यह गंगवंश उडीशा के श्वेतक में चिकटी (जिला गंजाम) में राज करता था और कदाचित पूर्वी गंगवंश की कोई उपशाखा थी। इस वंश का आदि नरेश महाराज जयवर्मन था जो कदाचित कलिंग नगर के शासन के अंतर्गत राणक (सामंत) था। यह छठी शती ई. के अंतिम दशक में रहा। इसके बाद इस वंश के संबंध में अगले सौ वर्ष तक कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। ६८० ई. के आसपास इस वंश में महाराज सामंतवर्मन के होने की बात ज्ञात होती है। वह अपने को समस्त कलिंग का नरेश बताता है। तदनंतर आठवीं-नवीं शती में इस वंश में महाराज इंद्रवर्मन हुए। इन शासकों का पारस्परिक संबंध अज्ञात है। इस वंश के परवर्ती कुछ अन्य शासकों के भी नाम ज्ञात होते हैं। इस वंश का अंतिम शासक देवेंद्रवर्मन था। ग्यारहवीं शती के अंत में अनंतवर्मन चोलगंग ने इस वंश को समाप्त कर दिया। श्रेणी:भारत के राजवंश श्रेणी:भारत का इतिहास.
1 संबंध: पूर्वी गंगवंश।
पूर्वी गंगवंश (ओड़िया: ଗଙ୍ଗ ବଂଶ ଶାସନ/गंग बंश शासन) भारतीय उपमहाद्वीप का एक हिन्दू राजवंश था। उन्होने कलिंग को राजधानी बनाया। उनके राज्य के अन्तर्गत वर्तमान समय का सम्पूर्ण उड़ीसा तो था ही, इसके साथ ही पश्चिम बंगाल, आन्ध्र प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के भी कुछ भाग थे।इनका शासन ११वीं शताब्दी से १५वीं शताब्दी तक रहा। उनकी राजधानी का नाम 'कलिंगनगर' था जो वर्तमान समय में आन्ध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिला का श्रीमुखलिंगम है। पहले यह उड़ीसा के गंजम जिले में था। पूर्वी गंगवंश के शासक कोणार्क के सूर्य मन्दिर के निर्माण के लिये प्रसिद्ध हैं। .
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