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गिगामीटर

सूची गिगामीटर

गिगामीटर (गि॰मी॰, gigametre) लम्बाई का एक माप है जो एक अरब मीटर (यानि दस लाख किलोमीटर) के बराबर होता है। इसका प्रयोग अंतरिक्ष में दूरियाँ मापने के लिये होता है, हालांकि प्रकाशवर्ष और खगोलीय इकाई (ख॰इ॰, astronomical units, AU) का प्रयोग इस से अधिक प्रचलित है। .

18 संबंधों: एचडी 209458 बी, परिमाण की कोटि, पल्सर, प्रकाश-वर्ष, पृथ्वी, बहिर्ग्रह, बृहस्पति, भारतीय संख्या प्रणाली, मीटर, मीटरी पद्धति, लम्बाई, लाल दानव तारा, सहस्रमान, सूर्य, खगोलीय इकाई, आर्द्रा तारा, अन्तरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली, अंतरिक्ष

एचडी 209458 बी

एचडी 209458 बी एक पेगसस तारामंडल का ग्रह है। श्रेणी:ग्रह श्रेणी:बहिर्ग्रह.

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परिमाण की कोटि

किसी राशि के परिमाण को निकटतम दस के घात के रूप में अभिव्यक्ति को उस राशि के परिमाण की कोटि कहते हैं। इस प्रकार कहते हैं कि धरती के द्रव्यमान के परिमाण की कोटि १०२२ टन है जबकि सूर्य के द्रव्यमान के परिमाण की कोटि १०२७ टन है। महत्ता के क्रमों का प्रयोग प्रायः बहुत लगभग के आंकलनों/तुलनाओं हेतु किया जाता है। यदि दो संख्याएं एक महत्ता के क्रम के अंतर पर हैं, तो एक संख्या दूसरी के लगभग दस गुणा के बराबर है। एसे ही यदि वे दो क्यमों का अंतर दिखाती हैं, तो वह सौ गुणा है। एक ही क्रम के दो नम्बरों में एक ही पैमाने पर स्थित होते हैं। बङी संख्या छोटी संख्या का अधिकतम दस गुणा हो सकती है। यही कारण है सार्थक संख्याओं के पीछे। जो राशि छोङ या पूर्णांकित की जाती है, वह कुल राशि के महत्ता से कुछ क्रम छोटी होती है, अतएव तुच्छ है। .

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पल्सर

अत्यधिक चुम्बकीय, बहुत तेज घूर्णन करने वाले न्यूट्रॉन तारे हैं, जो की विद्युतचुम्बकीय विकरण उतपन्न करते हैं। इनका विकरण तभी आभासित होता है जब विकरण पैदा होने की दिशा प्रथ्वी की ओर हो। क्योंकि इनके द्वारा उतपन्न विकरण निश्चित अंतराल के बाद ही पृथ्वी पर आता है (यानी इनका सिग्नल निरंतर ना आकर रुक रुक कर आता है), इसलिए इन्हें प्रकाशस्तंभ प्रभाव देने वाले तारों की संज्ञा भी दी जाती है। चूँकि न्यूट्रॉन तारे बहुत ही घने निकाय होते हैं, उसकी घूर्णन अवधि और इसी तरह उनकी पल्स (धड़कन) के बीच का अंतराल बहुत ही नियमित होता है। कुछ पल्सर की धड़कन की नियमितता सटीक रूप में एक परमाणु घड़ी जैसी होती है। उनके पल्स विस्तार की प्रेक्षित अवधि १.४ मिली सेकण्ड से लेकर ८.५ मिली सेकण्ड है। वेला पल्सर द्वारा उत्पन्न गामा किरणों का आवर्तन .

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प्रकाश-वर्ष

प्रकाश वर्ष (चिन्ह:ly) लम्बाई की मापन इकाई है। यह लगभग 950 खरब (9.5 ट्रिलियन) किलोमीटर के अन्दर होती है। यहां एक ट्रिलियन 1012 (दस खरब, या अरब पैमाने) के रूप में लिया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के अनुसार, प्रकाश वर्ष वह दूरी है, जो प्रकाश द्वारा निर्वात में, एक वर्ष में पूरी की जाती है। यह लम्बाई मापने की एक इकाई है जिसे मुख्यत: लम्बी दूरियों यथा दो नक्षत्रों (या ता‍रों) बीच की दूरी या इसी प्रकार की अन्य खगोलीय दूरियों को मापने मैं प्रयोग किया जाता है। .

