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गरदेज़

सूची गरदेज़

गरदेज़ (पश्तो:, अंग्रेजी: Gardez) पूर्वी अफ़्ग़ानिस्तान का एक शहर है। यह पकतिया प्रान्त की राजधानी भी है और पाकिस्तान की सीमा के नज़दीक है। गरदेज़ शहर की सन् २००८ में आबादी लगभग ७०,००० अनुमानित की गई थी, जिनमें से अधिकतर पश्तो-भाषी पठान थे। यह शहर एक बड़ी वादी में स्थित है जिसके उत्तर, पूर्व और पश्चिम में हिन्दु कुश के पर्वत हैं। यह शहर २,३०० मीटर की ऊँचाई पर है और गुफ़ाओं और सुरंगों वाले प्रसिद्ध तोरा बोरा इलाक़े के पास है। शहर से रूद-ए-गरदेज़ (यानि गरदेज़ नदी) निकलती है जो आब-ए-इस्तादा नामक झील में जाकर ख़त्म हो जाती है। गरदेज़ ग़ज़नी से पाकिस्तान और काबुल से ख़ोस्त जाने वाले रास्तों के चौराहे पर स्थित है। इस वजह से यह पूर्वी अफ़्ग़ानिस्तान में व्यापार का केंद्र रहा है और इसने बहुत से आक्रामकों के हमले सहे हैं। दो हज़ार साल से भी अधिक पहले सिकंदर महान द्वारा आसपास की पहाड़ियों पर पहरे के लिए बनवाई गई पत्थर की चौकियाँ आज भी धीरे-धीरे टूट रहीं हैं। गरदेज़ के बीच में ऊँचाई पर बाला हिसार क़िला (Bala Hisar) है, जिसका मतलब 'ऊँचाई का क़िला' होता है।, Ken Scar, 7th Mobile Public Affairs Detachment, 22 Feb 2012,...

14 संबंधों: पठान, पश्तो भाषा, पाकिस्तान, पकतिया प्रान्त, फ़ारसी भाषा, लोहा, सिकंदर, हिन्दु कुश, ख़ोस्त, ग़ज़नी, गुफ़ा, काबुल, अफ़ग़ानिस्तान, अंग्रेज़ी भाषा

पठान

अफ़्ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के नक़्शे में पश्तून क्षेत्र (नारंगी रंग में) ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान एक पश्तून थे अफ़्ग़ानिस्तान के ख़ोस्त प्रान्त में पश्तून बच्चे अमीर शेर अली ख़ान अपने पुत्र राजकुमार अब्दुल्लाह जान और सरदारों के साथ (सन् १८६९ ई में खींची गई) पश्तून, पख़्तून (पश्तो:, पश्ताना) या पठान (उर्दू) दक्षिण एशिया में बसने वाली एक लोक-जाति है। वे मुख्य रूप में अफ़्ग़ानिस्तान में हिन्दु कुश पर्वतों और पाकिस्तान में सिन्धु नदी के दरमियानी क्षेत्र में रहते हैं हालांकि पश्तून समुदाय अफ़्ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और भारत के अन्य क्षेत्रों में भी रहते हैं। पश्तूनों की पहचान में पश्तो भाषा, पश्तूनवाली मर्यादा का पालन और किसी ज्ञात पश्तून क़बीले की सदस्यता शामिल हैं।, James William Spain, Mouton,...

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पश्तो भाषा

कोई विवरण नहीं।

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पाकिस्तान

इस्लामी जम्हूरिया पाकिस्तान या पाकिस्तान इस्लामी गणतंत्र या सिर्फ़ पाकिस्तान भारत के पश्चिम में स्थित एक इस्लामी गणराज्य है। 20 करोड़ की आबादी के साथ ये दुनिया का छठा बड़ी आबादी वाला देश है। यहाँ की प्रमुख भाषाएँ उर्दू, पंजाबी, सिंधी, बलूची और पश्तो हैं। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और अन्य महत्वपूर्ण नगर कराची व लाहौर रावलपिंडी हैं। पाकिस्तान के चार सूबे हैं: पंजाब, सिंध, बलोचिस्तान और ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा। क़बाइली इलाक़े और इस्लामाबाद भी पाकिस्तान में शामिल हैं। इन के अलावा पाक अधिकृत कश्मीर (तथाकथित आज़ाद कश्मीर) और गिलगित-बल्तिस्तान भी पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित हैं हालाँकि भारत इन्हें अपना भाग मानता है। पाकिस्तान का जन्म सन् 1947 में भारत के विभाजन के फलस्वरूप हुआ था। सर्वप्रथम सन् 1930 में कवि (शायर) मुहम्मद इक़बाल ने द्विराष्ट्र सिद्धान्त का ज़िक्र किया था। उन्होंने भारत के उत्तर-पश्चिम में सिंध, बलूचिस्तान, पंजाब तथा अफ़गान (सूबा-ए-सरहद) को मिलाकर एक नया राष्ट्र बनाने की बात की थी। सन् 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली ने पंजाब, सिन्ध, कश्मीर तथा बलोचिस्तान के लोगों के लिए पाक्स्तान (जो बाद में पाकिस्तान बना) शब्द का सृजन किया। सन् 1947 से 1970 तक पाकिस्तान दो भागों में बंटा रहा - पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान। दिसम्बर, सन् 1971 में भारत के साथ हुई लड़ाई के फलस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बना और पश्चिमी पाकिस्तान पाकिस्तान रह गया। .

