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खट्टा पालक

सूची खट्टा पालक

खट्टा पालक (अंग्रेज़ी: common sorrel, garden sorrel), जिसे कभी-कभी खट्टा साग भी कहा जाता है, एक छोटे आकार की हरे पत्तों वाली वनस्पति जाति है जो सरसरी रूप से पालक जैसी दिखती है। यह विश्व की कई घासभूमियों व अन्य स्थानों में जंगली उगती है लेकिन इसे खाने के लिए भी उगाया जाता है। इसका स्वाद पालक से अलग और ज़रा खट्टा व तीखा होता है जिसका कारण इसके पत्तों में उपस्थित ऑक्सैलिक अम्ल होता है। बहुत बड़ी मात्रा में खाने पर इसके प्रभाव विषैले भी हो सकते हैं। कई कीट-शिशु इसके पत्तों को खाते हैं। .

14 संबंधों: पादप, पालक, पॉलीगोनेसी, युडिकॉट, रूमेक्स, सपुष्पक पौधा, जाति (जीवविज्ञान), घासभूमि, वनस्पति, विष, ऑक्सैलिक अम्ल, कार्ल लीनियस, कैरियोफ़िलालीस, अंग्रेज़ी भाषा

पादप

पादप या उद्भिद (plant) जीवजगत का एक बड़ी श्रेणी है जिसके अधिकांश सदस्य प्रकाश संश्लेषण द्वारा शर्कराजातीय खाद्य बनाने में समर्थ होते हैं। ये गमनागम (locomotion) नहीं कर सकते। वृक्ष, फर्न (Fern), मॉस (mosses) आदि पादप हैं। हरा शैवाल (green algae) भी पादप है जबकि लाल/भूरे सीवीड (seaweeds), कवक (fungi) और जीवाणु (bacteria) पादप के अन्तर्गत नहीं आते। पादपों के सभी प्रजातियों की कुल संख्या की गणना करना कठिन है किन्तु प्रायः माना जाता है कि सन् २०१० में ३ लाख से अधिक प्रजाति के पादप ज्ञात हैं जिनमें से 2.7 लाख से अधिक बीज वाले पादप हैं। पादप जगत में विविध प्रकार के रंग बिरंगे पौधे हैं। कुछ एक को छोड़कर प्रायः सभी पौधे अपना भोजन स्वयं बना लेते हैं। इनके भोजन बनाने की क्रिया को प्रकाश-संश्लेषण कहते हैं। पादपों में सुकेन्द्रिक प्रकार की कोशिका पाई जाती है। पादप जगत इतना विविध है कि इसमें एक कोशिकीय शैवाल से लेकर विशाल बरगद के वृक्ष शामिल हैं। ध्यातव्य है कि जो जीव अपना भोजन खुद बनाते हैं वे पौधे होते हैं, यह जरूरी नहीं है कि उनकी जड़ें हों ही। इसी कारण कुछ बैक्टीरिया भी, जो कि अपना भोजन खुद बनाते हैं, पौधे की श्रेणी में आते हैं। पौधों को स्वपोषित या प्राथमिक उत्पादक भी कहा जाता है। 'पादपों में भी प्राण है' यह सबसे पहले जगदीश चन्द्र बसु ने कहा था। पादपों का वैज्ञानिक अध्ययन वनस्पति विज्ञान कहलाता है। .

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पालक

पालक पालक (वानस्पतिक नाम: Spinacia oleracea) अमरन्थेसी कुल का फूलने वाला पादप है, जिसकी पत्तियाँ एवं तने शाक के रूप में खाये जाते हैं। पालक में खनिज लवण तथा विटामिन पर्याप्त रहते हैं, किंतु ऑक्ज़ैलिक अम्ल की उपस्थिति के कारण कैल्शियम उपलब्ध नहीं होता। यह ईरान तथा उसके आस पास के क्षेत्र का देशज है। ईसा के पूर्व के अभिलेख चीन में हैं, जिनसे ज्ञात होता है कि पालक चीन में नेपाल से गया था। 12वीं शताब्दी में यह अफ्रीका होता हुआ यूरोप पहुँचा।Victor R. Boswell, "Garden Peas and Spinach from the Middle East".

