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छत्र

सूची छत्र

छत्र का अर्थ 'छतरी' है। प्राचीन काल में यह सम्राटों का गौरवचिह्र था। साधारणतया इसका उपयोग ताप और वर्षा से बचने के लिये होता है। इसकी उत्पत्ति के संबंध में एक पौराणिक कथा प्रचलित है: एक बार महर्षि जमदग्नि की पत्नी रेणुका सूर्यताप से बहुत विकल हुई। क्रुद्ध होकर महर्षि ने सूर्य का वध करने के निमित्त धनुष बाण उठाया। सूर्यदेव डरकर उनके समक्ष उपस्थित हुए और ताप से रक्षा के लिये एक शिरस्त्राण छत्र बनाकर उनकी सेवा में भेंट की। राजछत्र सामान्य छत्र से भिन्न होता है। युवराज का छत्र सम्राट् के छत्र से एक चौथाई छोटा होता है जिसके अग्रभाग में आठ अंगुल की एक पताका लगी होती है। उसे "दिग्विजयी" छत्र कहा जाता है। भारत में अनुष्ठान आदि में छत्र का दान मंगलकारी माना जाता है।.

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सामग्री की तालिका

  1. 1 संबंध: जमदग्नि ऋषि

  2. चतरा ज़िले के नगर

जमदग्नि ऋषि

जमदग्नि ऋषि जमदग्नि ऋषि एक ऋषि थे, जो भृगुवंशी ऋचीक के पुत्र थे तथा जिनकी गणना सप्तऋषियों में होती है। पुराणों के अनुसार इनकी पत्नी रेणुका थीं, व इनका आश्रम सरस्वती नदी के तट पर था। वैशाख शुक्ल तृतीया इनके पांचवें प्रसिद्ध पुत्र प्रदोषकाल में जन्मे थे जिन्हें परशुराम के नाम से जाना जाता है। .

देखें छत्र और जमदग्नि ऋषि

यह भी देखें

चतरा ज़िले के नगर