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पकतिया प्रान्त

अफ़्ग़ानिस्तान का पकतिया प्रान्त (लाल रंग में) पकतिया प्रान्त के बमोज़ई गाँव में पढ़ते बच्चे पकतिया (फ़ारसी:, अंग्रेजी: Paktia) अफ़्ग़ानिस्तान का एक प्रांत है जो उस देश के पूर्व में स्थित है। इस प्रान्त का क्षेत्रफल ६,४३२ वर्ग किमी है और इसकी आबादी सन् २००२ में लगभग ४.१५ लाख अनुमानित की गई थी।, Central Intelligence Agency (सी आइ ए), Accessed 27 दिसम्बर 2011 इस प्रान्त की राजधानी गरदेज़ शहर है। इस प्रान्त की सरहदें पाकिस्तान से लगती हैं। यहाँ के लगभग ९०% लोग पश्तून हैं और लगभग १०% फ़ारसी बोलने वाले ताजिक लोग हैं। .

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फ़ारसी भाषा

फ़ारसी, एक भाषा है जो ईरान, ताजिकिस्तान, अफ़गानिस्तान और उज़बेकिस्तान में बोली जाती है। यह ईरान, अफ़ग़ानिस्तान, ताजिकिस्तान की राजभाषा है और इसे ७.५ करोड़ लोग बोलते हैं। भाषाई परिवार के लिहाज़ से यह हिन्द यूरोपीय परिवार की हिन्द ईरानी (इंडो ईरानियन) शाखा की ईरानी उपशाखा का सदस्य है और हिन्दी की तरह इसमें क्रिया वाक्य के अंत में आती है। फ़ारसी संस्कृत से क़ाफ़ी मिलती-जुलती है और उर्दू (और हिन्दी) में इसके कई शब्द प्रयुक्त होते हैं। ये अरबी-फ़ारसी लिपि में लिखी जाती है। अंग्रेज़ों के आगमन से पहले भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ारसी भाषा का प्रयोग दरबारी कामों तथा लेखन की भाषा के रूप में होता है। दरबार में प्रयुक्त होने के कारण ही अफ़गानिस्तान में इस दारी कहा जाता है। .

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लोहा

एलेक्ट्रोलाइटिक लोहा तथा उसका एक घन सेमी का टुकड़ा लोहा या लोह (Iron) आवर्त सारणी के आठवें समूह का पहला तत्व है। धरती के गर्भ में और बाहर मिलाकर यह सर्वाधिक प्राप्य तत्व है (भार के अनुसार)। धरती के गर्भ में यह चौथा सबसे अधिक पाया जाने वाला तत्व है। इसके चार स्थायी समस्थानिक मिलते हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्या 54, 56, 57 और 58 है। लोह के चार रेडियोऐक्टिव समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या 52, 53, 55 और 59) भी ज्ञात हैं, जो कृत्रिम रीति से बनाए गए हैं। लोहे का लैटिन नाम:- फेरस .