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पृथ्वी

पृथ्वी, (अंग्रेज़ी: "अर्थ"(Earth), लातिन:"टेरा"(Terra)) जिसे विश्व (The World) भी कहा जाता है, सूर्य से तीसरा ग्रह और ज्ञात ब्रह्माण्ड में एकमात्र ग्रह है जहाँ जीवन उपस्थित है। यह सौर मंडल में सबसे घना और चार स्थलीय ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है। रेडियोधर्मी डेटिंग और साक्ष्य के अन्य स्रोतों के अनुसार, पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 बिलियन साल हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण, अंतरिक्ष में अन्य पिण्ड के साथ परस्पर प्रभावित रहती है, विशेष रूप से सूर्य और चंद्रमा से, जोकि पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह हैं। सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के दौरान, पृथ्वी अपनी कक्षा में 365 बार घूमती है; इस प्रकार, पृथ्वी का एक वर्ष लगभग 365.26 दिन लंबा होता है। पृथ्वी के परिक्रमण के दौरान इसके धुरी में झुकाव होता है, जिसके कारण ही ग्रह की सतह पर मौसमी विविधताये (ऋतुएँ) पाई जाती हैं। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण के कारण समुद्र में ज्वार-भाटे आते है, यह पृथ्वी को इसकी अपनी अक्ष पर स्थिर करता है, तथा इसकी परिक्रमण को धीमा कर देता है। पृथ्वी न केवल मानव (human) का अपितु अन्य लाखों प्रजातियों (species) का भी घर है और साथ ही ब्रह्मांड में एकमात्र वह स्थान है जहाँ जीवन (life) का अस्तित्व पाया जाता है। इसकी सतह पर जीवन का प्रस्फुटन लगभग एक अरब वर्ष पहले प्रकट हुआ। पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिये आदर्श दशाएँ (जैसे सूर्य से सटीक दूरी इत्यादि) न केवल पहले से उपलब्ध थी बल्कि जीवन की उत्पत्ति के बाद से विकास क्रम में जीवधारियों ने इस ग्रह के वायुमंडल (the atmosphere) और अन्य अजैवकीय (abiotic) परिस्थितियों को भी बदला है और इसके पर्यावरण को वर्तमान रूप दिया है। पृथ्वी के वायुमंडल में आक्सीजन की वर्तमान प्रचुरता वस्तुतः जीवन की उत्पत्ति का कारण नहीं बल्कि परिणाम भी है। जीवधारी और वायुमंडल दोनों अन्योन्याश्रय के संबंध द्वारा विकसित हुए हैं। पृथ्वी पर श्वशनजीवी जीवों (aerobic organisms) के प्रसारण के साथ ओजोन परत (ozone layer) का निर्माण हुआ जो पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र (Earth's magnetic field) के साथ हानिकारक विकिरण को रोकने वाली दूसरी परत बनती है और इस प्रकार पृथ्वी पर जीवन की अनुमति देता है। पृथ्वी का भूपटल (outer surface) कई कठोर खंडों या विवर्तनिक प्लेटों में विभाजित है जो भूगर्भिक इतिहास (geological history) के दौरान एक स्थान से दूसरे स्थान को विस्थापित हुए हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से धरातल का करीब ७१% नमकीन जल (salt-water) के सागर से आच्छादित है, शेष में महाद्वीप और द्वीप; तथा मीठे पानी की झीलें इत्यादि अवस्थित हैं। पानी सभी ज्ञात जीवन के लिए आवश्यक है जिसका अन्य किसी ब्रह्मांडीय पिण्ड के सतह पर अस्तित्व ज्ञात नही है। पृथ्वी की आतंरिक रचना तीन प्रमुख परतों में हुई है भूपटल, भूप्रावार और क्रोड। इसमें से बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और एक ठोस लोहे और निकल के आतंरिक कोर (inner core) के साथ क्रिया करके पृथ्वी मे चुंबकत्व या चुंबकीय क्षेत्र को पैदा करता है। पृथ्वी बाह्य अंतरिक्ष (outer space), में सूर्य और चंद्रमा समेत अन्य वस्तुओं के साथ क्रिया करता है वर्तमान में, पृथ्वी मोटे तौर पर अपनी धुरी का करीब ३६६.२६ बार चक्कर काटती है यह समय की लंबाई एक नाक्षत्र वर्ष (sidereal year) है जो ३६५.२६ सौर दिवस (solar day) के बराबर है पृथ्वी की घूर्णन की धुरी इसके कक्षीय समतल (orbital plane) से लम्बवत (perpendicular) २३.४ की दूरी पर झुका (tilted) है जो एक उष्णकटिबंधीय वर्ष (tropical year) (३६५.२४ सौर दिनों में) की अवधी में ग्रह की सतह पर मौसमी विविधता पैदा करता है। पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा (natural satellite) है, जिसने इसकी परिक्रमा ४.५३ बिलियन साल पहले शुरू की। यह अपनी आकर्षण शक्ति द्वारा समुद्री ज्वार पैदा करता है, धुरिय झुकाव को स्थिर रखता है और धीरे-धीरे पृथ्वी के घूर्णन को धीमा करता है। ग्रह के प्रारंभिक इतिहास के दौरान एक धूमकेतु की बमबारी ने महासागरों के गठन में भूमिका निभाया। बाद में छुद्रग्रह (asteroid) के प्रभाव ने सतह के पर्यावरण पर महत्वपूर्ण बदलाव किया। .

