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जलालपुर जट्टां

सूची जलालपुर जट्टां

जलालपुर जट्टां (अंग्रेज़ी:Jalalpur Jattan उर्दू:جلالپور جٹاں) पाकिस्तानी पंजाब के ज़िला गुजरात का एक शहर है। .

28 संबंधों: चनाब नदी, चन्द्रगुप्त मौर्य, झेलम नदी, देश, नानख़ताई, नियंत्रण रेखा, नगरपालिका, पाकिस्तान की प्रशासनिक इकाइयाँ, पाकिस्तानी मानक समय, पंजाब (पाकिस्तान), पुरूवास, महाराजा रणजीत सिंह, मौर्य राजवंश, यूनानी, सिख साम्राज्य, सिकंदर, संस्कृत भाषा, जलालपुर–गुजरात सड़क, जलालुद्दीन ख़िलजी, ज़िला, गुजरात (शहर), गुजरात ज़िला, औरंगज़ेब, इस्लाम गढ़, कुल्ला चोर, अहमद शाह अब्दाली, अंग्रेज़ी भाषा, उर्दू भाषा

चनाब नदी

चिनाब नदी या चंद्रभागा नदी भारत के हिमाचल प्रदेश के लाहौल एवं स्पीति जिला में दो नदियों चंद्र नदी एवं भागा नदी के संगम से बनी है। यह आगे जम्मू व कश्मीर से होते हुए पाकिस्तान में सिंधु नदी से जाकर मिलती है। .

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चन्द्रगुप्त मौर्य

चन्द्रगुप्त मौर्य (जन्म ३४५ ई॰पु॰, राज ३२२-२९८ ई॰पु॰) में भारत के सम्राट थे। इनको कभी कभी चन्द्रगुप्त नाम से भी संबोधित किया जाता है। इन्होंने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी। चन्द्रगुप्त पूरे भारत को एक साम्राज्य के अधीन लाने में सफ़ल रहे। भारत राष्ट्र निर्माण मौर्य गणराज्य (चन्द्रगुप्त मौर्य) सम्राट् चंद्रगुप्त मौर्य के राज्यारोहण की तिथि साधारणतया ३२२ ई.पू.

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झेलम नदी

320px झेलम उत्तरी भारत में बहनेवाली एक नदी है। वितस्ता झेलम नदी का वास्तविक नाम है। कश्मीरी भाषा में इसे व्यथ कहते हैं। इसका उद्भव वेरीनाग नामी नगर में है। .

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देश

एक देश किसी भी जगह या स्थान है जिधर लोग साथ-साथ रहते है, और जहाँ सरकार होती है। संप्रभु राज्य एक प्रकार का देश है। संयुक्त राष्ट्र १९३ देशों को मानती है। .

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नानख़ताई

नानख़ताई बिस्कुट की एक प्रकार है जिस की उत्पत्ति सूरत में हुई। ये बिस्कुट भारत और पाकिस्तान में बहुत लोकप्रिय हैं। नानख़ताई का शब्द फ़ारसी के शब्द नान और अफ़ग़ानी के शब्द ख़ताई से आया है जिस का अर्थ रोटी के बिस्कुट है। अफ़ग़ानिस्तान और पूर्वोत्तर ईरान में इसे कुल्चाये खताई कहा जाता है। कुलचा भी नान जैसी एक रोटी का नाम है। .

