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गोविंद सखाराम सरदेसाई

सूची गोविंद सखाराम सरदेसाई

महान इतिहासकार '''गोविंद सखाराम सरदेसाई''' गोविंद सखाराम सरदेसाई (17 मई 1865 - 1959) का मराठों के अर्वाचीन इतिहासकारों में अग्रगण्य स्थान है। उन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन १९५७ में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। .

9 संबंधों: पद्म भूषण, पुणे, मराठी भाषा, यदुनाथ सरकार, शिवाजी, विश्वनाथ काशिनाथ राजवाडे, इतिहास, कोंकण, १९५७

पद्म भूषण

पद्म भूषण सम्मान भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जो देश के लिये बहुमूल्य योगदान के लिये दिया जाता है। भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कारों में भारत रत्न, पद्म विभूषण और पद्मश्री का नाम लिया जा सकता है। पद्म भूषण रिबन .

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पुणे

पुणे भारत के महाराष्ट्र राज्य का एक महत्त्वपूर्ण शहर है। यह शहर महाराष्ट्र के पश्चिम भाग, मुला व मूठा इन दो नदियों के किनारे बसा है और पुणे जिला का प्रशासकीय मुख्यालय है। पुणे भारत का छठवां सबसे बड़ा शहर व महाराष्ट्र का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। सार्वजनिक सुखसुविधा व विकास के हिसाब से पुणे महाराष्ट्र मे मुंबई के बाद अग्रसर है। अनेक नामांकित शिक्षणसंस्थायें होने के कारण इस शहर को 'पूरब का ऑक्सफोर्ड' भी कहा जाता है। पुणे में अनेक प्रौद्योगिकी और ऑटोमोबाईल उपक्रम हैं, इसलिए पुणे भारत का ”डेट्राइट” जैसा लगता है। काफी प्राचीन ज्ञात इतिहास से पुणे शहर महाराष्ट्र की 'सांस्कृतिक राजधानी' माना जाता है। मराठी भाषा इस शहर की मुख्य भाषा है। पुणे शहर मे लगभग सभी विषयों के उच्च शिक्षण की सुविधा उपलब्ध है। पुणे विद्यापीठ, राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला, आयुका, आगरकर संशोधन संस्था, सी-डैक जैसी आंतरराष्ट्रीय स्तर के शिक्षण संस्थान यहाँ है। पुणे फिल्म इन्स्टिट्युट भी काफी प्रसिद्ध है। पुणे महाराष्ट्र व भारत का एक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र है। टाटा मोटर्स, बजाज ऑटो, भारत फोर्ज जैसे उत्पादनक्षेत्र के अनेक बड़े उद्योग यहाँ है। 1990 के दशक मे इन्फोसिस, टाटा कंसल्टंसी सर्विसे, विप्रो, सिमैंटेक, आइ.बी.एम जैसे प्रसिद्ध सॉफ्टवेअर कंपनियों ने पुणे मे अपने केंन्द्र खोले और यह शहर भारत का एक प्रमुख सूचना प्रौद्योगिकी उद्योगकेंद्र के रूप मे विकसित हुआ। .

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मराठी भाषा

मराठी भारत के महाराष्ट्र प्रांत में बोली जानेवाली सबसे मुख्य भाषा है। भाषाई परिवार के स्तर पर यह एक आर्य भाषा है जिसका विकास संस्कृत से अपभ्रंश तक का सफर पूरा होने के बाद आरंभ हुआ। मराठी भारत की प्रमुख भाषओं में से एक है। यह महाराष्ट्र और गोवा में राजभाषा है तथा पश्चिम भारत की सह-राजभाषा हैं। मातृभाषियों कि संख्या के आधार पर मराठी विश्व में पंद्रहवें और भारत में चौथे स्थान पर है। इसे बोलने वालों की कुल संख्या लगभग ९ करोड़ है। यह भाषा 900 ईसवी से प्रचलन में है और यह भी हिन्दी के समान संस्कृत आधारित भाषा है। .

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यदुनाथ सरकार

यदुनाथ सरकार (बांग्ला में उच्चारण, 'जदुनाथ सरकार') (1870 - 1958) भारत के एक प्रसिद्ध इतिहासकार थे। भारतीय मुगलकाल के इतिहास-लेखन के क्षेत्र में उनका अकादमिक योगदान अप्रतिम है| .