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बहिर्ग्रह

धूल के बादल में फ़ुमलहौत बी ग्रह परिक्रमा करता हुआ पाया गया (हबल अंतरिक्ष दूरबीन द्वारा ली गई तस्वीर) बहिर्ग्रह (exoplanet) या ग़ैर-सौरीय ग्रह (extrasolar planet, ऍक्स्ट्रासोलर प्लैनॅट) ऐसे ग्रह को कहा जाता है जो हमारे सौर मण्डल से बाहर स्थित हो। सन् १९९२ तक खगोलशास्त्रियों को एक भी ग़ैर-सौरीय ग्रह के अस्तित्व का ज्ञान नहीं था, लेकिन उसके बाद बहुत से ऐसे ग्रह मिल चुके हैं। २४ मई २०११ तक ५५२ ग़ैर-सौरीय ग्रह ज्ञात हो चुके थे। क्योंकि इनमें से अधिकतर को सीधा देखने के लिए तकनीकें अभी विकसित नहीं हुई हैं, इसलिए सौ प्रतिशत भरोसे से नहीं कहा जा सकता के वास्तव में यह सारे ग्रह मौजूद हैं, लेकिन इनके तारों पर पड़ रहे गुरुत्वाकर्षक प्रभाव और अन्य लक्षणों से वैज्ञानिक इनके अस्तित्व के बारे में विश्वस्त हैं। अनुमान लगाया जाता है के सूरज की श्रेणी के लगभग १०% तारों के इर्द-गिर्द ग्रह परिक्रमा कर रहे हैं, हालांकि यह संख्या उस से भी अधिक हो सकती है। कॅप्लर अंतरिक्ष क्षोध यान द्वारा एकत्रित जानकारी के बूते पर कुछ वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है के आकाशगंगा (हमारी गैलेक्सी) में कम-से-कम ५० अरब ग्रहों के होने की सम्भावना है। कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने जनवरी २०१३ में अनुमान लगाया कि आकाशगंगा में इस अनुमान से भी दुगने, यानि १०० अरब, ग्रह हो सकते हैं। .

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बृहस्पति

कोई विवरण नहीं।

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भारतीय संख्या प्रणाली

भारतीय संख्या प्रणाली भारतीय उपमहाद्वीप की परम्परागत गिनने की प्रणाली है जो भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश और नेपाल में आम इस्तेमाल होती है। जहाँ पश्चिमी प्रणाली में दशमलव के तीन स्थानों पर समूह बनते हैं वहाँ भारतीय प्रणाली में दो स्थानों पर बनते हैं। .

