गोविन्द पुरुषोत्तम देशपांडे (२ अगस्त १९३८) नासिक में जन्मे मराठी के सुप्रसिद्ध नाटककार हैं। उध्वस्त धर्मशाला, एक वाजनू गोला आहे, मामकाः पांडवाश्चैव, अस्सा नवरा सुरेख बाई, अंधार यात्रा उनके प्रमुख नाटक हैं। कई नाटक हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में अनूदित हुए हैं। अलोचना तथा निबंधों का संकलन आहे चक्वलचे आधि इतर निबंध उनका एक आलोचनात्मक निबंधों का संग्रह भी है। वे समाजशास्त्री तथा चीनी भाषा के विशेषज्ञ भी हैं। .
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