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गमक

सूची गमक

भारतीय शास्त्रीय संगीत के निष्पादन में प्रयुक्त होने वाले भूषणों को गमक या गमकम कहते हैं। सुन्दर ढंग से मुड़ना, वक्र आदि को गमक कहते हैं। संगीत में किसी स्वर को अधिक रंजक तथा श्रुति मधुर बनाने के लिए उसमें उत्पन्न किया जानेवाला एक विशिष्ट प्रकार का कंपन। कभी-कभी किसी स्वर को उसके ठीक ऊपर या नीचेवाले स्वर के साथ मिलाकर वेगपूर्वक उच्चारण करने से भी गमन उत्पन्न होता है। संगीतशास्त्र में गमक के ये १५ भेद कहे गये हैं –: तिरिप, स्फुरित, कम्पित, लोच, आन्दोलित, वलि, त्रिभिन्न, कुरुल, आहत उल्लासित, प्लावित, गुम्फित, मुद्रित, नमित और मिश्रित। .

1 संबंध: शास्त्रीय संगीत

शास्त्रीय संगीत

भारतीय शास्त्रीय संगीत या मार्ग, भारतीय संगीत का अभिन्न अंग है। शास्त्रीय संगीत को ही ‘क्लासिकल म्जूजिक’ भी कहते हैं। शास्त्रीय गायन ध्वनि-प्रधान होता है, शब्द-प्रधान नहीं। इसमें महत्व ध्वनि का होता है (उसके चढ़ाव-उतार का, शब्द और अर्थ का नहीं)। इसको जहाँ शास्त्रीय संगीत-ध्वनि विषयक साधना के अभ्यस्त कान ही समझ सकते हैं, अनभ्यस्त कान भी शब्दों का अर्थ जानने मात्र से देशी गानों या लोकगीत का सुख ले सकते हैं। इससे अनेक लोग स्वाभाविक ही ऊब भी जाते हैं पर इसके ऊबने का कारण उस संगीतज्ञ की कमजोरी नहीं, लोगों में जानकारी की कमी है। .

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