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सिकंदर

सिकंदर (Alexander) (356 ईपू से 323 ईपू) मकदूनियाँ, (मेसेडोनिया) का ग्रीक प्रशासक था। वह एलेक्ज़ेंडर तृतीय तथा एलेक्ज़ेंडर मेसेडोनियन नाम से भी जाना जाता है। इतिहास में वह कुशल और यशस्वी सेनापतियों में से एक माना गया है। अपनी मृत्यु तक वह उन सभी भूमि मे से लगभग आधी भूमि जीत चुका था, जिसकी जानकारी प्राचीन ग्रीक लोगों को थी(सत्य ये है की वह पृथ्वी के मात्र 5 प्रतीशत हिस्से को ही जीत पाया था) और उसके विजय रथ को रोकने में सबसे मुख्य भूमिका भारत के महान राजा पुरु (जिन्हे युनानी इतिहासकारों नें पोरस से सम्बोधित किया है।)और भारत के क्षेत्रीय सरदारो की थी, जिन्होंने सिकंदर की सेना में अपने पराक्रम के दम पर भारत के प्रति खौफ पैदा कर उसके हौसले पस्त कर दिये और उसे भारत से लौटने पर मजबूर कर दिया।। उसने अपने कार्यकाल में इरान, सीरिया, मिस्र, मसोपोटेमिया, फिनीशिया, जुदेआ, गाझा, बॅक्ट्रिया और भारत में पंजाब(जिसके राजा पुरु थे।) तक के प्रदेश पर विजय हासिल की थी परन्तु बाद में वो मगध की विशाल सेना से डर कर लौट गया ।।उल्लेखनीय है कि उपरोक्त क्षेत्र उस समय फ़ारसी साम्राज्य के अंग थे और फ़ारसी साम्राज्य सिकन्दर के अपने साम्राज्य से कोई 40 गुना बड़ा था। फारसी में उसे एस्कंदर-ए-मक्दुनी (मॅसेडोनिया का अलेक्ज़ेंडर, एस्कन्दर का अपभ्रंश सिकन्दर है) औऱ हिंदी में अलक्षेन्द्र कहा गया है। .

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हिन्दु कुश

हिन्दु कुश उत्तरी पाकिस्तान के विवादीत भाग से मध्य अफ़्ग़ानिस्तान तक विस्तृत एक ८०० किमी चलने वाली पर्वत शृंखला है। इसका सबसे ऊँचा पहाड़ पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के चित्राल ज़िले में स्थित ७,७०८ मीटर (२५,२८९ फ़ुट) लम्बा तिरिच मीर पर्वत है।, Michael Palin, Basil Pao, Macmillan, 2005, ISBN 978-0-312-34162-6,...

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ख़ोस्त

ख़ोस्त मस्जिद ख़ोस्त (पश्तो:, अंग्रेजी: Khost) पूर्वी अफ़्ग़ानिस्तान का एक शहर है। यह ख़ोस्त प्रान्त की राजधानी भी है, जो पाकिस्तान के सीमा के नज़दीक एक पर्वतीय इलाक़ा है। ख़ोस्त शहर की आबादी लगभग १.६ लाख है और पूरे ख़ोस्त प्रान्त की जनसँख्या क़रीब १० लाख है। यहाँ के अधिकतर निवासी पश्तो भाषी पठान हैं और सामाजिक व्यवस्था क़बीलीयाई है। अफ़ग़ानिस्तान में सोवियत युद्ध के दौरान ख़ोस्त जुलाई १९८३ से नवम्बर १९८७ तक विद्रोही फौजों द्वारा घिरा रहा था।, David Rohde, Kristen Mulvihill, Penguin, 2010, ISBN 978-0-670-02223-6,...

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ग़ज़नी

ग़ज़नी भगवान श्रीकृष्णजी के उत्तराधिकारी द्वारिका की बजाय मथुरा की राजगद्दी पर विराजमान हुए, जिनकी पाँचवीं पीढ़ी में सुबाहु नाम के एक प्रतापी शासक हुए। राजा सुबाहु ने पुरुषपुर(पेशावर) पर आक्रमण कर अपना अधिकार जमा लिया एवं उसे अपनी राजधानी बनाया। एक बार राजा सुबाहु शिकार के दौरान एक सुअर का पीछा करते हुए पाताल लोक पधारे जहां वराह भगवान के दर्शन होने से सुअर का शिकार न करने का संकल्प लिया, तब से यदु वंश राजपूत में सुअर का शिकार निषेध है। राजा सुबाहु के पौत्र एवं राजा रजसेन के पुत्र राजा गजबाहु एक वीर और शक्तिशाली शासक थे। इनका साम्राज्य पशि्चमोतर भारत के विशाल भू-भाग पर फैला था। राजा गजबाहु ने साम्राज्य विस्तार के साथ-साथ उसकी सुरक्षा हेतु गंधार प्रदेश में युधिष्ठिर संवत् ३०८ कि अक्षय तृतीया रविवार को रोहिणी नक्षत्र में कुलदेवी स्वांगिया माता की कृपा से गजनी नगर की स्थापना कर वहां एक सुदृढ़ किले का निर्माण करवाकर उसकी प्रतिष्ठा करवाई। "रवि रोहिणी गजबाहु ने गजनी रची नवीन। वर्तमान से लगभग साढ़े चार हजार से भी अधिक वर्ष पूर्व निर्मित गजनी का किला अत्यंत ही मजबूत व अभेद्य था।पीतल के समान ठोस बनावट वाले इस किले की प्रचीरें एक दूसरे में गुंथी हुई डमरुनुमा थी, जिसे शत्रु बारूद से भी नहीं उड़ा सकता था। राजा गजबाहु के शासन काल में रुम प्रदेश कि फौज ने खुरासान कि मदद से गजनीपर आक्रमण की योजना बनाई दोनों प्रदेशों की सेना के गजनी पहुंचने से पहले राजा गजबाहु ने आगे बढ़कर कुंज शहर के नजदीक मुकाबला किया जिसमें राजा गजबाहु विजय हासिल की। उन्होंने अपने बल व पराक्रम से अपना साम्राज्य खुरासान बकत्रिया व बल्ख बुखारा तक फैला दिया। राजा गजबाहु ने कंधार,काबुल, मुल्तान, लाहौर व मथुरा तक के विस्तृत भू -भाग पर अपना सुशासन स्थापित किया। राजा गजबाहु के वंशज ने कई किलो का निर्माण करवाया गजबाहु के वंशज ने जैसलमेर की स्थापना कर नई राजधानी बसाई के कुछ समय बाद ही राजा कि अकाल मृत्यु ओर सड़यंत्र के कारण राजगद्दी वारिस को जैसलमेर त्यागना पड़ा। एक नया गांव बसाया डांगरी तथा यहाँ के ठाकुर ही राजा गजबाहु के वंशज थे जिन्होंने जैसलमेर त्यागने के पश्चात् इन्हीं के वंशज राजा देरावर ने देरावरगढ कि स्थापना की। राजा भूपत भटनेर ओर भटिन्डा बसाया डांगरी के अन्तिम ठाकुर सतीदानसिहं हुए। डांगरी जैसलमेर जिला मुख्यालयसे ८० किमीदुर है। इनके बाद राजा गजबाहु के वंशजों की पृष्ट नहीं है। नोट:- यह इतिहास १०० वर्ष से ४००० वर्ष पूर्व का है।.

