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जयशक्ति चन्देल

सूची जयशक्ति चन्देल

चंदेल अभिलेखों में पूर्ववर्ती नरेश वाक्पति के पुत्र जयशक्ति का उल्लेख आता है। यह 'जेज्जाक' और 'जेजा' के नाम से भी प्रसिद्ध था। इसका राज्यकाल संभवत: 9वीं शताब्दी के तृतीय चरण में था। वह स्वतंत्र शासक नहीं था किंतु उस काल की राजनीतिक अव्यवस्था का लाभ उठाकर इसने अपनी शक्ति को दृढ़ किया। प्राय: विद्वान्‌ इसे प्रतिहारों का सामंत बतलाते हैं। अभिलेखों में कभी कभी चंदेल राजाओं की तालिका जयशक्ति के नाम से ही प्रारंभ होती है। कदाचित्‌ उसी के समय में पहली बार वर्तमान खजुराहो के समीप की भूमि एक पृथक्‌ भुक्ति के रूप में संगठित हुई और जयशक्ति के नाम पर ही वह 'जेजाक भुक्ति' कहलाई। उसने अपनी पुत्री नट्टा का विवाह कलचुरि नरेश कोक्कल्ल प्रथम के साथ किया था जो संभवत: उसकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से प्रेरित था। अभिलेखों में उसके नाम के साथ उसके अनुज विजयशक्ति का नाम भी संबद्ध रहता था जो बाद में सिंहासन का अधिकारी हुआ। श्रेणी:भारत का इतिहास श्रेणी:बुंदेलखंड.

2 संबंधों: चन्देल, खजुराहो

चन्देल

खजुराहो का कंदरीय महादेव मंदिर चन्देल वंश मध्यकालीन भारत का प्रसिद्ध राजवंश, जिसने 08वीं से 12वीं शताब्दी तक स्वतंत्र रूप से यमुना और नर्मदा के बीच, बुंदेलखंड तथा उत्तर प्रदेश के दक्षिणी-पश्चिमी भाग पर राज किया। चंदेल वंश के शासकों का बुंदेलखंड के इतिहास में विशेष योगदान रहा है। उन्‍होंने लगभग चार शताब्दियों तक बुंदेलखंड पर शासन किया। चन्देल शासक न केवल महान विजेता तथा सफल शासक थे, अपितु कला के प्रसार तथा संरक्षण में भी उनका महत्‍वपूर्ण योगदान रहा। चंदेलों का शासनकाल आमतौर पर बुंदेलखंड के शांति और समृद्धि के काल के रूप में याद किया जाता है। चंदेलकालीन स्‍थापत्‍य कला ने समूचे विश्‍व को प्रभावित किया उस दौरान वास्तुकला तथा मूर्तिकला अपने उत्‍कर्ष पर थी। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं खजुराहो के मंदिर। .

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खजुराहो

खजुराहो भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है जो अपने प्राचीन एवं मध्यकालीन मंदिरों के लिये विश्वविख्यात है। यह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। खजुराहो को प्राचीन काल में खजूरपुरा और खजूर वाहिका के नाम से भी जाना जाता था। यहां बहुत बड़ी संख्या में प्राचीन हिन्दू और जैन मंदिर हैं। मंदिरों का शहर खजुराहो पूरे विश्व में मुड़े हुए पत्थरों से निर्मित मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। खजुराहो को इसके अलंकृत मंदिरों की वजह से जाना जाता है जो कि देश के सर्वोत्कृष्ठ मध्यकालीन स्मारक हैं। भारत के अलावा दुनिया भर के आगन्तुक और पर्यटक प्रेम के इस अप्रतिम सौंदर्य के प्रतीक को देखने के लिए निरंतर आते रहते है। हिन्दू कला और संस्कृति को शिल्पियों ने इस शहर के पत्थरों पर मध्यकाल में उत्कीर्ण किया था। संभोग की विभिन्न कलाओं को इन मंदिरों में बेहद खूबसूरती के उभारा गया है। .

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जयशक्ति

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