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नियंत्रण रेखा

हरे रंग में दो पाकिस्तानी अधिकार क्षेत्र दिखाए गये हैं - फैडरली एड्मिनिस्टर्ड नॉर्थर्न एरियाज़ (एफ ए एन ए) उत्तर में, तथा आज़ाद जम्मू एवं कश्मीर (ए जे के) दक्षिण में। नारंगी रंग में भारतीय नियंत्रण वाले जम्मू कश्मीर राज्य को दिखाया गया है और हैचिंग किये क्षेत्र में चीनी नियंत्रण वाला अकसाई चिन क्षेत्र दिखाया गया है। नियंत्रण रेखा (अंग्रेज़ी:लाइन ऑफ कंट्रोल), भारत और पाकिस्तान के बीच खींची गयी ७४० किलोमीटर लंबी सीमा रेखा है। यह रेखा दोनो देशों के बीच पिछले ५० वर्षों से विवाद का विषय बनी हुई है। वर्तमान नियंत्रण रेखा यहां १९४७ में दोनों देशों के बीच हुए युद्ध को विराम देकर तत्कालीन नियंत्रण स्थिति पर खींची गयी थी, जो आज भी लगभग वैसी ही है।। अमर उजाला तब कश्मीर के कई भागों में पाकिस्तान ने आक्रमण कर दिया था और भारतीय सेनाएं कश्मीर की सुरक्षा हेतु आगे आयीं थीं। उत्तरी भाग में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को कारगिल सैक्टर से पीछे श्रीनगर-लेह राजमार्ग तक पछाड़ दिया था। १९६५ में पाकिस्तान ने फिर आक्रमण किया किन्तु लड़ाई में गतिरोध उत्पन्न हुआ, जिसके चलते यथास्थिति १९७१ तक बनी रही। नियंत्रण रेखा का संयुक्त राज्य मानचित्र। सियाचिन हिमनद के निकट रेखा स्पष्ट नहीं की गयी है। १९७१ में बांग्लादेश युद्ध के उत्तर में पाकिस्तान ने फिर कश्मीर पर आक्रमण किया जिससे नियंत्रण रेखा के दोनों ओर दोनों ही देशों ने एक दूसरे की चौकियों पर नियंण्त्रण किया था। भारत को नियंत्रण रेखा के उत्तरी भाग में लद्दाख क्षेत्र से लगभग ३०० वर्ग मील भूमि मिली थी। ३ जुलाई, १९७२ में शिमला समझौते के परिणामस्वरूप शांतिवार्ता के बाद नियंत्रण रेखा को बहाळ किया गया। पारस्परिक समझौते में आपसी वार्ता से मामले के सुलझ जाने तक यथास्थिति बहाल रखे जाने की बात मानी गयी। यह प्रक्रिया कई माह तक चली और फील्ड कमाण्डरों अगले पांच माहों में लगभग बीस मानचित्र एक दूईसरे को दिये और अंततः कुछ समझौते हुए। फिर भी दोनों देशों के बीच समय समय पर छिटपुट युद्ध होते रहते हैं। साथ ही एक बड़ा युद्ध कार्गिल युद्ध भी हो चुका है। इस रेखा के भारतीय ओर इंडियन कश्मीर बैरियर है जो लंबा पृथक्करण अवरोध है और लंबी विवादित १९७२ लाइन ऑफ कंट्रोल (या सीज़फायर लाइन) पर बना है। यहां भारत द्वारा रेखा के काफी अंदर भारतीय नियंत्रण की ओर दोहरी बाड़ लगायी गई है। इसका उद्देश्य हथियारों की तस्करी और पाकिस्तानी आतंकवादियों व अलगाववादियों द्वारा घुसपैठ रोकना है। यह अवरोध दोहरी बाड़ और कन्सर्टीना तारों के ८-१२ फीट (२.४-३.७ मी.) ऊंचाई तक बना है और विद्युतीकृत है। इसमें गति-सेंसर, ताप-चित्र (थर्मल इमेजिंग) व अलार्म सायरनों का जाल है, जहां जहां विद्युत आपूर्ति उपलब्ध है। एक छोटा भाग ऐसा भि है, जिसमें दोनों बाड़ों के बीच खंदक भी खुदी हुई है। इस अवरोध का निर्माण १९९० के दशक में आरंभ हुआ था, जो २००० में पाक घुसपैठ के चलते कुछ धीमा पड़ गया था, किन्तु नवंबर, २००३ के बाद घोषित रुद्ध विराम के उपरांत फिर आरंभ हुआ और २००४ के अंत तक पूर्ण हुआ। कश्मीर घाटी और जम्मू क्षेत्र में बाड़ ३० सितंबर २००४ को पूर्ण हुई थी। भारतीय सेना स्रोतों व आंकड़ों के अनुसार इस अवरोध से पाक घुसपैठ में ८०% की कमी आयी है। यहीं से पहले पाक घुसपैठिये व आतंकवादी आकर भारतीय क्षेत्र में सैनिकों पर हमले किया करते थे। .