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गुफ़ा

अमेरिका के न्यू मेक्सिको राज्य में स्थित लेचुगुइया गुफ़ा गुफ़ा गुफ़ा धरती में ऐसे भूमिगत (ज़मीन से नीचे के) स्थल को कहते हैं जो इतना बड़ा हो कि कोई व्यक्ति उसमें प्रवेश कर सके।, Stephen Kramer, First Avenue Editions, 1995, ISBN 978-0-87614-896-9 अगर ऐसा कोई स्थान इतना छोटा हो कि उसमें केवल एक छोटा जानवर ही प्रवेश कर पाए तो उसे आम तौर से हिन्दी में गुफ़ा की बजाए 'बिल' कहा जाता है। यह संभव है कि कोई गुफ़ा समुद्र के पानी के अन्दर भी हो - ऐसी गुफ़ाओं को समुद्री गुफ़ा कहा जाता है।, Sir Monier Monier-Williams, Motilal Banarsidass Publ., 2005, ISBN 978-81-208-3105-6 ---> .

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काबुल

काबुल अफगानिस्तान की राजधानी है। काबुल अफगानिस्‍तान का सबसे बड़ा शहर और राजधानी है। यह अफगानिस्‍तान का आर्थिक और सांस्‍कृतिक केंद्र भी है। यह शहर समुद्र तल से 1800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। काबुल सफेद खो पहाड़ी और काबुल नदी के बीच बसा हुआ है। यह पर्यटन की दृष्‍िट से मध्‍य एशिया का एक महत्‍पपूर्ण केंद्र माना जाता है। यहां कई प्रमुख पर्यटन स्‍थल हैं। जिसमें अफगान नेशनल म्‍यूजियम, दारुल अमन पैलेस, बाग-ए-बाबर, ईदगाह मस्जिद, ओमर माइन म्‍यूजियम यहां के प्रमुख दर्शनीय स्‍थल है। .

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अफ़ग़ानिस्तान

अफ़ग़ानिस्तान इस्लामी गणराज्य दक्षिणी मध्य एशिया में अवस्थित देश है, जो चारो ओर से जमीन से घिरा हुआ है। प्रायः इसकी गिनती मध्य एशिया के देशों में होती है पर देश में लगातार चल रहे संघर्षों ने इसे कभी मध्य पूर्व तो कभी दक्षिण एशिया से जोड़ दिया है। इसके पूर्व में पाकिस्तान, उत्तर पूर्व में भारत तथा चीन, उत्तर में ताजिकिस्तान, कज़ाकस्तान तथा तुर्कमेनिस्तान तथा पश्चिम में ईरान है। अफ़ग़ानिस्तान रेशम मार्ग और मानव प्रवास का8 एक प्राचीन केन्द्र बिन्दु रहा है। पुरातत्वविदों को मध्य पाषाण काल ​​के मानव बस्ती के साक्ष्य मिले हैं। इस क्षेत्र में नगरीय सभ्यता की शुरुआत 3000 से 2,000 ई.पू.

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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