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पॉलीगोनेसी

पॉलीगोनेसी (Polygonaceae) द्विबीजपत्रीय वर्ग का एक जीववैज्ञानिक कुल है, जिसमें लगभग ४० वंश (genera) और लगभग ७५० जातियाँ पाई जाती हैं। इसकी १०९ जातियाँ भारत में मिलती हैं। अधिकांशतः ये पौधे प्राक (herb) किस्म के हाते हैं, पर कुछ लतर के रूप के भी पाए जाते हैं। पत्तियाँ सरल, पूरी और एकांतर (alternate) होती हैं। अनुपर्ण (stipule) विशेष प्रकार का होता है, जो तने के चारों ओर खोखली नली बनाता है और एक पर्वसंधि (node) से लेकर दूसरी पर्वसंधि कुछ ऊँचाई तक घेरे रहता है। इसे नाल चोली अनुपर्ण कहते हैं और यह इस कुल की विशेषता है। पुष्पगुच्छ असीमाक्षी (racemoss) होता है तथा फूल द्विलिंगी और नियमित (regular) होते हैं। कभी-कभी अनियमित भी होते हैं। परिदलपुंज (perianth) दो चक्करों (whorls) में, तीन बाहर और तीन अंदर या एक चक्कर में पाँच, होते हैं। पुमंग (androecium) भी तीन और तीन के दो चक्करों में, या पाँच से आठ तक एक ही चक्कर में, होता है। जायांग (gynaeceum) की संख्या तीन होती है, जो युक्तांडपी (syncarpous) होते हैं। ओवरी या अंडाशय सुपीरियर (superior) होता है। फल छोटा तिकोना होता है। इस कुल के मुख्य वंशों को तीन उपकुलों में भी बाँटा जाता है। ये उपकुल हैं,.

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युडिकॉट

युडिकॉट​ (Eudicot) सपुष्पक पौधों का एक समूह है जिनके बीजों के दो हिस्से (बीजपत्र) होते हैं, जिसके विपरीत मोनोकॉट (Monocot) पौधों के बीजों में एक ही बीजपत्र होता है। फूलधारी (सपुष्पक) पौधों की यही दो मुख्य श्रेणियाँ हैं।, Linda R. Berg, pp.

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रूमेक्स

रूमेक्स (अंग्रेज़ी: Rumex) पौधों की लगभग २०० जातियों का एक जीववैज्ञानिक वंश है जो पोलिगोनेसिए कुल के अंतर्गत आता है। इसमें खट्टे पालक सहित और भी गण शामिल हैं। मूल रूप से इसकी अधिकतर जातियाँ पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में उगा करते थे लेकिन मानवीय हस्तक्षेप से अब यह लगभग हर स्थान में मिलते हैं। इनमें से कई खाद्य-योग्य हैं। रूमेक्स वंश की मूल व्याख्या कार्ल लिनेअस ने की थी। तितलियों व पतंगों की कई जातियों के डिंभ (लारवा, शिशु) इनके पत्ते खाते हैं। .

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सपुष्पक पौधा

कमल बीज पैदा करनेवाले पौधे दो प्रकार के होते हैं: नग्न या विवृतबीजी तथा बंद या संवृतबीजी। सपुष्पक, संवृतबीजी, या आवृतबीजी (flowering plants या angiosperms या Angiospermae या Magnoliophyta, Magnoliophyta, मैग्नोलिओफाइटा) एक बहुत ही बृहत् और सर्वयापी उपवर्ग है। इस उपवर्ग के पौधों के सभी सदस्यों में पुष्प लगते हैं, जिनसे बीज फल के अंदर ढकी हुई अवस्था में बनते हैं। ये वनस्पति जगत् के सबसे विकसित पौधे हैं। मनुष्यों के लिये यह उपवर्ग अत्यंत उपयोगी है। बीज के अंदर एक या दो दल होते हैं। इस आधार पर इन्हें एकबीजपत्री और द्विबीजपत्री वर्गों में विभाजित करते हैं। सपुष्पक पौधे में जड़, तना, पत्ती, फूल, फल निश्चित रूप से पाए जाते हैं। .

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जाति (जीवविज्ञान)

जाति (स्पीशीज़) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी है जाति (अंग्रेज़ी: species, स्पीशीज़) जीवों के जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी होती है। जीववैज्ञानिक नज़रिए से ऐसे जीवों के समूह को एक जाति बुलाया जाता है जो एक दुसरे के साथ संतान उत्पन्न करने की क्षमता रखते हो और जिनकी संतान स्वयं आगे संतान जनने की क्षमता रखती हो। उदाहरण के लिए एक भेड़िया और शेर आपस में बच्चा पैदा नहीं कर सकते इसलिए वे अलग जातियों के माने जाते हैं। एक घोड़ा और गधा आपस में बच्चा पैदा कर सकते हैं (जिसे खच्चर बुलाया जाता है), लेकिन क्योंकि खच्चर आगे बच्चा जनने में असमर्थ होते हैं, इसलिए घोड़े और गधे भी अलग जातियों के माने जाते हैं। इसके विपरीत कुत्ते बहुत अलग आकारों में मिलते हैं लेकिन किसी भी नर कुत्ते और मादा कुत्ते के आपस में बच्चे हो सकते हैं जो स्वयं आगे संतान पैदा करने में सक्षम हैं। इसलिए सभी कुत्ते, चाहे वे किसी नसल के ही क्यों न हों, जीववैज्ञानिक दृष्टि से एक ही जाति के सदस्य समझे जाते हैं।, Sahotra Sarkar, Anya Plutynski, John Wiley & Sons, 2010, ISBN 978-1-4443-3785-3,...

