस्टम ऍन्ड्रोइड, साथ-ही-साथ गूगल क्रोम ओएस, जो फिलहाल भारी विकास के अन्तर्गत है, पर सीआर-48 के मुख्य ऑपरेटिंग सिस्टम के रूप में प्रसिद्ध है, के विकास में अग्रणी है। एलेक्सा google.com को इंटरनेट की सबसे ज़्यादा दर्शित वेबसाइट बताती है। इसके अलावा गूगल की अन्य वेबसाइटें (google.co.in, google.co.uk, आदि) शीर्ष की सौ वेबासाइटों में आती हैं। यही स्थिती गूगल की साइट यूट्यूब और ब्लॉगर की है। ब्रैंडज़ी के अनुसार गूगल विश्व का सबसे ताकतवर (नामी) ब्राण्ड है। बाज़ार में गूगल की सेवाओं का प्रमुख होने के कारण, गूगल की आलोचना कई समस्याओं, जिनमें व्यक्तिगतता, कॉपीराइट और सेंसरशिप शामिल हैं, से हुई है। .

देखें जेसन सिल्वा और गूगल

कृत्रिम बुद्धिमत्ता

किस्मत, प्रारंभिक स्किल्स सहित एक रोबोट कृत्रिम बुद्धिमत्ता (अंग्रेज़ी:आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का अर्थ है कृत्रिम तरीक़े से विकसित की गई बौदि्धक क्षमता। कृत्रिम बुद्धिमत्ता का आरंभ 1950 के दशक में हुआ था। ये संगणक और संगणक प्रोग्रामों को उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने का प्रयास होता है जिसके आधार पर मानव मस्तिष्क चलते हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उद्देश्य होता है कि संगणक अपने-आप तय कर पाये उसकी अगली गतिविधि क्या होगी। इसके लिए संगणक को अलग-अलग परिस्थितियों के अनुसार अपनी प्रतिक्रिया चुनने के लिए प्रोग्राम किया जाता है। इसके पीछे यही प्रयास होता है कि संगणक मानव की सोचने की प्रक्रिया की नकल कर पाये। इसका एक अनूठा उदाहरण है शतरंज खेलने वाले संगणक। ये संगणक प्रोग्राम मानव मस्तिष्क की लगभग हर चाल की काट और अपनी अगली चाल सोचने के लिए संगणक को प्रोग्राम किया हुआ है। ये इतना सफल रहा है कि मई 1997में आईबीएम का संगणक डीप ब्लू ने विश्व के सबसे नामी शतरंज खिलाड़ी गैरी कास्परोव को हरा चुका है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दो शब्दों से मिलकर बना होता है। 1-   आर्टिफिशियल जिसका मललव होता है ऐसाी वस्तु जो प्राकृतिक नहीं हो मतलव कि उसे मानव के द्वारा वनाया गया हो या कहे की कृत्रिम हो। 2.   इंटेलिजेंस - इस तात्पर्य है कि सोचने, समझने एवं सीखने की योग्यता है। इस प्रकार हम कह सकते है कि एक इस तरह का सिस्टम विकसित करना जो कृत्रिम रूप से सोचने, समझने एवं सीखने की क्षमता रखता हो जैसे की मानव रखता हैं। मतलब की एक ऐसा सिस्टम जो व्यवहार  प्रतिक्रिया देने में दक्ष हो और जो मानव से भी वेहतर हो। इस पर अध्यन चल रहा है। इसे लघु शब्दों में एआई भी कह सकते है हम कह सकते है कि फेसबुक में जो फ्रेन्ड सजेशन का जो ऑप्शन है वह ए.