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नगरपालिका

नगरपालिका (municipality) एक निश्चित भूभाग एवं जनसंख्या वाला प्रशासकीय संभाग (administrative division) होता है। यह किसी नगर, कस्बा या गाँव या उनके किसी भाग का द्योतक है। श्रेणी:प्रशासनिक विभाग.

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पाकिस्तान की प्रशासनिक इकाइयाँ

पाकिस्तान की प्रशासनिक इकाइयां पाकिस्तान के प्रशासनिक ढांचे के अंतर्गत चार सूबे (प्रांत), एक संघीय राजधानी क्षेत्र और संघ-शासित जनजातीय क्षेत्रों का एक समूह आता है। इस शीर्ष स्तर के नीचे सरकार के चार स्तर और हैं, जिनमें 27 डिवीजनें, एक सौ पाँच जिले, चार सौ से अधिक तहसीलें और कई हजार संघ परिषदें शामिल हैं। .

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पाकिस्तानी मानक समय

पाकिस्तानी मानक समय या पाकिस्तान का मयारी वक़्त या पाकिस्तान स्टैन्डर्ड टाइम (पी॰ऍस॰टी॰, Pakistan Standard Time) पाकिस्तान का समय मंडल है। यह ग्रीनविच मानक समय से पाँच घंटे आगे हैं, यानि यूटीसी +०५:०० में पड़ता है। यह भारतीय मानक समय से आधा घंटा पीछे है। पाकिस्तान में कभी-कभी गर्मियों के मौसम में दिवालोक बचत समय (डेलाईट सेविंग टाइम) की प्रथा चलाई गई है लेकिन सन् २०१० के बाद फ़िलहाल यह बंद है।, Asif Masood, pp.44, 2010, UN ESCAP (Economic and Social Commission for Asia and the Pacific), United Nations,...

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पंजाब (पाकिस्तान)

पंजाब पंजाब पाकिस्तान का एक प्रान्त है। इसमें ३६ जिले हैं। पंजाब आबादी के अनुपात से पाकिस्तान का सब से बड़ा राज्य है। पंजाब में रहने वाले लोग पंजाबी कहलाते हैं। पंजाब की दक्षिण की तरफ़ सिंध, पश्चिम की तरफ़ ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा और बलोचिस्तान,‎‎‎ उत्तर की तरफ़ कश्मीर और इस्लामाबाद और पूर्व में हिन्दुस्तानी पंजाब और राजस्थान से मिलता है। पंजाब में बोली जाने वाली भाषा भी पंजाबी कहलाती है। पंजाबी के अलावा वहां उर्दु और सराइकी भी बोली जाती है। पंजाब की (राजधानी) लाहौर है। पंजाब फ़ारसी भाषा के दो शब्दों - 'पंज' यानि 'पांच' (५) और 'आब' यानि 'पानी' से मिल कर बना है। इन पांच दरियाओं के नाम हैं.