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घासभूमि

घासभूमि या विहारभूमि या चमनज़ार ऐसे विस्तृत क्षेत्र को कहते हैं जहाँ दूर-दूर तक घास और छोटे झाड़ फैले हुए हों। ऐसी जगहों पर जहाँ-तहाँ वृक्ष भी हो सकते हैं लेकिन भूमि के अधिकतर हिस्से पर घास ही बिछी हुई होती है। अंटार्कटिका को छोड़कर घासभूमियाँ हर महाद्वीप पर पाई जाती हैं और अक्सर स्थानीय नामों से जानी जाती हैं। दक्षिणी अफ़्रीका में इसे 'वॅल्ड', उप-सहारवी अफ़्रीका में 'सवाना', यूरोप व एशिया में 'स्तेपी', उत्तर अमेरिका में 'प्रेरी' और दक्षिण अमेरिका में 'पाम्पास' के नाम से जाना जाता है।, Buffy Silverman, pp.

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वनस्पति

पेड़-पौधों या वनस्पतिलोक का अर्थ है, किसी क्षेत्र का वनस्पति जीवन या भूमि पर मौजूद पेड़-पौधे और इसका संबंध किसी विशिष्ट जाति, जीवन के ऱूप, रचना, स्थानिक प्रसार, या अन्य वानस्पतिक या भौगोलिक गुणों से नहीं है। यह शब्द फ्लोरा शब्द से कहीं अधिक बड़ा है जो विशेष रूप से जाति की संरचना से संबधित होता है। शायद सबसे करीबी पर्याय ''वनस्पति'' समाज है, लेकिन पेड़-पौधे शब्द स्थानिक पैमानों की विस्तृत श्रेणी से संबध रख सकता है, जिनमें समस्त विश्व की वनस्पति-संपदा समाविष्ट है। प्राचीन लाल लकड़ी के वन, तटीय सदाबहार वन, दलदल में जमने वाली काई, रेगिस्तानी मिट्टी की पर्तें, सड़क के किनारे उगने वाली घास, गेहूं के खेत, बाग-बगीचे-ये सभी पेड़-पौधों की परिभाषा में शामिल हैं। .

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विष

विष (Poision) ऐसे पदार्थों के नाम हैं, जो खाए जाने पर श्लेष्मल झिल्ली (mucous membrane), ऊतक या त्वचा पर सीधी क्रिया करके अथवा परिसंचरण तंत्र (circulatory system) में अवशोषित होकर, घातक रूप से स्वास्थ्य को प्रभावित करने, या जीवन नष्ट करने, में समर्थ होते हैं। .

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ऑक्सैलिक अम्ल

आक्सैलिक अम्ल की संरचना आक्सैलिक अम्ल (Oxalic acid) पोटैसियम और कैल्सियम लवण के रूप में बहुत से पौधों में पाया जाता है। लकड़ी के बुरादे से क्षार के साथ २४०° से २५०° सें.

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कार्ल लीनियस

कार्ल लीनियस (लैटिन: Carolus Linnaeus) या कार्ल वॉन लिने (२३ मई १७०७ - १० जनवरी १७७८) एक स्वीडिश वनस्पतिशास्त्री, चिकित्सक और जीव विज्ञानी थे, जिन्होने द्विपद नामकरण की आधुनिक अवधारणा की नींव रखी थी। इन्हें आधुनिक वर्गिकी (वर्गीकरण) के पिता के रूप में जाना जाता है साथ ही यह आधुनिक पारिस्थितिकी के प्रणेताओं मे से भी एक हैं। .

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कैरियोफ़िलालीस

कैरियोफ़िलालीस (अंग्रेज़ी: Caryophyllales) सपुष्पक पौधों का एक जीववैज्ञानिक गण है जिसमें कैक्टस, खट्टी पालक और कई मांसाहारी पौधे आते हैं। इनमें से कई गूदेदार पौधे होते हैं और मोटे पत्ते या टहनियाँ रखते हैं। सारी युडिकॉट वनस्पति जातियों के लगभग ६% इसी गण के सदस्य हैं। .

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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