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खोट्टिग अमोघवर्ष

सूची खोट्टिग अमोघवर्ष

खोट्टिग अमोघवर्ष राष्ट्रकूट वंश का एक राजा। खोट्टिग राष्ट्रकूट राजवंश के कृष्ण तृतीय का छोटा भाई जो उसके मरने के बाद ९६८ ई. में मान्यखेट की गद्दी पर बैठा। वे दोनों ही अमोघवर्ष तृतीय के पुत्र थे, परंतु उनकी माताएँ संभवत: भिन्न थीं। खोट्टिग की माता का नाम कंदक देवी था। उसके समय से राष्ट्रकूट साम्राज्य का पतन प्रारंभ हो गया। उसके उत्तर में स्थित मालवा के परमारों ने राष्ट्रकूटों के क्षेत्रों पर धावे शुरू कर दिए। उदयपुर प्रशस्ति से ज्ञात होता है कि परमार राजा हर्षदेव (सियक द्वितीय) ने खोट्टिग की राज्यलक्ष्मी को युद्ध में बंदी बना लिया। परमारों के इस आक्रमण के समय खोट्टिग काफी वृद्ध था और वह उसका सफलतापूर्वक सामना न कर सका। परमार सेनाओं ने नर्मदा नदी को परमार राष्ट्रकूट की राजधानी मान्यखेट को ९७२ ई. में घेर लिया, उस लूटा और उस पर कब्जा कर लिया। लौटते समय उसके सैनिकों ने सचिवालय में रखी हुई राष्ट्रकूट दानपत्रों की प्रतिलिपियों तक को ले लिया। निश्चय ही राष्ट्रकूट शक्ति का यह भारी अपमान था और खोट्टिग उसके दुख से सँभल न सका। अल्तेक के मतानुसार सितंबर, ९७२ ई. में भग्नहृदय वह मर गया। श्रेणी:राष्ट्रकूट राजवंश.

3 संबंधों: मालवा, राष्ट्रकूट राजवंश, कृष्ण तृतीय

मालवा

1823 में बने एक एक ऐतिहासिक मानचित्र में मालवा को दिखाया गया है। विंध्याचल का दृश्य, यह मालवा की दक्षिणी सीमा को निर्धारित करता है। इससे इस क्षेत्र की कई नदियां निकली हैं। मालवा, ज्वालामुखी के उद्गार से बना पश्चिमी भारत का एक अंचल है। मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग तथा राजस्थान के दक्षिणी-पूर्वी भाग से गठित यह क्षेत्र प्राचीन काल से ही एक स्वतंत्र राजनीतिक इकाई रहा है। मालवा का अधिकांश भाग चंबल नदी तथा इसकी शाखाओं द्वारा संचित है, पश्चिमी भाग माही नदी द्वारा संचित है। यद्यपि इसकी राजनीतिक सीमायें समय समय पर थोड़ी परिवर्तित होती रही तथापि इस छेत्र में अपनी विशिष्ट सभ्यता, संस्कृति एंव भाषा का विकास हुआ है। मालवा के अधिकांश भाग का गठन जिस पठार द्वारा हुआ है उसका नाम भी इसी अंचल के नाम से मालवा का पठार है। इसे प्राचीनकाल में 'मालवा' या 'मालव' के नाम से जाना जाता था। वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी.

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राष्ट्रकूट राजवंश

राष्ट्रकूट (ರಾಷ್ಟ್ರಕೂಟ) दक्षिण भारत, मध्य भारत और उत्तरी भारत के बड़े भूभाग पर राज्य करने वाला राजवंश था। .

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कृष्ण तृतीय

कृष्ण तृतीय (939 – 967 ई), मान्यखेत के राष्ट्रकूट राजवंश का अन्तिम महान एवं योग्य शासक था। श्रेणी:राष्ट्रकूट राजवंश.

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