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मीटर

मान (मीटर) लम्बाई के नाप/माप की इकाई है। यह अन्तर्राष्ट्रीय इकाई प्रणाली में एवं मीट्रिक प्रणाली में भी, लम्बाई के मापन की SI मूल इकाई है। इसका प्रयोग विश्वव्यापी स्तर पर वैज्ञानिक और सामान्य प्रयोगों हेतु होता है। ऐतिहासिक रूप से, मान को फ़्रांसीसी विज्ञान अकादमी ने परिभाषित किया था। यह परिभाषा थी:.

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मीटरी पद्धति

विश्व में बहुत कम देश बचे हैं जहाँ अब भी मीटरी पद्धति लागू नहीं है। मीटरी पद्धति (metric unit system या metric system) भौतिक राशियों के मापन में प्रयुक्त मात्रकों की एक पद्धति है जिसमें मीटर लम्बाई की आधारभूत इकाई है। इस पद्धति की मुख्य विशेषता यह है कि किसी भौतिक राशि के छोटे-बड़े सभी मात्रकों का अनुपात १० या उसके किसी पूर्णांक घात (जैसे, १०-२, १०-५, १०७, १०९, १०८ आदि) होता है। उदाहरण के लिये, मीटर और सेन्टीमीटर दोनों लम्बाई (दूरी) के मात्रक हैं और एक मीटर १०० सेन्टीमीटर के बराबर होता है। इस प्रणाली का आरम्भ फ्रांस में सन १७९९ में हुआ। इसके पहले प्रचलित अधिकांश प्रणालियों में एक ही भौतिक राशि के विभिन्न मात्रकों में अनुपात १० या १० के किसी घात का होना जरूरी नहीं था। उदाहरण के लिये इंच और फुट दोनों लम्बाई के मात्रक हैं और १ फुट १२ इंच के बराबर होता है। इंच, फुट, सेर, मील आदि गैर-मीट्रिक इकाइयाँ थीं। इस प्रणाली का प्रयोग सर्वप्रथम फ्रांस की क्रांति के प्रारंभिक दिनों (१७९१) में हुआ था। पिछले लगभग दो सौ वर्षों में मीट्रिक पद्धति के कई रूप आये; जैसे मीटर-किलोग्राम-सेकेण्ड पद्धति और वर्तमान में अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत एसआई पद्धति आदि। इन सभी में केवल मूल मात्रकों (फण्डामेंटल यूनिट्स) का अन्तर है किन्तु वस्तुत: वे सभी दशांश पद्धति का ही पालन करतीं हैं। मीट्रिक पद्धति का वैज्ञानिक एवं तकनीकी कार्यों के लिये बहुतायत में उपयोग किया जा रहा है। वर्तमान में केवल यूएसए, म्यांमार और लाइबेरिया को छोड़कर विश्व के सभी देशों ने आधिकारिक रूप से मीट्रिक प्रणाली को अपना लिया है। .

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लम्बाई

लम्बाई किसी वस्तु की लम्बे आयाम को कहते हैं। किसी वस्तु की लम्बाई, उसके दोनों छोरों के बीच की दूरी को कहते हैं। इसे ऊंचाई से पृथक करने के लिये, ऊंचाई ऊर्ध्वाकार में कही जाती है। श्रेणी:लम्बाई de:Längenmaß.

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लाल दानव तारा

एक लाल दानव तारे और सूरज के अंदरूनी ढाँचे की तुलना खगोलशास्त्र में लाल दानव तारा (red giant star, रॅड जायंट स्टार) ऐसे चमकीले दानव तारे को बोलते हैं जो हमारे सूरज के द्रव्यमान का ०.५ से १० गुना द्रव्यमान (मास) रखता हो और अपने जीवनक्रम में आगे की श्रेणी का हो (यानि बूढ़ा हो रहा हो)। ऐसे तारों का बाहरी वायुमंडल फूल कर पतला हो जाता है, जिस से उस का आकार भीमकाय और उसका सतही तापमान ५,००० कैल्विन या उस से भी कम हो जाता है। ऐसे तारों का रंग पीले-नारंगी से गहरे लाल के बीच का होता है। इनकी श्रेणी आम तौर पर K या M होती है, लेकिन S भी हो सकती है। कार्बन तारे (जिनमें ऑक्सीजन की तुलना में कार्बन अधिक होता है) भी ज़्यादातर लाल दानव ही होते हैं। प्रसिद्ध लाल दानवों में रोहिणी, स्वाति तारा और गेक्रक्स शामिल हैं। लाल दानव तारों से भी बड़े लाल महादानव तारे होते हैं, जिनमें ज्येष्ठा और आर्द्रा गिने जाते हैं। आज से अरबों वर्षों बाद हमारा सूरज भी एक लाल दानव बन जाएगा। .