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पुरूवास

राजा पुरुवास या राजा पोरस का राज्य पंजाब में झेलम से लेकर चेनाब नदी तक फैला हुआ था। वर्तमान लाहौर के आस-पास इसकी राजधानी थी। राजा पोरस (राजा पुरू भी) पोरवा राजवंश के वशंज थे, जिनका साम्राज्य पंजाब में झेलम और चिनाब नदियों तक (ग्रीक में ह्यिदस्प्स और असिस्नस) और उपनिवेश ह्यीपसिस तक फैला हुआ था। पोरस राजा बमनी और रानी अनुसूईया का बेटा था। लाची पोरस की पत्नी थी। मालायकेतु पोरस का बड़ा बेटा था। सिधारत पोरस का छोटा बेटा था। राजा अरुनायक पोरस का ससुर और रानी महाननदनी पोरस की सास थी। सुमेरा लाची का बड़ा भाई था। तक्षशिला का राजा आमभिराज (आमभि) पोरस का मामा था। आमभि पोरस की माता अनुसूईया का बड़ा भाई था। रानी आलका पोरस की मामी थी। आमभिकुमार आमभि का बेटा था। बमनी की दूसरी पत्नी कदिका थी। कनिषक कदिका का बेटा था। कनिषक का वध पोरस ने किया था कयोकि कनिषक ने बमनी को मारना चाहा था। शिवदत बमनी का बड़ा भाई था जो हमेशा छल करता रहता था। अनुसूईया ने शिवदत का वध किया था कयोकि शिवदत ने कनिषक के साथ बमनी को मारने की कोशिश की थी .

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महाराजा रणजीत सिंह

महाराजा रणजीत सिंह (पंजाबी: ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ) (१७८०-१८३९) सिख साम्राज्य के राजा थे। वे शेर-ए पंजाब के नाम से प्रसिद्ध हैं। जाट सिक्ख महाराजा रणजीत एक ऐसी व्यक्ति थे, जिन्होंने न केवल पंजाब को एक सशक्त सूबे के रूप में एकजुट रखा, बल्कि अपने जीते-जी अंग्रेजों को अपने साम्राज्य के पास भी नहीं भटकने दिया। रणजीत सिंह का जन्म सन 1780 में गुजरांवाला (अब पाकिस्तान) जाट सिक्ख महाराजा महां सिंह के घर हुआ था। उन दिनों पंजाब पर सिखों और अफगानों का राज चलता था जिन्होंने पूरे इलाके को कई मिसलों में बांट रखा था। रणजीत के पिता महा सिंह सुकरचकिया मिसल के कमांडर थे। पश्चिमी पंजाब में स्थित इस इलाके का मुख्यालय गुजरांवाला में था। छोटी सी उम्र में चेचक की वजह से महाराजा रणजीत सिंह की एक आंख की रोशनी जाती रही। महज 12 वर्ष के थे जब पिता चल बसे और राजपाट का सारा बोझ इन्हीं के कंधों पर आ गया। 12 अप्रैल 1801 को रणजीत ने महाराजा की उपाधि ग्रहण की। गुरु नानक के एक वंशज ने उनकी ताजपोशी संपन्न कराई। उन्होंने लाहौर को अपनी राजधानी बनाया और सन 1802 में अमृतसर की ओर रूख किया। महाराजा रणजीत ने अफगानों के खिलाफ कई लड़ाइयां लड़ीं और उन्हें पश्चिमी पंजाब की ओर खदेड़ दिया। अब पेशावर समेत पश्तून क्षेत्र पर उन्हीं का अधिकार हो गया। यह पहला मौका था जब पश्तूनों पर किसी गैर मुस्लिम ने राज किया। उसके बाद उन्होंने पेशावर, जम्मू कश्मीर और आनंदपुर पर भी अधिकार कर लिया। पहली आधुनिक भारतीय सेना - "सिख खालसा सेना" गठित करने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। उनकी सरपरस्ती में पंजाब अब बहुत शक्तिशाली सूबा था। इसी ताकतवर सेना ने लंबे अर्से तक ब्रिटेन को पंजाब हड़पने से रोके रखा। एक ऐसा मौका भी आया जब पंजाब ही एकमात्र ऐसा सूबा था, जिस पर अंग्रेजों का कब्जा नहीं था। ब्रिटिश इतिहासकार जे टी व्हीलर के मुताबिक, अगर वह एक पीढ़ी पुराने होते, तो पूरे हिंदूस्तान को ही फतह कर लेते। महाराजा रणजीत खुद अनपढ़ थे, लेकिन उन्होंने अपने राज्य में शिक्षा और कला को बहुत प्रोत्साहन दिया। उन्होंने पंजाब में कानून एवं व्यवस्था कायम की और कभी भी किसी को मृत्युदण्ड नहीं दी। उनका सूबा धर्मनिरपेक्ष था उन्होंने हिंदुओं और सिखों से वसूले जाने वाले जजिया पर भी रोक लगाई। कभी भी किसी को सिख धर्म अपनाने के लिए विवश नहीं किया। उन्होंने अमृतसर के हरिमन्दिर साहिब गुरूद्वारे में संगमरमर लगवाया और सोना मढ़वाया, तभी से उसे स्वर्ण मंदिर कहा जाने लगा। बेशकीमती हीरा कोहिनूर महाराजा रणजीत सिंह के खजाने की रौनक था। सन 1839 में महाराजा रणजीत का निधन हो गया। उनकी समाधि लाहौर में बनवाई गई, जो आज भी वहां कायम है। उनकी मौत के साथ ही अंग्रेजों का पंजाब पर शिकंजा कसना शुरू हो गया। अंग्रेज-सिख युद्ध के बाद 30 मार्च 1849 में पंजाब ब्रिटिश साम्राज्य का अंग बना लिया गया और कोहिनूर महारानी विक्टोरिया के हुजूर में पेश कर दिया गया। .

