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जीन ब्रॉडी

सूची जीन ब्रॉडी

''द प्राईम ऑफ मिस जीन ब्रॉडी'' के फिल्म रूपांतरण में शीर्षक चरित्र के रूप में मैगी स्मिथ जीन ब्रॉडी मुरियल स्पार्क के बिह्त्रीन उपन्यासद प्राईम ऑफ मिस जीन ब्रॉडी (1961) में; और इस उपन्यास पर आधारित लेकिन मौलिक थिएटर और काव्यात्मक लाइसेंस के हित में बहुत भिन्न, प्रेसन एलन के इसी नाम के नाटक और 1969 की फिल्म में एक काल्पनिक चरित्र है।  मिस ब्रॉडी एक अतिरंजित रोमांटिक दुनिया को देखने के साथ एक उच्च आदर्शवादी चरित्र है, जिस के बहुत से सूत्रवाक्य अंग्रेजी भाषा में क्लीशे बन गए हैं। चरित्र का नाम ऐतिहासिक जीन ब्रॉडी (उर्फ जीन वाट), जो विली ब्रॉडी की लोक-विधि पत्नी या रखैल थी, जिसकी एक प्रत्यक्ष वंशज होने का दावा काल्पनिक ब्रॉडी करती है; इस प्रकार, वह वास्तविक जीन ब्रॉडी की काल्पनिक हमनाम है। असली डिकॉन विली ब्रॉडी  वास्तव में एक कैबिनेटमेकर और जिबट (फ़ांसी लगाने की मशीन) का निर्माता था जिसे वास्तव में उसने खुद डिज़ाइन किया हो सकता है। डिकॉन ब्रॉडी कर्क ओ' स्कॉटलैंड का एक डिकॉन था; उसने आबकारी कार्यालय को लूट लिया था; और उसे जिस जिबट से फ़ांसी लगाया गया वह उसने खुद डिज़ाइन किया हो सकता है। इसी तरह, डिकॉन ब्रॉडी की काल्पनिक वंशज हालांकि बहुत अधिक मानव और दिलकश है उसे स्वयं को ही आहत करने द्वारा वर्णित किया जा सकता है। विलियम और जीन वाट ब्रॉडी की कहानी को डब्ल्यू ई हेन्ले और रॉबर्ट लुइस स्टीवेन्सन द्वारा डैकॉन ब्रोडी  याद डबल लाइफ-ए मेलोड्रामा इन पांच एक्ट्स औरआठ टॉबॉ  में  भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित कर दिया है। यह नाटक 2 जुलाई 1884 को लंदन में प्रिंस'ज़ थिएटर में खेला गया, जिसमें श्री ई जे हेन्ली ने डीकन विलियम ब्रोडी का और मिस मिन्नी बेल ने जीन का रोल किया। श्री हेन्ले ने 26 सितंबर 1887 को मॉन्ट्रियल में इस बार जीन वाट/ब्रोडी की भूमिका में मिस कैरी कॉट के साथ अपने प्रदर्शन का दोहराव किया। .

6 संबंधों: मानववाद, मुरियल स्पार्क, लोक-विधि, सूत्रवाक्य, क्लीशे, अंग्रेज़ी भाषा

मानववाद

मानववाद या मनुष्यवाद (ह्यूमनिज़्म / humanism) दर्शनशास्त्र में उस विचारधारा को कहते हैं जो मनुष्यों के मूल्यों और उन से सम्बंधित मसलों पर ध्यान देती है। अक्सर मानववाद में धार्मिक दृष्टिकोणों और अलौकिक विचार-पद्धतियों को हीन समझा जाता है और तर्कशक्ति, न्यायिक सिद्धांतों और आचारनीति (ऍथ़िक्स) पर ज़ोर होता है। मानववाद की एक "धार्मिक मानववाद" नाम की शाखा भी है जो धार्मिक विचारों को मानववाद में जगह देने का प्रयत्न करती है। .

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मुरियल स्पार्क

डेम मुरियल सारा  स्पार्क (उर्फ़ कैमबर्ग; 1 फरवरी 1918 – 13 अप्रैल, 2006).