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सहस्रमान

सहस्रमान (किलोमीटर) दूरी की एक इकाई है। १ सहस्रमान .

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सूर्य

सूर्य अथवा सूरज सौरमंडल के केन्द्र में स्थित एक तारा जिसके चारों तरफ पृथ्वी और सौरमंडल के अन्य अवयव घूमते हैं। सूर्य हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा पिंड है और उसका व्यास लगभग १३ लाख ९० हज़ार किलोमीटर है जो पृथ्वी से लगभग १०९ गुना अधिक है। ऊर्जा का यह शक्तिशाली भंडार मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम गैसों का एक विशाल गोला है। परमाणु विलय की प्रक्रिया द्वारा सूर्य अपने केंद्र में ऊर्जा पैदा करता है। सूर्य से निकली ऊर्जा का छोटा सा भाग ही पृथ्वी पर पहुँचता है जिसमें से १५ प्रतिशत अंतरिक्ष में परावर्तित हो जाता है, ३० प्रतिशत पानी को भाप बनाने में काम आता है और बहुत सी ऊर्जा पेड़-पौधे समुद्र सोख लेते हैं। इसकी मजबूत गुरुत्वाकर्षण शक्ति विभिन्न कक्षाओं में घूमते हुए पृथ्वी और अन्य ग्रहों को इसकी तरफ खींच कर रखती है। सूर्य से पृथ्वी की औसत दूरी लगभग १४,९६,००,००० किलोमीटर या ९,२९,६०,००० मील है तथा सूर्य से पृथ्वी पर प्रकाश को आने में ८.३ मिनट का समय लगता है। इसी प्रकाशीय ऊर्जा से प्रकाश-संश्लेषण नामक एक महत्वपूर्ण जैव-रासायनिक अभिक्रिया होती है जो पृथ्वी पर जीवन का आधार है। यह पृथ्वी के जलवायु और मौसम को प्रभावित करता है। सूर्य की सतह का निर्माण हाइड्रोजन, हिलियम, लोहा, निकेल, ऑक्सीजन, सिलिकन, सल्फर, मैग्निसियम, कार्बन, नियोन, कैल्सियम, क्रोमियम तत्वों से हुआ है। इनमें से हाइड्रोजन सूर्य के सतह की मात्रा का ७४ % तथा हिलियम २४ % है। इस जलते हुए गैसीय पिंड को दूरदर्शी यंत्र से देखने पर इसकी सतह पर छोटे-बड़े धब्बे दिखलाई पड़ते हैं। इन्हें सौर कलंक कहा जाता है। ये कलंक अपने स्थान से सरकते हुए दिखाई पड़ते हैं। इससे वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला है कि सूर्य पूरब से पश्चिम की ओर २७ दिनों में अपने अक्ष पर एक परिक्रमा करता है। जिस प्रकार पृथ्वी और अन्य ग्रह सूरज की परिक्रमा करते हैं उसी प्रकार सूरज भी आकाश गंगा के केन्द्र की परिक्रमा करता है। इसको परिक्रमा करनें में २२ से २५ करोड़ वर्ष लगते हैं, इसे एक निहारिका वर्ष भी कहते हैं। इसके परिक्रमा करने की गति २५१ किलोमीटर प्रति सेकेंड है। Barnhart, Robert K. (1995) The Barnhart Concise Dictionary of Etymology, page 776.