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मौर्य राजवंश

मौर्य राजवंश (३२२-१८५ ईसापूर्व) प्राचीन भारत का एक शक्तिशाली एवं महान राजवंश था। इसने १३७ वर्ष भारत में राज्य किया। इसकी स्थापना का श्रेय चन्द्रगुप्त मौर्य और उसके मन्त्री कौटिल्य को दिया जाता है, जिन्होंने नन्द वंश के सम्राट घनानन्द को पराजित किया। मौर्य साम्राज्य के विस्तार एवं उसे शक्तिशाली बनाने का श्रेय सम्राट अशोक को जाता है। यह साम्राज्य पूर्व में मगध राज्य में गंगा नदी के मैदानों (आज का बिहार एवं बंगाल) से शुरु हुआ। इसकी राजधानी पाटलिपुत्र (आज के पटना शहर के पास) थी। चन्द्रगुप्त मौर्य ने ३२२ ईसा पूर्व में इस साम्राज्य की स्थापना की और तेजी से पश्चिम की तरफ़ अपना साम्राज्य का विकास किया। उसने कई छोटे छोटे क्षेत्रीय राज्यों के आपसी मतभेदों का फायदा उठाया जो सिकन्दर के आक्रमण के बाद पैदा हो गये थे। ३१६ ईसा पूर्व तक मौर्य वंश ने पूरे उत्तरी पश्चिमी भारत पर अधिकार कर लिया था। चक्रवर्ती सम्राट अशोक के राज्य में मौर्य वंश का बेहद विस्तार हुआ। सम्राट अशोक के कारण ही मौर्य साम्राज्य सबसे महान एवं शक्तिशाली बनकर विश्वभर में प्रसिद्ध हुआ। .

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यूनानी

यूनानी का अर्थ यूनान-सम्बन्धी -- लोग, भाषा, संस्कृति अत्यदि। यूनानियों ने भारत को इंडिया कहा .

