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चतुष्फलकीय संख्या

सूची चतुष्फलकीय संख्या

चतुष्फलकीय संख्या अथवा त्रिकोणीय पिरामिड संख्या चित्र संख्या है जो त्रिभुजाकार आधार और तीन अन्य फलकों को जोड़ने पर बनने वाली चतुष्फलकी आकृति पिरामिड को निरूपित करती है। nवीं चतुष्फलकीय संख्या, प्रथम n त्रिकोण संख्याओं के योग के बराबर होती है। प्रथम 10 चतुष्फलकीय संख्यायें निम्न हैं: .

7 संबंधों: चतुष्फलकी, त्रिकोण संख्या, पिरैमिड (ज्यामिति), मेरु प्रस्तार, क्रमगुणित, १ (संख्या), २० (संख्या)

चतुष्फलकी

150px ठोस ज्यामिति में चार समतल फलकों वाले ठोस को चतुष्फलकी (चतुः + फलकी .

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त्रिकोण संख्या

त्रिकोण संख्या अथवा त्रिकोणीय संख्या दायीं ओर प्रदर्शित चित्र की तरह समबाहु त्रिभुज की रचना करने वाली वस्तुओं की गणना है। nवीं त्रिकोण संख्या, n बिन्दुओं से निर्मित भुजा वाले समबाहु त्रिभुज के कुल बिन्दुओं की संख्या है तथा इसका मान 1 से n तक की सभी n प्राकृत संख्याओं के योग के तुल्य है। त्रिकोणीय संख्याओं का अनुक्रम ०वीं त्रिकोण संख्या से आरम्भ होता है: त्रिकोण संख्यायें निम्न सुस्पष्ट सूत्र द्वारा दी जाती हैं: T_n.

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पिरैमिड (ज्यामिति)

यह लेख 'पिरामिड' नामक ठोस ज्यामितीय आकृति एवं उसके गणितीय विवरण के बारे में है। अन्य उपयोगों के लिए पिरामिड (बहुविकल्पी) देखें। ---- ठोस ज्यामिति में पिरैमिड (pyramid) उस बहुफलकीय ठोस को कहते हैं जिसका आधार कोई बहुभुज हो तथा शेष सभी त्रिभुजाकार फलक एक बिन्दु (शीर्ष) पर मिलते हों। दूसरे शब्दों में, आधार के प्रत्येक कोर और शीर्ष मिलकर एक त्रिभुजाकार फलक बनाते हैं। अतः किसी पिरैमिड का आधार n भुजाओं वाला बहुभुज हो तो उसमें कुल (n+1) फलक होते हैं जिसमें से n फलक त्रिभुजाकार होते हैं। चतुष्फलकी भी एक पिरैमिड है। n भुजाओं वाले आधार पर निर्मित पिरैमिड में (n+1) शीर्ष तथा 2n कोर (edges) होंगे। श्रेणी:ठोस ज्यामिति.

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मेरु प्रस्तार

pascal triangleगणित में, मेरुप्रस्तार या हलायुध त्रिकोण या पास्कल त्रिकोण (Pascal's triangle) द्विपद गुणांकों को त्रिभुज के रूप में प्रस्तुत करने से बनता है। पश्चिमी जगत में इसका नाम फ्रांसीसी गणितज्ञ ब्लेज़ पास्कल के नाम पर रखा गया है। किन्तु पास्कल से पहले अनेक गणितज्ञों ने इसका अध्ययन किया है, उदाहरण के लिये भारत के पिंगलाचार्य, परसिया, चीन, जर्मनी आदि के गतिज्ञ। मेरु प्रस्तार की छः पंक्तियां मेरु प्रस्तार का सबसे पहला वर्णन पिंगल के छन्दशास्त्र में है। जनश्रुति के अनुसार पिंगल पाणिनि के अनुज थे। इनका काल ४०० ईपू से २०० ईपू॰ अनुमानित है। छन्दों के विभेद को वर्णित करने वाला 'मेरुप्रस्तार' (मेरु पर्वत की सीढ़ी) पास्कल (Blaise Pascal 1623-1662) के त्रिभुज से तुलनीय बनता है। पिंगल द्वारा दिये गये मेरुप्रस्तार (Pyramidal expansion) नियम की व्याख्या हलायुध ने अपने मृतसंंजीवनी में इस प्रकार की है- मेरु प्रस्तार (पास्कल त्रिकोण) की निर्माण विधि .

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क्रमगुणित

गणित में किसी अऋणात्मक पूर्णांक n का क्रमगुणित या 'फैक्टोरियल' (factorial) वह संख्या है जो उस पूर्णांक n तथा उससे छोटे सभी धनात्मक पूर्णांकों के गुननफल के बराबर होता है। इसे n!, से निरूपित किया जाता है। उदाहरण के लिये, 0! का मान is 1 होता है। गणित के अनेकों क्षेत्रों में क्रमगुणित का उपयोग करना पड़ता है, जिनमें से क्रमचय संचय (combinatorics), बीजगणित तथा गणितीय विश्लेषण (mathematical analysis) प्रमुख हैं। .

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१ (संख्या)

एक देवनागरी लिपि में प्रयुक्त होने वाली एक संख्या है। इसको एक कहते हैं। अंग्रेज़ी भाषा में इसे वन (One) या 1 लिखते है। एक गणित उदहारण के तोर पे १ को २ में से घटाने पर १ बचता है। २ - १ .

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२० (संख्या)

२० मुखों वाला विंशतिफलक २० (उच्चारण: बीस) एक प्राकृतिक संख्या है। इससे पूर्व १९ और इसके पश्चात् २१ आता है अर्थात् बीस १९ से एक अधिक होता है एवं २१ में से एक कम करने पर बीस प्राप्त होता है। इसे शब्दों में "बीस" से लिखा जाता है। दस और पुनः दस का योग बीस होता है। बीस इकाइयों के समूह को स्कोर कहा जाता है। .

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