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लोक-विधि

विश्व में साधारण कानून प्रणालियों वाले देश लोक-विधि (common law / कॉमन लॉ) या 'साधारण कानून' ऐसे कानून को बोला जाता है जो संसदीय और विधान सभाओं में बनने के बजाए न्यायाधीशों द्वारा अदालतों में फ़ैसले सुना कर बनाया जाता है। साधारण कानून के अनुसार चलने वाली न्यायिक प्रणालियों में न्यायालयों में लड़े जा रहे मुक़द्दमों में अदालत उस से मिलते-जुलते पहले लड़े गए मुक़द्दमों के निर्णयों को ध्यान में रखती है और उनके अनुसार फ़ैसला सुनती है। भूतकाल में सुनाए गए सभी न्यायिक फ़ैसले मिलकर साधारण कानून बनाते हैं। जब भी कोई नया मसला किसी न्यायलय में सुनवाई के लिए आता है तो न्यायाधीश तय करते हैं कि ऐसा प्रश्न पहले देखा गया है कि नहीं। अगर देखा गया है, तो अदालत पर अनिवार्य है कि उस से मिलता-जुलता फ़ैसला सुनाए। अगर नहीं देखा गया है, तो इसमें सुनाया गया निर्णय आने वाले ऐसे मामलों के लिए भी निर्णायक कानून का रूप धारण कर लेता है। साधारण कानून प्रणालियाँ पहले ब्रिटेन में मध्यकाल में उत्पन्न हुई, लेकिन फिर भूतपूर्व ब्रिटिश साम्राज्य में सम्मिलित बहुत से देशों में फैल गई। आधुनिक युग में अमेरिका, भारत, मलेशिया, सिंगापुर, पाकिस्तान, श्रीलंका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ़्रीका, आयरलैंड, न्यु ज़ीलैंड, घाना और बांग्लादेश में साधारण कानून व्यवस्था का प्रयोग होता है। .

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सूत्रवाक्य

"मैं वापस आऊँगा" ("आई'ल बी बैक") हालीवुड अभिनेता अर्नोल्ड श्वार्ज़नेगर का तकिया कलाम था जिसे कहकर वह अपनी फ़िल्मों में खलनायकों को धमकाते थे सूत्रवाक्य या तकिया कलाम एक ऐसे वाक्य या वाक्यांश को बोलते हैं जो बार-बार किसी व्यक्ति या चीज़ के सन्दर्भ में सुने जाने से लोक संस्कृति में पहचाना जाने लगता है। दूसरे शब्दों में यह केवल एक वाक्य न रह के एक सूत्र बन गया हो। मसलन, "कुत्ते-कमीने, मैं तेरा ख़ून पी जाऊँगा" हिन्दी फिल्म अभिनेता धर्मेन्द्र का तकिया कलाम माना जाता है। सूत्रवाक्य और नारों में एक समानता यह है के दोनों के शब्दों को बहुत से लोग पहचानते हैं, लेकिन एक अंतर यह है के नारों का मक़सद लोगों को किसी कार्य को करने के लिए उत्तेजित करना होता है जबकि यह किसी तकिया कलाम के साथ ज़रूरी नहीं है। इंदिरा गांधी का "ग़रीबी हटाओ" नारा भी था और उनका तकिया कलाम भी था। .

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क्लीशे

क्लीशे या घिसा-पिटा या पिष्टोक्ति एक ऐसा वाक्य, विचार, या कला का तत्व होता है जो बहुत अधिक प्रयोग होने की वजह से अपना मूल अर्थ खो चूका हुआ। अक्सर यह ऐसी चीजें होती हैं जो आरम्भ में बहुत अर्थपूर्ण, नवीन या नाज़ुक समझी जाती हों। उदहारण के लिए एक प्रेमी का अपनी प्रेमिका से कहना के "मै तुम्हारे लिए तारे तोड़ लाऊँगा" किसी ज़माने में बहुत अर्थ रखता था लेकिन अब एक क्लिशे बनकर अर्थहीन हो चुका है। इसी तरह भारतीय राजनीति में "हमारा उद्देश्य ग़रीबों की मदद करना है" एक घिसा-पिटा नारा बन चुका है। कला में ऐसे तत्वों का इस्तेमाल करना नौसिखिये या मध्यम-स्तरीय होने की निशानी माना जाता है। यह ज़रूरी नहीं है के क्लिशे का प्रयोग हमेशा झूँठ या धूर्तता दिखलाता है - यह सच्चाई और इमानदारी से भी प्रयोग हो सकता है। लेकिन सुनने या देखने वाले के लिए घिसी-पिटी चीज़ में आश्चर्य या भावुकता नहीं उत्पन्न होती। उदहारण के लिए किसी फ़िल्म में "मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनने वाली हूँ" का वाक्य सच्चाई से भी कहा जाए तो भी उपहास का विषय बन चुका है। .

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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