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सिख साम्राज्य

महाराजा रणजीत सिंह सिख साम्राज्य(ਸਿੱਖ ਸਲਤਨਤ; साधारण नाम खाल्सा राज) का उदय, उन्नीसवीं सदी की पहली अर्धशताब्दी में भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तर में एक ताकतवर महाशक्ती के रूप में हुआ था। महाराज रणजीत सिंह के नेत्रित्व में उसने, स्वयं को पश्चिमोत्तर के सर्वश्रेष्ठ रणनायक के रूप में स्थापित किया था, जन्होंने खाल्सा के सिद्धांतों पर एक मज़बूत, धर्मनिर्पेक्ष हुक़ूमत की स्थापना की थी जिस की आधारभूमि पंजाब थी। सिख साम्राज्य की नींव, सन् १७९९ में रणजीत सिंह द्वारा, लाहौर-विजय पर पड़ी थी। उन्होंने छोटे सिख मिस्लों को एकत्रित कर एक ऐसे विशाल साम्राज्य के रूप में गठित किया था जो अपने चर्मोत्कर्ष पर पश्चिम में ख़ैबर दर्रे से लेकर पूर्व में पश्चिमी तिब्बत तक, तथा उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में मिथान कोट तक फैला हुआ था। यह १७९९ से १८४९ तक अस्तित्व में रहा था। .

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सिकंदर

सिकंदर (Alexander) (356 ईपू से 323 ईपू) मकदूनियाँ, (मेसेडोनिया) का ग्रीक प्रशासक था। वह एलेक्ज़ेंडर तृतीय तथा एलेक्ज़ेंडर मेसेडोनियन नाम से भी जाना जाता है। इतिहास में वह कुशल और यशस्वी सेनापतियों में से एक माना गया है। अपनी मृत्यु तक वह उन सभी भूमि मे से लगभग आधी भूमि जीत चुका था, जिसकी जानकारी प्राचीन ग्रीक लोगों को थी(सत्य ये है की वह पृथ्वी के मात्र 5 प्रतीशत हिस्से को ही जीत पाया था) और उसके विजय रथ को रोकने में सबसे मुख्य भूमिका भारत के महान राजा पुरु (जिन्हे युनानी इतिहासकारों नें पोरस से सम्बोधित किया है।)और भारत के क्षेत्रीय सरदारो की थी, जिन्होंने सिकंदर की सेना में अपने पराक्रम के दम पर भारत के प्रति खौफ पैदा कर उसके हौसले पस्त कर दिये और उसे भारत से लौटने पर मजबूर कर दिया।। उसने अपने कार्यकाल में इरान, सीरिया, मिस्र, मसोपोटेमिया, फिनीशिया, जुदेआ, गाझा, बॅक्ट्रिया और भारत में पंजाब(जिसके राजा पुरु थे।) तक के प्रदेश पर विजय हासिल की थी परन्तु बाद में वो मगध की विशाल सेना से डर कर लौट गया ।।उल्लेखनीय है कि उपरोक्त क्षेत्र उस समय फ़ारसी साम्राज्य के अंग थे और फ़ारसी साम्राज्य सिकन्दर के अपने साम्राज्य से कोई 40 गुना बड़ा था। फारसी में उसे एस्कंदर-ए-मक्दुनी (मॅसेडोनिया का अलेक्ज़ेंडर, एस्कन्दर का अपभ्रंश सिकन्दर है) औऱ हिंदी में अलक्षेन्द्र कहा गया है। .

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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जलालपुर–गुजरात सड़क

जलालपुर–गुजरात सड़क  गुजरात और जलालपुर के बीच एक राजमार्ग है। यह गुजरात को आजाद कश्मीर के साथ जोड़ता है। .

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जलालुद्दीन ख़िलजी

दिल्ली सल्तनत के खिलजी वंश का शासक। जलालुद्दीन फ़िरोज ख़िलजी (1290-1296 ई.) 'ख़िलजी वंश' का संस्थापक थे। उन्होंने अपना जीवन एक सैनिक के रूप में शरू किया था। अपनी योग्यता के बल पर उन्होंने 'सर-ए-जहाँदार/शाही अंगरक्षक' का पद प्राप्त किया तथा बाद में समाना का सूबेदार बना। कैकुबाद ने उसे 'आरिज-ए-मुमालिक' का पद दिया और 'शाइस्ता ख़ाँ' की उपाधि के साथ सिंहासन पर बिठाया। उन्होंने दिल्ली के बजाय किलोखरी के माध्य में राज्याभिषेक करवाया। सुल्तान बनते समय जलालुद्दीन की उम्र 70 वर्ष की थी। दिल्ली का वह पहला सुल्तान थे जिसकी आन्तरिक नीति दूसरों को प्रसन्न करने के सिद्धान्त पर थी। उन्होंने हिन्दू जनता के प्रति उदार दृष्टिकोण अपनाया। .

