हम Google Play स्टोर पर Unionpedia ऐप को पुनर्स्थापित करने के लिए काम कर रहे हैं
निवर्तमानआने वाली
🌟हमने बेहतर नेविगेशन के लिए अपने डिज़ाइन को सरल बनाया!
Instagram Facebook X LinkedIn

जतीन्द्रनाथ दुवेरा

सूची जतीन्द्रनाथ दुवेरा

जतीन्द्रनाथ दुवेरा असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह बनफूल के लिये उन्हें सन् 1955 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

सामग्री की तालिका

  1. 4 संबंधों: बनफूल, भारतीय, भारतीय साहित्य अकादमी, असमिया भाषा

  2. साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत असमिया भाषा के साहित्यकार

बनफूल

बनफूल या वनफूल ऐसे फूल को कहा जाता है जो बिना किसी मानवी देखरेख के स्वयं ही उगकर खिल गया हो। मौसम, बारिश और धरती के अनुसार अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग जातियों के बनफूल मिलते हैं। यह ज़रूरी नहीं है कि वन में ही खिलने वाले फूल को बनफूल कहा जाए - शहरी क्षेत्रों में भी उग रहे जंगली फूलों के लिये भी यह नाम इस्तेमाल होता है।, Thomas E.

देखें जतीन्द्रनाथ दुवेरा और बनफूल

भारतीय

भारत देश के निवासियों को भारतीय कहा जाता है। भारत को हिन्दुस्तान नाम से भी पुकारा जाता है और इसीलिये भारतीयों को हिन्दुस्तानी भी कहतें है।.

देखें जतीन्द्रनाथ दुवेरा और भारतीय

भारतीय साहित्य अकादमी

भारत की साहित्य अकादमी भारतीय साहित्य के विकास के लिये सक्रिय कार्य करने वाली राष्ट्रीय संस्था है। इसका गठन १२ मार्च १९५४ को भारत सरकार द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य उच्च साहित्यिक मानदंड स्थापित करना, भारतीय भाषाओं और भारत में होनेवाली साहित्यिक गतिविधियों का पोषण और समन्वय करना है। .

देखें जतीन्द्रनाथ दुवेरा और भारतीय साहित्य अकादमी

असमिया भाषा

आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं की शृंखला में पूर्वी सीमा पर अवस्थित असम की भाषा को असमी, असमिया अथवा आसामी कहा जाता है। असमिया भारत के असम प्रांत की आधिकारिक भाषा तथा असम में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। इसको बोलने वालों की संख्या डेढ़ करोड़ से अधिक है। भाषाई परिवार की दृष्टि से इसका संबंध आर्य भाषा परिवार से है और बांग्ला, मैथिली, उड़िया और नेपाली से इसका निकट का संबंध है। गियर्सन के वर्गीकरण की दृष्टि से यह बाहरी उपशाखा के पूर्वी समुदाय की भाषा है, पर सुनीतिकुमार चटर्जी के वर्गीकरण में प्राच्य समुदाय में इसका स्थान है। उड़िया तथा बंगला की भांति असमी की भी उत्पत्ति प्राकृत तथा अपभ्रंश से भी हुई है। यद्यपि असमिया भाषा की उत्पत्ति सत्रहवीं शताब्दी से मानी जाती है किंतु साहित्यिक अभिरुचियों का प्रदर्शन तेरहवीं शताब्दी में रुद्र कंदलि के द्रोण पर्व (महाभारत) तथा माधव कंदलि के रामायण से प्रारंभ हुआ। वैष्णवी आंदोलन ने प्रांतीय साहित्य को बल दिया। शंकर देव (१४४९-१५६८) ने अपनी लंबी जीवन-यात्रा में इस आंदोलन को स्वरचित काव्य, नाट्य व गीतों से जीवित रखा। सीमा की दृष्टि से असमिया क्षेत्र के पश्चिम में बंगला है। अन्य दिशाओं में कई विभिन्न परिवारों की भाषाएँ बोली जाती हैं। इनमें से तिब्बती, बर्मी तथा खासी प्रमुख हैं। इन सीमावर्ती भाषाओं का गहरा प्रभाव असमिया की मूल प्रकृति में देखा जा सकता है। अपने प्रदेश में भी असमिया एकमात्र बोली नहीं हैं। यह प्रमुखतः मैदानों की भाषा है। .

देखें जतीन्द्रनाथ दुवेरा और असमिया भाषा

यह भी देखें

साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत असमिया भाषा के साहित्यकार