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शिवाजी

छत्रपति शिवाजी महाराज या शिवाजी राजे भोसले (१६३० - १६८०) भारत के महान योद्धा एवं रणनीतिकार थे जिन्होंने १६७४ में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी। उन्होंने कई वर्ष औरंगज़ेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया। सन १६७४ में रायगढ़ में उनका राज्याभिषेक हुआ और छत्रपति बने। शिवाजी महाराज ने अपनी अनुशासित सेना एवं सुसंगठित प्रशासनिक इकाइयों की सहायता से एक योग्य एवं प्रगतिशील प्रशासन प्रदान किया। उन्होंने समर-विद्या में अनेक नवाचार किये तथा छापामार युद्ध (Gorilla War) की नयी शैली (शिवसूत्र) विकसित की। उन्होंने प्राचीन हिन्दू राजनीतिक प्रथाओं तथा दरबारी शिष्टाचारों को पुनर्जीवित किया और फारसी के स्थान पर मराठी एवं संस्कृत को राजकाज की भाषा बनाया। भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में बहुत से लोगों ने शिवाजी के जीवनचरित से प्रेरणा लेकर भारत की स्वतन्त्रता के लिये अपना तन, मन धन न्यौछावर कर दिया। .

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विश्वनाथ काशिनाथ राजवाडे

विश्वनाथ काशिनाथ राजवाडे विश्वनाथ काशिनाथ राजवाडे (24 जून 1863 – 31 दिसम्बर 1926) भारत के प्रसिद्ध इतिहासकार, विद्वान, लेखक तथा वक्ता थे। वे 'इतिहासाचार्य राजवाडे' के नाम से अधिक प्रसिद्ध हैं। वह संस्कृत भाषा और व्याकरण के भी प्रकांड पंडित थे, जिसका प्रमाण उनकी सुप्रसिद्ध कृतियाँ 'राजवाडे धातुकोश' तथा 'संस्कृत भाषेचा उलगडा', आदि हैं। उन्होने 'भारतीय विवाह संस्था का इतिहास' (मराठी) नामक प्रसिद्ध इतिहासग्रन्थ की रचना की। आद्य समाज के विकास के इतिहास के प्रति गहन अनुसंधानात्मक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण की परिचायक यह ग्रन्थ इतिहासाचार्य राजवाडे के व्यापक अध्ययन और चिन्तन की एक अनूठी उपलब्धि है। स्वर्गीय विश्वनाथ काशीनाथ राजवाडे के बारे में जैसा कि कहा गया है: ”जैसे ही उन्हें पता चलता कि किसी जगह पर पुराने (इतिहास सम्बन्धी) कागज-पत्र मिलने की सम्भावना है, वह धोती, लम्बा काला कोट, सिर पर साफा पहने, अपने लिए भोजन पकाने के इने-गिने बर्तनों का थैला कन्धे पर डाले निकल पड़ते और उन्हें प्राप्त करने के लिए अथक परिश्रम करते।” इसी परिश्रम का सुपरिणाम था-मराठों के इतिहास की स्रोत-सामग्री वाले मराठांची इतिहासाची साधने महाग्रंथ का 22 खंडों में प्रकाशन। मराठा इतिहास के अध्यन के लिए उन्होने भारत के हजारों गाँवों एवं ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण किया तथा इससे सम्बन्धित दस्तावेज एकत्र किया। उन्होने विश्व इतिहास के विभिन्न पक्षों पर भी टिप्पणी की है। वे इतिहास संकलन मण्डल, पुणे के संस्थापक सदस्यों में से थे। भारतीय बुद्धिवाद के ख़िलाफ़ पाश्चात्य आरोपों का प्रतिकार करने वाले इतिहासकार, वैयाकरण, समालोचक और भाष्यकार विश्वनाथ काशीनाथ राजवाड़े चिपलूणकर से तिलक तक की मराठी बुद्धिजीवी परम्परा के श्रेष्ठ प्रतिनिधि थे। प्राच्यवादी मान्यताओं की मुख़ालफ़त करते हुए राजवाड़े ने युरोपियनों पर यह आरोप लगाया कि पहले तो वे ऐतिहासिक स्मृतियों को नष्ट करते हैं, फिर वे कहते हैं कि हमारा कोई इतिहास ही नहीं है। उनकी मान्यता के खिलाफ़ राजवाड़े ने 'विल टू हिस्ट्री' के माध्यम से दावा किया कि हमारा इतिहास है, लेकिन हम ऐतिहासिक स्मृतियों को कहीं भूल बैठे हैं जिन्हें पुनः प्राप्त किया जाना है। इतिहासाचार्य की जनप्रिय उपाधि से विभूषित राजवाड़े को तर्कनिष्ठ और वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण के साथ भारत के सामाजिक राजनीतिक इतिहास के पुनर्निर्माण का श्रेय जाता है। विशुद्ध अनुसंधान की धुन में राजवाड़े ने महाराष्ट्र भर में गाँव-गाँव घूमकर संस्कृत की पांडुलिपियों और मराठा इतिहास के स्रोत जमा किये। इस सामग्री को बाईस खण्डों में प्रकाशित किया गया। वैदिक तथा अन्य शास्त्रों के ठोस आधार पर आधारित राजवाड़े द्वारा मराठी में लिखित 'भारतीय विवाह संस्थेचा इतिहास' (1926) एक सर्वकालीन प्रासंगिक ग्रंथ है। 'भारतीय विवाह संस्था का इतिहास' हिंदी में भी काफ़ी पढ़ी जाने वाली पुस्तक है। लेखक ने गहरी पैठ के साथ इस कृति में भारत में विवाह की संस्था के विकास के विभिन्न सोपानों की चर्चा की है। राजवाड़े ने स्वयं बताया है कि वे विष्णुकांत चिपलूणकर के लेखों, काव्य- इतिहासकार रायबहादुर काशीनाथ पंत साने के ऐतिहासिक पत्र एवं परशुराम गोडबोले द्वारा प्रकाशित काव्य से प्रभावित हुए। उन्हें महाराष्ट्र की ज्ञान-परम्परा के लिए गर्व की अनुभूति हुई। एरिक वुल्फ़ ने अपनी प्रसिद्ध कृति 'युरोप ऐंड द पीपुल विदाउट हिस्ट्री' में कहा है कि मानवशास्त्र इतिहास का अन्वेषण करता है। राजवाड़े के लेखन में भी इतिहास और मानवविज्ञान के अंतःसंबंधों का यह पहलू भारतीय विवाह-संस्था और परिवार-व्यवस्था के इतिहास और मराठों के उद्भव तथा विकास के इतिहास बखूबी दिखायी पड़ता है। .