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ज़िला

भारत के नागालैंड राज्य के ज़िले ज़िला (district, डिस्ट्रिक्ट​) कई देशों में पाई जाने वाली एक प्रशासनिक ईकाई होती है। ज़िलों के आकार में जगह-जगह का भारी अंतर होता है - कहीं तो कुछ गाँव जोड़कर ही ज़िला बनता है जबकि अन्य स्थानों पर विशाल भूक्षेत्र एक ही ज़िले में सम्मिलित होते हैं। भारत में हर ज़िला कई तालुकाओं, तहसीलों या प्रखण्डों को जोड़कर बनता है और कई ज़िलों को जोड़कर एक राज्य बनता है।, United Nations Human Settlements Programme, pp.

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गुजरात (शहर)

गुजरात, पाकिस्तानी पंजाब, के गुजरात जिले में स्थित एक शहर है। श्रेणी:पाकिस्तान के शहर श्रेणी:ज़िला गुजरात श्रेणी:ज़िला गुजरात में आबादी वाले स्थान.

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गुजरात ज़िला

पाकिस्तानी पंजाब प्रांत में गुजरात ज़िला (लाल रंग में) गुजरात (उर्दू:, अंग्रेज़ी: Gujrat) पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का एक ज़िला है। गुजरात ज़िले की राजधानी गुजरात शहर है। इस ज़िले की तीन तहसीलें हैं - गुजरात, खारियाँ और सराय आलमगीर। यह ज़िला पाकिस्तानी पंजाब प्रान्त के पूर्वोत्तर में स्थित है। इसकी सीमाएँ पूर्वोत्तर में पाक-अधिकृत कश्मीर के मीरपुर ज़िले से, पश्चिमोत्तर में झेलम नदी से जो इसे झेलम ज़िले से अलग करती है, पूर्व और दक्षिण पूर्व में चेनाब नदी से जो इसे गुजराँवाला ज़िले से और सियालकोट ज़िले से अलग करती है और पश्चिम में मंडी बहाउद्दीन ज़िले से लगतीं हैं। कृपया ध्यान देन कि एक ही नाम होने के बावजूद पाकिस्तानी पंजाब के गुजरात ज़िले का भारत के गुजरात राज्य से कोई लेना-देना नहीं है। .

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औरंगज़ेब

अबुल मुज़फ़्फ़र मुहिउद्दीन मुहम्मद औरंगज़ेब आलमगीर (3 नवम्बर १६१८ – ३ मार्च १७०७) जिसे आमतौर पर औरंगज़ेब या आलमगीर (प्रजा द्वारा दिया हुआ शाही नाम जिसका अर्थ होता है विश्व विजेता) के नाम से जाना जाता था भारत पर राज्य करने वाला छठा मुग़ल शासक था। उसका शासन १६५८ से लेकर १७०७ में उसकी मृत्यु होने तक चला। औरंगज़ेब ने भारतीय उपमहाद्वीप पर आधी सदी से भी ज्यादा समय तक राज्य किया। वो अकबर के बाद सबसे ज्यादा समय तक शासन करने वाला मुग़ल शासक था। अपने जीवनकाल में उसने दक्षिणी भारत में मुग़ल साम्राज्य का विस्तार करने का भरसक प्रयास किया पर उसकी मृत्यु के पश्चात मुग़ल साम्राज्य सिकुड़ने लगा। औरंगज़ेब के शासन में मुग़ल साम्राज्य अपने विस्तार के चरमोत्कर्ष पर पहुंचा। वो अपने समय का शायद सबसे धनी और शातिशाली व्यक्ति था जिसने अपने जीवनकाल में दक्षिण भारत में प्राप्त विजयों के जरिये मुग़ल साम्राज्य को साढ़े बारह लाख वर्ग मील में फैलाया और १५ करोड़ लोगों पर शासन किया जो की दुनिया की आबादी का १/४ था। औरंगज़ेब ने पूरे साम्राज्य पर फ़तवा-ए-आलमगीरी (शरियत या इस्लामी क़ानून पर आधारित) लागू किया और कुछ समय के लिए ग़ैर-मुस्लिमों पर अतिरिक्त कर भी लगाया। ग़ैर-मुसलमान जनता पर शरियत लागू करने वाला वो पहला मुसलमान शासक था। मुग़ल शासनकाल में उनके शासन काल में उसके दरबारियों में सबसे ज्यादा हिन्दु थे। और सिखों के गुरु तेग़ बहादुर को दाराशिकोह के साथ मिलकर बग़ावत के जुर्म में मृत्युदंड दिया गया था। .