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खगोलीय इकाई

खगोलीय इकाई (AU या au या a.u. या यद कदा ua) लम्बाई की इकाई है, जो लगभग 150 मिलियन किलोमीटर है और पृथ्वी से सूर्य की दूरी पर आधारित है। इसकी सही सही मान है 149,597,870,691 ± 30 मीटर (लगभग 150 मिलियन किलोमीटर या 93 मिलियन मील).

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आर्द्रा तारा

आर्द्रा या बीटलजूस, जिसका बायर नाम α ओरायनिस (α Orionis) है, कालपुरुष तारामंडल में स्थित एक लाल महादानव तारा है।, Stephen D. Butz, Cengage Learning, 2002, ISBN 978-0-7668-3391-3,...

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अन्तरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली

अन्तर्राष्ट्रीय मात्रक प्रणाली (संक्षेप में SI; फ्रेंच Le Système International d'unités का संक्षिप्त रूप), मीटरी पद्धति का आधुनिक रूप है। इसे सामान्य रूप में दशमलव एवं दस के गुणांकों में बनाया गया है। यह विज्ञान एवं वाणिज्य के क्षेत्र में विश्व की सर्वाधिक प्रयोग की जाने वाली प्रणाली है। पुरानी मेट्रिक प्रणाली में कई इकाइयों के समूह प्रयोग किए जाते थे। SI को 1960 में पुरानी मीटर-किलोग्राम-सैकण्ड यानी (MKS) प्रणाली से विकसित किया गया था, बजाय सेंटीमीटर-ग्राम-सैकण्ड प्रणाली की, जिसमें कई कठिनाइयाँ थीं। SI प्रणाली स्थिर नहीं रहती, वरन इसमें निरंतर विकास होते रहते हैं, परंतु इकाइयां अन्तर्राष्ट्रीय समझौतों के द्वारा ही बनाई और बदली जाती हैं। यह प्रणाली लगभग विश्वव्यापक स्तर पर लागू है और अधिकांश देश इसके अलावा अन्य इकाइयों की आधिकारिक परिभाषाएं भी नहीं समझते हैं। परंतु इसके अपवाद संयुक्त राज्य अमरीका और ब्रिटेन हैं, जहाँ अभी भी गैर-SI इकाइयों उनकी पुरानी प्रणालियाँ लागू हैं।भारत मॆं यह प्रणाली 1 अप्रैल, 1957 मॆं लागू हुई। इसके साथ ही यहां नया पैसा भी लागू हुआ, जो कि स्वयं दशमलव प्रणाली पर आधारित था। इस प्रणाली में कई नई नामकरण की गई इकाइयाँ लागू हुई। इस प्रणाली में सात मूल इकाइयाँ (मीटर, किलोग्राम, सैकण्ड, एम्पीयर, कैल्विन, मोल, कैन्डेला, कूलम्ब) और अन्य कई व्युत्पन्न इकाइयाँ हैं। कुछ वैज्ञानिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में एस आई प्रणाली के साथ अन्य इकाइयाँ भी प्रयोग में लाई जाती हैं। SI उपसर्गों के माध्यम से बहुत छोटी और बहुत बड़ी मात्राओं को व्यक्त करने में सरलता होती है। तीन राष्ट्रों ने आधिकारिक रूप से इस प्रणाली को अपनी पूर्ण या प्राथमिक मापन प्रणाली स्वीकार्य नहीं किया है। ये राष्ट्र हैं: लाइबेरिया, म्याँमार और संयुक्त राज्य अमरीका। .

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अंतरिक्ष

किसी ब्रह्माण्डीय पिण्ड, जैसे पृथ्वी, से दूर जो शून्य (void) होता है उसे अंतरिक्ष (Outer space) कहते हैं। यह पूर्णतः शून्य (empty) तो नहीं होता किन्तु अत्यधिक निर्वात वाला क्षेत्र होता है जिसमें कणों का घनत्व अति अल्प होता है। इसमें हाइड्रोजन एवं हिलियम का प्लाज्मा, विद्युतचुम्बकीय विकिरण, चुम्बकीय क्षेत्र तथा न्युट्रिनो होते हैं। सैद्धान्तिक रूप से इसमें 'डार्क मैटर' dark matter) और 'डार्क ऊर्जा' (dark energy) भी होती है। .

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