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इतिहास

बोधिसत्व पद्मपनी, अजंता, भारत। इतिहास(History) का प्रयोग विशेषत: दो अर्थों में किया जाता है। एक है प्राचीन अथवा विगत काल की घटनाएँ और दूसरा उन घटनाओं के विषय में धारणा। इतिहास शब्द (इति + ह + आस; अस् धातु, लिट् लकार अन्य पुरुष तथा एक वचन) का तात्पर्य है "यह निश्चय था"। ग्रीस के लोग इतिहास के लिए "हिस्तरी" (history) शब्द का प्रयोग करते थे। "हिस्तरी" का शाब्दिक अर्थ "बुनना" था। अनुमान होता है कि ज्ञात घटनाओं को व्यवस्थित ढंग से बुनकर ऐसा चित्र उपस्थित करने की कोशिश की जाती थी जो सार्थक और सुसंबद्ध हो। इस प्रकार इतिहास शब्द का अर्थ है - परंपरा से प्राप्त उपाख्यान समूह (जैसे कि लोक कथाएँ), वीरगाथा (जैसे कि महाभारत) या ऐतिहासिक साक्ष्य। इतिहास के अंतर्गत हम जिस विषय का अध्ययन करते हैं उसमें अब तक घटित घटनाओं या उससे संबंध रखनेवाली घटनाओं का कालक्रमानुसार वर्णन होता है। दूसरे शब्दों में मानव की विशिष्ट घटनाओं का नाम ही इतिहास है। या फिर प्राचीनता से नवीनता की ओर आने वाली, मानवजाति से संबंधित घटनाओं का वर्णन इतिहास है।Whitney, W. D. (1889).

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कोंकण

कोंकण अथवा कोंकण तट, भारत के पश्चिमी तट का पर्वतीय अनुभाग हैं। यह ७२० कि.मी लंबा समुद्र तट है। कोंकण में महाराष्ट्र और गोवा के तटीय जिले आते है। प्राचीन काल का सप्त-कोंकण वर्तमान के कोंकण से ज्यादा बड़ा है; इसका उल्लेख सह्याद्री खंड में किया गया है जिसमें उसे परशुराम क्षेत्र कहा गया है। .

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१९५७

1957 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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