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इस्लाम गढ़

इस्लाम गढ़ (اسلام گڑھ) जलालपुर जट्टां का एक नगर है। यह शहर के दक्षिण में स्थित है। ये एक प्राचीन शहर है जिसे 300 ई॰पू॰ में राजा चन्द्रगुप्त मौर्य ने बनवाया था। स्थानीय इतिहासकारों की मानता है कि इस्लाम गढ़ में चन्द्रगुप्त मौर्य ने एक क़िले का निर्माण किया था। क़िले की जगह का असल नाम तो मालूम नहीं मगर समय के साथ ये क़िला इस्लाम गढ़ क़िला के नाम से प्रसिद्ध हो गया। ये क़िला औरंगज़ेब, अहमद शाह अब्दाली, महाराजा रणजीत सिंह और इन की सेनाओं का टकसाल रहा है। केवल क़िले के कुछ ख़राब अवशेष ही आज मौजूद है। 1832 में इस्लाम गढ़ क़िला लाहौर के महाराजा रणजीत सिंह का टकसाल था। .

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कुल्ला चोर

कुल्ला चोर (کلا چور) जलालपुर जट्टां का एक नगर है। ये गुजरात के उत्तर पूर्व में लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ये एक प्राचीन शहर है जिसे चन्द्रगुप्त मौर्य ने 300 ई॰पू॰ में बनवाया था। क्षेत्र में खुदाई से पता चला है कि कुल्ला चोर मौर्य राजवंश का टकसाल था।। .

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अहमद शाह अब्दाली

अहमद शाह अब्दाली अहमद शाह अब्दाली, जिसे अहमद शाह दुर्रानी भी कहा जाता है, सन 1748 में नादिरशाह की मौत के बाद अफ़ग़ानिस्तान का शासक और दुर्रानी साम्राज्य का संस्थापक बना। उसने भारत पर सन 1748 से सन 1758 तक कई बार चढ़ाई की। उसने अपना सबसे बड़ा हमला सन 1757 में जनवरी माह में दिल्ली पर किया। अहमदशाह एक माह तक दिल्ली में ठहर कर लूटमार करता रहा। वहाँ की लूट में उसे करोड़ों की संपदा हाथ लगी थी।, Library of Congress Country Studies on Afghanistan, 1997, Accessed 2010-08-25 .

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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उर्दू भाषा

उर्दू भाषा हिन्द आर्य भाषा है। उर्दू भाषा हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप मानी जाती है। उर्दू में संस्कृत के तत्सम शब्द न्यून हैं और अरबी-फ़ारसी और संस्कृत से तद्भव शब्द अधिक हैं। ये मुख्यतः दक्षिण एशिया में बोली जाती है। यह भारत की शासकीय भाषाओं में से एक है, तथा पाकिस्तान की राष्ट्रभाषा है। इस के अतिरिक्त भारत के राज्य तेलंगाना, दिल्ली, बिहार और उत्तर प्रदेश की अतिरिक्त शासकीय भाषा है। .

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