आई का एक हिस्सा है। कई बार हम रोबोट को एआई कह देते है ऐसा नहीं है रोबोट एक ऐसा सिस्टम है जिसमें एआई को डाला गया है। हम इसे इस तरह भी परिभाषित कर सकते है की  इस प्रकार का  अध्यन जिसमें हम एक ऐसा सोफटवेयर विकसित करे जिससे  एक कम्प्यूटर भी इंसान की तरह और उससे बेहतर प्रतिक्रिया दे सके। एआई में कई विषय आते है जिसमे दर्शन, समाजशास्त्र और गणित एवं भाषा का ज्ञान होता हैं। एआई को चार भागों में विभाजित कर सकते हैं। 1-   इंसान की तरह सोचना 2- इंसान की तरह व्यवहार करना 3- तर्क एवं विचारो युक्त मतलब संवदेनशील, बुद्धिमान,  तथ्यों को समझना एवं तर्क एवं विचारों पर अपनी प्रतिक्रिया भी देना। इस तरह हम कह सकते है कृत्रिम तरह से एक ऐसा सिस्टम विकसित करना जो इंसान की तरह कार्य कर सके, सोच सके एवं अपनी प्रतिक्रिया दे सके है। जब भी मानव बुद्धिमत्ता की चर्चा होती है, तब अनेक बुद्धिमान लोगों का स्मरण होता है। हाल के वर्षों में मानवीय सोच समझ इतनी तेजी से विकसित होती जा रही है कि प्रकृति की रचना को हर क्षेत्र में कड़ी चुनौती दे रही है। विज्ञाण की प्रगति के साथ साथ हरेक चीज कृत्रिम बनती जा रही है। इस प्रगति में मानव ने बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में भी अपने अनुभव और आकांक्षाओं से कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानि कृत्रिम बुद्धिमत्ता विकसित करने का प्रयास किया है। वैज्ञानिकों द्वारा ऐसे संगणक भी आविष्कृत कर लिए गए हैं जिनमें जटिल से जटिल कार्य को न्यूनतम समय में करने की क्षमता होती है। आधुनिक कंप्यूटरीकृत मशीनें किसी लिखे हुए पाठ को मानव की तरह से ही शब्दों की पहचान कर एवं पढ़ सकती है। ऑटो पायलट मोड पर वायुयान, मशीन द्वारा संचालित किये जाते हैं। कंप्यूटरों में ध्वनियां और आवाजों को पहचानने की क्षमता होती है। किन्तु कृत्रिम बुद्धिमत्ता एक रूप से सीमित भी है, क्योंकि इसका सामर्थ्य इसकी प्रोग्रामिंग पर निर्भर करता है। लेकिन मानवीय मस्तिष्क में ऐसी कोई सीमा निश्चित नहीं होती है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता ने मानवीय कार्य को काफी सुविधाजनक बना दिया है। सौ मस्तिष्कों की क्षमता वाला कार्य, मात्र एक ही संगणक सुलभ कर सकता है। ये बात गणनाओं व तर्कों के संदर्भ में है। एआई के प्रमुख एप्लीकेशन निम्न है 1- एक्सपर्ट सिस्टम 2 - गेम प्लेयिंग 3 - स्पीच रिकग्निशन 4 - नेचुरल लैंग्वेज 5 - कंप्यूटर विज़न 6 - न्यूरल नेटवर्क 7 - रोबोटिक्स 8 - फाइनेंस 9 - कंप्यूटर साइंस 10 - मौसम का पूर्वानुमान 11 - उड्डयन इसे तीन भागो में विभाजित किया गया है 1-कमजोर कृत्रिम बुद्धिमत्ता 2-शक्तिशाली कृत्रिम बुद्धिमत्ता 3- विलक्षणता कृत्रिम बुद्धिमत्ता के फायदे और नुकसान ऐसा माना जा रहा है कि इससे कम कम हो जायेंगे और मानव के स्थान पर मशीनो को काम में लिया जायेगा जिसके कई नुकसान भी हो सकते है कि मशीन स्वयं ही निर्णय लेने लगेगी और उस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो वह मानव सभ्यता के लिए हानिकारक हो सकता है .

देखें जेसन सिल्वा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता